पाप के लिए मरना और धार्मिकता के लिए जीना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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पाप के लिए मरना और धार्मिकता के लिए जीना

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पॉंचवा अध्याय है: प्रावधान

संसार के इतिहास में ऐसा कोई धर्म नहीं है जिसमें मसीही सुसमाचार के समान निमन्त्रण हो। इसके प्रारम्भ से ही, ख्रीष्ट के वचनों में, हमें बताया गया था, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे तो वह अपने आप का परित्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे चले” (मरकुस 8:34)। जैसा कि जॉन पाइपर इन्गित करते हैं, यह मरने के लिए एक निमन्त्रण है।

यह हमेशा हमारे विचारों के विरुद्ध रहा है। अपने प्रारम्भिक वर्षों से ही, हम जीवन को दोनों हाथों से पकड़ कर रखना चाहते हैं और इसे पूर्ण रूप से जीना चाहते हैं। तो फिर, यीशु के शब्दों में वह आकर्षण शक्ति कहाँ है जिसने युगों से इतने सारे लोगों को अपनी ओर खींचा है?

इसका उत्तर उसके स्वयं के चेलों के लिए जब तक वे पृथ्वी पर उसके साथ थे तुरन्त ही स्पष्ट नहीं हुआ था। जब यीशु ने येरूशलेम जाने के अपने ध्येय की घोषणा की, क्योंकि उसकी सेवकाई का चरम बिन्दु निकट था, थोमा ने अपने साथी चेलों के विचार को व्यक्त किया जब उसने कहा “चलो हम भी उसके साथ मरने चलें” (यूहन्ना 11:16)। हम जानते हैं कि उनके लिए यह धारणा कि ख्रीष्ट की मृत्यु होगी और उन्हें भी उसका अनुसरण करने में अपने जीवन को खोना होगा विस्मयकारी प्रतीत हो रही थी (मरकुस 9:30-32; यूहन्ना 12:23-26)। ख्रीष्ट की मृत्यु और पुनरुत्थान के पश्चात् ही सुसमाचार के निमन्त्रण के शब्दों का पूर्ण महत्व स्पष्ट होने लगा था। मानवीय मस्तिष्कों को बात कलवरी से पहले समझ नहीं आई, उसके बाद और उसके प्रेरितीय अर्थप्रकाशन के द्वारा परमेश्वर के उद्धार की महानता के प्रकाश में महिमामय रीति से समझ में आ गई। इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ख्रीष्ट में समाविष्ट “जीने के लिए मरने” का सिद्धान्त नए नियम के प्रचार और निर्देश में एक बार-बार आने वाला विषय बन जाता है।

यह कई स्थानों पर प्रमुखता से प्रकट होता है। पौलुस रोमियों में सुसमाचार की अपनी अर्थप्रकाशन में, मसीहियों के बपतिस्मा द्वारा ख्रीष्ट की मृत्यु में सहभागी होने की बात करता है (6:3)। इसी प्रकार, फिलिप्पियों में वह जीवन में विश्वास के अपने लक्ष्य को “उस [ख्रीष्ट] की मृत्यु की समानता को प्राप्त करने” के विषय में बात करता है। तो, पौलुस मसीही जीवन के प्रारम्भ और निरन्तरता जिसमें हमारे मरने की आवश्यकता निहीत है, दोनों के विषय में बात करता है।

पतरस ने भी अपनी पहली पत्री में वही व्यक्त किया। मसीहियों से जो कि सताव के कारण पूरे रोमी संसार में बिखरे हुए थे और जो अपने कष्टों को समझने का प्रयास कर रहे थे, कहता है, (पुनः ख्रीष्ट के सम्बन्ध में), “उसने स्वयं अपनी ही देह में क्रूस पर हमारे पापों को उठा लिया,जिस से हम पाप के लिए मरें और धार्मिकता के लिए जीवन व्यतीत करें” (1 पतरस 2:24)। यह ख्रीष्ट द्वारा कहे गए कि हमें जीने के लिए मरना होगा कि सबसे अर्थपूर्ण व्याख्याओं में से एक है।

पतरस के कथन में जो प्रमुख विवरण अलग से दिखता है वह यह है कि मसीहियों के रूप में हमारे अनुभव को उससे पृथक नहीं किया जा सकता जिसे ख्रीष्ट ने हमारे स्थान पर अनुभव किया है। जो यीशु ने अपने लोगों के लिए किया वह उसका आत्मा द्वारा हम में किए गए हर कार्य की नींव है। जैसे ही आत्मा हमें ख्रीष्ट से जोड़ता है, वह हमें आत्मिक मृत्यु के क्षेत्र से बाहर निकालता है और अपने द्वारा जीवन के नए पन में लाता है। यह बचाने वाला मिलन एक मसीही होने के अर्थ का दृढ़ आधार है। इस मिलन में, हम नए जन्म और धर्मी ठहराए जाने के द्वारा प्राप्त नए जीवन को जीने की क्षमता प्रदान की जाती है। वह जो हमारे लिए असम्भव था जब हम आत्मिक रूप से मृत थे—कि परमेश्वर के मार्गों पर चलना और उसकी महिमा के लिए जीना—अब उसके द्वारा प्रदान अनुग्रह से कर सकते हैं।

परन्तु, इस सन्दर्भ में  पतरस के शब्द के विषय में जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है की यीशु की मृत्यु हमें इस प्रकार के नए जीवन के लिए एक नमूना भी प्रदान करती है। वह कहता है, “तुम इसी अभिप्राय से बुलाए गए हो, क्योंकि ख्रीष्ट ने भी तुम्हारे लिए दुख सहा और तुम्हारे लिए एक आदर्श रखा कि तुम भी उसके पद-चिन्हों पर चलो” (1 पतरस 2:21)।

पतरस के शब्दों का चुनाव तब भी सहायक होता है जब वह हमें बताता है कि हम पाप “के लिए” मरने के लिए बुलाए गए हैं। अर्थात्, जैसा कि कैल्विन इस खण्ड पर अपनी टीका में समझाते हैं कि, हम इस संसार के लिए मरते हैं (पाप के क्रम में) ताकि हम ख्रीष्ट में परमेश्वर के लिए जी सकें। हमें जीवन का पूर्णतया नया निर्देशन दिया गया है। अब हम स्वभाव से इस वर्तमान के बुरे युग से प्रेम करने और इसके लिए जीने की ओर प्रवृत्त नहीं होते,परन्तु इसके स्थान पर हमारे हृदय और मन स्वर्गीय वस्तु पर लगा हुआ है, जहाँ ख्रीष्ट महिमा में विराजमान है (कुलुसिसियों 3:1-2)।

जीवन की इस पूर्णतया नई दिशा के होने का—जो कि स्व-केन्द्रित होने के स्थान पर ख्रीष्ट-केन्द्रित है—यह अर्थ है कि हम केवल उस पर भरोसा ही नहीं करेंगे जिसने हमें आत्मिक मृत्यु के क्षेत्र से मुक्त किया, वरन् हम उसकी सन्तानों के रूप में अपने नए जीवन के लिए उसकी महान मानवता को एक नमूने के रूप में भी उसकी ओर देखेंगे।

एडमन्ड क्लाउनी बताते हैं कि पतरस एक असामान्य शब्द का उपयोग करता है जब वह कहता है कि ख्रीष्ट एक उदाहरण प्रदान करता है, इसलिए हमें “उसके पद-चिन्हों पर चलना चाहिए” (1 पतरस 2:21)। यह एक बच्चे के अक्षरों की बाह्य रेखा के ऊपर लिखने के भाव को समझाता है। इसलिए, जब मसीही जीवन की वर्णमाला की बात आती है, ख्रीष्ट हमारी मानवता का नमूना है।

अपनी दूसरी पत्री में, पतरस ने नया जीवन की कुछ प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया है कि यह कैसी दिखती है—सद्गुण, ज्ञान, संयम, धीरज, भक्ति, भ्रातृ-स्नेह, और प्रेम (2 पतरस 1:5-7)। यह कुछ ऐसे फल हैं जिन्हें वह ख्रीष्ट में नय जीवन के प्रमाण के रूप में उद्धृत करता है (पद 8)। पौलुस और यीशु औरों के विषय में बात करते हैं, परन्तु उन सभी के विषय में यह सत्य है कि वह ख्रीष्ट के समान विशिष्टताँ हैं।

अनुग्रह में हमारे विकास में “पाप के लिए मरने” के पहलु पर सूक्ष्मता से ध्यान केन्द्रित करना प्रायः एक प्रलोभन रहा है—जिसे पुरानी पीढ़ी के मसीही पाप को घोत करना (mortification) कहते हैं—परन्तु यह, जैसा कि हमने देखा, जो निहीत है उसका मात्र एक हिस्सा है। उसी पीढ़ी के मसीहियों ने “जीवन्तता” (“vivification”) के विषय में भी बात की है—ख्रीष्ट में हमारी धार्मिकता को जीना। जिस प्रकार निराई और रोपण एक सुन्दर बगीचे के विकास के दो आवश्यक तत्व है, उसी प्रकार हमारे पाप के लिए मरने और धार्मिकता के लिए जीने की आवश्यकता है यदि हम ऐसा जीवन विकसित करना चाहते हैं जो ख्रीष्ट की सुन्दरता को प्रतिबिम्बित करता हो।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
मार्क जी. जॉनस्टन
मार्क जी. जॉनस्टन
रेव. मार्क जी. जॉनस्टन रिचहिल, उत्तरी आयरलैण्ड में ट्रिनिटी इवैन्जेलिकल प्रेस्बिटेरियन चर्च के पास्टर, और बैनर ऑफ ट्रूथ के ट्रस्टी हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें हमारा विश्वास वचन: हर संस्कृति और हर पीढ़ी के लिए (Our Creed: For Every Culture and Every Generation) सम्मिलित है।