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यह एक दुःखद सच्चाई है कि: हम सभी कभी न कभी मूर्खता करते हैं। उदाहरण के लिए: अन्तिम बार कब आप किसी धोखाधड़ी में फँसे थे? आपने एक “अच्छा सौदा” सोच कर कुछ खरीदा और वह कबाड़ निकला? हम सभी ने कभी न कभी ऐसा किया है, और जब मैं ऐसा करता हूँ, तो मुझे इससे घृणा होती है।
एक सुरक्षात्मक पिता के रूप में, परमेश्वर हमें बुद्धिमान बनने के लिए कहता है, तथा कार्य करने से पहले सोचने-समझने के लिए कहता है। यह सरल लग सकता है, परन्तु बुद्धिमानी के भी बहुरूपिये होते हैं। हम सोच सकते हैं कि हम बुद्धिमान हो रहे हैं जबकि वास्तव में हम अभी भी मूर्खता ही कर रहे होते हैं। ऐसा कैसे? दो प्रकार से: या तो हम त्रुटिपूर्ण बातों के बारे में “बुद्धिमान” हो सकते हैं या हम त्रुटिपूर्वक रूप से “बुद्धिमान” हो सकते हैं। वास्तव में बुद्धिमान होने के लिए, हमें बाइबलीय बुद्धिमानी को इसके झूठे रूपों से अलग करने की आवश्यकता है।
त्रुटिपूर्ण बातों के बारे में बुद्धिमान
तोड़ों का दृष्टान्त (मत्ती 25:14-30) काम का उदाहरण का उपयोग करके त्रुटिपूर्ण बातों के बारे में “बुद्धिमान” होने का एक स्पष्ट उदाहरण प्रदान करता है। इस दृष्टान्त में, तीन दासों को तोड़े दी गई हैं। दो दास अपना निवेश करते हैं, और तीसरा उसे भूमि में गाड़ देता है, यह समझाते हुए: “अतः मैं डर गया और जाकर तेरे तोड़े को मैंने भूमि में छिपा दिया। देख, जो तेरा है उसे ले ले।” (मत्ती 25:25)। यह दास जोखिम के प्रति “बुद्धिमान” है: वह इससे पूरी तरह बचने का प्रयास करता है। उसको तोड़ों को गाड़ना बुद्धिमानी प्रतीत होती है, परन्तु उसकी युक्ति उल्टी पड़ जाती है: उसे “एक दुष्ट और आलसी दास” के रूप में डाँटा जाता है (मत्ती 25:26)। हर कीमत पर जोखिम से बचने की उसकी प्राथमिकता उसके स्वामी को प्रसन्न नहीं करती है, और न ही सभी जोखिमों से हमारा बचना स्वर्ग में हमारे स्वामी को प्रसन्न करती है। यीशु अपने शिष्यों को “हिसाब लगाना” सिखाते हैं (लूका 14:28), न कि इसे एक साथ टालना।
बाइबलीय बुद्धिमानी का तात्पर्य सभी जोखिमों से बचने का प्रयास करने के स्थान पर जोखिम का आकलन कर के परमेश्वर की प्रकट इच्छाओं के अनुसार कार्य करना है। मूर्ख दास की मुख्य त्रुटि यह है की वह अपने स्वामी के चरित्र का त्रुटिपूर्वक मूल्याँकन करता है, उसे कठोर समझता है जबकि वास्तव में वह उदार है, जो विश्वासयोग्य दासों को पुरस्कृत करता है और यहाँ तक कि उन्हें अपने आनन्द में आमंत्रित करता है। यदि हमें विश्वासयोग्य दास बनना है, तो हमें अपने निर्णयों को परमेश्वर के बारे में सटीक समझ पर आधारित करना होगा, कि वह कौन है और वह क्या करता है। जब हम परमेश्वर के मूल्यों की रक्षा करते है और उसकी प्रतिज्ञाओं और प्रावधानों के सटीक दृष्टिकोण के प्रकाश में कार्य करते हैं, तो हम बाइबलीय बुद्धिमानी का प्रयोग करते हैं।
दूसरा बहुरूपिया दो सत्यों को जोड़कर और उन्हें झूठ में बदलकर हमें धोखा देता है। पहला सत्य यह है कि परमेश्वर संप्रभु है; दूसरा यह है कि ख्रीष्ट की सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है (2 कुरिन्थियों 12:9)। दोनों ही आनन्द मनाने योग्य महत्वपूर्ण सत्य हैं और हमें परमेश्वर की आराधना करने का कारण देते हैं। परन्तु शत्रु के पास हमें धोखा देने के लिए इन दो सत्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने का एक प्रकार है, इन सत्यों में एक झूठ गूँथ देना — अर्थात्, कठिन परिश्रम करना परमेश्वर के कार्य के विरूद्ध है।
कठिन परिश्रम को खतरनाक कैसे माना जा सकता है? आरोप लगाने वाला कह सकता है कि आपका कठिन परिश्रम आपकी चिंता को दर्शाता है, और इसलिए परमेश्वर पर विश्वास की कमी है, यहाँ तक कि किसी भी बात के लिए चिंतित न होने के उनके आदेश की अवज्ञा भी है। शैतान के अनुसार, आपका कार्य आपको दोषी ठहराता है; आप चिंतित हैं क्योंकि आप परमेश्वर की महिमा के स्थान पर अपने घमंड के लिए कार्य कर रहे हैं। जब आप अपने बायोडेटा को ध्यानपूर्वक देख रहे होते हैं–व्याकरण, विषय सूची और शैली की जाँच कर रहे होते हैं–तो दोष लगाने वाला आपको कहता है कि परमेश्वर संप्रभु है और वही यह निर्णय करेगा कि आपको नौकरी मिलेगी या नहीं, न की आपका बायोडेटा। यह झूठा तर्क कहता है, “अपने कड़े परिश्रम को रोक देना ‘बुद्धिमानी’ है, ऐसा न हो कि आप अपने बायोडेटा को एक मूर्ति बना लें और परमेश्वर के स्थान पर स्वयं को महिमा दें।”
यदि शत्रु इस प्रकार से आपको निष्क्रियता में नहीं फँसा पाता है, तो वह एक और प्रकार से प्रयास कर सकता है, यह कहते हुए कि आपका कड़ा परिश्रम आपके संकीर्ण दृष्टि को दर्शाती है, जो केवल वही करने का प्रयास करता है जो आप अपने बल से कर सकते हैं न कि यह देखने का कि परमेश्वर उसमें क्या कर सकता है। “निश्चित रूप से अपने जानेवाले लोग से संपर्क और साक्षात्कार देने से आपको कुछ नौकरी मिल सकती है, परन्तु हो सकता है कि यह वह नौकरी न हो जो परमेश्वर आपके लिए चाहता है। आपकी नौकरी परमेश्वर द्वारा चुनी गई है, यह जानने का ‘बुद्धिमानीपूर्ण’ ढंग यह है कि एक मजबूत आवेदक बनने के लिए अधिक परिश्रम करना छोड़ दें और इसके स्थान पर प्रतीक्षा करें कि परमेश्वर कौन-सी नौकरी आपको देता है।” यह त्रुटिपूर्ण ढंग से निर्णय लेने की प्रक्रिया से हमारे उत्तरदायित्व और भण्डारीपन को छीनना चाहता है।
बाइबलीय बुद्धिमानी
ईश्वरीय प्रावधान और “बुद्धिमानी” दोनों के बारे में सांसारिक दृष्टिकोण मूर्खतापूर्ण रूप से यह समझने में विफल रहता है कि परमेश्वर अपनी सिद्ध इच्छा को साधनों के माध्यम से पूरा करते हैं, जिसमें आपका कठिन परिश्रम भी सम्मिलित है (वेस्टमिंस्टर अंगीकार वचन 3.1)। फिलिप्पियों 2:13 कहता है, “क्योंकि स्वयं परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए तुम्हारी इच्छा और कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तुम में सक्रिय है।” आपका कार्य परमेश्वर के कार्य के साथ स्वाभाविक रूप से विरोध में नहीं है। दोनों एक साथ कार्य कर सकते है, और योजना के अनुसार नियमित रूप से मिलकर कार्य करते हैं। नीतिवचन 10:5 कहता है, “जो ग्रीष्मकाल में बटोरता है, वही बुद्धिमान पुत्र है, पर जो पुत्र कटनी के समय सोता है वह लज्जा का कार्य करता है।” जब हम बुलाए जाने पर कठिन परिश्रम करते हैं तो परमेश्वर का सम्मान होता है। वह हमें मार्ग से हटने के लिए नहीं बुलाता जिससे कि वह हमारे लिए काम कर सके; वह हमें मार्ग में आने के लिए कहता है जिससे कि वह हमारे माध्यम से अपना कार्य कर सके।
सच्ची बुद्धिमानी परमेश्वर के माध्यमों से परमेश्वर की प्राथमिकताओं की सेवा करता है। जैसा कि जेरी ब्रिजज़ बताते हैं, “बुद्धिमानी सभी वैध बाइबलिय साधनों का उपयोग करता है जिससे कि हम स्वयं को और दूसरों को हानी से बचा सकें और उन घटनाओं को साकार कर सकें जिनके बारे में हमें विश्वास है कि वे सही हैं।” बाइबिलय बुद्धिमानी में प्रार्थना और कठिन परिश्रम दोनों सम्मिलित हैं; इससे कम कुछ भी बहरूपिया है।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।