धर्म-सुधार दिवस क्या है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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धर्म-सुधार दिवस क्या है?

एक दिन की एकलौती घटना ने संसार को परिवर्तित कर दिया। यह 31 अक्टूबर, 1517 का दिन था। भाई मार्टिन, जो एक कैथलिक मठवासी (monk) तथा विद्वान थे, उन्होंने अपनी कलीसिया जो कि रोम की कलीसिया का भाग थी उसके साथ वर्षों तक संघर्ष किया था। वह एक अभूतपूर्व दण्ड मोचन पत्र (an unprecedented indulgence) बिक्री से बहुत व्याकुल थे। कहानी में एक बॉलीवुड की सफल फिल्म की सारी विशेषताएँ हैं। आइए कलाकारों से मिलते हैं।

पहला, इसमें एक युवा बिशप है—कलीसिया के नियमों के अनुसार बहुत छोटा—जिनका नाम मेन्ज़ का अल्बर्ट (Albert of Mainz) है। वह न केवल दो धर्मप्रान्तों (bishopric) पर बिशप था, किन्तु वह सम्पूर्ण मेन्ज़ प्रान्त पर भी प्रधान बिशप (archbishopric) बनना चाहता था। यह बात भी कलीसियाई व्यवस्था के विरोध में थी। अतः अल्बर्ट ने रोम में पोप लियो X से विनती की। लियो X जो की, दि मेडिसी फैमिली (एक साहूकार परिवार)से था, उसने अपने वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने के लिए लालचपूर्वक अपनी इच्छाओं को बढ़ने दिया। और यहीं पर राफेल और माइकलएंजेलो जैसे कलाकारों और मूर्तिकारों का आगमन हुआ। 

जब मेन्ज़ के अल्बर्ट ने पोप से विशेष अनुमति (papal dispensation) की याचना की, तो लियो X इसके लिए सहर्ष तैयार हो गया था। अल्बर्ट पोप की आशिष स्वरूप भूतकाल, वर्तमानकाल और भविष्यकाल के पापों हेतु दण्ड मोचन पत्रों (indulgences) को बेचने लगा। इन सब बातों ने मठवासी मार्टिन लूथर को घृणा से भर दिया। क्या हम स्वर्ग जाने के अपने मार्ग को क्रय कर सकते हैं? लूथर को इस विषय में बोलना ही था।

किन्तु अक्टूबर 31 ही क्यों? नवम्बर 1 को कलीसियाई तिथिपत्र (calendar) में सन्त दिवस (All Saints’ Day) के रूप में एक विशेष स्थान दिया गया है। नवम्बर 1, 1517 को, लूथर के गृह नगर विटनबर्ग में नये संगृहीत पुरावशेषों (relics) का एक भव्य प्रदर्शन होने वाला था। सब स्थानो से तीर्थयात्री (Pilgrims) लोग इन पुरावशेषों के सामने आदर में घुटने टेकने (genuflect) हेतु आने वाले थे जिससे कि पाप-शोधन स्थल (purgatory) में यदि हज़ारों नहीं तो कम से कम सैंकड़ों वर्ष का समयकाल कम हो जाए। अब लूथर इससे और अधिक दुःखित हो गया। इसमें से कुछ भी ठीक प्रतीत नहीं हो रहा था। 

अक्टूबर 31, 1517 को विद्वान मार्टिन लूथर ने अपने हाथों में कलम उठाई और स्याही में डुबोकर अपने 95 शोध-पत्रों (Theses) को लिख दिया। इन शोध-पत्रों के पीछे एक विचार-विमर्श को उठाने की मनसा थी, जिससे कि कलीसिया में उसके मध्य के कुछ भाइयों को आत्म-विश्लेषण करने हेतु उत्तेजित किया जा सके। ये पंचानबे शोध-पत्रों विचार-विमर्श से कहीं आगे बढ़ गए। इन पंचानबे शोध-पत्रों ने इस बात को भी प्रकट किया कि कलीसिया पुनरुद्धार (rehabilitation) से बहुत दूर है। इसको धर्म-सुधार (reformation) की आवश्यकता थी। कलीसिया—और संसार—कभी भी एक समान नहीं हो सकते थे। 

लूथर के पंचानबे शोध-पत्रों में से एक शोध-पत्र बड़े ही स्पष्ट रीति से इस बात की उद्घोषणा करता है कि “कलीसिया का सच्चा कोष यीशु ख्रीष्ट का सुसमाचार है।” धर्म-सुधार दिवस (Reformation Day) का अर्थ केवल यही है। कलीसिया ने अपनी सुसमाचारीय दृष्टि को खो दिया था क्योंकि बहुत समय पहले यह परमेश्वर के वचन पर परम्पराओं की अनेक परतों के नीचे दाब गई थी। मात्र परम्पराएँ प्रायः कार्यों की प्रणाली को लाती हैं जो परमेश्वर के पास वापस जाने के लिए अपना स्वयं का मार्ग बनाती हैं। यह बात फरीसियों के लिए सत्य थी, और यही बात मध्यकालीन रोमन कैथोलिकवाद (medieval Roman Catholicism) के लिए भी सत्य थी। क्या ख्रीष्ट ने स्वयं ही यह नहीं कहा है कि “मेरा जुआ सहज और मेरा बोझ हल्का है”? धर्म-सुधार दिवस यीशु ख्रीष्ट के स्वतन्त्र करने वाले सुसमाचार की आनन्दमय सुन्दरता का उत्सव मनाता है। 

धर्म-सुधार दिवस क्या है? यह वह दिन है जब सुसमाचार की ज्योति अन्धकार से निकलकर चमकने लगी। यह वह दिन था जिसने प्रोटेस्टैन्ट धर्म-सुधार (Protestant Reformation) को आरम्भ किया। यह वह दिन था जिसने मार्टिन लूथर, जॉन कैल्विन, जॉन नॉक्स, और अन्य धर्म-सुधारकों (Reformers) को जीवन और कलीसिया की अगुवाई हेतु एकमात्र सर्वोच्च अधिकारी परमेश्वर के वचन की ओर लौटने वाले मार्ग में अगुवाई की, जो केवल अनुग्रह से, विश्वास के द्वारा, केवल मसीह में धर्मी ठहराए जाने के उस महिमामय सिद्धान्त की ओर ले जाता है। इसने सुसमाचार प्रचार (missionary) के प्रयासोंं में एक आग को प्रज्जवलित कर दिया, इसने स्तुति गीतों को लिखने तथा मण्डली को साथ में गाने (congregational singing) हेतु अगुवाई की, और इसने सन्देश (sermon) की केन्द्रियता तथा परमेश्वर के लोगों के लिए प्रचार करने की ओर अगुवाई की। यह ईश्वरविज्ञानीय (theological), कलीसियाई (ecclesiastical) एवं सांस्कृतिक परिवर्तन का उत्सव मनाना है। 

इसीलिए हम धर्म-सुधार दिवस को मनाते हैं। यह दिन हमें स्मरण दिलाता है कि हम अपने अतीत के लिए आभारी हैं और उस मठवासी के प्रति भी जो धर्म-सुधारक (Reformer) बन गया। इसके साथ ही, यह दिन हमें हमारे कर्तव्य, हमारे दायित्व को स्मरण दिलाता है कि हम सुसमाचार की ज्योति को उन सब बातों के मध्य में रखें जिन्हें हम करते हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

स्टीफन जे. निकल्स
स्टीफन जे. निकल्स
"डॉ. स्टीफन जे. निकल्स (@DrSteveNichols) रिफॉर्मेशन बाइबल कॉलेज के अध्यक्ष हैं, जो लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ के मुख्य अकादमिक अधिकारी, और लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ के सह शिक्षक हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें फॉर अस एंड फॉर ऑर सैलवेशन और ए टाइम फॉर कॉन्फीडेन्स नामक पुस्तक भी सम्मिलित हैं।"