व्यर्थता - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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व्यर्थता

जब हमारे उद्देश्य के अनुसार कार्य नहीं होते हैं, तो हम हताश तथा चिड़चिड़े हो जाते हैं। आप रिमोट का उपयोग करने के लिए घर में उसकी बैटरियाँ खोजने में समय व्यतीत करते हैं, और जब वे आपको मिल भी जाती हैं, तो आप देखते हैं कि यद्यपि वे नईं हैं, फिर भी वे चार्ज नहीं हैं।

यह व्यर्थता हमें एक झलक दिखाती है कि जब बाइबल व्यर्थता की बात करती है तो उसका क्या अर्थ है। व्यर्थता बुद्धि से सम्बन्धित अवधारणा है जो पुराने और नए नियमों में पाई जाती है जो हमें इस बात की ओर इंगित करती है कि क्या सफल होगा और क्या नहीं। यह परमेश्वर की ओर से चेतावनी का कार्य करती है जो यह पहचानने में हमारी सहायता करती है कि क्या वास्तविक, स्थायी, प्रभावशाली, और मूल्यवान है, और इसके विपरीत क्या खोखला, तुच्छ, निरर्थक, और अस्थायी है। पुराने नियम की पुस्तक सभोपदेशक व्यर्थता के विषय की विशेषज्ञ है, और सूर्य के नीचे जीवन के लगभग प्रत्येक उस क्षेत्र के लिए लागूकरण देती है जहाँ हम इस पतित जगत में अर्थ खोजने का प्रयास कर सकते हैं। इसमें पायी जाने वाली हताशा और प्रभावहीनता का वर्णन हमारे अनुभव से मेल खाता है।

बुद्धि की एक अवधारणा के रूप में, व्यर्थता का उद्देश्य है कि हम उन वस्तुओं में अर्थ, उद्देश्य, और मूल्य न खोजें जो केवल निराश ही करेंगी। यह इस नीतिवचन को प्रतिबिम्बित करती है, “ऐसा मार्ग भी है जो मनुष्य को ठीक जान पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है” (नीतिवचन 14:12)। परन्तु बुद्धि न केवल हमें व्यर्थता को पहचानने में सहायता करती है; यह हमें वह दिशा देती है जहाँ हम उस जीवन को प्राप्त करें जिसकी हम खोज कर रहे हैं। व्यर्थता की व्यापक समीक्षा देने के पश्चात्, सभोपदेशक अर्थपूर्ण जीवन के लिए प्रभावकारी नियम देता है: “जब सब कुछ सुन लिया गया, निष्कर्ष यह है: परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य यही है” (सभोपदेशक 12:13)। दूसरे शब्दों में, हमें जो ठीक लगता है उन बातों पर निर्भर होने या संसार की सम्मति को अपनाने के स्थान पर, हम अपनी आँखें सृष्टि से उठाकर सृष्टिकर्ता की ओर लगाते हैं जिससे कि हम सृष्टिकर्ता को सुन सकें। जब हम सुनते हैं, तो हम उसकी बातों को कार्य में लाते हैं, और सृष्टिकर्ता तथा उसकी प्रकट इच्छा के आधार पर अपने विचार बनाते हैं, अपने निर्णय लेते हैं और अपना भरोसा रखते हैं। यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है।

हम इस प्रभावकारी नियम को यशायाह नबी द्वारा परमेश्वर की बुलाहट में देखते हैं, जहाँ वह सन्तुष्टि न देने वाली रोटी की तुलना उस उत्तम भोजन से करता है जिसे वह उपलब्ध कराता है (यशायाह 55:2-3)। यहोवा के उस भय के बिना जो परमेश्वर की सुनता है, हम स्वयं को उस व्यर्थता के हाथों में सौंपने के जोखिम में हैं जो केवल निराश ही करेगा। सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में व्यर्थता और सत्यता में भिन्नता, अर्थात् व्यर्थ बातों में और मूल्यवान बातों में भिन्नता, बुद्धि और मूर्खता में भेद करने की रेखा है। हम इसे इस बात में देखते हैं कि हम कहाँ सत्य की खोज करते हैं और जीवन के लिए किस बात पर निर्भर होते हैं।

जब प्रेरितों के काम की पुस्तक में पौलुस और बरनाबास लुस्त्रा में सुसमाचार को लाए, उन्होंने लोगों से कहा कि “व्यर्थ वस्तुओं को छोड़कर जीवित परमेश्वर की ओर फिरो जिसने स्वर्ग, पृथ्वी और समुद्र तथा जो कुछ उनमें है, सब को बनाया” (प्रेरितों के काम 14:15)। ये व्यर्थ वस्तुएँ क्या थीं? लोगों ने स्वयं अपने ईश्वर बनाए थे और अपनी इच्छाओं पर चल रहे थे। उन सब को व्यर्थ कहने के द्वारा, पौलुस और बरनाबास कह रहे थे, “ये नहीं चलेगा।” इसके विपरीत, लोगों को अपने प्रयासों से पश्चात्ताप करना था और जीवित और सच्चे परमेश्वर की खोज और सेवा करने के लिए स्वयं को फिरना था (भजन 31:5-8; 1 थिस्सलुनीकियों 1:9-10 देखें)।

हम उन व्यर्थ मार्गों से जो हमें ठीक लगते हैं और उस जीवन देने वाले उपजाऊ मार्ग की ओर तभी निर्देशित होते हैं जब हम सृष्टिकर्ता परमेश्वर को सुनते हैं। आखिरकार, वह मार्ग उस यीशु ख्रीष्ट में परमेश्वर का प्रावधान है, जिसमें वास्तविक, बहुतायत का, और अनन्त जीवन प्राप्त होता है।

प्रेरित पौलुस ख्रीष्ट में परमेश्वर के उद्धार को व्यर्थता की भाषा में व्यक्त करता है। ख्रीष्ट के कार्य की प्रभावकारिता को समझाने में, वह समझाता है: “और यदि ख्रीष्ट जिलाया नहीं गया तो हमारा प्रचार करना व्यर्थ है, और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है। . . . और यदि ख्रीष्ट नहीं जिलाया गया है तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है। तुम अब तक अपने पापों में पड़े हो। तो वे भी जो ख्रीष्ट में सो गए हैं, नाश हो गए” (1 कुरिन्थियों 15:14, 17-18)। परन्तु ख्रीष्ट जिलाया गया है। हमारा विश्वास स्थापित है। हमारी आशा खोखली नहीं है। ख्रीष्ट में हमारा जीवन अर्थहीन नहीं है। प्रभु में हमारा परिश्रम व्यर्थ नहीं है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

स्टैन्ली डी. गेल
स्टैन्ली डी. गेल
डॉ. स्टैन्ली डी. गेल एक सेवानिवृत्त पास्टर हैं और कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें फाइन्डिंग फॉरगिवनस: डिस्कवरिंग द हीलिंग पॉवर ऑफ द गॉस्पेल।