क्या मसीही लोग सम्पूर्णता से भ्रष्ट हैं? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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क्या मसीही लोग सम्पूर्णता से भ्रष्ट हैं?

जॉन न्यूटन ने एक बार पाप के प्रति विश्वासी के अनुभव को प्रसिद्ध रीति से सारांशित किया:

मैं वह नहीं हूँ जो मुझे होना चाहिए। आह! मैं कितना असिद्ध और अपूर्ण हूँ! मैं वह नहीं हूँ जो मैं होना चाहता हूँ। मैं दुष्टता से घृणा करता हूँ, और मैं भलाई से चिपकना चाहता हूँ। मैं वह नहीं हूँ जो मैं होने की आशा करता हूँ। शीघ्र, अति शीघ्र, मैं नश्वरता को उतारूँगा, और नश्वरता के साथ-साथ सभी पाप और असिद्धता को भी उतार दूँगा। फिर भी, यद्यपि मैं वह नहीं हूँ जो मुझे होना चाहिए, न वह जो मैं होना चाहता हूँ, न वह जो होने की मैं इच्छा रखता हूँ, मैं सत्यता से कह सकता हूँ, मैं वह नहीं हूँ जो मैं था—अर्थात् पाप और शैतान का दास। और मैं उत्साहपूर्वक प्रेरित के साथ कह सकता हूँ, और स्वीकार कर सकता हूँ, “परमेश्वर के अनुग्रह से अब जो हूँ सो हूँ।”

यह एक सुन्दर अभिव्यक्ति है कि सुसमाचार में परमेश्वर के पुनरुज्जीवित करने वाले अनुग्रह के प्रकाश में सच्चे विश्वासियों को अपने आप को कैसे देखना चाहिए। हम अब वह नहीं हैं जो हम थे (सम्पूर्णता से भ्रष्ट), फिर भी हम वह नहीं हैं जो हम एक दिन होंगे (पूर्ण रीति से बची हुए भ्रष्टता से मुक्त)। यदि हम मसीही जीवन में प्रगति करना चाहते हैं तो इन सत्यों को समझना अत्यावश्यक है।

वेस्टमिन्स्टर विश्वास अंगीकार-कथन सम्पूर्ण मानवता की सम्पूर्ण भ्रष्टता के स्वभाव को समझाता है: “हम सब भलाई के प्रति पूर्णतः अनिच्छुक, अक्षम, और विपरीत हैं, और पूर्ण रीति से दुष्टता के पक्ष में थे” (वेस्टमिन्स्टर विश्वास अंगीकार-कथन 6.4)। कैल्विनवादी आदिवर्णिक शब्द (backronym) ट्यूलिप (TULIP) में सम्पूर्ण भ्रष्टता के सिद्धान्त पर मनन करते हुए, जॉन गर्स्टनर ने कहा, “ट्यूलिप में सम्पूर्ण भ्रष्टता ही है जिसमें हमारा स्वयं का मूल योगदान है। हम वह गन्दी मिट्टी हैं जिसमें परमेश्वर अपना फूल लगाता है, और हमारी मलिनता से परमेश्वर ईश्वरीय सुन्दरता उत्पन्न करता है।” परमेश्वर के छुटकारा देने वाले अनुग्रह की आवश्यकता को देखने के लिए सबसे पहले आपको अपने स्वभाव के विषय में पवित्रशास्त्र की शिक्षा को समझना होगा—जो यह है कि आप व्यापक रूप से भ्रष्ट और दुष्ट हैं।

यशायाह ने पुरानी वाचा के इस्राएल के प्रति एक आरोप में भ्रष्टता के परिमाण को सारांशित किया: “नख से शिख तक कुछ भी आरोग्यता नही” (यशायाह 1:6)। यिर्मयाह ने मनुष्य के पापी हृदय के छल का वर्णन किया जब उसने लिखा: “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखेबाज होता है, और असाध्य रोग से ग्रस्त है; उसे कौन समझ सकता है?” (यिर्मयाह 17:9)। भजनकार को उद्धरित करते हुए, प्रेरित पौलुस ने साक्षी दी, “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं” (भजन 14:1; 53:1; रोमियों 3:10)। सामान्य प्रजनन के द्वारा आदम से उत्पन्न सभी लोग “अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे” (इफिसियों 2:1)। हमारे मस्तिष्क, इच्छा-शक्ति, भावनाएँ, स्नेह, और विवेक पूर्ण रीति से पाप से दूषित हैं (इफिसियों 4:17; तीतुस 1:15-16)। स्वभाव से, हमारी सभी क्षमताएँ अधार्मिकता की साधन हैं (रोमियों 6:19)।

क्योंकि (हमारे प्रभु यीशु के अतिरिक्त) सम्पूर्ण मानव जाति आदम में पतित है और पूर्ण रीति से भ्रष्ट है, सब लोगों को आवश्यकता है कि अन्तिम आदम अपनी मृत्यु और अपने पुनरुत्थान के द्वारा उन्हें सेंतमेंत में धर्मी ठहराए (रोमियों 5:12-21; 2 कुरिन्थियों 5:21; गलातियों 3:10-14)। ख्रीष्ट में, परमेश्वर ने अपने लोगों को “अन्धकार के साम्राज्य से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया है” (कुलुस्सियों 1:13)। उसने अपने पुत्र द्वारा प्राप्त छुटकारे के आधार पर अपने आत्मा के कार्य के द्वारा विश्वासियों को अनुग्रह में होकर परिवर्तित किया है। ह्यूमन नेचर इन इट्स फोरफोल्ड स्टेट (चौगुणी स्थिति में मानवीय स्वभाव) पुस्तक में थॉमस बॉस्टन ने परमेश्वर के पुनरुज्जीवन के कार्य के परिमाण को समझाया:

मूल पाप पूरे मनुष्य को संक्रमित करता है; और पुनरुज्जीवन करने वाला अनुग्रह, जो कि उपचार है, रोग की सीमा तक जाता है। . . . उसे न केवल सच्चे धर्म को जानने के लिए और समझने के लिए नया सिर दिया जाता है; अथवा उसके विषय में बात करने के लिए नई जीभ दी; परन्तु उसके पूरे जीवन में उससे प्रेम करने के लिए और ग्रहण करने के लिए नया हृदय भी दिया है।

“पूर्ण रीति से दुष्टता के पक्ष में” होने की स्थिति में बने रहने से दूर, विश्वासियों को परमेश्वर के आत्मा द्वारा वह करने के लिए जो “उसकी दृष्टि में प्रिय है” (इब्रानियों 13:21) नया बना दिया गया है। अब हमारा “चाल-चलन प्रभु के योग्य” (कुलुस्सियों 1:10) हो सकता है और हम “परमेश्वर को प्रसन्न” (1 थिस्सलुनीकियों 4:1) कर सकते हैं। तीतुस को लिखी गई अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने समझाया कि कैसे परमेश्वर का अनुग्रह छुड़ाए गए लोगों को खराई से जीने के लिए सक्षम बनाता है:

परमेश्वर का अनुग्रह तो सब मनुष्यों के उद्धार के लिए प्रकट हुआ है। वह हमें यह सिखाता है कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं का इनकार कर के इस युग में संयम, धार्मिकता और भक्ति से जीवन बिताएँ। और उस धन्य आशा की, अर्थात् अपने महान् परमेश्वर यीशु ख्रीष्ट उद्धारकर्ता की महिमा के प्रकट होने की, प्रतीक्षा करते रहें। उसने अपने आप को हमारे लिए दे दिया कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले और हमें शुद्ध करके अपने लिए एक ऐसी निज प्रजा बना ले जो भले कार्य करने के लिए सरगर्म हो। (तीतुस 2:11-14)

यद्यपि यह एक महिमा से परिपूर्ण सत्य है, फिर भी विश्वासी हृदय-परिवर्तन के बाद भी अपने पवित्रीकरण के अन्तर्गत अन्तर्वासी (indwelling) पाप से संघर्ष करते हैं। जिस प्रकार से वेस्टमिन्स्टर विश्वास अंगीकार कहता है, “स्वभाव की यह भ्रष्टता, इस जीवन के समय, पुनरुज्जीवित लोगों में बनी रहती है; और यद्यपि यह ख्रीष्ट के द्वारा क्षमा की गयी है और मृतक है, फिर भी वह और उसके सारे कार्य सच में और यथार्थ रीति से पाप हैं” (6.5)।

रोमियों 6-8 पवित्रीकरण के प्रकरण को प्रकट करता है। 6:1-23 में, पौलुस समझाता है कि विश्वासियों ने ख्रीष्ट के साथ मिलन के द्वारा पाप की सामर्थ्य से एक बड़े छुटकारे का अनुभव किया है। 7:13-25 में वह पाप के साथ चल रहे युद्ध को समझाता है। और 8:1-11 में वह विश्वासियों को आदेश देता है कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से पाप को घात करें। एक ही समय में प्रेरित पौलुस सिखाता है कि विश्वासी अब सम्पूर्णता से भ्रष्ट नहीं हैं और यह भी कि “भ्रष्ट स्वभाव” अभी भी उनमें है।

जब हम पाप के साथ विश्वासी के सम्बन्ध के विषय में सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र की शिक्षा पर विचार करते हैं, तो हमारे पास इस विषय में सही समझ होगी कि हम क्या थे, हम क्या हैं, और एक दिन हम क्या होंगे। और हम न्यूटन के साथ कह पाएँगे: मैं वह नहीं हूँ जो मुझे होना चाहिए, न ही वह जो मैं होना चाहता हूँ, न ही वह जो होने की मैं इच्छा रखता हूँ, न ही वह जो होने की मैं इच्छा रखता हूँ। फिर भी मैं उत्साह के साथ प्रेरित के साथ कह सकता हूँ, और स्वीकार कर सकता हूँ, “परमेश्वर के अनुग्रह से अब जो हूँ सो हूँ।”

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

निक बैट्ज़िग
निक बैट्ज़िग
रेव. निक बैट्ज़िग चार्ल्सटन, साउथ कैरोलायना में चर्च क्रीक पीसीए में वरिष्ट पास्टर, और लिग्मिएर मिनिस्ट्रीज़ के एक सहायक सम्पादक हैं।