अपनी कलीसिया में भाग लीजिए - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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अपनी कलीसिया में भाग लीजिए

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का छठवां अध्याय है: पीढ़ी से पीढ़ी

युवकों, क्या यह आपकी कहानी है? आप अपने परिवार की कलीसिया में बढ़ाए गए और जब आप एक बच्चे थे या जब हाई स्कूल में थे तब आप इसमें सहभागी थे।  परन्तु जब आप विश्वविद्यालय या सेना के लिए या घर से दूर कार्य करने के लिए चले गए, तब किसी भी कलीसिया में बहुत कम सहभागी हुए।

आपने ऐसा करने की कोई योजना नहीं बनाई, परन्तु आपके पास अपने समय पर नए उत्तरदायित्व और आवश्यकताएं थी। आप पुराने प्रक्रियाओं से स्वतंत्र थे और स्वयं के बल पर नई प्रक्रियाओं को बना रहे थे। सम्भवतः आपने ऐसी कलीसिया को ढूंढ़ा जो “आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो”— एक जिसमें आपके उम्र के बहुत लोग थे या संगीत बहुत अच्छा था या फिर उस कलीसिया का प्रचारक बहुत अच्छा था। आप स्कूल या कार्य के अधिक कार्यभार के कारण आराधना में नहीं जाते थे, परन्तु अभी आप यीशु से प्रेम करते थे और प्रार्थना करते थे और टीवी या कम्प्यूटर पर आराधना सभा देखते थे। आप केवल कलीसिया में सहभागी नहीं हो पाए।

मुझे दो बाइबल आधारित विचारों के द्वारा आपको प्रोत्साहित करने दीजिए। 

पहला, यीशु के पास आपके और सभी ख्रीष्टियों के लिए एक योजना है। उसकी योजना है कि सभी ख्रीष्टियों को उसकी कलीसिया से जुड़े रहें और उसके द्वारा उनकी देखभाल होती रहे। उसने अपनी योजना को मत्ती 16:18-19 में अपने शिष्यों पर प्रकट किया: “मैं तुझ से कहता हूं कि तू पतरस है और इसी चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।” इसलिए, यीशु ने व्यक्तिगत रीति से इस योजना को स्थापित किया, इसे अधिकार दिया, और इसे आकार दिया जब उसने कहा, “मैं तुझे [प्रेरितों] को स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा, और जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा वह स्वर्ग में बंधेगा, और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा वह स्वर्ग में खुलेगा।” 

यीशु की योजना सुझाव नहीं परन्तु उसकी परमेश्वरीय इच्छा है—परमेश्वर की योजना। यह बहुत योजनाओं में से एक नहीं है जिन्हें हम बना सकते हैं, परन्तु यह उसकी योजना है—वह योजना जिसके लिए वह आया और मर गया। प्रेरितों की काम की पुस्तक और सभी पत्रियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं कि यीशु के शिष्यों ने अपनी पीढ़ी में यीशु की योजना को पूरा किया।

यीशु की योजना अभी भी अपनी सभी भेड़ों को कलीसिया में एकत्रित करने की है जिसके द्वारा वह अपने लोगों को निरन्तर सिखाने, देखभाल करने, ताड़ना देने, और पुनर्स्थापित करने के लिए अपनी पुनरुत्थान की सामर्थ्य और अधिकार का उपयोग करता है। इसे पूर्ण करने के लिए, वह पुरुषों और महिलाओं को प्रत्येक स्थान पर जहाँ वह उन्हें भेजता है कलीसिया के आत्मिक निर्माण के लिए आत्मिक दान देता है। अपनी कलीसिया (आपके और मेरे लिए) के लिए यीशु की योजना में व्यवस्थित नेतृत्व सम्मिलित है। हमारे लिए यीशु की योजना है उसकी कलीसिया में पास्टरों और शिक्षकों के द्वारा हमारी देखभाल की जानी चाहिए। यीशु की योजना परमेश्वरीय रूप से प्रेरित है और सबसे उत्तम योजना है जिसे स्वर्ग में बनाया गया है। उसकी योजना में सम्मिलित होना और उसमें मिल जाना हमारा कर्तव्य और सौभाग्य है।

परमेश्वर अपनी योजना को इफिसियों 4:11-12 में समझाता है: “उसने कुछ को प्रेरित, कुछ को भविष्यवक्ता, कुछ को सुसमाचार-प्रचारक, कुछ को पास्टर और कुछ को शिक्षक नियुक्त करके दे दिया, कि पवित्र लोग सेवा-कार्य के योग्य बनें और मसीह की देह तब तक उन्नति करे।”

मेरी पीढ़ी में कई लोग, और सम्भवतः आपकी पीढ़ी में और लोग, कलीसिया को केवल एक विकल्प मानते हैं और यीशु की योजना को भूल गए हैं।

दूसरा, यीशु की योजना में आपको केवल कलीसिया में जाने और उसके वचन का प्रचार सुनने के साथ-साथ एक और बात सम्मिलित है। यीशु ने आपको अपनी (आपकी) कलीसिया में उपयोग होने के लिए आत्मिक वरदान दिए हैं। हाँ, आपके पास वरदान हैं, और उनका उपयोग कलीसिया में आपके और हमारे आपसी बढ़ोत्तरी के लिए किया जाना चाहिए। इफिसियों 4:7 को सुनें: “परन्तु हम में से प्रत्येक को मसीह के दान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह दिया गया है।” “प्रत्येक” में आप भी सम्मिलित हैं। यदि कलीसिया को (और यदि आपको) परमेश्वर की योजना के अनुसार परमेश्वर के लोग होना है, आपकी आवश्यकता है।

आप अपने आत्मिक वरदानों का कैसे पता लगा सकते हैं और उनको कैसे विकसित कर सकते हैं?

यहाँ कुछ विचार हैं। 

  • अपनी कलीसिया में नियमित रीति से उपस्थित हों।
  • सिखाने योग्य, धीरज रखने वाले और प्रार्थनापूर्ण हों।
  • इस विषय में अपने किसी पास्टर या अगुवा से बात करें, या एक आत्मिक मन वाले पुरुष या महिला को खोजें जिसके साथ आप एक अनौपचारिक मार्गदर्शन सम्बन्ध विकसित कर सकें।
  • कलीसिया में किसी भी क्षमता में सेवा करें जहाँ अवसर हो और उसमें अपना हाथ बटाने का प्रयास करें—जैसे कि लोगों का स्वागत करने में, बच्चों की देखभाल करने में, समितियां, बाइबल अध्ययन में, सामाजिक सेवा में। अपने अगुवों के सम्पर्क में रहें और अपनी सेवा की समीक्षा प्राप्त करें।
  • यीशु से, जिसने आपको वरदान दिया है, अपने आत्मिक वरदानों को पहचानने में सहायता मांगें।
  • अपने आन्तरिक लक्ष्य को वह सब बन जाना बना लें जिसे यीशु ने आपको बनने के लिए बुलाया है। प्रभु से कहिए कि सबसे अधिक आप उसको महिमा देना चाहते हैं।

क्योंकि यीशु ने आपको आत्मिक वरदान दिए हैं, उसकी कलीसिया को आपकी आवश्यकता है और आपको  कलीसिया की आवश्यकता है। आइए हम यीशु की योजना में एक साथ जुड़ जाएं।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
लैरी जी. मिनिंगर
लैरी जी. मिनिंगर
डॉ. लैरी जी. मिनिंगर ऑरलैंडो, फ्लॉरिडा में लेक शेरवुड ऑर्थोडॉक्स प्रेस्बिटेरियन चर्च के सेवा मुक्त पास्टर हैं, और सैनफोर्ड, फ्लॉरिडा में रिफॉर्मेशन बाइबल कॉलेज में छात्र देखभाल प्रशासक हैं।