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ईर्ष्या क्या है?

What Is Envy

मसीही सुसमाचार घोषणा करती है: “परमेश्वर का प्रेम हम में इसी से प्रगट हुआ कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में भेज दिया कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ। प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया, परन्तु इसमें है कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिए अपने पुत्र को भेजा” (1 यूहन्ना 4:9-10)। मसीही व्यक्ति के जीवन में हम अपने प्रति ख्रीष्ट में होकर परमेश्वर प्रेम को जानते हुए, प्रभु से अपने हृदय, प्राण, बुद्धि और शक्ति से प्रेम करते हैं, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करते हैं (मरकुस 12:29-31)। प्रेम का ईर्ष्या से क्या सम्बन्ध है? दो शब्दों में, “सब कुछ।” पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को एक मूलभूत सम्बन्ध का स्मरण दिलाया: “प्रेम ईर्ष्या नहीं करता” (1 कुरिन्थियों 13:4।

ईर्ष्या को समझना
1 कुरिन्थियों 13 की अपनी अद्भुत व्याख्या में, जॉन एंजेल जेम्स ईर्ष्या को “सबसे नीच” पापपूर्ण भावना कहते हैं। जेम्स कहते हैं, “यह अमिश्रित दुर्भावना है, जो मानवीय भ्रष्टता का सबसे बुरा और कड़वा अवशेष है।” ईर्ष्या “प्रेम का सबसे [विपरीतार्थी] भावना है।”

हम इस अवगुण को कैसे परिभाषित कर सकते हैं? ईर्ष्या एक मनोभाव है जो किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की सम्पत्ति को देखकर असहजता या अप्रसन्नता का आभास कराता है, जिससे वह व्यक्ति हमें अप्रिय लगता है। हम उन लोगों से ईर्ष्या करते हैं जिनके साथ हम सबसे अधिक निकटता से जुड़े हैं, उनसे उन क्षेत्रों में ईर्ष्या करते हैं जिन्हें हम सबसे अधिक महत्व देते हैं। इसके अतिरिक्त, ईर्ष्या कोई अकेला पाप नहीं है। यह द्वेष, घृणा, झूठ और झूठी निन्दा का जनक है—ऐसे पाप जिन्हें एक वृद्ध प्रचारक ने ईर्ष्या का “सामान्य बच्चा” कहा है। ईर्ष्या इतनी सामान्य है कि बुद्धिमान उपदेशक घोषणा करता है: “फिर मैंने देखा कि प्रत्येक परिश्रम और प्रत्येक निपुणता का कार्य जो किया जाता है, वह व्यक्ति का अपने पड़ोसी से प्रतिस्पर्धा के कारण किया जाता है। यह भी व्यर्थ तथा वायु पकड़ने का प्रयास है” (सभोपदेशक 4:4)।

जबकि कई लोग ऐसे जीते हैं जैसे कि यह एक सम्मानजनक पाप है, ईर्ष्या परमेश्वर और उसके सुसमाचार की पवित्रता को विकृत करती है। परमेश्वर प्रेम है (1 यूहन्ना 4:8)। उसका प्रेम सुन्दरता और भलाई में प्रसन्न होता है, और उसका अनुग्रह दोनों को उत्पन्न करता है। उसके प्रिय पुत्र, यीशु ख्रीष्ट में पाया गया सेंतमेंत उद्धार, उसके लोगों के प्रति परमेश्वर के प्रेम को पूर्ण रीति से प्रदर्शित करता है। इसलिए, एक ईर्ष्यालु मसीही एक ऐसा वर्णन है जिसका कोई बाइबलीय अर्थ नहीं है। फिर भी, कई मसीही अभी भी ईर्ष्या से संघर्ष करते हैं। यही कारण है कि गलातियों 5:26 आज्ञा देता है, “हम अहंकारी न बनें, एक दूसरे को न छेड़ें, और न ही डाह रखें,” और 1 पतरस 2:1 आग्रह करता है, “इसलिए सब प्रकार का बैर-भाव, छल और पाखण्ड, द्वेष (ईर्ष्या) से दूर रहे।”

ईर्ष्या को नष्ट करना
तो फिर, हम ईर्ष्या के गढ़ को कैसे नष्ट कर सकते हैं? ईर्ष्या को नष्ट करने के लिए आत्मा कौन से उपकरण का उपयोग कर सकता है? निम्नलिखित बातों में प्रयासरत रहें, और आप आत्मा को ईर्ष्या के कार्यों को नष्ट करते हुए पाएँगे।

परमेश्वर की ईश्वरीय-प्रावधान पर भरोसा रखें। ईर्ष्या गुप्त रूप से प्रभु के प्रति कुड़कुड़ाती रहती है। यह ईश्वरीय-प्रावधान में होकर किसी और को दी गई आशीष को देखती है और घोषणा करती है, कि “मुझे वह मिलना चाहिए था, उसको नहीं,” या “मैं ही उसको पाने के योग्य हूँ, वह नहीं।” हो सकता है कि आपके पास जो कमी है, वह परमेश्वर द्वारा निर्धारित की गई आवश्यकता हो। जॉन फ्लेवेल अपनी पुस्तक द मिस्ट्री ऑफ़ प्रोविडेंस (ईश्वरीय प्रावधान का रहस्य) में इस आवश्यक बिन्दु को अच्छी रीति से समझाते हैं। फ्लेवेल स्मरण दिलाते हैं, “ईश्वरीय-प्रावधान आपसे अधिक बुद्धिमान है। आप भरोसा कर सकते हैं कि यह आपके अनन्त भले के लिए सभी बातों को अच्छी रीति से अनुकूल बनाता है, जितना कि आप अपने स्वयं के विकल्प पर छोड़ दिए जाने पर कर सकते थे।” अपनी आवश्यकताओं के लिए प्रार्थना में परमेश्वर के पास जाते हुए अपने जीवन में परमेश्वर के ईश्वरीय-प्रावधान पर भरोसा करना आपके हृदय को ईर्ष्या से बचा सकता है (याकूब 4:1–3 देखें)।

कृतज्ञता को विकसित करें। कृतज्ञता का अर्थ है “सदैव सब बातों के लिए हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट के नाम में परमेश्वर पिता को धन्यवाद देना” (इफिसियों 5:20)। कृतज्ञता वह सूर्य है जो ईर्ष्या की छाया को दूर भगाता है। दूसरों की सम्पत्ति को पापपूर्ण इच्छा में होकर देखने के स्थान पर, एक कृतज्ञ हृदय हमारे प्रदाता परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता के साथ दूसरों की आशीष में आनन्दित होता है (फिलिप्पियों 4:19 देखें)।

सच्चे प्रेम में बढ़ें। क्योंकि प्रेम और ईर्ष्या एक दूसरे के विपरीत हैं, इसलिए ख्रीष्टीय प्रेम में बढ़ना ईर्ष्या को उसी प्रकार से पिघला देती है जैसे गर्मी बर्फ को पिघला देती है। अपने पड़ोसी से प्रेम करने का अनुग्रह उनकी आशीष से हमें दुःखी करने के स्थान पर हमें उनके प्रति आनन्दित करता है। प्रेम आनन्दित होने वालों के साथ आनन्दित होता है (रोमियों 12:15)। पवित्र आत्मा एक छुड़ाए हुए जन में अपना घर बनाता है। परमेश्वर से विनती करें कि वह
अपने आत्मा के द्वारा उस सच्चे और आत्मिक प्रेम को बढ़ाए जो सुसमाचार के लिए इतना महत्वपूर्ण है। ईर्ष्या को प्रेम से परिवर्तित करने के लिए उसके सामर्थ्य के लिए प्रार्थना करें।

सेवकों के लिए एक वचन
जॉन एंजेल जेम्स ने पूछा कि “क्या [ईर्ष्या] से अधिक कोई और पाप है जिसका सामना सुसमाचार के सेवक करते हैं? क्या कोई ऐसा पाप है जो वे अधिक बार करते हैं?” “किसी व्यक्ति में लोकप्रियता देखने, दूसरों के लिए उपयोगिता के विषय में सुनने और इस प्रक्रिया में स्वयं को अनदेखा किए जाने के लिए कितने अनुग्रह की आवश्यकता होती है।” हर आधुनिक पास्टर उस प्रलोभन को अच्छी रीति से समझता है जिसके विषय में जेम्स बात करते हैं।

प्रिय पास्टर, आपका कार्य यीशु ख्रीष्ट का प्रचार करना है, उस उद्धारकर्ता का जो संतोष, नम्रता, प्रेम और कृतज्ञता हेतु प्रेरित करता है। आत्मा के सामर्थ्य में, उन अनुग्रहों में बढ़ने के लिए परिश्रम करें। प्रसिद्ध होने, प्रसिद्ध होने, या एक मंच पाने के अपने मन को शैतानी योजना में लगाने का विरोध करें। अन्य सेवकों की फलदायिता को आनन्द से देखें: ख्रीष्ट की कलीसिया के माध्यम से, उसका राज्य आगे बढ़ रहा है, और शैतान का राज्य घट रहा है। सुसमाचार को अन्य उपदेश मंच से आगे बढ़ने के लिए प्रार्थना करें, और जब ऐसा हो तो आनन्दित हों।

परमेश्वर के सभी सेवक नीतिवचन 14:30 की बुद्धि को समझें और उसका पालन करें: “शान्त हृदय तन का जीवन है, ईर्ष्या हड्डियों को गला देती है।”

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

जॉर्डन स्टोन
जॉर्डन स्टोन
डॉ. जॉर्डन स्टोन मैकिन्नी, टेक्सास में रिडीमर प्रेस्बिटेरियन चर्च में वरिष्ठ पादरी हैं और डलास में रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में पादरी धर्मशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें ए होली मिनिस्टर: द लाइफ एंड स्पिरिचुअल लिगेसी ऑफ रॉबर्ट मरे मैक'चेन शामिल हैं।