क्या परमेश्वर हमारे माता-पिता के पाप के लिए हमें दण्ड देता है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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क्या परमेश्वर हमारे माता-पिता के पाप के लिए हमें दण्ड देता है?

ऐसे समय होते हैं जब ऐसा प्रतीत होता है कि बाइबल इस विषय में स्वयं का खण्डन करती है कि क्या हमें हमारे माता-पिता के पाप के लिए दण्डित किया जाता है—कभी-कभी तो एक ही पुस्तक में भी। उदाहरण के लिए, दूसरी आज्ञा प्रतिमा के द्वारा परमेश्वर की आराधना करने को निषेध करती है क्योंकि यहोवा “जलन रखने वाला परमेश्वर [है]; जो [उससे] बैर करते हैं उनकी सन्तान को तीसरी और चौथी पीढ़ी तक बापदादों की दुष्टता का दण्ड देता [है]। जो [उससे] प्रेम रखते हैं और [उसकी] आज्ञाओं का पालन करते हैं, उन हजारों-हजार पर करुणा करता [है]” (निर्गमन 20:5-6; व्यवस्थाविवरण 5:9-10)। हम गिनती की पुस्तक में भी पढ़ते हैं कि यहोवा “दोषी को किसी प्रकार निर्दोष नहीं ठहराएगा, और पूर्वजों के अधर्म का दण्ड तीसरी और चौथी पीढ़ियों तक देता रहता है” (गिनती 14:18)। फिर भी हम व्यवस्थाविवरण में पढ़ते हैं, “न तो पुत्र के कारण पिता, और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए। प्रत्येक अपने ही पाप के कारण मारा जाए” (व्यवस्थाविवरण 24:16)।

कई शताब्दियों के बाद, यहेजकेल चेतावनी देता है कि “जो कोई पाप करे वही मरेगा। न तो पुत्र, पिता के और न पिता, पुत्र के अधर्म का दण्ड भोगेगा। धर्मी को अपनी ही धार्मिकता का और दुष्ट को अपनी ही दुष्टता का फल मिलेगा” (यहेजकेल 18:20)। इसी के जैसे यिर्मयाह ऐसे दिनो के विषय में भविष्यद्वाणी करता है जब “वे फिर यह नहीं कहेंगे कि पूर्वजों ने जो जंगली दाख खाई परन्तु उनके वंशजों के दाँत खट्टे हो गए” (यिर्मयाह 31:29)। तो फिर, सही कौन सा है? क्या परमेश्वर पिताओं के पापों के लिए सन्तानों को दण्ड देता है? इसका उत्तर ‘हाँ’ और ‘नहीं’ है। आइए पहले हम ‘हाँ’ वाले उत्तर को देखते हैं।

आदम, संघीय मुखियापन (Federal Headship), और मूल पाप

परमेश्वर हमारे आदि माता-पिता के पापों के लिए हमें अवश्य  दण्ड देता है (रोमियों 5:12-14; 1 कुरिन्थियों 15:22 देखें)। यह संघीय मुखिया (federal head) के रूप में उस वाचाई भूमिका के कारण है जिसे आदम ने पतन से पूर्व कार्यों की वाचा (prelapsarian covenant of works) में निभाया था। आदम ने अद्वितीय रूप  से अपनी भविष्य की सारी सन्तानों का प्रतिनिधित्व किया, जिसके कारण जब हमारे आदि माता-पिता का पतन हुआ तो उन्होंने केवल अपने ही लिए नहीं वरन् अपनी सन्तानों के लिए भी दण्ड अर्जित किया—अर्थात् उन सभी लोगों के लिए जो इस जगत में साधारण प्रजनन के द्वारा जन्म लेंगे (वेस्टमिन्स्टर लघु प्रश्नोत्तरी 13-17 देखें)। वेस्टमिन्स्टर विश्वास का अंगीकार हमारे आदि माता-पिता और मूल पाप के विषय में समझाता है, “क्योंकि वे सम्पूर्ण मानवजाति की जड़ थे, उनके इस पाप का दोष अभ्यारोरित किया गाया; और साधारण प्रजनन के द्वारा जन्म लेने वाली भविष्य की सारी सन्तानों को वही पाप में मृत्यु, और दूषित स्वभाव प्रदान दिया गया” (वेस्टमिन्स्टर विश्वास का अंगीकार 6.3)। इसलिए, हमारे आदि माता-पिता द्वारा हम पर लाए गए पाप और दुःख से छुड़ाए जाने का एकमात्र उपाय है विश्वास के द्वारा एक विश्वासयोग्य मुखिया के साथ मिल जाना—अर्थात् प्रभु यीशु ख्रीष्ट के साथ। तो फिर, हमारे संघीय पितृत्व के सम्बन्ध में परमेश्वर हमसे हमारे माता-पिता के पाप या आज्ञाकारिता के अनुसार व्यवहार करता है। इस प्रकार से, अभी के प्रश्न के लिए हमारा उत्तर इस बात पर निर्भर होता है कि हम सन्दर्भ में माता-पिता  को कैसे परिभाषित करते हैं।

अब जबकि हमने आदम और कार्यों की वाचा में संघीय मुखिया के रूप में उसकी अद्वितीय भूमिका की चर्चा की है, हम अधिक निजी प्रश्न पर विचार कर सकते हैं—आपके पिताजी और मेरे पिताजी के पाप, जो प्रायः प्रश्न का विषय होता है।

व्यक्तिगत दोष की तुलना में सामूहिक परिणाम

आदम से पृथक, हमारे माता-पिता कार्यों की वाचा में संघीय मुखियापन की स्थिति में नहीं हैं जिससे कि उनकी आज्ञाकारिता या अनाज्ञाकारिता उनकी सन्तानों के लिए सब कुछ को निर्धारित कर देती है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि परमेश्वर माता-पिता के पापों के लिए सीधी रीति (directly) से सन्तानों को दण्ड नहीं देता है। फिर भी, पाप के परिणाम भविष्य की पीढ़ियों को प्रभावित करते हैं और इस प्रकार से कहा जा सकता है कि अप्रत्यक्ष (indirect) दण्ड मिलता है। उदाहरण के लिए मूर्तिपूजा और झूठी आराधना किसी भी समाज या परिवार में गहराई से व्याप्त हो सकती है। यही कारण है कि इस्राएल के राजाओं के विवरणों में हम प्रायः पढ़ते हैं कि वे अपने पिताओं के मार्गों में चलते थे—कभी यह अच्छा होता था और कभी बुरा। उदाहरण के लिए अहज्याह राजा ने “वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था और उसकी चाल उसके माता-पिता और नबात के पुत्र यारोबाम के समान थी, जिसने इस्राएल से पाप करवाया था” (1 राजा 22:52)। एक बार जब मूर्तिपूजा और झूठी आराधना पिछली पीढ़ियों से प्राप्त की जाती हैं, तो वे सरलता से मिटाई नहीं जाती हैं। इसके लिए सोची-समझी, आत्मा-प्रदत्त सुधार की आवश्यकता होती है जैसा कि योशिय्याह राजा ने किया, उसने “वही किया जो यहोवा की दृष्टि में उचित था तथा पूर्णरूप से अपने पूर्वज दाऊद के मार्ग पर चला और उस से न दाहिनी ओर न बाईं ओर मुड़ा” (2 राजा 22:2) और मूर्तिपूजा के सभी ऊँचे स्थानों को नाश किया (2 राजा 23)।

परन्तु इस बात के लिए कोई निश्चयता नहीं है कि धर्मी पिताओं के धर्मी पुत्र होंगे और दुष्ट पिताओं के दुष्ट पुत्र होंगे। योशिय्याह के पुत्र यहोआज ने “ठीक वैसा ही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है” (2 राजा 23:32)। इसके विपरीत, हिजकिय्याह का पिता आहाज दुष्ट था (2 राजा 16), फिर भी उसने “अपने मूलपुरुष दाऊद के समान वही किया जो यहोवा की दृष्टि में उचित है” (2 राजा 18:3)। ध्यान दें कि राजा पुस्तक का लेखक दाऊद को हिजकिय्याह का पिता (मूलपुरुष) कहता है। हिजकिय्याह दाऊद के भक्तिपूर्ण मार्गों में चला न कि आहाज के दुष्ट मार्गों में।

पुराने नियम के इन उदाहरणों में हम देखते हैं कि मूर्तिपूजा सरलता से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है, और परमेश्वर प्रायः इस्राएलियों को उनके मूर्तिपूजा के कारण दण्ड देता था। यद्यपि परमेश्वर लोगों को सीधी रीति से उनके पिताओं के पापों के लिए दण्ड नहीं देता है (परमेश्वर उन लोगों को दण्ड देता है जो अपने पिताओं के मार्गों में चलते हैं), पिताओं के पाप प्रतिध्वनित होते हैं और उनके परिणाम भविष्य की पीढ़ियों द्वारा अनुभव किए जाते हैं। इसके साथ, यद्यपि एक धर्मी पुत्र अपने अधर्मी पिता के पाप के कारण सीधे रूप से कष्ट नहीं उठाएगा, उसकी प्रवृत्ति होगी कि वह अपने दुष्ट पिता के मार्गों चल सकता है। वह प्रायः अप्रत्यक्ष रीति से (indirectly) अपने पिता के कुछ अधर्मी व्यवहार के परिणामों का सामना करेगा। उदाहरण के लिए यदि पिता मतवालेपन का आदी है, तो पुत्र का उस पाप की ओर झुकाव होना अधिक सम्भव है। फिर भी, प्रत्येक मनुष्य अपनी ही दुष्टता के लिए दण्ड भोगता है। जैसा कि मैथ्यू हेनरी कहते हैं, “परमेश्वर सन्तानों को उनके पिताओं के पापों के लिए दण्डित नहीं करता है, जब तक कि वे अपने पिताओं के मार्गों में न चलें।” इसलिए, अभी के प्रश्न के लिए हमारा उत्तर इस बात पर निर्भर होता है कि हम सन्दर्भ में दण्ड  को कैसे परिभाषित करते हैं।

इसका क्या अर्थ हुआ?

हमारे लिए इसका क्या तात्पर्य है? हम कई लागूकरण निकाल सकते हैं, परन्तु हम कुछ ही को देखेंगे। पहले, हमें शीघ्र पश्चात्ताप करना चाहिए, विशेषकर उन पापों के विषय में सावधान होकर जिन्होंने भूतकाल में हमारे परिवार के सदस्यों को जकड़ा है। यदि हम अपने पापों को नहीं मारेंगे तो वे हमारे बच्चों को प्रभावित करेंगे। दूसरा, हमें स्मरण कराया जाता है कि मसीही माता-पिताओं द्वारा अपने बच्चों की शिष्योन्नत्ति करना और उनके लिए प्रार्थना करना अति महत्वपूर्ण है। सामान्यतःपरमेश्वर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आशिष देता है। तीसरा, पाप करने वालों पर पाप के सीधे परिणाम होते हैं, परन्तु हमारे आसपास के लोगों पर और हमारी भविष्य की पीढ़ियों पर पाप के अन्य परिणाम भी हो सकते हैं। अन्त में, हम अपने माता-पिता के पापों के दास नहीं हैं। हम या तो पाप के दास हैं या तो धार्मिकता के दास हैं (रोमियों 6:12-23)। परमेश्वर ने अपने ईश्वरीय प्रावधान में होकर हम सब को हमारे परिवार, संस्कृति, और समाज में रखा है, जिसके साथ हमारे सन्दर्भ के अनुसार लाभ, प्रलोभन और हानियाँ होती हैं (प्रेरितों के काम 17:26 देखें)। वास्तव में जो पितृत्व महत्वपूर्ण है वह यह है कि क्या हम आदम के मुखियापन के अधीन हैं या फिर ख्रीष्ट के मुखियापन के अधीन हैं (रोमियों 5:12-21)।


1 मैथ्यू हेनरी, मैथ्यू हेनरी की कॉमेंट्री ऑन द होल बाइबल: कम्प्लीट एंड अनब्रिज्ड इन वन वॉल्यूम (पीबॉडी: हेंड्रिकसन, 1994), 1374।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

ऐरन गैरियट्ट
ऐरन गैरियट्ट
रेव. ऐरन गैरियट्ट (@AaronGarriott) टेब्लटॉक पत्रिका के प्रबन्धक सम्पादक हैं, सैन्फर्ड, फ्लॉरिडा में रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज में निवासी सहायक प्राध्यापक हैं, तथा प्रेस्बिटेरियन चर्च इन अमेरिका में एक शिक्षक प्राचीन हैं।