नमक - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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नमक

नमक पूरी बाइबल में दिखाई देता है, और लोग सबसे तत्परता से इसकी पहचान भोजन को स्वादिष्ट बनाने की योग्यता के रूप में करते हैं अन्यथा वह स्वादहीन होगा। इसके साथ ही नमक भोजन के संरक्षण का सुपरिचित पदार्थ और शुद्धिकरण का एक साधन है। एलीशा नबी ने नमक का उपयोग झरने को ठीक करने और जल में पायी जाने वाली अशुद्धताओं को दूर करने के लिए किया था (2 राजा 2:20-21)। यहेजकेल में पाया जाना वाला नवजात शिशु पर नमक मलने की प्रथा का उद्धरण सम्भवतः संक्रमण से बचाने के लिए था (यहेजकेल 16:2)। प्राचीन संसार में नमक अत्यन्त महंगा था, और लोग इसका उपयोग मितव्ययता तथा सावधानी से करते थे। एक मूल्यवान, स्वाद बढ़ाने वाले, संरक्षित, और शुद्ध करने वाले पदार्थ की ये बहुआयामी विशेषताएँ उन खण्डों में जहाँ यह संयोजन प्रकट होता है वहाँ भिन्न-भिन्न भूमिकाएं निभाता है।

बाइबल में एक सामग्री के रूप में नमक का पहला उद्धरण निर्गमन 30:35 में मिलता है। गन्धी जो वेदी के लिए धूप बनाता था वह लोबान में सुगन्धित मसाले मिलाता और उस मिश्रण में नमक मिलाता था। क्योंकि धूप उपभोग के लिए नहीं होती थी, इसलिए नमक स्वाद बढ़ाने के लिए योजक नहीं था। तथापि, यह शुद्धता और संरक्षण को दर्शाता था। वेदी से धूप का स्वर्ग की ओर उड़कर जाना प्रार्थना का प्रतीक था (भजन 141:2; लूका 1:10; प्रकाशितवाक्य 5:8)। मिश्रण में डाला गया नमक इस्राएल को इस बात का स्मरण कराता था कि जब याजक वेदी पर धूप जलाता था, तो उनकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर के सामने शुद्ध होती थीं और भुला नहीं दी गईं थीं। ख्रीष्टियों के रूप में, हम यीशु के नाम से प्रार्थना करते हैं जिससे कि उसके प्रायश्चित्त के बलिदान के सभी गुण और मूल्य हमारी प्रार्थनाओं को शुद्ध करे। हम इस आश्वासन के साथ भी प्रार्थना करते हैं कि जो प्रार्थना हम करते हैं प्रभु उसे कभी नहीं भूलता (भजन 38:9; प्रकाशितवाक्य 8:3-4)।

धूप के अतिरिक्त, मूसा ने इस्राएलियों को अपनी अन्नबलि को नमक के साथ चढ़ाने के लिए निर्देशित किया, जिसे उसने “तेरे परमेश्वर के साथ बँधी वाचा का नमक” कहा (लैव्यव्यवस्था 2:13)। इसी प्रकार की भाषा गिनती में भी पायी जाती है। वह पवित्र योगदान जो परमेश्वर के लोग उसे प्रस्तुत करते थे वे याजकों और उनके परिवारों के लिए सदा की विधि के समान था। यह “यहोवा के सम्मुख नमक की चिरस्थायी वाचा” थी (गिनती 18:19)। इसी प्रकार की एक अभिव्यक्ति 2 इतिहास 13:5 में भी पायी जाती है जहाँ परमेश्वर ने दाऊद से जिस वंश की प्रतिज्ञा की थी वह “नमक की वाचा के द्वारा” सदा तक बना रहेगा। क्योंकि याजक अन्नबलि का एक भाग खाते थे (लैव्यव्यवस्था 6:16), नमक का प्रयोग सम्भवतः इसको स्वादिष्ट बनाने के लिए किया गया होगा।

फिर भी, “नमक की वाचा” से मूसा का क्या अर्थ था? कुछ व्याख्याकारों ने अनुमान लगाया है कि नमक वाचायी भोजन का एक अंग था। समझौता होने के पश्चात्, वाचा के पक्ष एक साथ भोजन करके अपने समझौते का आयोजन मनाते थे। क्योंकि नमक महँगा था, इसलिए यह दिखाने के लिए वह अपने सम्बन्ध को महत्व देता है एक व्यक्ति इसे केवल ऐसे व्यक्ति के साथ साझा करता था जिस पर वह भरोसा कर सकता था। यद्यपि नमक वाचा के भोजनों का भाग रहा होगा, तथापि, पवित्रशास्त्र में कोई भी प्रत्यक्ष प्रमाण यह नहीं दिखाता कि ऐसा था।

“वाचा का नमक” या “नमक की वाचा” के तीन सन्दर्भों में, “नमक” शब्द वाचा का वर्णन या व्याख्या करता है। अन्य शब्दों में, यह एक “नमकीन” वाचा थी या एक ऐसी वाचा जो “नमक” से चिन्हित की जाती थी। पुनः, शुद्धता और संरक्षण के गुण सामने आते हैं। यह वाचा वास्तविक और सत्य थी क्योंकि परमेश्वर ने इसे अपने लोगों को दी थी। यह चिरस्थायी भी है। अच्छी रीति से संरक्षित की गयी, नमक की वाचा सदा के लिए रहती है (गिनती 18:9; 2 इतिहास 13:5)।

नए नियम में, प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से स्वयं में नमक रखने हेतु आग्रह किया (मरकुस 9:50)। यह प्रोत्साहन पाप और प्रलोभनों के विषय में विभिन्न चेतावनियों के पश्चात् आता है जो कि इस गम्भीर अनुस्मारक के साथ समाप्त होता है कि न्याय का एक दिन भविष्य में आने वाला है जब “प्रत्येक जन आग से नमकीन किया जाएगा” (पद 49)। इसलिए ख्रीष्ट के अनुयायियों को नमक के अच्छे गुणों को रखना चाहिए और उन्हें नष्ट नहीं होने देना चाहिए (पद 50)। परमेश्वर के न्याय की आग संसार को नमकीन और शुद्ध करेगी। इसलिए विश्वासियों को संसार में ख्रीष्ट समान साक्षी के माध्यम से एक शुद्ध करने वाला प्रभाव बनना चाहिए। आखिरकार, विश्वासी पृथ्वी के नमक हैं (मत्ती 5:13)।

हमारे पवित्रीकरण के एक महत्वपूर्ण भाग में हमारी बोली भी सम्मिलित है। हमारे शब्द अनुग्रहमयी और “सलोने” होने चाहिए (कुलुस्सियों 4:6)। इस परामर्श के साथ, पौलुस नमक की स्वाद देने वाली क्षमता पर ध्यान केन्द्रित करता है। नमकीन बोली आकर्षक रीति से सत्य को प्रस्तुत करती है। नमक से भरे शब्द कभी सत्य से समझौता नहीं करते क्योंकि वे सुसमाचार की शुद्धता को संरक्षित और प्रतिबिम्बित करते हैं, किन्तु उन्हें कठोर, कर्कश, और निर्दयी होने की आवश्यकता नहीं है।

नमक हमारे दैनिक जीवन का एक भाग है, और फिर भी हम इसके विषय में बहुत अधिक नहीं सोचते हैं। यद्यपि, जब हम परमेश्वर के वचन पर विचार करते हैं, हम देखते हैं कि दोनों नियमों में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ ही साथ हमारे सामने स्वयं में नमक रखने वाले पवित्र लोग बनने की चुनौती प्रस्तुत करता है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

रेट पी. डॉडसन
रेट पी. डॉडसन
डॉ. रेट पी. डॉडसन, हडसन ओहायो में ग्रेस प्रेसबिटेरियन चर्च में वरिष्ठ पास्टर हैं। वे मार्चिंग टू ज़ाएन तथा विद अ माईटी ट्राइअम्‍फ़्‌ समेत कई पुस्तकों के लेखक हैं