3 बातें जो आपको एस्तेर के विषय में पता होनी चाहिए। - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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3 बातें जो आपको एस्तेर के विषय में पता होनी चाहिए।

3-Things-about-Esther

ऐरन गैरियट्ट

एस्तेर की पुस्तक प्रत्यक्ष रूप से परमेश्वर के नाम का उल्लेख नहीं करती है। वास्तव में, यह वृतान्त पूर्णतः  धर्म और ईश्वर भक्ति से रहित है। इसके मुख्य पात्र धर्मनिष्ठ और विश्वासयोग्य यहूदी प्रतीत नहीं होते हैं जो परमेश्वर की वाचा को बनाए रखने के बारे में अत्यधिक चिन्तित हैं। ऐसी पुस्तक से हम परमेश्वर और उसकी योजनाओं के बारे में क्या सीख सकते हैं?

एस्तेर और उसकी कहानी के प्रति मेरे प्रेम के बाद भी (मेरी एक पुत्री का नाम हदस्सा है, जो की एस्तेर का यहूदी नाम है), मुझे यह स्वीकार करना होगा कि इस वृतान्त में ऐसे समय भी आते हैं जब मैं आश्चर्यचकित रह जाता हूँ कि एस्तेर और मोर्दकै की सच्ची आशा कहाँ है और क्या उनके कार्य इब्रानियों 11 में वर्णित विश्वास को दर्शाते हैं। इन प्रारम्भिक धारणाओं के पश्चात्, गहन जाँच करने पर, एस्तेर हमें गहरी ईश्वर-विज्ञानी सत्यों को सिखाती है जो ख्रीष्टीय जीवन को स्फूर्ति प्रदान कर सकती हैं। एस्तेर की पुस्तक के बारे में जानने योग्य तीन बातें यह हैं।

  1. परमेश्वर की वाचाई विश्वासयोग्यता: एस्तेर की पुस्तक परमेश्वर की वाचाओं की प्रतिज्ञा के लगभग उन्मूलन एक रहस्यमय वर्णन है।

एस्तेर की घटना प्रतिज्ञात देश से बहुत दूर घटित हो रही है। 539 ईसा पूर्व में क्षयर्ष के आदेश के पश्चात् कुछ इस्राएली निर्वासन से यरूशलेम लौट आए थे (एज्रा 1:1-4 देखें)। परन्तु, कुछ ने फारस में रहने का निर्णय किया। पाठक को तुरन्त उन यहूदियों में से एक से परिचित कराया जाता है जो वहाँ ठहर गए थे। वह शीघ्रता से उच्च फ़ारसी जीवन में ढल जाती है, और फारसी राजा द्वारा अपनी पूर्व रानी की ढिठाई के कारण शर्मिंदा होने के पश्चात् वह रानी बन जाती है।

कुशल कथा शैली के माध्यम से जिसमें असमंजस, विडम्बना और व्यंग्य का मिश्रण है, लेखक बताता है कि कैसे एक छोटा, अशाब्दिक संकेत दो पुरुषों (हामान अमालेकी और मोर्दकै यहूदी) के बीच एक व्यक्तिगत विवाद को भड़काता है। इस विवाद का परिणाम सरकार द्वारा स्वीकृत जातिसंहार के माध्यम से परमेश्वर के वाचाई लोगों (और इस प्रकार, उसकी प्रतिज्ञाओं) का लगभग विनाश हो जाता है।

यह केवल एक मूर्ख राजा की अनिद्रा की बीमारी और नैतिक रूप से समझौता करने वाली रानी की क्षणिक चतुराई के कारण होता है कि अन्तिम क्षण में परिस्थिती पलट जाती है। जातिसंहार का नेतृत्व कर रहा, हामान, उसी फाँसी पर चढ़ाया जाता है जिसे उसने अपने शत्रु मोर्दकै के लिए बनवाया था, और यहूदियों को उन्मूलन से बचा लिया जाता है। 

यह पुस्तक एक रहस्यमय उपन्यास के समान्य है, और यदि आपने इस वृतान्त को एक बार में नहीं पढ़ा है, तो मैं आपको ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ। कथानक में उतार-चढ़ान हमें कुछ महत्वपूर्ण बातें सिखाते हैं:  परमेश्वर अब्राहम, इसहाक और याकूब से कि गई अपनी वाचा की प्रतिज्ञओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, और शैतान का कोई भी कठपुतली – न फिरौन, न अहाब, न अबशालोम, न नबूकदनेस्सर, न हामान – अपने लिए लोगों को संरक्षित करने की परमेश्वर की वाचा की प्रतिबद्धता को विफल नहीं कर सकता है।

  1. परमेश्वर का अदृश्य ईश्वरीय-प्रावधान: एस्तेर की पुस्तक परमेश्वर के विषय में मौन है, जिससे कि वह हमें परमेश्वर के विषय में कुछ प्रभावी बातों को सिखा सके। 

एस्तेर की पुस्तक में व्यंग्यात्मक लगभग वर्णनात्मक रूप से परमेश्वर के ईश्वरीय-प्रावधान के कार्यों को प्रदर्शित करता है, जिसका वर्णन हीडलबर्ग कैटेकिज्म करता है:

ईश्वरीय-प्रावधान परमेश्वर की सर्वशक्तिमान और सदैव उपस्थित रहने वाली सामर्थ्य है, जिसके द्वारा परमेश्वर, अपने हाथ से, स्वर्ग और पृथ्वी और सभी प्राणियों को सम्भाले रहता है, और इस प्रकार उन पर शासन करता है कि पत्ते और घास, वर्षा और सूखा, समृद्ध और घटी के वर्ष, भोजन और पेय, स्वास्थ्य और बीमारी, समृद्धि और गरीबी — सभी बातें, वास्तव में, संयोग से नहीं बल्कि उसके पिता के हाथ से हमारे पास आती हैं। (प्रश्नोत्तर 27)

ऐसा प्रतीत हो सकता है कि एस्तेर की पुस्तक में सब कुछ संयोगवश हो रहा है, परन्तु स्वर्गीय दृष्टिकोण वाले पाठक इस बात की सराहना करेंगे कि इस नाटक के पिछे एक कुशल नाटककार कार्यरत है, जो अपने वाचा के लोगों—जो उससे प्रेम करते हैं और उसके उद्देश्यों के अनुसार बुलाए गए हैं (रोमियों 8:28) – की भलाई के लिए सभी बातों का आयोजन कर रहा है। परमेश्वर के ईश्वरीय-प्रावधान की देखभाल में कुछ भी अपने आप नहीं होता है। एस्तेर की पुस्तक में प्रत्येक संयोग परमेश्वर की मूक और अदृश्य ईश्वरीय-प्रावधान की उद्घोषणा कर रहा है, जो उसके सभी प्राणियों और उनके सभी कार्यों को नियंत्रित करता है (WSC 11)। इस पुस्तक में परमेश्वर की चुप्पी एक बहुत ही महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है: परमेश्वर का अपने सभी प्राणियों पर शासन करना और उनकी रक्षा करना इतना मौन है कि उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। उनके ईश्वरीय-प्रावधान की सीमा से बाहर कुछ भी नहीं है, भले ही हम नाटककार को उनके नाटक का निर्देशन करते हुए न देख पा रहे हों।

  1. परमेश्वर द्वारा निरन्तर दोषपूर्ण लोगों का चयन: एस्तेर की पुस्तक अपने मुख्य पात्रों, जो पमरेश्वर के वाचा के लोग हैं, के बारे में कई नैतिक प्रश्न को अनुत्तरित छोड़ देती है।

ईब्रानी कथा शैली के अनुरूप, एस्तेर का लेखक घटनाओं का वर्णन करता है, परन्तु प्रत्येक कार्य का नैतिक मूल्याँकन किए बिना। इसके कारण प्रायः पुस्तक के दो मुख्य पात्रों – एस्तेर और मोर्दकै – की नैतिक आदर्शों और विश्वास के नायकों के रूप में प्रशंसा की जाती है। परन्तु सच्चाई यह है कि यह वृतान्त भय और विश्वास के गहरे मिश्रण से भरी हुई है, और पाठक के लिए हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि कौन सा कार्य विश्वास से प्रेरित था और कौन सा भय या भ्रम से। एस्तेर और मोर्दकै के चरित्र और कार्यों के सम्बन्ध में पाठक के मन में कई अनुत्तरित प्रश्न हैं। इनमें से कुछ अनुत्तरित अस्पष्टताओं में इन अनुत्तरित अस्पष्टताओं में निम्नलिखित प्रश्न सम्मिलित हैं:

  • मोर्दकै और एस्तेर अपने देश क्यों नहीं लौटे (एस्तेर 2:5)?
  • क्या एस्तेर ने परमेश्वर द्वारा निर्धारित आहार सम्बन्धी व्यवस्था की उपेक्षा की, या वह केवल परिस्थितियों की मारी हुई एक निर्दोष पात्र थी (एस्तेर 2:9)?
  • मोर्दकै ने एस्तेर को अपनी धार्मिक पृष्ठभूमि को प्रकट न करने का परामर्श क्यों दिया (एस्तेर 2:10, 20)?
  • मोर्दकै ने विरोध करने के विपरीत, अपनी चचेरी बहन को राजा के राजभवन में (एस्तेर 2:8) और हाल ही में विवाह विच्छेदित गैर-यहूदी राजा के शयनकक्ष में क्यों जाने दिया (एस्तेर 2:15-18)?
  • क्या मोर्दकै का हामान के सामने झुकने का विरोध करना, जिसके गम्भीर परिणाम हुए, एक तुच्छ कार्य था या एक विश्वासी कार्य था (एस्तेर 3:2)?
  • एस्तेर का अपने लोगों की ओर से आरम्भ में राजा से विनती करने से नकारना स्वार्थ था या बुद्धिमत्ता से काम करना था (एस्तेर 4:10-11)?
  • एस्तेर द्वारा आरम्भ में यहूदियों को बचाने के लिए राजा से माँग करने के अनुरोध को अस्वीकार करने के पश्चात् क्या मोर्दकै ने अपनी चचेरी बहन को सबके सामने प्रकट करने की धमकी दी थी या वह उसे प्रेम में होकर चिता रहा था (एस्तेर 4:12-14)?
  • क्या एस्तेर राजा और हामान को रात्रि भोज के अनुरोध में छलपूर्ण थी या धार्मिक रूप से चतुर थी (एस्तेर 5:4-8)?
  • क्या एस्तेर क्रूर रूप से प्रतिशोधी थी या यहूदियों को तीन सौ और लोगों को मारने और हमान के दस पुत्रों को फाँसी पर लटकाने की अपनी याचिका में पूरी रीति से अवसरवादी थी (एस्तेर 9:13-15)। 

जबकि ये प्रश्न दुर्गम समस्याओं के समान लग सकते हैं – क्योंकि परमेश्वर के लोग, जो छुटकारे के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ऐसी चिन्ताजनक नैतिक अस्पष्टता कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं? – वरन् यह वास्तव में उस समाचार पर प्रकाश-बिन्दु है कि परमेश्वर का उद्धार अन्ततः उनके लोगों की विश्वासयोग्यता या उनकी कमी पर निर्भर नहीं करता है। वह अपने नाम के कारण अपनी वाचा की प्रतिज्ञाओं के प्रति विश्वासयोग्य है (देखें यशायाह 48:9-11; यहेजकेल 20:44)। एस्तेर और मोर्दकै – दोनों अपनी पापपूर्ण, भयग्रस्त कार्यों के साथ-साथ अपनी धार्मिक, विश्वासयोग्य कार्यों के माध्यम से- “सिय्योन का भला करने” के लिए परमेश्वर की अटल और दृढ़ योजना को पूरा करते हैं (भजन संहिता 51:18)। हदस्सा के सुन्दर वृतान्त का यही वास्तविक अर्थ है। यद्यपि एक साधारण “मर्टल ट्री” (इब्रानी में “हदस्सा” का अर्थ है) जो सब कुछ ठीक से नहीं कर पाती, रानी एस्तेर परमेश्वर का साधन है, जो उसकी वाचा के आशीषों को संरक्षित करती है और उसके ईश्वरीय-प्रावधान के उद्देश्यों को पूरा करती है। एस्तेर के कहानी में यह बात स्पष्ट है।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

ऐरन गैरियट्ट
ऐरन गैरियट्ट
रेव. ऐरन गैरियट्ट (@AaronGarriott) टेब्लटॉक पत्रिका के प्रबन्धक सम्पादक हैं, सैन्फर्ड, फ्लॉरिडा में रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज में निवासी सहायक प्राध्यापक हैं, तथा प्रेस्बिटेरियन चर्च इन अमेरिका में एक शिक्षक प्राचीन हैं।