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13 जून 2023सिय्योन

किसी देश की राजधानी में आनन्दोत्सव की कल्पना करें जब एक अच्छा राजा विद्रोह को दबाकर आया हो, और पवित्रशास्त्र में सिय्योन का इसी प्रकार का चित्रण है। सिय्योन प्राथमिक रीति से यरूशलेम के उस पर्वत की ओर संकेत करता है जिस पर मन्दिर का निर्माण किया गया था। परन्तु जैसे-जैसे पवित्रशास्त्र आगे बढ़ता है, इसका अर्थ और अधिक परमेश्वर के शत्रुओं पर उसके विजय के चित्रण के रूप में समझा जाने लगा।
छाया-जैसा सिय्योन
सिय्योन की कहानी प्रभु द्वारा इसके चुनाव से आरम्भ होती है: “यहोवा ने सिय्योन को चुन लिया है; उसने अपने निवास के लिए इसे चाहा है” (भजन 132:13)। परन्तु वहाँ निवास करने के लिए और अपने राज्य को स्थापित करने के लिए, प्रभु को पहले विरोध करने वाले और उसके पर्वत पर रहने वाले शत्रुओं को पराजित करना था। ये कनानी लोग हैं और विशेकर यबूसी लोग। परमेश्वर की सहायता से, दाऊद ने परमेश्वर के शत्रुओं के इस अन्तिम समूह को पराजित किया (2 शमूएल 5:7; यहोशू 15:63 देखें)।
अपने शत्रुओं को परास्त करने के पश्चात्, परमेश्वर अपने नगर को स्थापित करता है। फिर वह नए नगर के बीच में सुलैमान से मन्दिर बनवाया। चर्मोत्कर्ष तब होता है जब सुलैमान सन्दूक को (पुराने यबूसी नगर) सिय्योन से नए सिय्योन में ले जाता है (अर्थात् मन्दिर के पर्वत पर; 1 राजा 8:1 देखें)। मन्दिर में उसकी महिमा के आने के साथ परमेश्वर इस सम्पूर्ण परिश्रम को सम्मानित करता है (1 राजा 8:11)। वह सिय्योन का संस्थापक और उसका सिद्धकर्ता है (यशायाह 14:32)।
भजन 132 इन घटनाओं को पृथ्वी के राजा के रूप में प्रभु के राज्याभिषेक के उत्सव के रूप में मनाता है। निस्सन्देह परमेश्वर ने सृष्टिकर्ता के रूप में सर्वदा राज्य किया है। परन्तु अब सार्वजनिक रीति से प्रभु को सम्पूर्ण पृथ्वी के न्यायोचित राजा के रूप में पहचाना जा रहा है।
तो जब आप सिय्योन के विषय में सोचते हैं: सोचें: प्रभु राज्य करता है। सिय्योन पर प्रभु ऊँचे महाराजा के रूप में सिंहासन पर विराजमान है (भजन 9:11; यशायाह 24:23)। सिय्योन पर प्रभु ने दाऊद को अपने अधीन राजा के रूप में स्थापित किया, अर्थात् वह राजा जो परमेश्वर के स्थान पर राज्य करता है (भजन 2:6; 110:2)। यथार्थ ऊँचाई को ध्यान दिए बिना, सिय्योन पृथ्वी के सब पर्वतों से ऊँचा है (भजन 48:2; यशायाह 2:2 देखें), क्योंकि वहीं से प्रभु सब लोगों के ऊपर प्रधान है (भजन 99:2)।
सिय्योन संसार के केन्द्र में है, जहाँ प्रभु, सब का राजा, अपना शासन संचालित करता है। सिय्योन से प्रभु के राजकीय छुटकारे के कार्य आते हैं (भजन 14:7)। प्रभु के सब लोग उसकी आराधना करने और अपनी निष्ठा व्यक्त करने के लिए सिय्योन को आते हैं। सिय्योन वह स्थान है जहाँ हम किसी और स्थान से अधिक परमेश्वर के शासन की महिमा को देखते हैं: वह नया अदन है, जो पृथ्वी का सबसे सुन्दर स्थान है (भजन 50:2)। परमेश्वर के लोग उससे इतना अधिक प्रेम करते हैं कि उनकी इच्छा है कि वे सर्वदा वही रहें (भजन 84:2-4)।
इस प्रकार, सिय्योन किसी और स्थान से अधिक परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करता है। परमेश्वर का नाम वहाँ वास करता है (यशायाह 18:7)। सिय्योन की महिमा को देखने का अर्थ है प्रभु की महिमा देखना (भजन 27:4)। सिय्योन के घृणा करने का अर्थ है स्वयं प्रभु से घृणा करना (यशायाह 37:22-23)। और जिस प्रकार परमेश्वर का शासन यरूशलेम से बाहर की ओर होता है, उसी रीति से सिय्योन नाम भी यरूशलेम से बाहर की ओर प्रभाव डालता है। सिय्योन नियमित रीति से मात्र मन्दिर की पहाड़ी ही नहीं वरन् सम्पूर्ण यरूशलेम का वर्णन करता है (यशायाह 40:9), जिसे कभी-कभी “सिय्योन की पुत्री” कहा जाता है (मीका 4:10)। इस्राएल के सब लोगों को भी सिय्योन कहा जा सकता है (यशायाह 51:16)।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि सिय्योन विश्व पर प्रभु के अदम्य शासन का प्रतीक है, यह आश्चर्यजनक बात है कि सिय्योन अन्य देशों द्वारा पराजित हो जाता है। यह कैसे हो सकता है कि मन्दिर, जो परमेश्वर का सिंहासन है, खण्डहर बन जाए (मीका 3:12; भजन 125:1 देखें)? इसका उत्तर है कि उसके शासन के प्रति उसके लोगों के विद्रोह के कारण स्वयं परमेश्वर ने अपने सिंहासन को त्याग दिया (यिर्मयाह 7:13-14)।
अन्तिम सिय्योन
और फिर भी, इसके विनाश के बाद भी, सिय्योन चौंका देने वाली प्रतिज्ञाओं का उत्तराधिकारी बना रहता है। नबी प्रतिज्ञा करते हैं कि परमेश्वर पुनः पहले से भी अधिक महिमा में शासन करेगा (यशायाह 4:3-5; 51:11)। परन्तु जब यीशु ख्रीष्ट में होकर प्रभु पुनः आता है, वह पृथ्वी के मन्दिर से शासन करने के लिए नहीं, वरन् स्वर्गीय सिय्योन में स्वर्गीय मन्दिर से शासन करने के लिए आता है (इब्रानियों 12:22; 1 पतरस 2:6)। आरम्भ से ही छाया-जैसा सिय्योन इस अन्तिम सिय्योन का प्रतिरूप था। यह विचार करें कि प्रथम सिय्योन कितना महिमामय था, और अब समझें कि यह अन्तिम सिय्योन यीशु के उत्कृष्ट विजय के पश्चात् कितना महिमामय है। आप और मैं इस स्वर्गीय सिय्योन के नागरिक हैं। और एक दिन यह पर्वत सम्पूर्ण नई सृष्टि को भरने के लिए आएगा।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।