यिर्मयाह 29:11 - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
यशायाह 43:25
26 मई 2022
मत्ती 7:1
2 जून 2022
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यिर्मयाह 29:11

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का तीसरा अध्याय है: उस पद का अर्थ वास्तव में क्या है?

यिर्मयाह 29:11 में एक बहुमूल्य प्रतिज्ञा है जो संसार भर के मसीहियों को प्रिय है। साथ ही साथ यह पूरे पवित्रशास्त्र के सबसे अधिक त्रुटिपूर्ण रीति से लागू किए गए पदों में से एक है। इस पद में, यिर्मयाह पुष्टि करता है कि परमेश्वर नियन्त्रण में है, और इसके अतिरिक्त, उसके पास भविष्य के लिए भली बातें हैं: “यहोवा कहता है मैं उन योजनाओं को जानता हूँ जिन्हें मैंने तुम्हारे लिए बनाई हैं ऐसी योजनाएँ जो हानि की नहीं परन्तु तुम्हारे कुशल की हैं, कि तुम्हें उज्जवल भविष्य की आशा दूँ।”

निश्चित रूप से, सान्त्वना देने वाले शब्द। परन्तु यिर्मयाह का क्या अर्थ है? कुछ लोगों ने इस पद को ले कर स्वयं और दूसरों पर अयोग्य रीति से इसको लागू किया है। वे कहते हैं, “ परमेश्वर आपसे प्रेम करता है और आपके जीवन के लिए उसके पास अद्भुत योजना है।” “उसने आपके जीवन की अवधि को योजनाबद्ध कर दिया है, और आपको केवल उसकी अशीषें पाने के लिए उसके प्रति आज्ञाकारी होना होगा।”

कुछ इसके भी आगे बढ़कर कहते हैं कि यह पद सांसारिक समृद्धि की प्रतिज्ञा करता है। मसीहियों को स्वास्थ्य और धन मिलना आवश्यक है। हम दूसरे सबसे अच्छे को स्वीकार करने के लिए नहीं हैं, क्योंकि हम राजा की सन्तानें हैं। इस दृषिकोण से, दुख उठाना और अभाव विश्वास की कमी के चिन्ह हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जब भूमि-भवन खरीदने की बात आती है तो तीन सबसे महत्वपूर्ण कारक होते हैं “स्थान, स्थान, स्थान।” उसी प्रकार से, जब बाइबल में दिए गए खण्ड को समझने की बात आती है तो तीन महत्वपूर्ण कारक होते हैं “सन्दर्भ, सन्दर्भ, सन्दर्भ।” जब खण्डों को सन्दर्भ से अलग किया जाता है, तो उनका अर्थ कुछ भी निकाला जा सकता है। परन्तु जब उन्हें सन्दर्भ में पढ़ा जाता है, उनका अभिप्रेत अर्थ स्पष्ट हो जाता है।

यिर्मयाह 29:11 का सन्दर्भ इंगित करता है कि इसका अर्थ सांसारिक आशीषों की एक विस्तृत प्रतिज्ञा के रूप में नहीं है। यिर्मयाह नबी ने बेबीलोन के बन्धुवाई से पूर्व और उस समयकाल में सेवकाई की, जब यहूदा का दक्षिणी राज्य प्रभु के प्रति अपनी निरन्तर की अविश्वासयोग्यता के कारण प्रतिज्ञा की गयी भूमि से निर्वासन के वाचाई शाप का सामना कर रहा था (व्यवस्थाविवरण 28:36; 2 इतिहास 36:15-21)। यिर्मयाह ने यहूदाइयों को चेतावनी दी थी की दण्ड आने वाला है,और उसने उनसे निवेदन किया कि वे अपने मूर्तिपूजा और कुकर्मों से पश्चाताप करें। जब उन्होंने ऐसा नहीं किया, उसने भविष्यद्वाणी की कि बेबीलोन का राजा नबूकदनेस्सर, यहूदा और यरूशलेम पर विजय पा लेगा और लोगों को बन्धुवाई में ले जाएगा (यिर्मयाह 25:1-11)।

दण्ड की इस भविष्यद्वाणी के मध्य भी, थोड़ी सी आशा थी: कि बन्धुवाई लम्बी होगी परन्तु स्थायी नहीं होगी। परमेश्वर का उद्देश्य अपने लोगों को सुधारना था, परन्तु उसने उन्हें पूर्ण रूप से नष्ट नहीं किया। वास्तव में, वह उन्हें —सत्तर वर्ष पश्चात उनकी भूमि पर वापस ले आया (पद 11)।

इसके अतिरिक्त, प्रभु ने बन्धुवाई के समयकाल में लोगों को आशीषित करने की प्रतिज्ञा की थी। यह प्रतिज्ञा की गयी आशीष, अध्याय 29 की विषय वस्तु है, जो एक पत्र की विषय सामग्री को बताता है जो कि नबी ने लोगों को बन्धुवाई में भेजा था (29:1)। परमेश्वर लोगों को घर बनाने, विवाह करने और अपनी सन्तानों को विवाह के लिए देने, दाख की बारियाँ लगाने, और “नगर की कुशलता का प्रयास” करने के लिए प्रोत्साहित करता है (पद 5-7)। ये आशीषें व्यवस्थाविवरण 28:30-34 में वाचा के शापों का उलटाव या निलम्बन है।

प्रभु ने प्रतिज्ञा की कि एक समय के पश्चात्, वह उन्हें वापस ले आएगा (यिर्मयाह 29:10)। यह यिर्मयाह 29:11 का सन्दर्भ है। परमेश्वर का अपनी वाचा के लोगों के साथ कार्य समाप्त नहीं हुआ था। उसने उन्हें अपने दुख उठाने में विश्वासयोग्यता और आज्ञाकारिता के लिए बुलाया था। यहाँ प्रतिज्ञा के लिए आज्ञाकारिता का एक तत्व था; यहूदाईयों को परमेश्वर की बाट जोहनी थी, मन्दिर से दूर और याजक और बलिदानों से पृथक रहते हुए उन्हें उस पर भरोसा करना था और उसके पीछे चलना था। जब उन्होंने धैर्य और आज्ञाकारिता को सीख लिया, वह उन्हें वापस ले आया। उसने उन्हें आश्वासित किया कि वह उनके निकट था और पुनःस्थापना करने के योग्य था (पद 12-14; देखें 24:4-7)।

हम सीधे ही इस पद को अपने ऊपर लागू नहीं कर सकते। यह मूल रूप से हमें नहीं लिखी गयी थी; यह एक विशेष समय मे एक विशेष स्थान में रहने वाले एक विशेष समूह के लोगों के लिए लिखी गयी थी। तो क्या इसका अर्थ यह हुआ कि मसीहियों के रूप में इस पद का हमारे लिए कोई लागूकरण नहीं है? नहीं, इसका यह अर्थ नहीं है। वास्तव में, हमारे लिए लागूकरण महिमावान परन्तु अप्रत्यक्ष है।

पौलुस यीशु ख्रीष्ट के विषय में कहता है कि “परमेश्वर की जितनी भी प्रतिज्ञाएँ हैं यीशु में ‘हाँ’ ही ‘हाँ’ हैं” (2 कुरिन्थियों 1:20)। यीशु सच्चा इस्राएल है, पुरानी वाचा के लोगों के साथ की गयी सभी प्रतिज्ञाओं का उत्तराधिकारी, धर्मी अवशेष (भजन 2:7; प्रेरितों के कार्य 2:16-21; 15:16-17; गलातियों 3:16)। अन्ततः, यिर्मयाह 29:11 में बन्धुवाई के समयकाल और उसके पश्चात् की गयी आशीष की प्रतिज्ञा ख्रीष्ट के लिए की गयी थी, और वह उसके पृथ्वी के अल्पावास और उसके स्वर्गीय अन्तर्निवास की पुनःस्थापना—अर्थात् उसके जीवन, मृत्यु, पुनरुत्थान, और स्वर्गारोहण में पूरी हुयी।

विश्वास के द्वारा ख्रीष्ट के साथ हमारे जुड़े होने की विशेषता के कारण, मसीहियों को भी वह प्रतिज्ञा विरासत में मिली है। उसने वाचा के शाप को सहा और हमारे स्थान पर आज्ञाकारिता की व्यवस्था को पूरा किया, और परमेश्वर के अनुग्रह के अनुसार सब कुछ जो उसका था हमारा हो गया (इफिसियों 1:11-14)। तो, जबकि हम इसी प्रकार से अपने पृथ्वी के अल्पावास पर दुख उठाते हैं, हम पवित्र आत्मा के कार्य के कारण आशीषित होते हैं, और हम ख्रीष्ट के साथ जिलाए जाएँगे और अपने प्रभु की उपस्थिति में अकथनीय आशीषों का आनन्द लेंगे। अन्ततः यह अर्थ है परमेश्वर की इस प्रतिज्ञा का: “योजनाएँ जो हानि की नहीं परन्तु तुम्हारे कुशल की हैं, कि तुम्हें उज्जवल भविष्य की आशा।” और यह किसी और सांसारिक समृद्धि की प्रतिज्ञा से अति उत्तम है।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया