आशाहीनता का सामना करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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आशाहीनता का सामना करना

अलास्का के ऐन्खरेज से दक्षिण, सेवर्ड राजमार्ग पर, मेरा मित्र खो गया था और उसको अलास्का में होप (Hope, अर्थात् आशा) नाम के गाँव के लिए दिशा-निर्देशन की आवश्यकता थी, जो कि केनाई प्रायद्वीप पर स्थित है। मेरे मित्र ने मार्ग में एक वृद्ध पुरुष से पूछा, “होप (आशा) तक कैसे जाऊ?” उस पुरुष ने कहा, “कलीसिया में जाओ और प्रार्थना करो।” उसने यह बात मुस्कराते हुए इस प्रकार कहा मानो वह कोई उत्तम अभिनेता था जिसने यही वाक्य अनेक बार बोला हो।

उसके परामर्श का पालन करना हम सब के लिए लाभकारी होगा। बहुत सारे लोग आशा के मार्ग से भटक गए हैं। हमारे समाज और कलीसिया में आशाहीनता और दोषदर्शिता महामारी के जैसे बन गए हैं। आशाहीनता एक प्रकार के हतोत्साह और भय की अनुभूति है। आशाहीनता का सम्बन्ध आत्महत्या से, अवसाद से, स्वयं को हानि पहुँचाने से, और अचाहनेयोग्य होने के विश्वास से है। आशाहीनता एक कठोर शिक्षक रही है।

पिछले कुछ वर्षों का पाठ यह रहा है कि सरकार, अर्थव्यवस्था, राजनीति, और सामाजिक जागरूकता हमारे भविष्य को स्थिर नहीं करेंगे। तो, हम आशा तक कैसे पहुँच पाएँ? आशा की ओर जाने वाला मार्ग कैसा दिखता है। प्रत्येक यात्रा के समान, आशा के मार्ग का आरम्भ यह जानने के द्वारा होता है कि हम कहाँ हैं। यदि आप इस लेख को पढ़ रहे हैं और आप इतने आशाहीन अनुभव कर रहे हैं कि आप स्वयं को हानि पहुँचाने के विषय में सोच रहे हैं, तो अपने पास्टर, मित्र, या परिवार के सदस्य को फोन लगइए। जब आशाहीनता प्रबल होने लगती है, आप चाहेंगे कि आप स्वयं को परमेश्वर और अन्य लोगों से अलग करे। आपके लिए परमेश्वर की इच्छा कभी भी आत्महत्या, अकेलापन, और स्वयं को हानि पहुँचाना नहीं होती है। हमारे समाज में, जिसमें कहा जाता है, “सकारात्मक रहो” और “थोड़ा परिश्रम और करो,” सच्चाई से अपनी समस्या का सामना करना संकटपूर्ण सुनाई पड़ता है।

आशाहीनता तब आती है जब हमारी आशा किसी ऐसी बात में होती है जो अस्थिर है या हमारे जीवन की गहन इच्छाओं को पूरी करने के लिए अक्षम है। आशा की ओर अप्रत्याशित मार्ग इस बात को समझने से आरम्भ होता है कि हमारी योजनाएँ न चलती हैं और न ही उनमें क्षमता है कि वे इस पतित जगत के दुःख को हटाए। विडम्बना की बात यह है कि सच्ची आशा प्राप्त करने के लिए आशाहीनता प्रथम चरण है। परमेश्वर कभी नहीं चाहता था कि हम इस जीवन की वस्तुओं से पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हों। परमेश्वर नहीं चाहता कि उसके बच्चे छोटे ईश्वरों के प्रति समर्पित हों। हमें परमेश्वर के साथ संगति के लिए रचा गया था; इसलिए हम परमेश्वर के साथ, और अन्य लोगों तथा स्वयं के साथ उस पुनःस्थापित सम्बन्ध की लालसा रखते हैं। जब हम अपनी गहन इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने जीवन साथी, अपने बच्चों, अपने व्यवसाय, या अपनी सरकार पर निर्भर होना छोड़ेंगे, तो हम उन बातों का आनन्द उठा पाएँगे जो वे प्रदान कर सकते हैं। हम आशा तक कभी नहीं पहुँच पाएँगे यदि हम विश्वास करें कि केवल परिस्थितियों को परिवर्तित करना ही हमारी समस्याओं के समाधान हैं।

बाइबल बहुधा बात करती है कि वर्तमान परिस्थितियाँ हमारी आशा को निर्धारित नहीं करती हैं। निर्वासन के समय विश्वासयोग्यता से रहना हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम अल्पकालिक प्रसन्नता की छोटी आशायों से आगे बड़े चित्र को देखें। आशा का मार्ग आरम्भ होता है जब हम अपने जीवन को सिद्ध बनाने के लिए अपनी क्षमता के अन्त तक पहुँचते हैं। बाधाओं और हताशाओं के होते हुए भी, हम एक बड़े उद्देश्य के लिए जी सकते हैं और हमारे पास परम आशा हो सकती है। बाइबल में परमेश्वर के लोग निर्वासन में रहे, परन्तु परमेश्वर ने उन्हें आशा की प्रतिज्ञा दी। पौलुस ने बन्दीगृह से आशा और प्रोत्साहन के विषय में लिखा। कलीसिया सताव के मध्य बढ़ती गई, क्योंकि उसकी आशा परिस्थितियों में नहीं वरन् केवल परमेश्वर में थी। आशा की ओर यात्रा तब आरम्भ होती है जब हम स्वयं की क्षमताओं के अन्त तक पहुँच जाते हैं और हम केवल परिस्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करने के स्थान पर इस बात को ध्यान देते हैं कि हमारी पहचान इस बात में है कि ख्रीष्ट में हम परमेश्वर के स्वरूप को धारण करते हैं।

हम कभी भी सच्ची आशा तक नहीं पहुँचेंगे यदि हम छोटे, सम्भव लक्ष्यों को प्राप्त करने के द्वारा स्वयं को धोखा देने का प्रयास करें। आशा छोटी, स्वार्थी मानसिकता से नहीं प्राप्त होती है। आशा की ओर बढ़ने के लिए हमें सत्य को थामना होगा। और सत्य यह है कि हम परमेश्वर द्वारा उसकी महिमा के लिए जीने के लिए बनाए गए हैं। आशाहीन व्यक्ति बहुत बड़ी बातों के विषय में नहीं सोचा करता है—वास्तव में वह बहुत छोटी बातों के विषय में सोचता है। इसलिए, जब आपके सामने आशा का मार्ग खुलता है, तो इस बात को समझें कि आपके जीवन में एक उद्देश्य है। ख्रीष्ट में, आप परमेश्वर की चुनी हुई सन्तान हैं और इसलिए आप परमेश्वर के परिवार के सदस्य हैं।

एक बार जब हम अपनी परिस्थितियों से आगे बढ़ जाते हैं और हमारे लिए परमेश्वर के महान् उद्देश्य को समझ जाते हैं, तो पीछे पलटकर देखना उपयोगी होता है। स्मरण करें कि परमेश्वर भूतकाल में विश्वासयोग्य कैसे रहा है। बाइबल के उन खण्डों को पढ़ें और उनका अध्ययन करें जो उसकी विश्वासयोग्यता को प्रकट करते हैं। अपने आसपास देखें—आप पायेंगे कि आप अकेले नहीं हैं। हमारा जीवन अकेले जीने के लिए नहीं है। हमें समझना होगा कि अन्य लोग हमारे साथ हैं, अन्य लोग भी संघर्ष करते हैं, और अन्य लोगों को भी मार्ग में हमसे सहायता और प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी। ध्यान से देखें और हम अपने सच्चे साथी को देखेंगे। ख्रीष्ट हम में है और उसका आत्मा हमें सामर्थ्य दे रहा है।

एक नया केन्द्र-बिन्दु, एक बड़ा उद्देश्य, आसपास के साथी, और सामर्थ्य देने वाले ख्रीष्ट के साथ-साथ, आशा के मार्ग के लिए कृतज्ञता और प्रार्थना भी आवश्यक हैं। कृतज्ञता और आशाहीनता का एक साथ होना असम्भव है। आशा के मार्ग में बने रहने के लिए हमें प्रायः अपनी प्रार्थनाओं में परमेश्वर को धन्यवाद देने की आवश्यकता होगी।

यात्रा के इस स्तर पर, हम कुछ विरोध का सामना करेंगे। आशाहीनता एक ठग है जो हमें प्रेम करने, प्रयास करने, और स्वप्न देखने से रोकता है—विचित्र बात यह है कि आशाहीनता हमारे लिए सरल हो सकता है। हमें आशा चाहिए, परन्तु हम चाहते हैं कि सब कुछ हमारे नियन्त्रण में रहे। हमें आशा चाहिए, परन्तु हम दूसरों को और परमेश्वर को न प्रेम करने को उचित भी ठहराना चाहते हैं। यशायाह की पुस्तक में परमेश्वर अपने लोगों को आमन्त्रित करता है कि वे उसकी योजना में भाग लें, उसकी वाचाओं पर भरोसा रखते हुए जीएँ, और उसके प्रावधान की आशा रखें: “जो रोटी नहीं है उसके लिए रुपया और जिस से पेट नहीं भरता उसके लिए अपनी शक्ति क्यों गँवाते हो? ध्यान से मेरी सुनो, और जो उत्तम है उसे खाओ, तथा बहुतायत से पाकर आनन्दित हो जाओ” (यशायाह 55:2)।

जब हम आशा की ओर यात्रा करते हैं, आइए हम स्मरण रखें कि हम सही दृष्टिकोण रखें और परमेश्वर पर ध्यान लगाएँ। उस वृद्ध पुरुष ने ठीक कहा था: “प्रार्थना करो और कलीसिया में जाओ ।” वहाँ हमें पुनः स्मरण दिलाया जाएगा कि वास्तविक अनन्त आशा कहाँ पाई जाती है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

जेम्स कोफ्फील्ड
जेम्स कोफ्फील्ड
डॉ. जेम्स कोफ्फील्ड टेनेस्सी के नौक्सविल में क्राइस्ट कवनेन्ट चर्च में वयस्क सेवकाई के निर्देशक, और रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनेरी में परामर्ष के विषय के आगंतुक प्राध्यापक हैं।