यशायाह 43:25 - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
पवित्रशास्त्र की उचित व्याख्या
24 मई 2022
यिर्मयाह 29:11
31 मई 2022
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यशायाह 43:25

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का दूसरा अध्याय है: उस पद का अर्थ वास्तव में क्या है?

मेरी मण्डली में एक प्राचीन प्रायः यह परिहास करते हैं, “लोग कहते हैं कि जैसे जैसे आप वृद्ध होने लगते हैं, अल्पकालिक स्मरण शक्ति दूसरी बात है जो जाने लगती है; मैं स्मरण नहीं कर पा रहा कि पहली क्या है।” मसीही सहमत होंगे कि एक सीमित स्मरण शक्ति, जो कि आयु के साथ क्षीण हो जाती है और यहाँ तक कि पाप के कारण विकृत भी हो सकती है, मानवता के लिए सामान्य बात है। परन्तु यशायाह 43:25 में जब परमेश्वर कहता है कि “मैं तेरे पापों का स्मरण न करूँगा,” तो हम परमेश्वर की स्मरण शक्ति को कैसे समझना चाहिए? यहाँ कुछ कारण हैं कि हमें क्यों इस पद की व्याख्या यह समझने के लिए नहीं करनी चाहिए कि परमेश्वर सच में भूल जाता है, यद्यपि यह एक महत्वपूर्ण और अद्भुत सच्चाई को सिखाता है।

तुल्नात्मक भाषा (Analogical Language)
सम्पूर्ण बाइबल में, हमारा अनन्त परमेश्वर स्वयं को तुल्नात्मक भाषा के माध्यम से प्रकट करता है। यह मनुष्य के रूप में हमारी सीमित समझ और सीमित भाषा को समायोजित करने के लिए परमेश्वर के शाब्दिक विवरण के स्थान पर प्रतीकात्मक विवरण हैं। इस प्रकार से, बाइबल मानवीय कार्यों को परमेश्वर का बताती है, जैसे कि सूंघना (उत्पत्ति 8:21), सुनना (निर्गमन 2:24), विराजमान होना (भजन 9:7), और नीचे उतरना (मीका 1:3)। मानवीय भावनाएँ जैसे खेदित दुख (उत्पत्ति 6:6) और जलन (निर्गमन 20:5) भी हमें समतुल्यता द्वारा कुछ सिखाता है कि परमेश्वर कैसा है। यद्यपि परमेश्वर की देह नहीं है, पर बाइबल उसके हाथ (भजन 118:15) और दृष्टि (नीतिवचन 15:3) के विषय में बात करती है। मानवीय व्यवसायों और सम्बन्धों की भाषा में, उसे पति (यशायाह 54:5), पिता (व्यवस्थाविवरण 32:6), राजा (यशायाह 44:6), और चरवाहा (भजन 23:1) के रूप में वर्णित किया गया है। परमेश्वर का स्मरण रखने (उत्पत्ति 9:15) और स्मरण न रखने की ऐसी ही तुल्नात्मक भाषा के रूप में व्याख्या करनी चाहिए।

परमेश्वर का स्वभाव
इस दृढ़ विश्वास से बढ़ते हुए कि परमेश्वर का अचूक वचन किसी भी बिन्दु पर विरोधाभासी नहीं है, बाइबलीय व्याख्या में “विश्वास की तुल्यता” (analogy of faith) एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है जो कि पवित्रशास्त्र के स्पष्ट और गैर-प्रतीकात्मक खण्डों की ओर निर्देशित करता है जिनकी व्याख्या कम स्पष्ट है और जो प्रतीकात्मक हैं। परमेश्वर का “स्मरण न रखना” शाब्दिक रूप स्मरण शक्ति का खो जाना नहीं है, हाई स्कूल में मेरा गणित के सूत्रों को भूल जाने के समान, क्योंकि बाइबल जो परमेश्वर के सम्पूर्ण और सिद्ध सर्वज्ञान के विषय में सिखाती है, यह उसके विरोध में है। हमें बताया गया है कि “उसका ज्ञान असीम है” (भजन 147:5) और यह कि उसने “अन्त की बात आदि से” घोषित करता आया है (यशायाह 46:10)। कुछ भी भूल जाना सचमुच परमेश्वर के स्वभाव के विरुद्ध है।

वाचा की भाषा
यदि परमेश्वर सच में हमारे पापों को स्मरण नहीं रखता है, तो यशायाह 43:25 का क्या अर्थ हुआ? हमें परमेश्वर के इस वर्णन का अर्थ वाचाई भाषा के रूप में समझना चाहिए जिसके द्वारा वह अपने लोगों को उनके पापों की पूर्ण क्षमा के प्रति आश्वासित करता है। पद 25 से ठीक पहले, परमेश्वर ने अपने लोगों को उनकी अविश्वासयोग्यता और झूठी आराधना का स्मरण दिलाते हुए कहा था, तू ने मुझे अपने अधर्म के कामों से थका दिया है” (पद 22-24)। फिर भी, अध्याय 40 में आरम्भ होते हुए, अध्याय 43 यशायाह के एक बड़े हिस्से का भाग है, जिसमें परमेश्वर अपने लोगों को बड़े स्तर पर सान्त्वना और आश्वासन को व्यक्त कर रहा है। वह उन्हें 43:1-4, 15 में बताता है:   

मत डर, क्योंकि मैंने तुझे छुड़ा लिया है; मैंने तेरा नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है . . . . क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ, इस्राएल का पवित्र, तेरा उद्धारकर्ता . . . . . तू मेरी दृष्टि में अनमोल और प्रतिष्ठित है और मैं तुझ से प्रेम करता हूँ।

ये आश्वासन वाचा के सम्बन्ध को व्यक्त करते हैं जिसमें परमेश्वर इस्राएल को उनके पापों के होते हुए भी ले कर आया है। फिर, पद 25 में, परमेश्वर कहता है, “मैं, हाँ, मैं ही हूँ, जो अपने ही निमित्त तेरे अपराधों को मिटा देता हूँ, और मैं तेरे पापों का स्मरण न करूंगा।“ इस पर बल देते हुए कि वह ऐसा “अपने ही निमित्त” करता है, परमेश्वर पुनः अपनी अनुग्रहकारी वाचा की ओर संकेत करता है। यह उनकी योग्यता के कारण नहीं परन्तु उनके लिए उसके पवित्र अनुग्रह और प्रेम के कारण है जिसमें होकर वह उनके पापों को दूर कर देता है।

दो प्रतीकात्मक विवरणों में, यह पद इस्राएल को आश्वासित करता है कि कैसे पूर्ण रूप से और अन्ततः उनके पाप क्षमा कर दिए गए हैं। पहला, मिटा देना किसी लिखी बात को साफ कर देने की भाषा है। इस्राएल के पाप, परमेश्वर के विरुद्ध हर एक अपराध जो न्याय के योग्य हैं, उन्हें ऐसे चित्रित किया गया है कि जैसे पुस्तक में लिख दिया गया है, परन्तु उसने उन सबको मिटा दिया है। परमेश्वर के लोगों पर आरोप लगाने के लिए उन्हें पढ़ा और उनका उपयोग नहीं किया जा सकता। दूसरा, परमेश्वर इस्राएल को आश्वासन देता है कि उनके पाप भुला दिए गए हैं। परमेश्वर कभी उन्हें अपने लोगों के विरुद्ध पुनः न ले कर आएगा और न पकड़ कर रखेगा। बाइबल में परमेश्वर ऐसी कई छवियों का उपयोग करता है इस बात पर बल देने के लिए कि उसकी क्षमा और इसके लाभ कितने पूर्ण और अन्तिम हैं। वह हमारे पापों को ढाँपनें (भजन 32:1), उदयाचल से अस्ताचल जितनी दूर है उतना दूर करने (भजन 103:12), और उन्हें गहरे समुन्द्र में डाल देने (मीका 7:19) की बात करता है।

शेष पवित्रशास्त्र प्रकट करता है कैसे परमेश्वर का पापी लोगों के साथ ऐसा वाचा का सम्बन्ध हो सकता है, कैसे वह उनके पापों को “स्मरण नहीं रखता”। ऐसा स्मरण शक्ति के खोने के कारण नहीं है, न ही यह कोई पुराना प्रचलित मुहावरा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने अपने पुत्र को अपने लोगों के सारे पापों को सहन करने और उनके स्थान पर क्रूस पर मरने के लिए भेजा, अपने लोगों के पापों के दोष को मिटाने के लिए और उन्हें ऐसा बना दिया जैसे वो उसके साथ हमारे सम्बन्ध में सदैव के लिए भुला दिए गए हों।         

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया
एच. पी. मैक्क्रेकन
एच. पी. मैक्क्रेकन
रेव. एच. पी. मैक्क्रेकन लौंगमौंट, कौलराडो में सॉल्ट ऐण्ड लाइट रिफॉर्म्ड प्रेस्बिटेरियन चर्च के पास्टर हैं।