बहुत लोग ईश्वरविज्ञान शब्द के प्रति यह मानते हुए नकारात्मक प्रतिक्रिया करते हैं कि इसमें सिद्धान्त के छोटे बिन्दुओं के विषय में नीरस, निष्फल विवाद सम्मिलित हैं। उनको पवित्रशास्त्र के आधारभूत सत्यों पर ध्यान देना भाता है और वे यह भी घोषणा करते हैं, “खीष्ट के अतिरिक्त कोई अन्य विश्वास वचन है ही नहीं।”