असहमति के मध्य में भी एकता को बनाए रखना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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असहमति के मध्य में भी एकता को बनाए रखना

संसार पर पाप के प्रभाव की तुलना एक बम विस्फोट से की जा सकती है। जब बम का विस्फोट किया जाता है, तो बम छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है जो केन्द्र से आरम्भ होकर सभी दिशाओं में फैल जाता है, और सर्वत्र क्षति पहुँचाता है। ऐसा तब से हुआ है जब से आदम ने निषिद्ध फल को खाया है। जिन बातों को परमेश्वर के उद्देश्य के अनुसार एक होना चाहिए था, वे बिखर गई हैं। स्वयं परमेश्वर के साथ मनुष्य की प्रेमपूर्ण संगति नष्ट हो गई; (विवाह से आरम्भ करते हुए) मनुष्य की एक दूसरे के साथ प्रेमपूर्ण संगति टूट गई; मनुष्य का सृष्टि से सम्बन्ध और सृष्टि का अपने आप से सम्बन्ध टूट गया। इन मुख्य रीतियों से और प्रत्येक अन्य रीति से पाप ने परमेश्वर की सुन्दर सृष्टि को मानो विस्फोट द्वारा छिन्न-भिन्न कर दिया है।

ख्रीष्ट सब कुछ को पुनः सिद्ध एकता में लाने के लिए आया। उसने कहा, “जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है” (मत्ती 12:30)। यूहन्ना ने कहा कि यीशु “परमेश्वर की तितर-बितर सन्तानों को एक” करने के लिए मरा (यूहन्ना 11:52)। पौलुस ने कहा कि परमेश्वर का अनन्त अभिप्राय है कि सब कुछ को जो स्वर्ग और पृथ्वी पर है ख्रीष्ट में एकत्रित हो (इफिसियों 1:9-10)। क्योंकि यह परमेश्वर की योजना है, ख्रीष्ट ने इसके अनुसार यूहन्ना 17 में प्रार्थना की, और तीन बार पिता से माँग की कि सब चुने हुए लोग एक हों जिस प्रकार से पिता और पुत्र भी एक हैं (11, 21, 26 पद)। यह स्तब्धकारी है। स्वर्ग में सब छुड़ाए गए लोग पूरी रीति से एक होंगे, और प्रत्येक रीति से त्रिएकता की एकता के अनुरूप होंगे।

त्रिएकता की इस सिद्ध एकता में क्या पाया जाता है? परमेश्वर में तीन व्यक्ति हैं—पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा। क्योंकि यह एक ऐसा प्राणी जिसमें एक सारत्त्व और एक इच्छा-शक्ति है, वे अपने कार्य में पूर्ण रीति से एक हैं। इस प्रकार की एकता उस एकता के अनुरूप है जिसका आनन्द छुड़ाए गए लोग स्वर्ग में उठाएँगे।

यद्यपि, हम अभी तक वहाँ नहीं पहुँचे हैं। और सुसमाचार के कार्य में, विशेषकर स्थानीय कलीसिया या मसीही सेवकाई के जीवन में, यह अपरिहार्य रूप से असहमति होगी। भाई और बहन बातों को अलग रीति से देखेंगे और उन्हें उन भिन्नताओं को परमेश्वर की महिमा के लिए और सुसमाचार की उन्नति के लिए सबसे अधिक छुड़ाने वाली रीति से सम्बोधित करना होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि नए नियम की प्रत्येक स्थानीय कलीसिया जिसे पत्री लिखी गई फूट के गम्भीर समस्याओं का सामना कर रही थी। याकूब ने पूछा, “तुम्हारे बीच होने वाली लड़ाइयों और झगड़ों का कारण क्या है?” (याकूब 4:1-3)। पौलुस को कुरिन्थियों की कलीसिया में पापी विभाजन को प्राथमिकता देते हुए सम्बोधित करना पड़ा (1 कुरिन्थियों 1:10-12)। स्वयं प्रेरित पौलुस का भी बरनाबास के साथ बड़ा मतभेद हो गया (प्रेरितों के काम 15:37-39)। इसी रीति से कलीसियाई इतिहास ऐसे ईश्वरभक्त पुरुषों भरा हुआ है जो एक दूसरे के साथ गम्भीर रीति से असहमत थे—मार्टिन लूथर और हुल्ड्रिक ज़्विंग्ली; जॉर्ज व्हिटफील्ड और जॉन वेस्ली; जॉन स्टॉट और मार्टिन लोय्ड-जोन्ज़। यह एक असामयिक समस्या है जिससे हम अब भी ग्रसित हैं। आइए हम एकता को बनाए रखने के लिए पाँच कारण और पाँच उपायों पर ध्यान दें।

एकता को बनाए रखने के पाँच कारण
वर्तमान और अनन्त आत्मिक वास्तविकता। वास्तविक मसीही सच में आत्मिक रीति से ख्रीष्ट में एक हैं। हृदय-परिवर्तन के क्षण से ही हम आत्मिक रीति से ख्रीष्ट के साथ एक हैं (रोमियों 6:1-4) और इसी कारण अन्य सभी मसीहियों के साथ भी। और स्वर्ग में हम एक होंगे जिस प्रकार से पिता और पुत्र एक हैं, जो कि यूहन्ना 17 में यीशु की महायाजकीय प्रार्थना का सीधा उत्तर होगा। यह वास्तविकता हमें कम विवादों पर कार्य करने का आधार देती है।

आज्ञाकारिता। पौलुस मसीहियों को आज्ञा देता है कि वे “यत्न करें कि मेल के बन्धन में आत्मा की एकता को सुरक्षित रहे” (इफिसियों 4:3)।

साक्षी। यीशु ने प्रार्थना की कि उसके अनुयायी “सिद्ध होकर एक हो जाएँ, जिस से संसार जाने कि तूने मुझे भेजा” है (यूहन्ना 17:23)। इस संसार में मसीहियों के मध्य सिद्ध एकता की ओर यात्रा करना ख्रीष्ट के लिए एक सामर्थी साक्षी है। इसके विपरीत, जब मसीही लोग झगड़ते हैं, तो यह सुसमाचार के वचन को दृढ़ता से पकड़े रहने की क्षमता को प्रभावित करता है (फिलिप्पियों 2:14-16)। देखने वाले संसार के लिए पापमय मसीही द्वन्द्व एक बुरी साक्षी है।

बुद्धि। वास्तविक मसीहियों के मध्य प्रत्येक दृढ़ संघर्ष में, यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि विषय के दोनों पक्षों में प्रायः सत्य और बुद्धि के तत्व पाए जाते हों। प्रत्येक विभाजनकारी विषय के समाधान के विषय में मैं सोचता हूँ कि यह एक व्यंजन विधि है जिसमें बहुत सारी सामग्रियाँ हैं, और विधि को पूरा करने के लिए दोनों पक्षों को अपनी सामग्रियाँ डालना होगा।

उन्नति। “जैसे लोहा लोहे को तेज़ करता है, वैसे ही मनुष्य मनुष्य को सुधारता है” (नीतिवचन 27:17)। परमेश्वर हमें तेज़ बनाने के लिए संघर्षों का उपयोग करता है, अर्थात् उत्तम सेवा के लिए वह हमारे पापी मनुष्यत्व के टुकड़ों को हटाता है और हमें प्रखर करता है।

एकता को बनाए के पाँच उपाय
एक दूसरे से प्रेम करें। 1 कुरिन्थियों 13:4-7 में प्रेम के विवरण को पुनः देखें। इससे आरम्भ करें: “प्रेम धैर्यवान और दयालु है।” आइए हम स्वयं को निरन्तर एक-दूसरे को स्मरण दिलाएँ कि हम सिद्ध रीति से प्रेम करते हुए स्वर्ग में अनन्त काल को एक दूसरे के साथ व्यतीत करेंगे।

नम्रता। फिलिप्पियों 2:1-11 की शिक्षाओं को पुनः देखें। यह समझें कि हमारा स्वार्थ द्वन्द्व को और तीव्र बनाता है। पौलुस ने हमें आज्ञा दी कि हम एक दूसरे को स्वयं से उत्तम समझें और अपने हित से अधिक दूसरों के हित की चिन्ता करें।

वचन। सभी बातों का समाधान अन्ततः प्रासंगिक पवित्रशास्त्र के खण्डों के खरे अर्थनिरूपण (exegesis) द्वारा किया जाना चाहिए। “सत्य के वचन को ठीक-ठीक काम में” लाते हुए (2 तीमुथियुस 2:15), हम ख्रीष्ट की जैसी परिपक्वता में बढ़ेंगे (इफिसियों 4:15) और सब परिस्थितियों के लिए परमेश्वर की बुद्धि को पहचानेंगे।

रोमियों 14 का मार्गदर्शन। रोमियों 14 अध्याय विवादित विषयों का समाधान करने के लिए निर्देशिका है। प्रमुख सिद्धान्तों में से एक यह है कि हमें दूसरे के सेवक का न्याय नहीं करना चाहिए (पद 4)।

प्रार्थना। विभाजन के समय में हार्दिक प्रार्थना अति महत्वपूर्ण है। एकता के साथ सब पक्षों के लोगों के लिए बुद्धि, नम्रता, और प्रेम के लिए परमेश्वर से विनती करना, यूहन्ना 17 में ख्रीष्ट द्वारा दी गई स्पष्ट पद्धति का अनुसरण करना है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

ऐन्ड्रू एम. डेविस
ऐन्ड्रू एम. डेविस
डॉ. ऐन्ड्रू एम. डेविस नॉर्थ कैरोलायना के डरहम में फर्स्ट बैप्टिस्ट चर्च के वरिष्ठ पास्टर, और टू जर्नीस सेवकाई के संस्थापक हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें रीवायटलाइज़ सम्मिलित है।