नया आकाश और नई पृथ्वी - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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नया आकाश और नई पृथ्वी

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का नौवां अध्याय है: सुसमाचार का मुख्य केन्द्र

वर्तमान का समय अनन्तकाल पर प्रभाव डालता है। टेबलटॉक के  प्रत्येक प्रकाशन में डॉ स्प्रूल के लेख का शीर्षक सुसमाचार एवं नया आकाश और नई पृथ्वी के बीच के सम्बन्ध को संक्षिप्त रीति से प्रदर्शित करता है। ख्रीष्ट की त्यागपूर्ण मृत्यु और महिमान्वित पुनरुत्थान के शुभ-सन्देश का अनन्त प्रभाव प्रत्येक मनुष्य के गन्तव्य पर पड़ता है। उस सन्देश के प्रति आपकी प्रतिक्रिया—चाहे नम्रतापूर्वक भरोसा की या अविश्वासपूर्ण विद्रोह की हो— इस बात को निर्धारित करेगी कि क्या आप अनन्तकाल तक अपनी समझ से बढ़कर असीम आनन्द को प्राप्त करेंगे या आप अपनी भयानक कल्पनाओं से भी परे दर्दनाक पीड़ा को सहेंगे।

जीवित परमेश्वर, जो सम्पूर्ण जगत के प्रत्येक कण और इसके इतिहास के प्रत्येक क्षण पर सार्वभौमिक है, सम्पूर्ण जगत को एक परम अन्त की ओर ले जा रहा है जो प्रत्येक स्थान के हर एक प्राणि के द्वारा निहारे जाने के लिए अपनी बुद्धि, शक्ति, न्याय और दया की महिमा को प्रदर्शित करेगा। वर्तमान का आकाश और पृथ्वी, जो मनुष्य के पाप से कलंकित है और अभिशाप को सह रही है, “पुरानी हो जाएगी” और “बदल दी जाएगी” (इब्रानियों 1:11-12), यह हिला दी जाएगी और हटा दी जाएगी (12: 26-27)। पहला आकाश और पृथ्वी के लिए, कोई “स्थान” नहीं बचेगा, परन्तु उनके स्थान पर एक नया आकाश और एक नई पृथ्वी दिखाई देगी (प्रकाशितवाक्य 20:11; 21:1)।

यह प्रतिज्ञा यशायाह की भविष्यवाणी के समान पुरानी है: “मैं नया आकाश और एक नई पृथ्वी को सृजता हूँ; और पहली बातें स्मरण न की जाएंगी अथवा सोच विचार में भी न आएगी।” (यशायाह 65:17-18; 66:22-23 देखिए)। प्रेरित पतरस दावा करता है कि जिस नए आकाश और नई पृथ्वी की हम राह देख रहे हैं, उसमें धार्मिकता वास करेगी (2 पतरस 3:13)। पौलुस जोड़ता है कि सारी सृष्टि, जो अभी निरर्थकता और विनाश के अधीन है, परमेश्वर की सन्तानों के साथ मिलकर हमारे पुनरुत्थान पर “भ्रष्टाचार के बन्धन” से मुक्ति की प्रतीक्षा कर रही है। (रोमियों 8:19-22)।

नया आकाश और नई पृथ्वी का वर्णन कैसे करें? आने वाली सृष्टि का नकारात्मक  रीति से वर्णन करने के लिए, हम कह सकते हैं कि जो दुख अभी क्षति तथा पीड़ा उत्पन्न करते हैं, वे चले गए होंगे: कोई शोक, दर्द, मृत्यु नहीं रहेगी—शाप का कुछ भी बचा हुआ भाग नहीं रहेगा (प्रकाशितवाक्य 21:4; 22:3)। इसको सकारात्मक  रूप से चित्रित करना अधिक चुनौती पूर्ण है कि वह संसार कैसा होगा जिसमें से दुष्टता और दुःख पूर्णतः मिटा दिए जाएंगे। भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों ने हमारे अनुभव से परे गौरवशाली वास्तविकताओं की झलक प्रदान करने के लिए भाषा को इसकी सीमा तक खींचते हैं। भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों हमारे अनुभव से परे गौरवशाली वास्तविकताओं की झलक प्रस्तुत करने के लिए भाषा को उसकी स्थिति तक खींचते हैं। हम कह सकते हैं कि यीशु का पुनरुत्थान सिद्ध नई सृष्टि का प्रथम फल है, इसलिए उसका महिमामय जी उठा शरीर उसके लोगों के लिए रखे गए पुनरुत्थान की छाया है (1 कुरिन्थियों 15:20-22; फिलिप्पियों 3:21)। जी उठने के बाद, वह खा सकता था और उसे छुआ जा सकता था (लूका 24:39-43), इसलिए उसके शरीर का वास्तविक होना हमें प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में चित्रित दृश्य की आशा देता है—उदाहरण के तौर पर जीवन के वृक्ष की पत्तियों का रोगनिवारक होना और सब ऋतुओं में फलों का आना (प्रकाशितवाक्य 22:1-5)—पूरी तरह से चित्रात्मक नहीं है। कम से कम हम कह सकते हैं कि हमारा अन्तिम घर काल्पनिक और अमूर्थ नहीं है, परन्तु सृष्टिकर्ता के मूल रचना का एक दृढ़ पुष्टिकरण है, क्योंकि उसने प्रथम आकाश और पृथ्वी को “बहुत अच्छा” घोषित किया (उत्पत्ति 1:31)।

परमेश्वर का वचन नया आकाश और नई पृथ्वी के बारे में पर्याप्त जानकारी देता है कि हम इस प्रश्न के विषय में तत्परता से पूछें कि “मैं परमेश्वर की उपस्थिति में उस पवित्र आनन्द के प्रतिज्ञा के देश में कैसे पहुँच सकता हूँ?” यह प्रश्न हमें सुसमाचार के पास लाता है। नया आकाश और नई पृथ्वी में परमेश्वर के “सेवक” वास करेंगे (प्रकाशितवाक्य 22:3-5), जिन्होंने परमेश्वर के वचन को थामा और यीशु को स्वीकार किया (1:2, 9; 20:4)। वे मेमने के लहू से छुड़ाएं गए हैं, और उनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं (12:11; 20:12, 15; 21:27)।

फिर भी प्रकाशितवाक्य के दर्शन सुसमाचार के महत्व को एक और—बहुत गम्भीर—दृष्टिकोण से प्रकट करते हैं। जिन लोगों के नाम मेमने की पुस्तक में नहीं हैं, उनका न्याय उनके सम्पूर्ण जीवन के कार्यों के आधार पर किया जाएगा। मेमने के प्रायश्चित करने वाले लहू से ढांपे जाने के बिना, वे परमेश्वर के धर्मी क्रोध के सम्मुख खड़े होंगे, दोषी ठहरेंगे, और “आग की झील में फेंक दिए जाएंगे” जो दूसरी मृत्यु है (20: 13-15)। उनकी आत्माएं उन शरीरों के साथ फिर से जुड़ जाएंगी जिनमें उन्होंने विद्रोह किया था, और उस ज्वालामय झील में वे न केवल शारीरिक पीड़ा का, परन्तु मानसिक और आत्मिक राहत से वंचित होने का भी अनुभव करेंगे। यीशु ने स्वयं इस भयंकर और अनन्त विनाश के विषय में बात की, जो विद्रोहियों के लिए रखा गया है, एक जगह “जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और न आग बुझती है” (मरकुस 9:43-48; यशायाह 66:24)।

क्या समाप्त न होने वाली पीड़ा की सम्भावना—जो परमेश्वर के कठोर न्याय द्वारा स्थापित होगी—आपके हृदय को भयभीत करती है? ऐसा होना चाहिए। मेमने और उसके छुटकारे के लहू पर भरोसा करने के लिए समय अभी है।

क्या नया आकाश और नई पृथ्वी में मिलने वाले आनन्द आपके हृदय की लालसा को बढ़ाते हैं? उनको करना चाहिए। मेमने और उसके छुटकारे के लहू पर भरोसा करने के लिए समय अभी है। वर्तमान का समय वास्तव में अनन्तकाल पर प्रभाव डालता है।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
डेनिस ई. जॉनसन
डेनिस ई. जॉनसन
डॉ. डेनिस ई. जॉनसन वेस्टमिंस्टर सेमिनरी कैलिफोर्निया में व्यावहारिक ईश्वरविज्ञान के सेवामुक्त प्रोफेसर हैं, और डेटन, टेनेसी में वेस्टमिंस्टर प्रेस्बिटेरियन चर्च के सहायक पास्टर हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें वॉकिंग विद जीज़स थ्रू हिज़ वर्ड और हिम वी प्रोक्लेम सम्मिलित है।