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जब हम “मानव जीवन की बहुमूल्यता” की बात करते हैं तो हमारा क्या आशय है?
26 जनवरी 2023![](https://hi.ligonier.org/wp-content/uploads/2023/02/Sproul-Pro-Choice_-What-Does-It-Mean.jpg)
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चुनाव-समर्थक: इसका अर्थ क्या है?
2 फ़रवरी 2023यीशु ख्रीष्ट: परमेश्वर का मेमना
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परमेश्वर का मेमना एक ऐसा विचार है जो सम्पूर्ण छुटकारे के इतिहास में पाया जाता है। इसको उत्पत्ति 22 में देखा जा सकता है, जब परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि मोरिय्याह पर्वत पर जाकर अपने पुत्र इसहाक को बलिदान के रूप में अर्पित करे। परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता में होकर, अब्राहम ऐसा करने के लिए तैयार था, परन्तु अन्तिम क्षण में, जब अब्राहम ने इसहाक को वेदी पर बाँध दिया था और छुरी को उसके हृदय में घोपने ही वाला था, परमेश्वर ने यह कहकर उसको रोक दिया, “उस लड़के की ओर हाथ न बढ़ा, और न ही उसे कोई हानि पहुँचा। मैं अब जान गया हूँ कि तू परमेश्वर से डरता है, क्योंकि तू ने मेरे लिए अपने पुत्र अर्थात् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा” (12 पद)। फिर अब्राहम के पीछे कुछ हलचल हुई, और उसने मुड़कर देखा तो एक मेढ़ा अपने सींगों से झाड़ी में फँसा हुआ था। परमेश्वर ने अब्राहम के पुत्र के लिए प्रतिस्थापन (substitute) के रूप में एक मेमने को उपलब्ध किया। निस्सन्देह, उत्पत्ति 22 में यह नहीं कहा गया है कि जिस मेढ़ा को अब्राहम ने पकड़कर इसहाक के स्थान पर अर्पित किया, वह एक पापनिष्कृति का बलिदान (expiatory sacrifice) था। फिर भी, वह एक प्रतिस्थापनीय बलिदान तो था, और यही विचार ख्रीष्ट के प्रायश्चित्त का आधार है। यीशु हमारे प्रतिस्थापन के रूप में कार्य करता है, और परमेश्वर हमारे पाप के प्रति अपने प्रकोप को हमारे स्थान पर यीशु पर उण्डेलता है। इस प्रकार से, परमेश्वर स्वयं एक मेमने को उपलब्ध कराता है और उस प्रतिस्थापन के जीवन को स्वीकार करता है।
परमेश्वर हमारे पाप के प्रति अपने प्रकोप को हमारे स्थान पर यीशु पर उण्डेलता है।
इसी प्रकार से, निस्सन्देह फसह के पर्व में भी परमेश्वर के मेमने की झलक पाई जाती है। जब परमेश्वर मिस्रियों पर अन्तिम महामारी लाने की तैयारी कर रहा था, जिसमें फिरौन के युवराज सहित प्रत्येक मिस्री नर पहलौठा मरने जा रहा था, परमेश्वर ने अपनी प्रजा इस्राएल को निर्देश दिया कि वे निर्दोष मेमने को वध करें और लहू को चौखट पर लगाएँ। परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि वह उन सभी घरों को छोड़ देगा जहाँ वह चौखटों पर मेमने के लहू को देखेगा (निर्गमन 12:3-13)। जिस प्रकार उन मेमनों के लहू के कारण इस्राएल के लोगों को परमेश्वर के प्रकोप से बचाया गया, वैसे ही परमेश्वर के मेमने ने अपने लोगों को उस दण्ड से छुड़ाया जो उनके पाप के लिए ठहराया गया था।
उत्पत्ति 22, निर्गमन 12, और सम्पूर्ण पुराने नियम के अन्य खण्डों में पाए जाने वाले इस चित्रण को ध्यान में रखते हुए, यह कहना तो मूर्खता है कि “परमेश्वर का मेमना” शीर्षक को प्रेरित यूहन्ना द्वारा अविष्कार किया गया था। यूहन्ना यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के शब्दों के पीछे पाई जाने वाली पुराने नियम की उसकी समझ, ख्रीष्ट के समय में यहूदियों के पवित्र शास्त्रों द्वारा सूचित की गयी थी।
यद्यपि यूहन्ना के पहले अध्याय में यीशु के लिए कई बड़े शीर्षकों का उपयोग किया गया है—“परमेश्वर का मेमना,” “परमेश्वर का पुत्र,” “मसीहा,” “मनुष्य का पुत्र,” इत्यादि—मैं यह नहीं मानता हूँ कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, अन्द्रियास, नतनएल, या किसी भी चेले के पास इन शीर्षकों के अर्थ के विषय में विस्तृत समझ थी। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला, जिसने यहाँ कहा, “देखो, परमेश्वर का मेमना जो जगत का पाप उठा ले जाता है!” बाद में बन्दीगृह में डाला गया और उसने यह पूछते हुए सन्देश वाहकों को यीशु के पास भेजा, “क्या वह आने वाला तू ही है, या हम किसी अन्य की प्रतीक्षा करें?” (लूका 7:20)। यह प्रश्न दिखाता है कि यूहन्ना ने पूर्ण रीति से यीशु की पहचान को नहीं समझा था, यद्यपि उसने उसकी पहचान के विषय में बड़ी साक्षी दी थी। समस्या यह थी कि उसके पास स्वयं की अपेक्षाएँ थीं। अन्य लोगों के समान ही, उसकी अपेक्षा थी कि परमेश्वर का मेमना आकर रोमियों को निकाल देगा। जब उसने यीशु को मात्र प्रचार करते हुए देखा, तो वह भ्रम में पड़ गया।
परमेश्वर के मेमने ने अपने लोगों को उस दण्ड से छुड़ाया जो उनके पाप के लिए ठहराया गया था।
यीशु ने यूहन्ना के सन्देश वाहकों से कहा, “जो कुछ तुम ने देखा और सुना, जाकर यूहन्ना को बताओ: अन्धे देखते हैं, लंगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है” (लूका 7:22)। यीशु ने सन्देह करने वाले यूहन्ना के लिए अपनी पहचान की पुष्टि करने हेतु अपने आश्चर्यकर्मों की ओर संकेत किया। उसने यशायाह 61:1-2क में मसीहाई नबूवत का उद्धरण भी किया, जिसमें लिखा है:
“प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है,
क्योंकि यहोवा ने कंगालों को सुसमाचार प्रचार करने के लिए
मेरा अभिषेक किया है,
और मुझे इसलिए भेजा है
कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूँ,
कि बन्दियों के लिए स्वतन्त्रता का
और क़ैदियों के लिए छुटकारे का प्रचार करूँ;
कि यहोवा के करुणा करने का वर्ष . . . का प्रचार करूँ।”
ऐसा लग रहा कि यीशु कह रहा था, “हे यूहन्ना, यदि तुमने वास्तव में अपनी बाइबल पढ़ी होती, तो तुम मुझसे यह नहीं पूछ रहाे होते कि क्या मैं ही वह हूँ जो आनेवाला था। तुम्हें किसी और की राह देखने की आवश्यकता नहीं है। तुमने पहले ठीक ही बोला था। मैं ही परमेश्वर का मेमना हूँ।”
इसी प्रकार पतरस भी भ्रमित था, जबकि उसने कैसरिया फिलिप्पी में अपना बड़ा अंगीकार किया था। यीशु के इस प्रश्न के प्रतिउत्तर में कि चेले क्या सोचते थे कि वह कौन है, पतरस ने कहा, “तू जीवित परमेश्वर का पुत्र ख्रीष्ट है” (मत्ती 16:16)। यीशु ने उस अंगीकार के सटीक होने की पुष्टि की और उसने पतरस को यह समझने के लिए कि वह कौन था “धन्य” भी कहा। परन्तु उसके तुरन्त पश्चात्, जब यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वह दुःख उठाने और मरने के लिए यरूशलेम की ओर जा रहा है, पतरस ने उसे डाँटकर कहा, “तुझ पर ऐसा कभी न होने पाए!” (16:22ख)। एक क्षण में पतरस ने अंगीकार किया कि यीशु मसीहा था, परन्तु अगले ही क्षण में उसने प्रकट किया कि वह वास्तव में नहीं समझता था कि यीशु के मसीहा होने का पूरा अर्थ क्या था।
निस्सन्देह, हमारी भी प्रवृत्ति है कि हम उसी भ्रम में पड़ जाएँ। केवल जब हम पूरे चित्र को देखते हैं, और क्रूस, पुनरुत्थान, स्वर्गारोहण, और पिन्तेकुस्त के दिन आत्मा के उण्डेले जाने को ध्यान में रखते हैं, तो हम यूहन्ना की घोषणा के द्वारा परमेश्वर द्वारा संचार की जा रही बातों की गहराई और मूल्य को देख पाते हैं, जब उसने कहा, “देखो, परमेश्वर का मेमना जो जगत का पाप उठा ले जाता है!”
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।