25 सितम्बर 2024
परमेश्वर का वचन यह स्पष्ट करता है कि यह प्रत्येक पति का दायित्व है कि वह अपनी पत्नी के साथ समझदारी से जीवन व्यतीत करे—अर्थात् उसे विशेष सम्मान देते हुए (1 पतरस 3:7)। परमेश्वर यह स्पष्ट करता है कि जबकि एक पति को अपनी पत्नी की अगुवाई करने के लिए बुलाया जाता है, उसे इस प्रकार से अगुवाई करना है जो प्रेम से चिह्नित है, नियन्त्रण से नहीं, और उसे त्यागपूर्ण रीति से अगुवाई है, न कि प्रभुता जताते हुए (इफिसियों 5:25-31)।