ट्यूलिप क्या है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान को समझने के लिए महत्वपूर्ण सन्दर्भ
27 अप्रैल 2023
अचूक शब्द
4 मई 2023
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ट्यूलिप क्या है?

ट्यूलिप फूल, परमेश्वर के प्रेम और उद्धार की शताब्दियों पुरानी समझ में क्या समानताएँ हैं? वे सब कैल्विनवाद के पाँच बिन्दुओं से सम्बन्धित हैं।

ये बातें परस्पर कैसे जुड़ी हुई हैं? ट्यूलिप (tulip) शब्द अंग्रेज़ी में एक परिवर्णी शब्द है जो उद्धार की एक विशेष समझ को सारांशित करता है जिसके केन्द्र में परमेश्वर का प्रेम है। आइए हम देखें कि यह कैसे होता है।

सम्पूर्ण भ्रष्टता (Total Depravity)

अंग्रेज़ी में T अक्षर टोटल टिप्रैविटी, अर्थात् सम्पूर्ण भ्रष्टता के लिए है, जो वर्णन करता है कि पाप मनुष्यों को कैसे प्रभावित करता है। परन्तु इस बात को समझने के लिए हमें संसार में पाप के प्रवेश करने के पहले से आरम्भ करना होगा। अनादिकाल से हमारा त्रिएक परमेश्वर पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के रूप में अस्तित्व में रहा है जो कि सामर्थ्य और महिमा में समरूप है तथा एक ऐसे पवित्र प्रेम का आनन्द ले रहा है जिसका न आरम्भ है न अन्त। इस पवित्र प्रेम के कारण परमेश्वर ने स्वतन्त्रता से निर्णय लिया कि विश्व की सृष्टि करे और अपने स्वरूप में पुरुष और स्त्री की सृष्टि करे कि वे परमेश्वर से और एक दूसरे से प्रेम करें। परन्तु, आदम ने हमारे सृष्टिकर्ता को ठुकराने का निर्णय लिया और आदम की अनाज्ञाकारिता के द्वारा मानव जाति पाप में गिर गई (उत्पत्ति 3; रोमियों 5:12-21)। सम्पूर्ण भ्रष्टता कहती है कि पाप ने हमें इतना विकृत कर दिया है कि बिना परमेश्वर के अनुग्रह के हम परमेश्वर से अधिक अन्य बातों से प्रेम करते हैं। हमारे मस्तिष्क, हमारे शरीर, हमारे स्नेह, हमारी आत्माएँ—हमारा हर भाग और अंग पाप द्वारा प्रभावित है, और हम इस अवस्था से अपने आप नहीं निकल सकते हैं। फिर भी पमरेश्वर ने अपनी सृष्टि से प्रेम करना बन्द नहीं किया है (यूहन्ना 3:16)। और वह अपने प्रेम में पाप को रोकता है, जिससे कि हम उतने बुरे न बन जाएँ जितना सम्भव है। इसीलिए, वे लोग भी जो ख्रीष्ट को नहीं जानते हैं ऐसे कार्य कर सकते हैं जो बाहरी रीति से भले हैं। वे अच्छे पड़ोसी हो सकते हैं, अपने बच्चों से प्रेम कर सकते हैं, आदि। परन्तु, अनुग्रह के बिना हम में से कोई भी परमेश्वर से प्रेम करने और उसकी महिमा करने के भले अभिप्राय से इन बातों को नहीं करता है।

अप्रतिबन्धित चुनाव (Unconditional Election)

अंग्रेज़ी में U अक्षर अनकन्डिश्नल इलेक्शन अर्थात् अप्रतिबन्धित चुनाव के लिए है जो हमारी सम्पूर्ण भ्रष्टता के लिए परमेश्वर के समाधान का भाग है। निस्सन्देह, पाप में हमारे पतन से परमेश्वर को आश्चर्य नहीं हुआ। वह अन्त की बात आदि से जानता है और उसने सब वस्तुओं के लिए अपनी योजना और उद्देश्यों के अन्तर्गत इतिहास को ठहराया है (यशायाह 46:8-11; इफिसियों 1:11)। यदि प्रभु हमें हमारी पापी और बैरी स्थिति में रहने दे फिर भी वह धर्मी बना रहता, परन्तु उसने अपने लोगों पर अपना विशेष प्रेम प्रकट करने का निर्णय लिया और उसने उन्हें छुड़ाकर परमेश्वर के बच्चों के रूप में उन्हें पुनःस्थापित करने का चुनाव किया। अप्रतिबन्धित चुनाव उद्धार के लिए परमेश्वर द्वारा उन लोगों की भलाई को ध्यान दिए बिना विशेष लोगों का प्रेमपूर्ण चुना जाना है। वह इसलिए अपने लोगों से प्रेम नहीं करता है क्योंकि वे अन्य लोगों से कम पापी हैं। आदम और हव्वा का प्रत्येक वंश (ख्रीष्ट को छड़कर) एक पापी है। अप्रतिबन्धित चुनाव कहता है कि परमेश्वर कुछ लोगों को बचाने और कुछ लोगों को छोड़ने का निर्णय लेता है। वह कुछ लोगों के प्रति ऐसा प्रेम रखता है जो वह अन्य लोगों के प्रति नहीं रखता है। यदि आप एक मसीही हैं तो इसका कारण यह है कि अनादिकाल में आपके जन्म से पूर्व, परमेश्वर ने आपसे अपने बचाने वाले प्रेम से प्रेम करने का निर्णय लिया। उसने आपको इसलिए नहीं चुना क्योंकि आप अन्य लोगों से श्रेष्ठ थे। उसने आपको इसलिए नहीं चुना क्योंकि वह जानता था कि अवसर दिए जाने पर आप उसे चुनेंगे। उसने तो आपसे प्रेम करने का निर्णय लिया और क्योंकि उसका प्रेम आप की किसी भी बात पर प्रतिबन्धित नहीं है, वह आपसे प्रेम करना नहीं बन्द करेगा।

सीमित प्रायश्चित्त (Limited Atonement)

अंग्रेज़ी में L अक्षर लिमिटेड अटोनमेन्ट, अर्थात् सीमित प्रायश्चित्त के लिए है जो उद्धार प्राप्त करने में ख्रीष्ट की मृत्यु के पीछे परमेश्वर के उद्देश्य का वर्णन करता है। प्रश्न यह है कि क्या ख्रीष्ट का उद्देश्य था कि अब तक के जीवित रहे सभी मनुष्यों का प्रायश्चित्त हो, या क्या उसका उद्देश्य था कि केवल चुने हुए लोगों का प्रायश्चित्त हो? इसको ऐसे भी कह सकते हैं: क्या परमेश्वर ने सामान्य रीति से लोगों से प्रेम किया, बिना विशेष व्यक्तियों के विषय में सोचे और ख्रीष्ट को उद्धार की सम्भावना प्रदान करने के लिए मरने भेजा? या क्या परमेश्वर ने विशेष लोगों से प्रेम किया, और अपने पुत्र को उनके लिए मरने भेजा जिससे कि उनके पाप के लिए सिद्ध प्रायश्चित्त हो, जिसका अर्थ है कि ख्रीष्ट की मृत्यु उन विशेष लोगों के उद्धार को वास्तव में सुनिश्चित करती है?

परमेश्वर के न्याय के कारण सीमित प्रायश्चित्त आवश्यक है। यदि पाप का प्रायश्चित्त हो गया है तो उसका न्याय हो गया है और परमेश्वर उसके लिए हमें दण्ड नहीं देगा। परन्तु अविश्वास एक पाप है, इसलिए यदि ख्रीष्ट सब पापियों के लिए मरा तो परमेश्वर लोगों कि अविश्वास के लिए कैसे दण्ड दे सकता है? अन्ततः ख्रीष्ट ने उसके लिए प्रायश्चित्त कर दिया है। परन्तु परमेश्वर अविश्वासियों को नरक भेजता है और यदि उनके पाप के लिए प्रायश्चित्त हो गया है, तो यह अन्यायी है। वह ऐसे पाप के लिए उन्हें दण्ड दे रहा है जो उनको नहीं दिया जा सकता है क्योंकि ख्रीष्ट ने उनके लिए प्रायश्चित्त कर दिया है।

सीमित प्रायश्चित्त की शिक्षा सुस्पष्ट रीति से पवित्रशास्त्र में दी गई है। पुरानी वाचा के अन्तर्गत प्रायश्चित्त के दिन इस्राएल का महायाजक केवल एस्राएल के लोगों के लिए एक प्रायश्चित्त का बलिदान चढ़ाता था, पृथ्वी के सब लोगों के लिए नहीं (लैव्यव्यवस्था 16)। नई वाचा में यीशु हमें बताता है कि वह अपने प्राण को अपनी भेड़ों के लिए और केवल अपनी ही भेड़ों के लिए देता है (यूहन्ना 10:1-18)। कुछ लोग उसकी भेड़ें नहीं हैं, वरन् बकरियाँ हैं। यीशु बकरियों के लिए नहीं वरन् भेड़ों के लिए मरा—अर्थात् अपने लोगों के लिए। हमें ध्यान देना है कि कुछ लोगों ने 1 यूहन्ना 2:2 जैसे स्थलों के कारण सीमित प्रायश्चित्त पर आपत्ति जतायी है, जो कहता है कि यीशु केवल हमारे पापों का प्रायश्चित्त नहीं है परन्तु, “समस्त संसार के पापों का भी।” परन्तु, वह स्थल प्रायश्चित्त के उद्देश्य के विषय में बात नहीं कर रहा है; वह तो समान्य रूप से उद्धार के मार्ग की बात कर रहा है। परमेश्वर ने उद्धार का केवल एक मार्ग दिया है—ख्रीष्ट के द्वारा (यूहन्ना 14:6)। यदि संसार में किसी का भी उद्धार होना है तो यह ख्रीष्ट के द्वारा होगा। कोई और मार्ग नहीं है। 1 यूहन्ना 2:2 की बात यह है कि ख्रीष्ट एकमात्र प्रयश्चित्त है जो किसी को बचा सकता है, न कि ख्रीष्ट ने प्रत्येक जन के पापों के लिए प्रायश्चित्त कर दिया है।

अप्रतिरोध्य अनुग्रह (Irresistible Grace)

अंग्रेज़ी में I अक्षर इरेज़िस्टिबल ग्रेस, अर्थात् अप्रतिरोध्य अनुग्रह के लिए है, जो उद्धार में परमेश्वर की प्रेमी सामर्थ्य के विषय में है। मूल रीति से यह कहता है कि यदि परमेश्वर आप से प्रेम करता है और चाहता है कि आप उसके परिवार में हों, तो आप निश्चय ही उसके होंगे। वह आप से इतना प्रेम करता है कि वह सुनिश्चित करेगा कि आप विश्वास करेंगे और वह इतना सामर्थी है कि वह आप के विश्वास को निश्चित करता है। जीवन में प्रायः हम प्रिय जनों को त्रुटि करने के मार्ग पर जाते हुए देखते हैं और उनको सही मार्ग पर चलवाने के लिए हम असमर्थ हैं। उनको सही निर्णय की ओर फेरने में हम असमर्थ हैं। परमेश्वर का प्रेम इतना सामर्थी है कि वह सुनिश्चित करता है कि हम सही निर्णय लें। वह हमारी सब बाधाओं को पार कर सकता है और चुने हुओं को उस पर भरोसा करने के लिए मनाने में वह कभी भी विफल नहीं होता है। निस्सन्देह, हम कुछ समय के लिए ख्रीष्ट का प्रतिरोध कर सकते हैं। विश्वास करने से पहले हम वर्षों के लिए सुसमाचार को नकार सकते हैं। इसलिए इस अनुग्रह को अन्तम रीति से अप्रतिरोध्य अनुग्रह या प्रभावशाली अनुग्रह कहना सटीक हो सकता है। परन्तु, मुख्य बात यह है कि परमेश्वर अपने सब बच्चों को विश्वास में लेकर आएगा।

आप सम्भवतः देख सकते हैं कि अप्रतिबन्धित चुनाव कैसे अप्रतिरोध्य अनुग्रह की माँग करता है। यदि परमेश्वर उद्धार के लिए किसी को चुनता है और उसकी इच्छा को विफल नहीं किया जा सकता है, तो उसके अनुग्रह को अप्रतिरोध्य होना चाहिए। विश्वास में हमें लाने के लिए उसे प्रभावशाली होना चाहिए। और इसके लिए हम यूहन्ना 6:37-40 जैसे स्थलों में प्रमाण पाते हैं, जहाँ हमें बताया जाता है कि पिता द्वारा ख्रीष्ट को दिया गया प्रत्येक जन वास्तव में उसके पास आता है। इफिसियों 2:1-10 भी हमें बताता है कि परमेश्वर पाप में मरे हुए लोगों को जीवित करता है। पुनरुत्थान के लिए एक प्रभावशाली सामर्थ्य की आवश्यकता है क्योंकि मृतक लोग विश्वास नहीं कर सकते हैं। इससे पहले कि हम विश्वास करें कि परमेश्वर को प्रभावशाली रीति से कार्य करते हुए हमें नए हृदय देना होगा क्योंकि हम पाप में अपनी मृतक स्थिति के कारण उसके साथ कार्य नहीं कर सकते हैं। उत्पत्ति 12:1-3 भी एक स्थल है जो संकेत करता है कि परमेश्वर का अनुग्रह अप्रतिरोध्य है, जिसमें परमेश्वर अब्राम को आज्ञा देता है कि वह ऊर से निकलकर जाए और अब्राम बिना संकोच किए चला जाता है। परमेश्वर ने उसे चाहा और वह हो गया।

निष्कर्ष में, अप्रतिरोध्य अनुग्रह इस तथ्य को बनाए रखता है कि परमेश्वर न केवल सर्व-प्रेमी है परन्तु वह सर्व-शक्तिमान भी है। उसका प्रेम इतना सामर्थी है कि वह उन सभी लोगों के उद्धार को सुनिश्चित कर सकता है जिन्हें वह बचाना चाहता है। अपने लोगों के लिए उसका प्रेम सर्वसामर्थी है।

सन्तों को डटे रहना (Perseverance of the Saints)

अंग्रेज़ी में P अक्षर परसिवरेन्स ऑफ द सेन्ट्स, अर्थात् सन्तों के डटे रहने के लिए है, जो परमेश्वर के लोगों के लिए उसके स्थायी बचाने वाले प्रेम की शिक्षा देता है। प्रभु अपने लोगों से बचाने वाले, प्रभावशाली प्रेम से प्रेम करने से कभी नहीं रुकता है; इसलिए जिन लोगों ने वास्तव में ख्रीष्ट पर विश्वास किया वे अन्त में विश्वास से नहीं भटकेंगे। सच्चे विश्वासी कुछ समय के लिए ख्रीष्ट से भटकते हुए प्रतीत हो सकते हैं, परन्तु यदि उन्होंने सच में विश्वास किया है तो वे सर्वदा उसके पास लौटेंगे। जो लोग विश्वास करने का दावा करते हैं पर फिर विश्वास को छोड़ते हैं, वे पहले भी वास्तव में यीशु पर विश्वास नहीं करते थे। वे हम में से निकल जाते हैं क्योंकि वे वास्तव में हम में से नहीं थे (1 यूहन्ना 2:19)।

फिर से, अप्रतिबन्धित चुनाव जैसे ईश्वरविज्ञानीय बिन्दु डटे रहने की माँग करते हैं। यदि परमेश्वर चुने हुओं को बचाने का चुनाव करता है, तो चुने हुओं को अन्त तक डटा रहना पड़ेगा। हम इस शिक्षा को पवित्रशास्त्र में स्पष्ट रीति से लिखा हुआ भी देखते हैं। ख्रीष्ट कहता है कि कोई भी हमें पिता के हाथ से नहीं छीन सकता है (यूहन्ना 10:28)। “कोई भी” में हम भी सम्मिलित हैं—हम भी अपने आप को उसके हाथ से नहीं निकाल सकते हैं। रोमियों 8:28-30 कहता है कि परमेश्वर जिसको भी धर्मी ठहराता है, वह उन्हें महिमान्वित भी करता है। क्योंकि धर्मीकरण केवल विश्वास के द्वारा आता है (रोमियों 4), यदि परमेश्वर उन सब को महिमान्वित करता है जिन्हें वह धर्मी ठहराता है तो वह उन सब को धर्मी ठहराता है जो विश्वास करते हैं। संंक्षिप्त में, परमेश्वर हमसे इतना अधिक प्रेम करता है कि वह हमें अनुग्रह से गिरने नहीं दे सकता है। यह तो हो ही नहीं सकता है।

जैसा कि आप देखते हैं, ट्यूलिप, या कैल्विनवाद के पाँच बिन्दु, उद्धार में परमेश्वर के कार्य को सारांशित करते हैं, और यह परमेश्वर के सर्वसामर्थी प्रेम को दर्शाता है। मसीही लोग इस बात में विश्राम कर सकते हैं कि यदि वे विश्वास करते हैं, यह परमेश्वर के कार्य के कारण है और वह कार्य विफल नहीं हो सकता है क्योंकि उसका प्रेम विफल नहीं हो सकता है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

रॉर्बट रॉथवेल
रॉर्बट रॉथवेल
रॉर्बट रॉथवेल टेबलटॉक पत्रिका के सहयोगी संपादक, लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ के लिए वरिष्ठ लेखक और रिफॉर्मेशन बाइबल कॉलेज के निवासी सहायक प्राध्यापक हैं।