प्रार्थना के द्वारा चरवाही करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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प्रार्थना के द्वारा चरवाही करना

प्रेरित पौलुस को चिन्ता थी कि इफिसुस की कलीसिया की चरवाही उचित रीति से की जाए। उसने उस लक्ष्य के लिए वहाँ परिश्रम किया, वहाँ के प्राचीनों को निर्देश दिए, और कलीसिया और उसके पास्टर तीमुथियुस को पत्र लिखे। फिर भी पौलुस ने अपनी अनुपस्थिति में इस मण्डली की चरवाही कैसे की? प्रार्थना करने के द्वारा।

इस कलीसिया को स्थापित करने के वर्षों बाद, बन्दीगृह से पौलुस की पत्री उनके लिए उसकी प्रार्थना का वर्णन करती है। “तुम्हारे लिए निरन्तर धन्यवाद देता हूँ और अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण किया करता हूँ” (इफिसियों 1:16)। इस कलीसिया के लिए पौलुस एक निरन्तर बहने वाला प्रार्थना का झरना था। कलीसिया के अगुवे पौलुस के समान कलीसिया के लिए निरन्तर प्रार्थना कैसे कर सकते हैं?

अपनी प्रार्थना के इस विवरण का परिचय देते हुए पौलुस कहता है कि इस रीति से प्रार्थना करने के लिए एक कारण था (15 पद)? यह कारण क्या था? इफिसियों की पत्री के आरम्भिक पदों में, वह त्रिएक परमेश्वर द्वारा किए गए उद्धार की साक्षी देता है: इन सन्तों को पिता द्वारा प्रेम में चुना गया था, पुत्र के लहू द्वारा छुड़ाया गया था, और आत्मा की सामर्थ्य द्वारा इन पर छाप लगाई गई थी (3-14 पद)। इसके परिणामस्वरूप पौलुस त्रिएकतावादी प्रार्थनाओं से भरपूर हुआ कि “हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट का परमेश्वर, जो महिमा का पिता है, तुम्हें अपनी पूर्ण पहिचान में ज्ञान और प्रकाशन का आत्मा दे” (17 पद)।

जब पौलुस ने इफिसियों की मण्डली में पिता, पुत्र, और आत्मा के कार्य के विषय में सुना तो वह उस उद्धार के और अधिक प्रकाशन के लिए प्रार्थना करने के लिए प्रेरित हुआ (15-16 पद)। एल्डरों के लिए यह अच्छा है कि वे बारम्बार परमेश्वर के लोगों में परमेश्वर के उद्धार के कार्य के विषय में मनन करें। यह अभ्यास हृदयों को प्रार्थना करने के लिए उभारता है।

शुुद्धतावादी विलियम गरनल ने कहा, “किसी बच्चे को कला और उदाहरण के माध्यम से रोना नहीं सिखाया जाता है, वह तो प्रकृति से सीख जाता है; वह रोते हुए जगत में आता है।” यह स्पष्ट है कि किसी भी माता-पिता को अपने बच्चों को रोना सिखाने के लिए किसी कक्षा में ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। फिर गरनल प्रार्थना के विषय में शिक्षा देने के लिए इस सत्य का उपयोग करते हैं। “प्रार्थना एक ऐसा पाठ नहीं है जिसे कला के नियमों से प्राप्त किया जाता है, वरन् स्वयं जीवन के ही सिद्धान्तों से।”

यह देखना कि उद्धार प्राप्त जीवन का सिद्धान्त इफिसियों में कार्य कर रहा है इस बात ने पौलुस को प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया। उसने प्रार्थना में माँग की कि पवित्र आत्मा उनके हृदयों को और प्रकाशित करे जिससे कि वे उस बात को समझें कि ख्रीष्ट में उनके पास क्या-क्या था। जिस प्रकार से किसी विशाल पहाड़ की सुन्दरता और महानता को देखते हुए, उसकी भव्यता के विषय में दूसरों को बताने से स्वयं को रोक नहीं सकते, उसी रीति से हम ख्रीष्ट द्वारा दिए गए छुटकारे से निर्मित कलीसिया को देखते हुए स्वयं को प्रार्थना करने से नहीं रोक सकते हैं।

पौलुस ने ये प्रार्थनाएँ की जिससे कि कलीसिया अनुभव से तीन अद्भुत सत्यों को जाने (18-19 पद)। वह चाहता था कि वे मसीहियों के रूप में उनकी बुलाहट की आशा को जानें, कि उनके हृदय आश्वस्त हों कि “परमेश्वर के वरदान और बुलाहट अटल हैं” (रोमियों 11:29)। उसने यह भी प्रार्थना की कि वे अपने अद्भुत उत्तराधिकार के धन को पूर्ण रीति से प्राप्त करें जिससे कि वे प्रतिदिन स्वर्ग के नागरिक के रूप में जीवन बिताएँ। अन्ततः उसकी इच्छा थी कि वे पाप के दोष और सामर्थ्य से मुक्त होने के द्वारा ख्रीष्ट के पुनरुत्थान की सामर्थ्य को अनुभव करें।

जिस त्रिएक परमेश्वर ने कलीसिया को बचाया, वही कलीसिया के चरवाहों को त्रिएकता के लगातार चलने वाले कार्य के लिए प्रार्थना हेतु प्रेरित करेगा।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

बैरी जे. यॉर्क
बैरी जे. यॉर्क
ड़ा. बैरी जे. यॉर्क रिफोर्मेशन प्रेस्बिटेरियन थियोलॉजिकल सेमिनरी, पिट्सबर्ग में अध्यक्ष और पास्टोरल थियोलॉजी के शिक्षक हैं। वह हिटिंग द मार्क्स पुस्तक के लेखक हैं।