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ऊँचे स्थान

इब्रानी शब्द बामाह (bamah)—जिसको “ऊँचा स्थान” के रूप में अनुवादित किया गया है—उसने भाषाविदों को लम्बे समय से उलझा कर रखा है। अन्य प्राचीन सामी (Semitic) भाषाओं में, इसकी सजाति एक पक्षी के “किनारे” या “बगल” को सन्दर्भित करती है, कभी-कभी यह पहाड़ियों की ढलान पर खुले मैदान को भी विस्तारित रूप से सन्दर्भित करता है जहाँ युद्ध लड़े जाते थे (भजन 18:33-34 देखें)। फिर भी सप्तति (Septuagint)—पुराने नियम का यूनानी अनुवाद—कभी-कभी “पहाड़ की चोटियों” के लिए यूनानी शब्द बामाह का अनुवाद करता है। यह उन पदों के साथ सहमति दिखाता है जो बामाह का वर्णन किसी ऐसी वस्तु के रूप में करता है जिस पर कोई चढ़ता है (1 शमूएल 9:13-14; 19) या ऐसा कुछ जिसका सम्बन्ध बादलों से हो (यशायाह 14:14)।

इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बामाह का अनुवाद “ऊँचा स्थान” किया गया है, यद्यपि अधिकांश विद्वान यह नहीं मानते कि मुख्य रूप से बाइबलीय लेखकों के विचार में ऊँचाई थी। पुरातत्वविज्ञानी प्राचीन इस्राएली नगरों में पाए गए देवस्थान या पंथ-स्थल को बामाह का नाम-पत्र (label) देते हैं। इसका एक उदाहरण एक छोटा मन्दिर है जो अराद के यहूदिया गढ़ के अन्दर तब तक स्थित था जब तक कि इसे नष्ट नहीं किया गया, सम्भवतः हिजकिय्याह के सुधार के समय में (2 राजा 17:9 देखें)।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस्राएल ने देवस्थानों का निर्माण किया, कभी-कभी बाहर खुले स्थान में (1 राजा 14:23; 2 राजा 16:4) और कभी-कभी अपने ही नगरों के भीतर (1 राजा 13:32; 2 राजा 23:5; 2 इतिहास 28:25)। परन्तु इनका निर्माण करने पीछे उनका क्या कारण था?

कुछ ऊँचे स्थान मूर्तिपूजा तथा मूर्तिपूजकों के धार्मिक कार्यों के परिणाम थे। गिनती 33:51-52 बताता है कि इस्राएलियों को कनानियों की विभिन्न धार्मिक सामग्री को नष्ट करना था, जिसमें उनके ऊँचे स्थानों भी सम्मिलित हैं। सुलैमान ने कमोश और मोलेक नामक झूठे विदेशी देवताओं के लिए एक ऊँचे स्थान का निर्माण किया (1 राजा 11:7)। और दुष्ट राजा मनश्शे ने अपने घृणित मूर्तिपूजा के समय ऊँचे स्थानों का निर्माण किया (2 राजा 21:1-5)। इस प्रकार, कुछ ऊँचे स्थान धर्मत्याग के कड़वे फल थे।

परन्तु अन्य ऊँचे स्थान इस्राएलियों द्वारा स्वीकार्य आराधना प्रदान करने के लिए यहोवा को समर्पित किए गए थे। पहला शमूएल 9:11-27 शमूएल के साथ शाऊल की प्रथम भेंट के विषय में बताता है। शमूएल बलिदान को आशीषित करने के लिए नगर के ऊँचे स्थान पर भोज में भाग ले रहा था; सम्भवतः यह यहोवा को अर्पित किया जा रहा था। अन्ततः, परमेश्वर उसी समय शमूएल से शाऊल के विषय में बात कर रहा था, बिना इस बात के विषय में संकेत किए कि यह ऊँचा स्थान शास्त्रसम्मत नहीं है (पद 15-17 देखें)। पहला राजा 3:2 यहाँ तक बताता है कि लोग ऊँचे स्थानों पर बलिदान करते थे क्योंकि “उन दिनों तक यहोवा के नाम का कोई भवन नहीं बना था,” यद्यपि अगला पद ऊँचे स्थान पर सुलैमान के बार-बार जाने को प्रभु के साथ उसके प्रेम की अस्थिरता को दर्शाता है। जब हिजकिय्याह ने ऊँचे स्थानों को ढा दिया, अश्शूर के दूत ने उसके विरुद्ध इस कार्य से लाभ उठाने का प्रयास किया, हिजकिय्याह पर यह आरोप लगाते हुए कि उसने उन ऊँचे स्थानों को ढा दिया जो उस परमेश्वर को समर्पित थे जिसमें वह अपना भरोसा रखता था (2 राजा 18:22; यशायाह 36:7)।

ऊँचे स्थानों के इन बाद के उदाहरणों की व्याख्या इस रूप में करना सबसे अच्छा होगा कि ऐसे स्थान जिन्हें समय-समय पर भले ही यहोवा द्वारा सहन किया गया था, फिर भी वे न तो उसकी इच्छानुसार सच्ची आराधना के के स्थान थे और न ही शुद्ध आराधना के लिए अन्ततः सहायक थे। यहाँ तक कि इसी कारण से यहूदा के धर्मी राजाओं की इस अभिव्यक्ति के साथ आलोचना की गयी “फिर भी ऊँचे स्थान ढाए न गए। प्रजा के लोग उस समय भी ऊँचे स्थानों पर बलि चढ़ाया और धूप जलाया करते थे” (1 राजा 22:43; 2 राजा 12:3; 14:4; 15:4)। इसी कारण से हिजकिय्याह और योशिय्याह के सुधार कार्य, जिसमें ऊँचे स्थानों का ढा देना सम्मिलित था, इस्राएल के इतिहास में विकास के उच्च बिन्दु हैं। अन्ततः, मूसा ने इस्राएल को चेतावनी दी थी कि ऊँचे स्थानों पर मूर्तिपूजा अन्ततोगत्वा निर्वासन की ओर ले कर जाएगी (लैव्यव्यवस्था 26:30)।

इस्राएल में ऊँचे स्थानों की कहानी हमें परमेश्वर की ही आराधना करने के महत्व को स्मरण कराती है जैसा कि उसने अपने वचन में निर्देशित किया है। आराधना में परमेश्वर के वचनों के परे जाने का प्रयासों का अन्त अच्छा नहीं होता है। आराधना को अपनी भावनाओं, प्राथमिकताओं, व्यावहारोपयोगिताओं, पूर्व-निर्णयों, लोकप्रियता, या भले अभिप्रायों के आधार पर “सुधारने” के प्रयास का अन्त ठीक नहीं होता है। ऊँचे स्थानों की कहानी हमें आराधना के लिए परमेश्वर की प्रकट इच्छा में संतुष्ट रहना सिखाती है, हमें यह स्मरण कराती है कि जब हम उसकी आराधना आत्मा और सच्चाई से करते हैं तो वह हमसे अपने अनुग्रह और दया में होकर मिलने से कभी नहीं चूकेगा (यूहन्ना 4:24)।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर. ऐन्ड्रू कॉम्पटन
आर. ऐन्ड्रू कॉम्पटन
रेव. आर. ऐन्ड्रू कॉम्पटन पुराना नियम अध्ययन प्रणाली के सहायक प्रोफेसर हैं और मिड-अमेरिका रिफॉर्मेड सेमिनरी में मास्टर ऑफ थियोलॉजिकल अध्ययन प्रोग्राम के निर्देशक और डायर, इंडियाना में रिडीमर यूनाइटेड रिफॉर्मेड चर्च के सहायक पास्टर हैं।