3 बातें जो आपको ज़कर्याह के विषय में पता होनी चाहिए - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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3 बातें जो आपको ज़कर्याह के विषय में पता होनी चाहिए

3-Things-You-Should-Know-about-Zechariah

1. पहली बात जो ज़कर्याह के विषय में पता होनी चाहिए वह है उसका पहचान।

ज़कर्याह पुराने नियम में एक सामान्य नाम था, परन्तु पहले पद में उसे विशेष रूप से “बेरेक्याह के पुत्र और इद्दो नबी के पोते” के रूप में पहचाना गया है। नहेमायाह 12:1-4 के अनुसार, इद्दो उन नबीयों में से एक था जो बेबीलोन की बन्धुवाई के बाद जरुब्बाबेल के साथ पलिश्ति लौटें थे। निर्वासन के बाद यहूदा लौटने वालों के लिए पहला कार्य बेबीलोनियों द्वारा नष्ट किए गए मन्दिर का पुनर्निर्माण करना था। जरुब्बाबेल के अगुवाई में, कार्य पहले तो फला-फूला परन्तु फिर बाहरी दबाव और भीतरी उदासीनता के कारण लड़खड़ा गया (एज्रा 4, 5)। ज़कर्याह का दादा, इद्दो, मन्दिर के आरम्भिक कार्य में शामिल रहे होंगे। ज़कर्याह ने कार्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। और विडम्बना यह है कि यीशु के अनुसार (मत्ती 23:35-37), ज़कर्याह की हत्या उसी मन्दिर में कर दी गई जिसके पुनर्निर्माण में वह प्रभावशाली था।

परन्तु उसकी हत्या से पहले, ज़कर्याह ने एक लम्बी सेवकाई की थी। उसने अपने पहली सन्देश श्रृँखला (ज़कर्याह 1-6) को दारा के दूसरे वर्ष में लिखा, जो 520 ई.पू. में दिनाँकित किया जाता है। उसने अपने सन्देश की दूसरी श्रृँखला (ज़कर्याह 7-8) को दो वर्ष के बाद, दारा के चौथें वर्ष (518 ई.पू.) के समयकाल में लिखा। अध्याय 9-14 की तिथि नहीं दी गई है, परन्तु यूनान का सन्दर्भ (ज़कर्याह 9:13) बाद की तिथि का सुझाव देते हैं, जो सम्भवतः 480-470 ई.पू. के बीच है। सब मिलाकर, ज़कर्याह ने लगभग पचास वर्षों तक नबूवत किया।

2. दूसरी बात जो ज़कर्याह के विषय में पता होनी चाहिए वह है उसका सन्देश

बेबीलोन की बन्धुवाई समाप्त हो गई थी, परन्तु लोगों को वह आशीष या समृद्धि नहीं मिल रही थी जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी। उन्हें सामरियों से विरोध, देश में उजाड़, कड़ी मेहनत और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। परिस्थिति निराशाजनक लग रही थी; ऐसा लग रहा था मानों परमेश्वर उन्हें भूल गया है। ज़कर्याह के नाम का अर्थ है “परमेश्वर स्मरण रखता है,” और केवल उसका नाम सुनने से ही लोगों को  यह स्मरण आ जाता है कि परमेश्वर उन्हें भूला नहीं है।

ज़कर्याह के प्रचार का मुख्य विषय परमेश्वर के अचूक उद्देश्य में आशा थी। आशा विश्वास का भविष्य का दृष्टिकोण है। सभी सच्चे विश्वास के समान, आशा वस्तुनिष्ठ होती है, और इसका उद्देश्य इसके मूल्य को निर्धारित करता है। आशा कोई काँपती, झिझकती और अनिश्चित इच्छा नहीं है। इसके विपरीत, यह एक आश्वस्त अपेक्षा है कि परमेश्वर की प्रतिज्ञा सच होने के अलावा कुछ भी नहीं हो सकता। परमेश्वर की ओर टकटकी लगाना आशा का रहस्य है, इसलिए ज़कर्याह लोगों को परमेश्वर की ओर इन्गित करता है—उसका सामर्थ्य, उसका अधिकार, उसकी वाचा के प्रति विश्वासयोग्यता, और उसके ख्रीष्ट की ओर।

आशा पर इस ध्यान के साथ यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ज़कर्याह सम्पूर्ण पुराने नियम में सबसे विशिष्ट और स्पष्ट रूप से मसीहाई पुस्तकों में से एक है। ख्रीष्ट में और उसके माध्यम से अभिशाप को हटाने के लिए परमेश्वर के छुटकारे के उद्देश्य पर ध्यान केन्द्रित करना उन लोगों में आशा को बढ़ावा देने और फिर से जगाने के लिए महत्वपूर्ण था, जिन्होंने दिन के निराशाओं के सामने कई रीति से आशा छोड़ दी थी। ख्रीष्ट को देखने का अर्थ है परमेश्वर की प्रतिज्ञा के हृदय को देखना था और प्रत्येक प्रतिज्ञा के विषय में आश्वस्त होना था, क्योंकि परमेश्वर की जितनी भी प्रतिज्ञाएँ हैं यीशु में ‘हाँ’ और ‘आमीन’ हैं (2 कुरिन्थियों 1:20)।

जब ज़कर्याह आने वाले ख्रीष्ट की ओर ध्यान आकर्षित करता है, तो सबसे उल्लेखनीय है आदर्श नबी, याजक और राजा के रूप में ख्रीष्ट के मध्यस्थता के कार्यों पर उसका ध्यान केन्द्रित करना है। परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में उसका नबुवतिय कार्यालय ज़कर्याह 13:7 में स्पष्ट है, जहाँ सेनाओं का प्रभु ख्रीष्ट को “मेरा चरवाहा” और सामर्थी व्यक्ति जो उसके समान है के रूप में सन्दर्भित करता है, जिस पर वह स्वयं प्रहार करता है। मत्ती 26:31 इसे सीधे ख्रीष्ट और क्रूस से जोड़ता है। यह ख्रीष्ट के अच्छे चरवाहे के विवरण के समानान्तर भी है, जहाँ वह घोषणा करता है कि वह भेड़ों के लिए अपना जीवन देता है और वह और उसका पिता एक हैं (यूहन्ना 10:30)। याजकीय कार्य महत्वपूर्ण मसीहाई शीर्षक “शाखा” में सबसे स्पष्ट है जो ज़कर्याह 3:8 और जकर्याह 6:12 में यहोशू, महायाजक के साथ समानता में आता है। इसके अलावा, स्वर्ग के द्वार के सामने खड़े यहोशू का पूरा दर्शन इस बात का एक सुन्दर चित्र है कि कैसे परमेश्वर पापियों को क्षमा करता है और उन्हें धर्मी ठहराता है: धर्मी ठहराने की आवश्यकता बहुत बड़ी है, धर्मी ठहराने का कार्य अनुग्रहपूर्ण है, धर्मी ठहराने का आधार (वह शाखा) ठोस है, और धर्मी ठहराने की माँग तार्किक है। ख्रीष्ट का राजत्व ज़कर्याह 10:4 (कोना, कील, युद्ध का धनुष, पूर्ण शासक) और ज़कर्याह 9:9 में देखा जाता है, यह नबूवत विशेष रूप से खजूर रविवार पर पूरी हुई। ख्रीष्ट के दूसरे आगमन से जुड़े राजत्व के आयाम भी आशा का भाग हैं (ज़कर्याह 14)। इस नबूवत को “ज़कर्याह के अनुसार सुसमाचार” के रूप में नामित करना तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।

3. तीसरी बात जो ज़कर्याह के विषय में पता होनी चाहिए वह है इसकी पद्धति।

ज़कर्याह 1:1 कहता है कि यहोवा का वचन ज़कर्याह के पास आया। वचन के आने की एक रीति दर्शन के माध्यम से थी। पहले छह अध्याय दर्शनों की एक श्रृँखला को अभिलिखित करते हैं जो दिन की तात्कालिक परिस्थितियों से लेकर अन्तिम परिणति तक अपने लोगों के लिए परमेश्वर के उद्देश्य का एक विस्तृत दृश्य देते हैं।

प्रकट किए गए सन्देश के अलावा, ज़कर्याह इस बात का एक नमूना भी है कि परमेश्वर ने दर्शनों के माध्यम से कैसे अपने वचन को प्रकट किया। सबसे पहले, दर्शन व्यक्तिगत और आन्तरिक थे। केवल नबी ही उसे देख सकता था। दूसरा, दर्शन का प्राप्तकर्ता एक सक्रिय भागीदार था। ज़कर्याह ने एक व्याख्या करने वाले स्वर्गदूत के साथ बातचीत की जिसने उसे दर्शन के अर्थ के बारे में निर्देश दिया। तीसरा, दर्शन अत्यधिक प्रतीकात्मक थे। रंगीन घोड़े, चार शिल्पकार, दीवट और जैतून के पेड़, उड़ते हुए चर्मपत्र और घोड़ों से लदे युद्ध की गाड़ियाँ सभी किसी आत्मिक वास्तविकता की ओर संकेत कर रहे थे।

जकर्याह की पद्धति की एक और विशेषता सर्वनाशकारी स्वर था, एक प्रकार की नबूवत जो दूर के भविष्य को सम्बोधित करती थी, जिसमें अन्तिम परिणति भी सम्मिलित थी। इसलिए, जकर्याह का सन्देश निर्वासन के बाद के इस्राएल से परे जाता है। वह कलीसिया को आश्वस्त करता है कि परमेश्वर नियन्त्रण में है और सब कुछ परमेश्वर की शाश्वत योजना और उद्देश्य को पूरा करने के लिए ठीक दिशा में है।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

https://hi.ligonier.org/articles/3-things-you-should-know-about-zechariah/↗
माइकल पी. वी. बैरेट
माइकल पी. वी. बैरेट
डॉ. माइकल पी. वी. बैरेट अकादमिक प्रशासन के उपाध्यक्ष, अकादमिक डीन, और ग्रैंड रैपिड्स, मिशिगन में प्यूरिटन रिफॉरम्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में पुराने नियम के प्राध्यापक हैं। वे बिगनिंग विद मोजेज़: अ गाइड टू फाइन्डिंग क्राइस्ट इन ओल्ड टेस्टामेन्ट और विज़डम फॉर लाइफ: 52 ओल्ड टेस्टामेन्ट मेडिटेशन समेत, कई पुस्तकों के लेखक हैं।