पवित्र आत्मा के विषय में 5 सत्य - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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पवित्र आत्मा के विषय में 5 सत्य

यीशु ने कहा, “मैं तुमसे सच सच कहता हूँ कि मेरा जाना तुम्हारे लिए लाभदायक है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास नहीं आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊँ तो उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा” (यूहन्ना 16:7)। अब मैं आपको ऐसी बातें नहीं बताना चाहता जिनसे आप पहले ही से परिचित हैं, इसलिए मैं आपको इस पद के विषय में कुछ पृष्ठभूमि देना चाहता हूँ। आप जानते हैं कि यहाँ “सहायक” के रूप में अनुवाद किया गया यूनानी शब्द पैराक्लेटोस (parakletos) है। उसके तकनीकी रूप में, इस शब्द का विधिसम्मत (कानूनी) आयाम है; यह एक ऐसे व्यक्ति के लिए है जो एक अधिवक्ता है। बड़े सन्दर्भ में यह सान्त्वना, सुरक्षा, सम्मति और मार्गदर्शन से सम्बन्धित है। यीशु ने यूहन्ना 14 में भी आत्मा को सहायक कहा है और उसका परिचय “सत्य के आत्मा” के रूप में कराया है (यूहन्ना 14:17; 16:13)।

मैं सोचता हूँ कि यह अच्छा होगा कि मैं इस सहायक के विषय में कई बातों को बिना कुछ जोड़े या घटाए स्पष्ट रीति से बताऊँ।

1. पवित्र आत्मा एक विशिष्ट जन है।

सबसे पहले, हमें यह ध्यान देना चाहिए कि पवित्र आत्मा एक विशिष्ट जन है न कि कोई सामर्थ्य या शक्ति। उसके विषय में एक जन (He) के रूप में बात की जाती है, न कि एक वस्तु (it) के रूप में। यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि आप लोगों को ध्यान से सुनें यहाँ तक कि आपकी कलीसिया में भी, तो उनकी बातों से लग सकता है कि पवित्र आत्मा कोई शक्ति या वस्तु (neuter) है। सम्भवतः आप स्वयं भी ऐसा करते हों। यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं आशा करता हूँ कि आप तुरन्त अपने आप को रोकेंगे। हमें समझना होगा कि परमेश्वर का आत्मा तो त्रिएकता का तृतीय जन है, एक व्यक्ति है। एक व्यक्ति के रूप में उसे शोकित किया जा सकता है (इफिसियों 4:3), उसकी इच्छा के अनुसार कार्य न करने के द्वारा उसे बुझाया जा सकता है (1 थिस्सलुनीकियों 5:19), और उसका विरोध किया जा सकता है (प्रेरितों के काम 7:51)।

2. पवित्र आत्मा पिता और पुत्र के साथ एक है।

दूसरी ध्यान देने वाली बात यह है कि पवित्र आत्मा पिता और पुत्र, दोनों के साथ एक है। ईश्वरविज्ञीनीय भाषा में हम कहते हैं कि वह समतुल्य (co-equal) और सह-सनातन (co-eternal) है। जब हम उपरौठी कोठरी की बातचीत को पढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि पिता और पुत्र दोनों, आत्मा को भेजेंगे (यूहन्ना 14:16; 16:7), और आत्मा उन दोनों के लिए आया और हम कह सकते हैं कि उसने उन दोनों के लिए कार्य किया। इसलिए आत्मा की गतिविधि को पवित्रशास्त्र में कभी भी पुत्र के कार्य से पृथक या पिता की सनातन इच्छा से पृथक प्रस्तुत नहीं किया जाता है। आत्मा के विषय में पूर्ण रीति से रहस्यात्मक और पवित्रशास्त्र से पृथक करके विचार करने का कोई भी प्रयास हमें त्रुटिपूर्ण दिशाओं में और निरर्थकता की ओर ले जाएगा।

3. पवित्र आत्मा सृष्टि का कर्ता था।

तीसरी ध्यान देने वाली बात यह है कि पवित्र आत्मा सृष्टि का कर्ता था। बाइबल के आरम्भ में सृष्टि के विवरण में हमें बताया जाता है, “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। पृथ्वी बेडौल और वीरान थी और अथाह जल की सतह पर अन्धियारा था, और परमेश्वर का आत्मा जल की सतह पर मण्डराता था” (उत्पत्ति 1:1-2)। यहाँ “आत्मा” के रूप में अनुवाद किया गया शब्द रूआख  है, जिसका अर्थ “श्वास” भी हो सकता है। रूआख एलोहीम, अर्थात् “सर्वशक्तिमान का श्वास” सृष्टि का कर्ता है। यह आत्मा की अभौतिकता नहीं है जो यहाँ पर दिखाई देती है, वरन् उसकी सामर्थ्य और ऊर्जा है; चित्रण यह है कि परमेश्वर की ऊर्जा सृष्टि को श्वास से निकाल रहा है, और समझा जा सकता है कि वह बोलने के द्वारा सृष्टि कर रहा और तारों को अन्तरिक्ष में डाल रहा है। इसलिए, जब हम यशायाह 40:26 को पढ़ते हैं और प्रश्न पूछा जाता है, “किसने इनकी सृष्टि की?” हमारे पास उत्पत्ति 1:2 में इसका उत्तर है—आत्मा वह अप्रतिरोध्य सामर्थ्य है जिसके द्वारा परमेश्वर अपने उद्देश्यों को पूरा करता है।

इस बात से सम्बन्धित पुराने नियम के विद्वानों का एक प्रश्न इस बात के विषय में है कि हम किस स्तर तक परमेश्वर पवित्र आत्मा के विशिष्ट व्यक्तिपन को पुराने नियम से देख सकते हैं। दूसरे शब्दों में, क्या हम केवल पुराने नियम से उसके अस्तित्व (hypostasis) को समझ सकते हैं? जब हम उत्पत्ति 1 को पढ़ते हैं तो जो बात उसके दूसरे पद में है उसको देखना कठिन नहीं है, विशेषकर उन सब बातों के प्रकाश में जो उसके बाद प्रकट हुई हैं, अर्थात् वहाँ त्रिएकता के तृतीय जन के विषय में स्पष्ट उल्लेख है।

अपनी पुस्तक द होली स्पिरिट (The Holy Spirit) में सिंक्लेएर फर्गसन कहते हैं कि यदि हम उत्पत्ति 1:2 में ईश्वरीय आत्मा को पहचानें, तो यह हमें उत्तप्ति 1:26 की अप्राप्त कड़ी को प्रदान करता है, जहाँ परमेश्वर ने कहा “हम मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाएँ।” फर्गसन टिप्पणी करते हैं कि यह स्पष्ट रीति से उत्पत्ति 1:1-2 की ओर संकेत है जिसमें परमेश्वर का आत्मा कार्य कर रहा है।

यह विषय हमें स्मरण दिलाता है कि बाइबल को पीछे-से-आगे पढ़ना लाभकारी होता है। जब हम पीछे से आगे की ओर पढ़ते हैं, तो हम व्याख्या के उस पुराने सिद्धान्त की सत्यता को देखते हैं, जिसे माना जाता है कि ऑगस्टीन ने दिया था: “नया [नियम] पुराने [नियम] में छिपा है, और पुराना [नियम] नए [नियम] में प्रकट है।” दूसरे शब्दों में, हम उन शिक्षाओं और घटनाओं के अर्थ और लागूकरण को प्राप्त करते हैं जो पवित्रशास्त्र में पहले आयी हैं। 

4. पवित्र आत्मा नए जन्म का स्रोत है।

चौथी ध्यान देने वाली बात यह है कि पवित्र आत्मा न केवल सृष्टि का कर्ता है, वरन् ख्रीष्ट में परमेश्वर की नई सृष्टि का भी है। वह नए जन्म का स्रोत है। हम यूहन्ना 3 में इसको देखते हैं जब यीशु और नीकुदेमस के मध्य प्रसिद्ध वार्तालाप होता है। यीशु ने कहा, “मैं तुझ से सच सच कहता हूँ कि जब तक कोई जल और आत्मा से न जन्मे, वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता” (यूहन्ना 3:5)। यह सत्य स्पष्ट रूप से, पवित्रशास्त्र के शेष भागों में प्रकट होता है।

5. पवित्र आत्मा पवित्रशास्त्र का लेखक है।

पाँचवी ध्यान देने वाली बात यह है कि आत्मा पवित्रशास्त्र का लेखक है। 2 तीमुथियुस 3:16 हमें बताता है, “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।” इस वाक्यांश के लिए यूनानी शब्द थियोप्नूस्टोस (theopneustos) है, जिसका अर्थ है “परमेश्वर के श्वास से।” सृष्टि में आत्मा अपनी ऊर्जा को देता है और सृष्टि के कार्य में परमेश्वर की सामर्थ्य को प्रदर्शित (जारी) करता है। यही बात छुटकारे के कार्य में है और हम इसे लिखित पवित्रशास्त्र के दिए जाने के कार्य में भी देखते हैं। अभिप्रेरणा (inspiration) का सिद्धान्त पूरी रीति से परमेश्वर पवित्र आत्मा का कार्य है। पतरस इस दृष्टिकोण की पुष्टि करता और यह लिखता है कि “कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, परन्तु लोग पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा परमेश्वर की ओर से बोलते थे” (2 पतरस 1:21)। बाइबल को लिखने वाले पुरुष नई बातों का अविष्कार नहीं कर रहे थे। न ही वे रोबोट थे। वे वास्तविक लोग थे जो वास्तविक ऐतिहासिक समय में थे, जिनमें वास्तविक डीएनए (DNA) था, जो अपने ऐतिहासिक सन्दर्भ और अपने व्यक्तित्व के अनुसार लिख रहे थे। परन्तु पवित्रशास्त्र के दो लेखक थे। उदाहरण के लिए, यिर्मयाह की पुस्तक के लेखक परमेश्वर और यिर्मयाह दोनों थे, क्योंकि यिर्मयाह को आत्मा द्वारा प्रेरित किया गया था। वास्तव में, यिर्मयाह के विषय में परमेश्वर ने कहा, “देख, मैंने अपने वचन तेरे मुँह में डाल दिए हैं” (यिर्मयाह 1:9)। उसने यिर्मयाह के व्यक्तित्व का उल्लंघन किए बिना ऐसा किया और यिर्मयाह ने परमेश्वर के वचनों को लिखा। यही कारण है कि हम बाइबल का अध्ययन करते हैं—क्योंकि यह एक ऐसी पुस्तक है जो पवित्र आत्मा की प्रेरणा के कारण अस्तित्व में है।

इस सहायक की पहचान के विषय में हम बिना रुके बात करते जा सकते हैं, परन्तु हमें सुविस्तृत (exhaustive) होने के स्थान पर चयनात्मक (selective) होना चाहिए। उसकी पहचान “एक और सहायक” के रूप में है। यहाँ “एक और” के रूप में अनुवाद किया गया शब्द अल्लोस (allos) है, न कि हेटेरोस (heteros)। यीशु ने अपने ही जैसे सहायक की प्रतिज्ञा की थी न कि किसी अन्य प्रकार के सहायक की। आत्मा पैराक्लेटोस (parakletos) है, अर्थात् वह जो साथ में आता है। यीशु ने कहा, “वह सदा तुम्हारे साथ [रहेगा] . . . वह तुम्हारे साथ रहता है, और तुम में होगा” (यूहन्ना 14:16-17)। दूसरे शब्दों में, उसकी सेवा स्थायी और व्यक्तिगत दोनों है।


यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

अलिस्टर बेग
अलिस्टर बेग
डॉ. अलिस्टर बेग क्लीवलैण्ड ओहायो के पार्कसाइड चर्च के वरिष्ठ पास्टर हैं, और ट्रूथ फॉर लाइफ नामक रेडियो कार्यक्रम के वक्ता हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें द हैण्ड ऑफ गॉड और सिंक्लेएर फर्गसन के साथ लिखी गई नेम अबव ऑल नेम्स सम्मिलित हैं।