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निर्गमन के विषय में 3 बातें जो आपको जाननी चाहिए

जब मैं निर्गमन की पुस्तक पढ़ाता हूँ, तो मुझे एक वास्तविकताएँ मिलती हैं कि मेरे कई छात्र इस बात से अनभिज्ञ हैं कि बाइबलीय लेखक मिस्र की संस्कृति में कितनी गहराई तक डूबे हुए है। मेरा मानता हूँ कि इस प्रकार की सोच आज कलीसिया के अधिकाँश लोगों के लिए सत्य है। यहूदी और ख्रीष्टीय दोनों परम्पराएँ मानती हैं कि मूसा ही पुस्तक का लेखक है। मूसा मिस्र की भाषा, मिस्र के लोगों के ईश्वरविज्ञान और उनकी जीवन शैली को अच्छी रीति से जानता था। दूसरे शब्दों में, मूसा दूर से मिस्र के विषय में नहीं लिख रहा था, न ही वह व्यक्तिगत रूप से मिस्र की संस्कृति के अन्दर और बाहर से अपरिचित था। प्राचीन मिस्र से वह गहराई से परिचित था, और मैं निर्गमन वृत्तान्त के तीन भागों पर संक्षेप में विचार करना चाहूँगा जो इस सत्य को दर्शाते हैं।

1. निर्गमन में गहन समानताएँ हैं जो कभी-कभी छूट जाती हैं।

हम निर्गमन 2:1-10 में पढ़ते हैं कि मूसा की माता जोकेबेद ने बच्चे को “सरकण्डों की टोकरी” में रखा (निर्गमन 2:3) और इस प्रकार उसने उसे नील नदी के तट पर सरकण्डों के बीच छोड़ दिया। “सरकण्डे की टोकरी” के लिए दो इब्रानी शब्द मिस्र से लिए गए शब्द हैं। पहला है गोम (gome), जो मिस्र में “सरकण्डे” के लिए प्रयुक्त है अर्थात्, लम्बे सरकण्डे जो मिस्र के नील नदी के पानी में पाए जाते हैं। दूसरा शब्द तेवह (tevah) है, जो एक मिस्री शब्द है जिसका अर्थ है “सन्दूक, शव-पेटिका, जहाज़।” उस शब्द का उपयोग पुराने नियम की केवल एक अन्य कहानी में किया गया है, जलप्रलय के विवरण में, जिसमें लिखा है: “तब यहोवा ने नूह से कहा, ‘तू अपने समस्त घराने सहित जहाज़ (तेवह) में प्रवेश कर’”(उत्पत्ति 7:1)। यह केवल संयोग नहीं है। हम यहाँ जो देख रहे हैं वह एक बहुत बड़ी समानता है: नूह और मूसा दोनों जल की परीक्षा का सामना करते हैं जिसमें वे एक जहाज़ में प्रवेश करते हैं, जीवित रहते हैं, और फिर अपने लोगों के लिए छुटकारा देने वाले बन जाते हैं। (यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि नूह और जोकेबेड दोनों ने विनाशकारी तत्वों से बचाने के लिए जहाज़ों पर “राल” लगा दिया था [देखें उत्पत्ति 6:14])।

पद 10 में, हम फिरौन की बेटी द्वारा मूसा के नामकरण के विषय में पढ़ते हैं, जिसने मूसा को अपने बेटे के रूप में पालन-पोषण किया। उसने बच्चे का नाम “मूसा” रखा, जो एक इब्रानी क्रिया से निकला है जिसका अर्थ है “बाहर निकालना।” परन्तु यह नाम एक मिस्री भी शब्द है जिसका अर्थ है “का पुत्र।” मिस्र के नाम प्रायः इसे अन्य शब्दों के साथ प्रयोग करते हैं: थुटमोसिस (थुट का पुत्र) और अहमोसिस (आह का पुत्र) प्रसिद्ध उदाहरण हैं। परन्तु मूसा के लिए, उसके नाम का कोई सम्बन्धकारक नहीं है; उसके नाम का सीधा सा अर्थ है “का पुत्र।” यह सम्भवतः बाइबल लेखक द्वारा इस बात पर बल देने के लिए एक वाक्य है कि मूसा, वास्तव में, मिस्र का पुत्र नहीं है; बाद में मिस्र की उसकी अस्वीकृति पुष्टि करती है कि वह इस्राएल का पुत्र है (इब्रानियों. 11:24-25 देखें)।

2. महामारियाँ न केवल परमेश्वर की सामर्थ्य को दर्शाती हैं वरन् मिस्र के देवताओं के तुलना में उसकी सामर्थ्य को भी दर्शाती हैं।

निर्गमन की पुस्तक के विषय में दूसरा सत्य जिसे लोग प्रायः अन्देखा कर देते हैं वह यह है कि महामिरोयों के माध्यम से मिस्र का विनाश, वास्तव में, अन्ततः इस्राएल के परमेश्वर और मिस्र के देवताओं के बीच एक द्वन्द है। महामारियों के वृत्तान्त का आरम्भ परमेश्वर द्वारा नील नदी पर प्रहार करने और उसके पानी को लहू में परवर्तित होने से होता है (निर्गमन. 7:14-25)। परमेश्वर ने मिस्र के विरुद्ध यह न्याय क्यों लिया? प्राचीन मिस्रवासी नील नदी को अपने अस्तित्व का प्राथमिक स्रोत मानते थे। उनका यह भी मानना था कि बाढ़ के समय में (जब यह भूमि को सिंचित कर देती है), नील नदी को देवता बना दिया गया था और उसे हापी देवता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था। जब यहोवा ने नील नदी के पानी को लहू में परिवर्तित कर दिया, तो वह उस मिस्र देवता का ठट्ठा उड़ा रहा था। इस महामारी ने एक प्रदर्शन के रूप में कार्य किया कि सच्चा पोषण केवल यहोवा के सम्प्रभु हाथ से आता है, न कि मिस्रवासियों के झूठे बुतपरस्त देवता से। अन्य महामारियों को भी मिस्रवासियों के कई प्रमुख देवताओं पर यहोवा के प्रहार के रूप में देखा जा सकता है।

3. निर्गमन ने सम्भवतः जानबूझकर मिस्र के साहित्य के एक दृश्य की ओर संकेत किया।तीसरी बात, बाइबल के विद्यार्थी के लिए यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि मूसा ने उस समय के प्राचीन मिस्र के साहित्य के विषय में गहरी जानकारी रखते हुए निर्गमन की पुस्तक लिखी थी। स्तिफनुस हमें प्रेरितों के काम 7:22 में बताता है कि “मूसा को मिस्रियों की समस्त विद्या की शिक्षा दी गई थी।” इसलिए, प्रभु द्वारा लाल समुद्र को विभाजित करने की महान् घटना के सम्बन्ध में, यह ध्यान रखना रुचिकर है कि मिस्रवासियों के पास स्वयं एक पुरोहित द्वारा पानी के एक बड़े भण्डार को विभाजित करने का विवरण था। वेस्टकार पेपिरस (Westcar Papyrus) मिस्र के राजा स्नोफ्रू (Snofru) की एक झील पर नाव की सवारी की कहानी बताते हैं, और उसकी एक महिला नाविक पानी में मछली के आकार का आभूषण छोड़ देती है। स्नोफ्रू ने समस्या का समाधान करने के लिए पुरोहित जादजेमोन्ख (Djadjaemonkh) को बुलाया। पुरोहित झील के एक किनारे को दूसरे के ऊपर रखकर पानी को विभाजित करता है, और उसे सूखी जमीन पर मछली के आकार का आभूषण मिलता है। फिर वह झील के पानी को वापस उसकी मूल स्थिति में लौटा देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जब मूसा लाल समुद्र की घटना का वर्णन करता है, तो वह मिस्र की इस कहानी का ठठ्ठा उड़ाता है। मिस्र के पुरोहित ने बहुमूल्य आभूषण की खोज में एक झील को विभाजित कर दिया होगा, परन्तु इस्राएल के परमेश्वर सम्पूर्ण लाल समुद्र को विभाजित करता है और सूखी भूमि पर एक राष्ट्र की अगुवाई करते हैं। किसके पास सबसे अधिक सामर्थ्य है?

यह लेख बाइबल की “ऐवरी बुक ऑफ दि बाइबल: 3 थिंग टू नो” संग्रह का भाग है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

जॉन करिड
जॉन करिड
डॉ. जॉन डी. करिड रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनेरी में पुराने नियम के प्राध्यापक हैं और नॉर्थ कैरोलायना के शार्लट्ट में सॉवरिन ग्रेस प्रेस्बिटेरियन चर्च में शिक्षण और प्रचार के पास्टर हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें अगेन्स्ट द गॉड्स और व्हाई डु आय सफर? सम्मिलित हैं। वे ई.एस.वी आर्कियॉलजी स्टडी बाइबल के वरिष्ट सम्पादक हैं।