उकाब के पंख - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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उकाब के पंख

उड़ता हुआ उकाब निर्मल सुन्दरता और तेजस्वी सामर्थ्य का एक चित्र है। यह अकारण ही नहीं है कि प्राचीन और आधुनिक दोनों ही राष्ट्रों और साम्राज्यों ने, उकाब को अपने प्रतीक के रूप में अपनाया है, और वह जो पवित्रशास्त्र से परिचित है, वह निश्चय ही परमेश्वर द्वारा अपने लोगों को “उकाब के पंखों” (निर्गमन 19:4) पर बैठाकर लाने को तथा अपने स्वयं के “उकाबों के समान पंख फैलाकर ऊँचाई पर उड़ने” (यशायाह 40:31) को स्मरण करेगा। ऐसे शब्द हृदय को उत्तेजित करते हैं और काव्य कल्पना को प्रेरित करते हैं, परन्तु वास्तव में उनका क्या अर्थ है? पवित्रशास्त्र में साहित्यिक रूपक के पीछे यथार्थ ईश्वरविज्ञानी वास्तविकता क्या है? इसको और अधिक पूरी रीति से समझने के लिए पवित्रशास्त्र में उकाबों और उकाबों के पंखों के उद्धरणों की पूर्ण श्रंखला को समझना सहायक होगा।

सर्वप्रथम, उकाब को शिकार करने वाले एक पक्षी (अय्यूब 39:27-30) के रूप में चित्रित किया गया है, और इस विचार को ध्यान में रखते हुए, अधिकांशतः जिस सामान्य रूप से उकाबों को पवित्रशास्त्र में उद्धरित किया गया है वह विध्वंसकारी, तीव्र, और निर्बाध न्याय की छवियाँ हैं। न्याय (सामान्यतः एक आक्रमणकारी राष्ट्र के रूप में) “उकाब [के समान] वेग से झपट कर” (व्यवस्थाविवरण 28:49) या “उकाब के समान उड़कर” (यिर्मयाह 49:22) या “उकाब के समान उड़कर झपटा [मारकर]” (हबक्कूक 1:8) आता है। बाइबल में सामर्थी विदेशी राष्ट्रों (जैसे बाबुल और मिस्र) को प्रायः एक उकाब के समान चित्रित किया गया है। इसलिए पवित्रशास्त्र में, “उकाब के पंख” प्रायः तीव्र और निर्बाध विनाश और मृत्यु को लाते हैं।

उसी के साथ-साथ, माता उकाब को अपने स्वयं के बच्चों के पालन-पोषण और रक्षा करने वाले के रूप में भी चित्रित किया गया है। अय्यूब 39:27-30 उकाब को एक शिकार करने वाले पक्षी के रूप में बताता है, परन्तु वह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि उकाब अपने बच्चों को खिलाने के लिए शिकार की खोज करता है जो “ऊँचे पर घोंसले . . . चट्टान की चोटी” पर सुरक्षित रहते हैं। इस प्रकार उकाब का उपयोग पवित्रशास्त्र में परमेश्वर की अपने लोगों के प्रति कोमल देख-भाल और निश्चित सुरक्षा के रूपक के रूप में किया गया है। यहोवा ने इस्राएल की

अपनी आँखों की पुतली के समान उसकी सुरक्षा की।

उकाब के समान जो अपने घोंसले को हिलाता

और अपने बच्चों के ऊपर मण्डराता है

उसने अपने पंख फैलाए और उन्हें सम्भाल लिया

और उन्हें अपने पैरों पर बैठा लिया

यहोवा ने ही उसकी अगुवाई की,

उसके साथ कोई पराया देवता नहीं था। (व्यवस्थाविवरण 32:10-12)

इसलिए न्याय की एक छवि होने के साथ-साथ, “उकाब का पंख” सुरक्षा और प्रावधान की भी एक छवि है।

और फिर भी सम्भवतः उकाब की सबसे आकर्षक छवि अपने शिकार का उपभोग करने के लिए उसका भयंकर और तीव्र अवरोहण नहीं है परन्तु बादलों की ओर उसका महिमावान आरोहण है। यह गौरवमय पक्षी अज्ञात ऊँचाइयों पर, अतुलनीय सामर्थ्य और अनुग्रह के साथ ऊँची उड़ान भरता है। हम में से अधिकांश के लिए, उकाब की चिरस्थायी छवि पंजे और चोंच से माँस को चीरने की नहीं परन्तु नीचे के कोलाहट से दूर बादलों में से होकर सहजता से ऊँचे उड़ने की है। इसलिए, पवित्रशास्त्र में उकाब को स्वर्गीय छुटकारे (निर्गमन 19:4; प्रकाशितवाक्य 12:14), युवाकाल, जीवन-शक्ति, और स्वतंत्रता (भजन 103:5; यशायाह 40:31), और स्वर्गीय महिमा और विजय के एक छवि (प्रकाशितवाक्य 4:7; 8:13) के स्रोत के रूप में चित्रित किया गया है।

इसलिए पवित्रशास्त्र में, “उकाब के पंख” भयंकर और अचानक आने वाले न्याय, कोमल और निश्चित सुरक्षा, और उत्कृष्ट छुटकारे और महिमा का प्रतीक है। इसको विभिन्न प्रकार के चित्रणों में उपयोग किया गया है। फिर भी इन सभी छवियों में जो समानता है वह सफल और निश्चित विजय का विचार है। जब उकाब अपने शिकार का उपभोग करने के लिए झपट्टा मारता है, वह तीव्रता और उग्रता के साथ आता है, और शिकार उसका प्रतिरोध नहीं कर सकता। जब माता उकाब के बच्चे ऊँचाई पर घोंसलों में अपनी माँ के पंखों से ढके होते हैं, वे वास्तव में सुरक्षित होते हैं। कोई भी शत्रु वहाँ उन तक नहीं पहुँच सकता। और जब उकाब उड़ान भरता है और बादलों के बीच में से उड़ता है, तो वह ऐसा विजयी आरोहण के रूप में करता है। कोई भी इसकी ऊँचाइयों तक नहीं पहुँच सकता। यह सुरक्षित, और ऊँचा उठाया गया है। कोई उड़ते हुए तेजस्वी पक्षी की झलक पाने की आशा तो कर सकता है, परन्तु वास्तव में कोई उसे पाएगा नहीं।

और ऐसा ही प्रभु के कार्य के साथ है। जब वह अपने शत्रुओं के विरुद्ध उनका न्याय करने के लिए आता है, कोई भी उसका प्रतिरोध नहीं कर सकता। वह अपने शिकार को तीव्रता, भयंकर, और शक्तिशाली रूप से झपटता है, और कोई भी छुड़ा नहीं सकता। जब वह अपने लोगों के लिए अनन्त घर को सुरक्षित करता है और उन्हें अपनी सुरक्षा से ढाँपता है, तो हम वास्तव में सुरक्षित हैं। वहाँ हमें कोई भी हानि नहीं पहुँचा सकता। जब वह परीक्षाओं के समय हमारी आत्मा को ऊँचा उठाता और थामे रखता है, तो कोई भी हमें नीचे नहीं खींच सकता। और जब वह बचाता है, तो वह ऐसा सम्पूर्ण रूप से सुनिश्चित और बन्धनमुक्त विजय के साथ ऐसा करता है। ख्रीष्ट में विश्वास के द्वारा, प्रभु हमें “अज्ञात संसार में उड़ान भरने” के लिए एकत्रित करता है। यहाँ पृथ्वी पर हमारी अन्तिम आशा हमारे परमेश्वर के ऊँचे, निश्चित, और स्वर्गीय उद्धार में है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

एरेन डी. मेसनर
एरेन डी. मेसनर
रेव. एरेन डी. मेसनर, अटलांटा में वेस्टमिन्सटर प्रेसबिटेरियन चर्च के वरिष्ठ सेवक हैं।