परमेश्वर की महिमा के लिए कार्य करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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परमेश्वर की महिमा के लिए कार्य करना

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का दसवा अध्याय है: दो जगत के मध्य

कुछ वास्तव में बहुत अच्छा कर के और फिर उसका श्रेय परमेश्वर को देना—यही अहंकार का प्रतिकार है। जब आप कुछ ऐसा प्राप्त करते हैं जिसके विषय में आप अच्छा अनुभव कर सकें, जैसे कि क्रिकेट में अच्छे रन मारना, अच्छी बिक्री करना, ग्राहक की सहायता करना, अच्छा उत्पाद बनाना, या एक दर्शक से जुड़ना, तब आप स्वयं को महिमान्वित करने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं। आप उसमें लिप्त होने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं जिसे बाइबल का एक अनुवाद “मिथ्याभिमान” (फिलिप्पियों 2:3) कहता है। परन्तु इसके स्थान पर, आप वह महिमा स्वयं परमेश्वर की ओर ले जा सकते हैं, जिसने आपको योग्यता, अवसर, और कार्य दिया जो उस उपलब्धि को सम्भव करता है। विरोधाभासी रूप से, एक महान उपलब्धि आपको अहंकारी होने के स्थान पर विनम्र बनाता है, जब आप परमेश्वर की महिमा करते हैं।

परमेश्वर की महिमा उसकी उत्कृष्ट श्रेष्ठता, उसकी आश्चर्यजनक भलाई, उसके अनन्त प्रताप को सन्दर्भित करती है। हम उसकी महिमा करते हैं—अर्थात्, हम उसकी महिमा को स्वीकारते हैं—जब हम उसकी स्तुति और आराधना करते हैं। भजन संहिता ऐसी स्तुतियों से भरा हुआ है:

हे स्वर्गदूतों, यहोवा की प्रशंसा करो,
हाँ, यहोवा ही की महिमा और सामर्थ्य को सराहो।
यहोवा की ऐसी महिमा करो जो उसके नाम के योग्य हो,
पवित्रता से शोभायमा होकर यहोवा को दण्डवत् करो। (भजन 29:1-2)।

परन्तु पवित्रशास्त्र कहता है कि हमें जीवनों के प्रत्येक पहलू में भी उसकी महिमा करनी चाहिए। “जो कुछ भी करो, सब परमेश्वर की महिमा के लिए करो” (1 कुरिन्थियों 10:31)। इसमें परमेश्वर-प्रदत्त कार्य भी सम्मिलित हैं। और यह हमारे कुछ महान उपलब्धि के अतिरिक्त सांसारिक, साधारण जीवनों में भी लागू होता है।

एक तरीका जिसके द्वारा हम अपने कार्य  में परमेश्वर की महिमा कर सकते हैं वह है अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य करना। “तेरे हाथों को जो कुछ भी करने को मिले, सचमुच, उसे अपने शक्ति-भर कर” (सभोपदेशक 9:10)। कुलुस्सियों में, कार्य से सम्बन्धित एक खण्ड—पति, पत्नी, बच्चे, माता-पिता, दास, स्वामी— के सन्दर्भ में प्रेरित पौलुस कहते हैं, “जो कुछ तुम करते हो, उस कार्य को मनुष्यों का नहीं वरन् प्रभु का समझकर तन-मन से करो” (कुलुस्सियों 3:23)। “तन-मन से” अर्थात् “पूरे हृदय से”। जब हम भला कार्य करते हैं, तब हम प्रभु का आदर करते हैं जिसने हमें उस कार्य के लिए बुलाया था।

यह खण्ड यह भी दिखाता है कि हम कैसे भला कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। हमें “प्रभु का समझकर” कार्य करना है। इफिसियों 5-6 में विभिन्न कार्यों पर अपने महान उपदेश में, पौलुस अपने विचार में इस बिन्दु पर बल देता है कि कैसे “दासों” को (हमारी आर्थिक प्रणाली के सन्दर्भ में, हम इसे कर्मचारियों पर लागू कर सकते हैं) अपने “स्वामियों” (हम इसे नियोक्ताओं पर लागू कर सकते हैं) की सेवा करनी चाहिए।

हे दासों, जैसे तुम ख्रीष्टकी आज्ञा मानते हो, उसी प्रकार डरते और कांपते हुए, निष्कपट हृदय से उनकी भी आज्ञा मानों जो शारीरिक रूप से तुम्हारे स्वामी हैं। मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों के समान दिखावटी सेवा न करो, पर ख्रीष्ट के दासों के सदृश हृदय से परमेश्वर की इच्छा पूरी करो। इस सेवा को मनुष्य की नहीं पर प्रभु की जानकर सुइच्छा से करो। (इफिसियों 5:6-7)

कल्पना कीजिए कि आपके पास संसार का सबसे बुरा बॉस है। आप ऐसे किसी व्यक्ति के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य कैसे दे सकेंगे? उसके लिए कार्य मत कीजिए। परमेश्वर के लिए कार्य कीजिए। “प्रभु का समझकर” अपना कार्य करना आपके लिए “तन-मन से” कार्य करने का कारण बनेगा, और यह परमेश्वर को महिमा भी देगा।

परमेश्वर प्रावधानिक रूप से अपनी समस्त सृष्टि पर शासन और उसकी देख-रेख करता है, अंशतः ऐसा करने का चुनाव वह साधारण मनुष्यों के द्वारा करता है। कार्य के लिए उसका उद्देश्य यह है जो हम करते हैं उसके माध्यम से वह अपने वरदानों को प्रदान करे—किसानों और रोटी बनाने वालों के माध्यम से प्रतिदिन की रोटी प्रदान करना; न्यायोचित न्यायाधीशों के माध्यम से हमारी रक्षा करना; चिकित्सकों और उपचारिकाओं के माध्यम से हमें स्वस्थ करना; माता-पिता के माध्यम से नए जीवन का निर्माण और उसकी देख-भाल करना; पास्टरों के माध्यम से उसके वचन का प्रचार करना। इसलिए, हमारे कार्यों का उद्देश्य है अपने पड़ोसियों से प्रेम करना और उनकी देख-भाल करना। जब हम ऐसा करते हैं, परमेश्वर हमारे माध्यम से अपनी आशीषें प्रदान करता है। प्रेरित पतरस कार्य, सेवा, और परमेश्वर की महिमा के मध्य सम्बन्ध बताता है:

जबकि प्रत्येक को एक विशेष वरदान मिला है, तो उसे परमेश्वर के विविध अनुग्रह के उत्तम भण्डारियों के समान एक दूसरे की सेवा में लगाओ। जो भी उपदेश दे, वह ऐसे दे मानों परमेश्वर ही का वचन देता हो। जो सेवा करे, उस सामर्थ्य से करे जो परमेश्वर देता है, जिस से सब बातों में यीशु ख्रीष्ट के द्वारा परमेश्वर की महिमा हो। महिमा और अधिकार युगानुयुग उसी का है। आमीन। (1 पतरस 4:10-11‌)।

जब हम विशुद्ध रूप से अपने स्वार्थ के लिए करते हैं, हम स्वयं को महिमा देते हैं। जब हम औरों की सेवा करने के लिए कार्य करते हैं, हम परमेश्वर की महिमा करते हैं।

स्वयं के लिए महिमा की चाह सहजता से हमारे पास आ जाती है। यहाँ तक कि प्रेरित याकूब और यूहन्ना भी यीशु की महिमा में अपने हिस्से के प्रति अभिलाषी थे। “तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बाएं बैठे“ (मरकुस 10:37)। अन्य चेले रुष्ट थे, परन्तु यीशु उनके प्रति विनम्र था, उन्हें फटकार नहीं रहा था, परन्तु उन्हें दिखा रहा था कि उसकी महिमा में साझेदारी संसार की महिमा में साझेदारी से भिन्न है:

तुम जानते हो कि जो गैरयहूदियों के अधिकारी समझे जाते हैं वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उनमें जो बड़े हैं उन पर अधिकार जताते हैं। परन्तु तुम में ऐसा नहीं है, वरन् जो कोई तुम में बड़ा बनना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने; और जो तुम में प्रधान होना चाहे, वह सबका दास बने। क्योंकि मनुष्य का पुत्र भी अपनी सेवा कराने नहीं वरन् सेवा करने औय्र बहुतों की फिरौती के मूल्य में प्राण देने आया (पद 42-45)।

ख्रीष्ट की महिमा उसके क्रूस में है, और उसके क्रूस के द्वारा, हमारे स्वयं की बलिदानी सेवा के क्रूसों के साथ, परमेश्वर हमें महिमा देता है (लूका 9:23-26; 2 कुरिन्थियों 4:1-7)।

हम में से अधिकांश लोगों के पास साधारण कार्य हैं, फिर भी हम अपने कार्य में धन्यवादी हो सकते हैं। “जो धन्यवाद का बलिदान चढ़ाता है वह मेरी महिमा करता है” (भजन 50:23)। परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ होना उसपर अपनी निर्भरता को पहचानना और उसके अथाह अनुग्रह में उल्लासित होना है। और “क्योंकि अनुग्रह जो अधिक से अधिक लोगों में फैलता जा रहा है, परमेश्वर की महिमा के लिए धन्यवाद की वृद्धि का कारण बन सके” (2 कुरिन्थियों 4:15)।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

जीन एडवर्ड वीथ
जीन एडवर्ड वीथ
डॉ. जीन एडवर्ड वीथ पर्ससेलविल, वर्जिनिया में पैट्रिक हेनरी कॉलेज में अध्यक्ष और साहित्य एमेरिटस के प्रोफेसर हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें गॉड एट वर्क और रीडिंग बिट्वीन द लाइन्स सम्मिलित हैं।