
कलीसिया
10 सितम्बर 2024
एक आकस्मिक परिचय
16 सितम्बर 2024छोटे लोग और छोटी बातें

“जो कोई इन छोटों में से किसी एक को चेला जान कर ठण्डे पानी का एक गिलास भी पीने को दे तो मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना प्रतिफल कदापि नहीं खोएगा” (मत्ती 10:42)। हम आश्चर्यचकित हैं। हमकहते हैं: “परन्तु यह ठण्डा पानी का गिलास तो बहुत छोटी सी बात है, प्रभु। जब आपने स्वयं इतना बड़ा कार्य किया है तो आप इसे क्यों पहचानते हैं और पुरस्कृत करते हैं? आप क्रूस पर चढ़ गए और अपना सब कुछ दे दिया। आपने क्रूस पर मरकर और उस दण्ड को लेकर जिसे हम योग्य थे, हमारे पापों का मूल्य चुकाई।”
यीशु द्वारा इतने छोटे कार्य के लिए हमें पुरस्कृत करने के पीछे क्या कारण है? ठण्डे पानी का प्याला तो केवल हिमशैल का सिरा है। सतह के नीचे हमारा पिछला जीवन छिपा है—स्वयं द्वारा चुना गया विनाश की ओर जाने वाला मार्ग। हम स्वयं को और पाप को किसी भी अन्य व्यक्ति या वस्तु से अधिक प्रेम करते थे। परन्तु परमेश्वर ने हमें तब चुना जब हम शत्रु और पापी ही थे। उसने अपने आत्मा को हमारे हृदय में डाला। उसने हमें बचाया हैं और अब हम उसके और अपने पड़ोसियों के प्रति कृतज्ञता और प्रेम से उमड़ते हैं।
यीशु ने न्याय के दिन का एक दृश्य का वर्णन किया। उसने अपनी भेड़ों, अर्थात् धर्मी लोगों को अपने साथ रहने के लिए बुलाया। वे अपने कार्यों से पहचाने गये। उन्होंने भूखों को खाना खिलाया था, प्यासों को पानी पिलाया था, नंगे लोगों को कपड़े पहनाए थे, परदेशियों को अपने घर ठहराया था, बीमारों और कैदियों की सुधी ली थी। यीशु ने कहा, “मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी भी एक के साथ किया वह मेरे साथ किया” (मत्ती 25:40)। परन्तु उन्होंने इन छोटे लोगों के साथ किए गए इन छोटे कार्यों के मूल्य को नहीं पहचाना, क्योंकि मसीही लोग अपने कर्तव्यों को पूरा करते हुए ऐसा ही करते हैं; इसलिए वे प्रायः नहीं सोचते हैं कि वे कार्य पुरस्कार से सम्बन्धित हैं। यीशु को उनकी करुणा प्रिय लगी क्योंकि यह उसकी करुणा को दर्शाती है। उसका हृदय इन छोटे लोगों के साथ है। वह अपने लोगों के साथ एक है।
छोटे लोगों की सेवा करना वैकल्पिक नहीं है। यीशु ने बकरियों, अर्थात् अधर्मियों को अनन्त अग्नि में फेंक देता है। वे भूखे, प्यासे, बीमार, नंगे, बेघर और कैद लोगों के प्रति करुणा के कार्यों की अनुपस्थिति से पहचाने गए। यीशु छोटे लोगों को ठेस पहुँचाने के विरुद्ध भी चेतावनी देता है, कि जो इन छोटों में से एक को भी ठोकर खिलाए तो अच्छा होता कि उसके गले में भारी चक्की का पाट लटका कर उसे समुद्र में डाल दिया जाता (मरकुस 9:42)। ये गम्भीर चेतावनियाँ हैं।
आज हमारे मध्य में छोटे लोग कौन हैं? और हमें कोन से छोटे कार्य करने चाहिए? सबसे छोटे लोग अजन्मे हैं। उनके पास अभी कोई वाणी नहीं है, इसलिए हमें उनके लिए बोलना होगा, तथा उनके अस्तित्व की रक्षा करनी होगी। हमारी कलीसियाओं में अन्य छोटे लोग भी हैं। वे नवजात विश्वासी हैं जिन्होंने अभी पवित्रीरपण के मार्ग पर चलना आरम्भ किया है और उन्हें प्रोत्साहन की आवश्यकता है। वे अकेले और अकेलेपन का आभास करने वाले लोग हैं जिन्हें हमारे घरों में आमन्त्रित किए जाने की आवश्यकता है। वे असमान्य बच्चे हैं जिन्हें प्रायः अनदेखा किया जाता है। हमें अपने बच्चों को दयालुता से व्यवहार करना सिखाना चाहिए जिससे कि वे ऐसे बच्चों को अपने मित्रों के समूह में सम्मिलित करें। जीवन के मार्ग पर हम प्रत्येक दिन छोटे लोगों से मिलते हैं। आइए हम उन्हें अपनी आशा के के लिए उत्तर देने को तत्पर रहें—यीशु ख्रीष्ट की आशा।
जब हम छोटे लोगों के लिए छोटे-छोटे कार्य करते हैं तो हमारे लिए अनन्त आनन्द और आशीष प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसे अपने हाथ से जाने न दो।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।