परमेश्वर का सच्चा इस्राएल - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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परमेश्वर का सच्चा इस्राएल

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पहला अध्याय है: प्रतिज्ञात मसीहा

कुछ दिन पहले हमने सेन्ट एंड्रूज़ चैपल में,  शाम की रविवारीय आराधना सभा में निर्गमन की पुस्तक के ढाई वर्ष के अध्ययन का समापन किया। यह बहुत अद्भुत यात्रा थी जब हम मिस्र देश से निकले, लाल समुद्र में से होकर निकले, जंगल में से होकर निकले, सीनै पर्वत पर चढ़े और उतरे, और प्रतिज्ञा किए हुए देश की ओर बढ़े। आरम्भ से ही, हमने ध्यान दिया कि मिस्र से इस्राएल के छुटकारे के लिए परमेश्वर के आधारभूत कारणों में से एक केवल यह नहीं था कि इस्राएली दासत्व से मुक्त हो जाएं परन्तु यह कि उन्हें यहोवा की आराधना करने के लिए स्वतंत्र किया जाए। सरल शब्दों में कहें तो, निर्गमन मूल रूप से उस निकास के विषय में नहीं है परन्तु आराधना के विषय में है। यहोवा ने इस्राएलियों को छुड़ाया, ताकि वे उसकी आराधना करें। निर्गमन का वृतान्त पवित्रशास्त्र के बड़े ईश्वरविज्ञानीय वृतान्त से मेल खाती है, और पवित्रशास्त्र का बड़ा ईश्वरविज्ञानीय वृतान्त केवल दास्तव से छुटकारा का नहीं, परन्तु आराधना के लिए छुटकारा है।

सम्पूर्ण नया नियम में, प्रभु महिमापूर्वक इस बात को प्रकट करता है कि कैसे प्रतिज्ञा किए गए मसीहा ने भविष्यवाणियों, प्रतिज्ञाओं और हमारे त्रिएक परमेश्वर की योजना को पूरा किया। मत्ती का सुसमाचार प्रकट करता है कि कैसे यीशु परमेश्वर का सच्चा और श्रेष्ठ इस्राएल है (मत्ती 2:13-15;5:17; देखें होशे 11:1) जिसने उस कार्य को पूरा किया जो इस्राएल पूरा करने में असफल रहा। वह मिस्र में गया और मिस्र से बाहर आया (मत्ती 2)। वह पानी में से निकला ((मत्ती 3:13-17) और जंगल में से होकर गया, जहाँ वह केवल परमेश्वर को छोड़ किसी और की आराधना करने के लिए परीक्षा में होकर गया और परमेश्वर के मुख से निकलने वाले प्रत्येक वचन से स्थिर रहा (मत्ती 4:1-11)। उसने मूसा और एलिय्याह के साथ अपने मृत्यु के विषय में बात की (शाब्दिक रूप से, अपने “निर्गमन (प्रस्थान)”; लूका 9:31 देखें)। और जब उसने इस्राएल की कहानी की स्वयं पुनरावृत्ति की, तो उसने राजा और नबी के कार्य को पूर्ण किया, दाऊद के वंश से एक राजा होने के रूप में सेवा करते हुए जो दाऊद का महान पुत्र भी है (मत्ती 2:2; 12:5; 27:27-31; देखें 2 शमूएल 7) और एक नबी के रूप में सेवा करते हुए जो मूसा से बढ़कर है (11:1-19; 23-24; देखें व्यवस्थाविवरण 18:15-22)।

यीशु ने अपने कार्य के उत्कर्ष में इस्राएल के इतिहास की पुनरावृत्ति की, आगे बढ़ाया और पूरा किया। उसने क्रूस पर अपनी मृत्यु के निर्वासन का सामना किया (मत्ती 27:32-50), जहाँ उसने श्रेष्ठ महायाजक और बलिदान किए गए फसह के मेमने के रूप में अपने कार्य को पूरा किया (मत्ती 26:1-13; 27:51)। वहाँ, उसकी देह के मन्दिर को नष्ट कर दिया गया (मत्ती 26:61;27:40), परन्तु तीसरे दिन उसके पुनरुत्थान में वह मृत्यु के निर्वासन से पुनः स्थापित किया गया, उसकी देह के मन्दिर को ऊंचे पर उठाया गया (28:1-10) और वह नए मन्दिर अर्थात अपनी कलीसिया का कोने का पत्थर बना, जो उसके सच्चे इस्राएल के लिए परमेश्वर की योजना की पूर्ति है (1 पतरस 2:4-8)। परमेश्वर की सर्वोच्च योजना और प्रतिज्ञा को विफल नहीं किया जा सकता था, क्योंकि यीशु ख्रीष्ट के पास स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार है, और वह युग के अन्त सदैव हमारे साथ है, और वह हमारे राजा के रूप में पुनः आएगा और प्रतिज्ञा किए हुए स्वर्गीय देश में हमें ले जाएगा।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.