परमेश्वर पुत्र
17 जून 2021त्रिएकता में हर्षित होना
21 जून 2021परमेश्वर पवित्र आत्मा
सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पांचवा अध्याय है: त्रिएकता
पवित्र आत्मा अविभाज्य त्रिएकता में तीन हायपोस्टैसिस (व्यक्तियों) में से एक के रूप में उपस्तित्व रखता है। वह सम्पूर्णता से और सुविस्तृत रूप से परमेश्वर है, पिता और पुत्र के साथ एक अस्तित्व में, और सामर्थ्य और महिमा में एक होते हुए। परमेश्वर जो भी करता है, आत्मा करता है, क्योंकि परमेश्वर के सब कार्यों में तीनों व्यक्ति अभिन्न रीति से कार्य करते हैं, चाहे सृष्टि में, दिव्यसंरक्षण में, या उद्धार में। इसलिए, जब हम आत्मा के कार्य के विषय में बात करते हैं, हमें सदैव स्मरण रखना चाहिए कि पिता और पुत्र भी सम्मिलित हैं।
फिर भी, पवित्र आत्मा पिता नहीं है, और वह पुत्र भी नहीं है, क्योंकि तीन सनातन काल से भिन्न हैं। किन्तु एक ही परमेश्वर है, इसलिए आत्मा पिता और पुत्र के साथ अस्तित्व या मूलतत्त्व में एक समान है, पर व्यक्तित्व के सम्बन्ध में, वह अपरिवर्तनीय रूप से भिन्न है। इसलिए, ऐसे कार्य हैं जिनका श्रेय विशेषकर आत्मा को दिया जाता है—केवल उसी को पिन्तेकुस्त के दिन भेजा गया—पर यहाँ भी वह पिता के द्वारा पुत्र में और पुत्र के माध्यम से भेजा गया।
तीनों के सनातन सम्बन्धों के सम्बन्ध में, आत्मा पिता से अग्रसर होता है (यूहन्ना 15:26)। इस अर्थ में, आत्मा पिता से है, एक ऐसा सम्बन्ध जिसमें अधीनता, हीनता, या समय-सम्बन्धी प्रधानता का कोई भी तत्व नहीं है किन्तु इसके स्थान पर एक सम्बन्धपरक और व्यक्तिगत क्रम है। यह हमारी समझने की क्षमता से परे है, क्योंकि यह परमेश्वर के आन्तरिक जीवन के रहस्य में होता है। फिर भी, विश्वास से हम समझने का प्रयास करते हैं।
इस सनातन अग्रसर होने के अनुरूप, पिता आत्मा को भेजता है, पुत्र में और उसके माध्यम से, सृष्टि में उसके सब कार्यों के सम्बन्ध में, जिसमें हमारा छुटकारा सम्मिलित है (प्रेरितों के काम 1:8; गलातियों 4:4-6)। इसको एक मिशन (भेजना) के रूप में जाना जाता है।
जैसे बताया गया था, पुत्र भी आत्मा को भेजने में पिता के साथ सक्रिय रीति से सम्मिलित है। यीशु कहता है कि पिन्तेकुस्त को पिता आत्मा को उसके निवेदन के प्रतिउत्तर में या उसके नाम में भेजेगा (यूहन्ना 14:16, 26) वह यह भी कहता है कि वह स्वयं आत्मा को भेजेगा (16:7), और बाद में वह चेलों पर फूंककर कहता है, “पवित्र आत्मा लो” (20:22)।
इससे असंख्य विवाद उत्पन्न हुए हैं कि पुत्र सनातन काल से पिता और आत्मा के सम्बन्धों में कैसे सम्मिलित है। बाइबल में कोई स्पष्ट कथन नहीं है कि क्या आत्मा पिता के साथ पुत्र से भी अग्रसर होता है। मूलतः, नीकिया का विश्वास वचन केवल कहता था कि आत्मा “पिता से अग्रसर होता है।” लतीनी कलीसिया ने बाद में विश्वास वचन में फिलियोके (“और पुत्र”) वाक्यांश जोड़ा, जिसके प्रति पूर्वी कलीसियाओं ने दृढ़ता से और निरन्तरता से कलीसियाई और ईश्वरविज्ञानीय विरोध किया। पश्चिम ने समझा कि पिता ने सब बातों को पुत्र को दिया, जिसमें आत्मा का निकलना (या अग्रसर होना) सम्मिलित है, जबकि पूर्व मानता है कि यह पुत्र और आत्मा दोनों के व्यक्तिगत उपस्तित्व के स्रोत के रूप में पिता को जोखिम में डालता है, और साथ में, पुत्र और आत्मा के बीच के अन्तर को धुन्धला करता है। फिर भी, क्योंकि पूर्वी कलीसियाएं (पूर्वी ऑर्थोडॉक्स) और पश्चिमी कलीसियाएं (रोमी कैथोलिक और प्रोटेस्टन्टवाद) सहमत हैं कि क्योंकि त्रिएकता अविभाज्य है, तीनों मौलिक रूप से सम्मिलित हैं।
पतरस आत्मा को परमेश्वर के साथ एक समान दिखाता है जब वह कहता है कि पवित्र आत्मा से झूठ बोलना परमेश्वर से झूठ बोलना है (प्रेरितों के काम 5:3-4)। वह उन कार्यों को करता है जिन्हें केवल परमेश्वर कर सकता है। आत्मा को नए नियम में त्रिक कथनों में व्यापक रूप से उल्लेखित किया गया है, यह ध्यान में रखते हुए कि थियोस (परमेश्वर) प्रायः पिता को सन्दर्भित करता है और कुरियोस (प्रभु) पुत्र को। परमेश्वर के रूप में, आत्मा के पास सुविस्तृत रीति से सब परमेश्वरीय गुण हैं (उदाहरण के लिए, भजन 139:7-10)। इसके परिणामस्वरूप, तीनों व्यक्ति एक साथ विशेष रीति से आत्मा से श्रेष्ठ नहीं हैं।
सुस्पष्ट रीति से, आत्मा कोई अव्यक्तिगत ऊर्जा या सामर्थ्य नहीं है। बाइबल उसका वर्णन व्यक्तिगत रीति से करती है। वह पाप पर शोकित होता है (इफिसियों 4:30), विश्वास दिलाता है और कायल करता है (यूहन्ना 14-16), विनती करता है (रोमियों 8:26-27), पुकारता है (गलातियों 4:6), बात करता है (मरकुस 13:11), और सुसमाचार प्रचारकों और प्रेरितों को बताता है कि उन्हें क्या करना चाहिए (प्रेरितों के काम 8:29, 39; 16:6-10)। उसके पास मन है (रोमियों 8:27) और वह हम में ऐसी रीतियों में कार्य करता है जो हमारे स्वयं की बुद्धिमत्ता को उपयोग करती हैं (1 कुरिन्थियों 12:1-3; 2 कुरिन्थियों 10:3-6)। वह स्वयं से ध्यान हटाता है, पुत्र ख्रीष्ट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, स्वयं की ओर नहीं (यूहन्ना 16:14-15; 13:31; 17:1-26 देखिए), और इस अंगीकार को करवाता है कि यीशु प्रभु है। वह अदृश्य है, क्योंकि वह हमारे स्वभाव को साझा नहीं करता है। जब कि यूनानी शब्द न्यूमा (आत्मा) एक नपुंसक संज्ञा है, यह बात लिंग के विषय में वर्तमान में चल रहे विवाद से सम्बन्ध नहीं रखता है क्योंकि परमेश्वर एक लैंगिक प्राणी नहीं है।
आत्मा, सृष्टि, और दिव्यसंरक्षण
यह बात कि पिता और पुत्र के साथ आत्मा अभिन्न रीति से सृष्टिकर्ता है, स्पष्ट है, अन्य स्थानों के साथ, उत्पत्ति 1:2 में, जहाँ “परमेश्वर का आत्मा जल की सतह पर मण्डराता था।” अन्य स्थानों में, जब पुराना नियम काव्यात्मक रीति से सृष्टि की बात करता है, आत्मा—या श्वास—की बात की जाती है (भजन 33:6-9)। यह नीकिया के विश्वास वचन में दिखता है जहाँ उसको “प्रभु और जीवन का दाता” के रूप में अंगीकार किया जाता है। यह निष्कर्ष निकलता है कि वह नित्य दिव्यसंरक्षण और जीवन देने, सम्भालने, और समाप्त करने में सक्रिय है (भजन 104:29-30)।
यीशु के जीवन और सेवा में आत्मा
देहधारी पुत्र, यीशु के पूरे जीवन और सेवा में, आत्मा सक्रिय था। जबकि यीशु बार-बार अंगीकार करता है कि पिता ने उसे भेजा (उदाहरण के लिए यूहन्ना 4:34; 5:19-24, 30, 36-38; 6:29-33, 38-39, 44, 57), वह आत्मा के द्वारा गर्भ में पड़ा (मत्ती 1:20; लूका 1:34-35)। जन्म और शिशुपन के अपने वृतान्तों के हर पड़ाव पर और यीशु की सार्वजनिक सेवा के आरम्भ तक, लूका आत्मा की उपस्थिति और सक्रिय हस्तक्षेप की बात करता है (लूका 1:34-35, 41-42; 2:25-27; 3:16, 21-22; 4:1, 14-19)। यीशु का बपतिस्मा एक प्रमुख घटना है, जब पिता उसे पुत्र के रूप में स्वीकारता है और जब आत्मा उस पर उतरता है और उसके ऊपर आता है (मत्ती 3:13-17), उसको उसकी सेवा के आरम्भ में अभिषिक्त करते हुए और इसके द्वारा इसके बाद उसके निरन्तर सामर्थ्य प्रदान करने की वास्तविकता को प्रकट करते हुए। इसमें उसको उसके देहधारी अपमान में सम्भालना सम्मिलित है जब उसने शैतान से कठिन परीक्षा का सामना किया (लूका 4:1-13)।
यीशु ने “सनातन आत्मा द्वारा” क्रूस पर अपने आप को पिता के सम्मुख चढ़ा दिया (इब्रानियों 9:14), जो स्पष्ट रीति से पवित्र आत्मा की ओर संकेत करता है न कि किसी मनोवैज्ञानिक अमूर्तता की ओर—ध्यान दीजिए कि “परमेश्वर” नए नियम में प्रायः पिता के लिए उपयोग की गई उपाधि है। उसी रीति से, पिता ने पवित्र आत्मा के द्वारा ख्रीष्ट को मृतकों में से जिला उठाया, जो हमारे स्वयं के पुनरुत्थान के लिए नमूना होगा (रोमियों 8:10-11)।
लूका-प्रेरितों के काम के सन्दर्भ में, यीशु का स्वर्गारोहण कुछ दिन के बाद पिन्तेकुस्त को आत्मा के भेजे जाने के साथ जुड़ा हुआ है (प्रेरितों के काम 1:8-11)। पृष्ठभूमि एलिय्याह द्वारा स्वर्ग में उठा लिया जाना है, जिससे पहले एलीशा ने अपने गुरु की आत्मा का दुगुना अंश की मांग की और उसे बताया गया कि ऐसा होगा यदि वह एलिय्याह को उठा लिए जाते हुए देखेगा (2 राजा 2:9-12)। यहाँ प्रेरित यीशु के प्रस्थान को देखते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अगले अध्यायों में वर्णित आत्मा का उण्डेला जाना होता है। यीशु स्वयं आत्मा के वरदान को अपने स्वर्गारोहण के साथ जोड़ता है (यूहन्ना 7:37-39)। इस से, आत्मा प्रेरितों की सेवा को और कलीसिया के विस्तार को सामर्थ्य देता है, जैसा कि प्रेरितों के काम में वर्णन किया गया है।
आत्मा और कलीसिया
हमें पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के एक नाम में बपतिस्मा दिया जाता है (मत्ती 28:19-20)। आत्मा इसे कार्यान्वित करता है, हमें ख्रीष्ट की देह में बपतिस्मा देने के द्वारा (1 कुरिन्थियों 12:13)। यहाँ एक सम्बन्ध है आत्मा के कार्य और बपतिस्मा की कलीसियाई विधि में, जो ख्रीष्ट की देह में हमारे कलम लगाए जाने का चिह्न और छाप है। आत्मा ही प्रभावशाली रीति से हमें विश्वास में लाता है और कलीसिया के लाभ के लिए हमें वरदान देता है, जिसमें अपने चुने हुए लोगों को सेवा के लिए बुलाना सम्मिलित है (प्रेरितों के काम 13:1-7)।
प्रभु के स्वरूप में हमारा बदलाव आत्मा द्वारा किया जाता है (2 कुरिन्थियों 3:17-18), जो हमें परीक्षा और पाप के विरुद्ध युद्ध करने में सक्षम बनाता है (रोमियों 8:12-14)। वह ख्रीष्ट के साथ हमारा मिलन करता है और प्रभु-भोज में विश्वास के द्वारा उसे ग्रहण करने के लिए हमें सक्षम बनाता है। केवल ऐसा व्यक्ति जो स्वयं परमेश्वर है ऐसा कर सकता है; केवल ऐसा व्यक्ति जो परमेश्वर है पिता और पुत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। अन्ततः परमेश्वर का सर्वश्रेष्ठ उद्देश्य है कि हम आत्मा द्वारा प्रशासित क्षेत्र में सदा के लिए जीएं और सम्पन्न हों (1 कुरिन्थियों 15:35-58)।
यह सब, हम स्मरण करते हैं, अविभाज्य त्रिएकता और परमेश्वर के द्वारा अभिन्न रीति से कार्य करने के सन्दर्भ में है। आत्मा अकेले कार्य नहीं करता है। वह अपने आप चला नहीं जाता है, पिता को अकेले छोड़ते हुए। पिता भी अपने आत्मा को अकेला नहीं छोड़ता है। तीनों हमारे उद्धार के कार्य में संलग्न हैं, जिसमें आत्मा इन विशेष कार्यों को करता है।
- अग्रसर होना, या निकलना, वह व्यक्तिगत विशेषता है जो आत्मा को पिता से और पुत्र से भिन्न करता है। आत्मा पूर्ण रीति से परमेश्वरीय है, शेष दोनों के जैसे, पर अपने व्यक्ति के सम्बन्ध में, वह सनातन से पिता और पुत्र से अग्रसर होता है या निकलता है।
- त्रिएकता का मिशन पिता द्वारा देहधारण में पुत्र को भेजने और पिता और पुत्र द्वारा पिन्तेकुस्त को आत्मा को उण्डेलने से सम्बन्धित है। त्रिएकता के मिशन विधानीय त्रिएकता—सृष्टि के प्रति परमेश्वर का कार्य—की एक अभिव्यक्ति है। ये मिशन सत्ताशास्त्रीय त्रिएकता में—परमेश्वर जैसे वह स्वयं में है—त्रिएकता के व्यक्तियों के व्यक्तिगत गुणों को भी प्रतिबिम्बित करते हैं।