जब एक मसीही प्रार्थना करता है तो क्या इससे कोई अंतर पड़ता है? क्या यह कुछ बदलती है? यद्यपि हमारी प्रार्थनाएँ परमेश्वर के मन को नहीं बदलती हैं, वह अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए प्रार्थना को एक साधन के रूप में नियुक्त करता है। हम भरोसा रख सकते हैं कि प्रार्थना बातों को बदलती है-जिसमें हमारा स्वयं का हृदय भी सम्मिलित है।