महान्तम कमाई - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
हमारा अति-अनुग्रहकारी उद्धारकर्ता
15 जून 2023
प्रार्थना के द्वारा चरवाही करना
22 जून 2023
हमारा अति-अनुग्रहकारी उद्धारकर्ता
15 जून 2023
प्रार्थना के द्वारा चरवाही करना
22 जून 2023

महान्तम कमाई

The Greatest Gain

जब पौलुस तीमुथियुस को उत्साहित करता है कि उसे प्रभु के भले वचन को विश्वासयोग्यता से प्रचार करते रहना चाहिए, तो वह झूठी मसीहियत के एक पहलू की ओर संकेत करता है। झूठे शिक्षक व्यक्तिगत लाभ की इच्छा द्वारा प्रेरित होते हैं (1 तीमुथियुस 6)। क्योंकि झूठा शिक्षक अधार्मिकता में परमेश्वर के सत्य को दबाते हुए जी रहा है, वह वास्तव में सुसमाचार या ईश्वर भक्ति को नहीं समझता है। झूठा शिक्षक स्वार्थी अभिलाषाओं और विवादप्रिय व्यवहार द्वारा चिन्हित होते हुए यह विश्वास करता है कि भक्ति की खोज करना किसी न किसी रीति से उसे सम्मान या धन में व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने में सहायता करेगा (1 तीमुथियुस 6:4-5)। उसकी शिक्षा और उसकी भक्ति के बाहरी कार्य इसी के द्वारा प्रेरित होते हैं। पौलुस का गम्भीर विश्लेषण हमें स्वयं के हृदयों का अवलोकन करने की चुनौती देता है: हम किस लाभ की खोज करते हैं? हम किस लाभ द्वारा प्रेरित होते हैं?

प्रभु यीशु ख्रीष्ट से प्रेम करने वाला सच्चा मसीही ख्रीष्ट में उद्धार की अद्भुत आशिष को देखता है और भक्ति की इच्छा करता है, क्योंकि भक्त होने का अर्थ है जीवित परमेश्वर के साथ संगति में रहना (1 तीमुथियुस 6:3)। वह “ऐण्ड कैन इट बी थैट आइ शुड गेन ऐन इन्ट्रेस्ट इन द सेव्यर्स ब्लड?” (“And can it be that I should gain an interest in the Savior’s blood?” – “यह कैसे सम्भव है कि उद्धारकर्ता के लहू के द्वारा मैं लाभ उठा सकता हूँ?”) भजन गाता है और परमेश्वर के प्रेम द्वारा अचम्भित हो जाता है। जब हमारे हृदय प्रभु के साथ ठीक हैं, तो यही हमें प्रेरित करता है। मैथ्यू हेनरी इसे अच्छी रीति से व्यक्त करते हैं जब वे कहते हैं कि झूठे शिक्षक सोचते थे कि वे भक्ति का व्यवहार करने के द्वारा व्यक्तिगत लाभ उठा सकते थे, जबकि मसीही व्यक्ति अचम्भित होता है कि उसने ख्रीष्ट में क्या-क्या लाभ पाया है और वह समझता है कि भक्ति स्वयं ही लाभ है। पौलुस दृढ़ और उत्साही दोनों है: “परन्तु सन्तोष सहित भक्ति वास्तव में महान् कमाई है” (1 तीमुथियुस 6:6)। परमेश्वर के साथ संगति के जीवन से महान् भला क्या हो सकता है? उसकी समानता में बढ़ने से उत्तम भला क्या हो सकता है?

पौलुस अपनी पत्री में यहाँ तीमुथियुस को एक और कारण देता है कि भक्ति में महान् कमाई क्यों होती है: “क्योंकि न तो हम इस संसार में कुछ लाए हैं, न यहाँ से कुछ ले जाएँगे। यदि हमारे पास भोजन और वस्त्र हैं तो इन्हीं से हम सन्तुष्ट रहेंगे” (1 तीमुथियुस 6:7-8)। सांसारिक लाभ अधिक-से-अधिक इस जीवन तक बना रहेगा, और परमेश्वर हमारी आवश्यकताओं के लिए प्रावधान करेगा। परन्तु भक्ति की कमाई अनन्त काल में बढ़ती ही रहेगी। यह महान् कमाई है।

प्रेरित पौलुस अनुभव से जानता है कि ख्रीष्ट में मिलने वाली सन्तुष्टि में विश्राम पाया जाता है। ख्रीष्ट में और ख्रीष्ट के साथ जीवन होने का अर्थ है कि उसके पास जीवन और अनन्त काल के लिए यह जीवन है। फिलिप्पियों को लिखी गई उसकी पत्री में, जिसे उसने बन्दीगृह से लिखा था, पौलुस पाठकों की उदारता में आनन्दित होता है और उन्हें उत्साहित करता है कि वे प्रभु की भलाई में विश्राम पाएँ, जैसा कि उसने पाया है: “मैंने प्रत्येक परिस्थिति में सन्तुष्ट रहना सीख लिया है” (फिलिप्पियों 4:11)। जितना अधिक हम भक्ति और परमेश्वर के साथ संगति के जीवन में बढ़ते हैं, उतना ही अधिक सब कुछ सही दृष्टिकोण से दिखने लगेगा: “यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है, तो कौन हमारे विरुद्ध है? वह जिसने अपने पुत्र को भी नहीं छोड़ा परन्तु उसे हम सब के लिए दे दिया, तो वह उसके साथ हमें सब कुछ उदारता से क्यों न देगा?” (रोमियों 8:31-32)। परमेश्वर के साथ जीवन उस अनन्त उत्तराधिकार का आरम्भ है जो कि “अविनाशी, निष्कलंक, और अमिट” है (1 पतरस 1:4; प्रकाशितवाक्य 22:3-5 देखें)। इससे महान् कमाई और कुछ नहीं है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

विलियम वैनडूडेवार्ड
विलियम वैनडूडेवार्ड
डॉ. विलियम वैनडूडेवार्ड दक्षिण कैरोलिना में ग्रीनविले प्रेस्बिटेरियन थियोलॉजिकल सेमिनरी में चर्च के इतिहास के प्रोफेसर हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक या संपादक हैं, जिनमें द क्वेस्ट फॉर द हिस्टोरिकल एडम और चार्ल्स हॉज के एक्सजेटिकल लेक्चर्स एंड सरमन्स ऑन इब्रानियों शामिल हैं।