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दृश्यमान कलीसिया में सेवकाई

कलीसिया के विषय में विचार करते समय एक उपयोगी ईश्वरविज्ञानीय अन्तर उसके दृश्यमान और अदृश्यमान स्वभाव का है। इसका सरल अर्थ यह है कि किसी कलीसिया को दो दृष्टिकोण से देखा जा सकता है: परमेश्वर का दृष्टिकोण और हमारा। परमेश्वर के दृष्टिकोण से, कलीसिया का अर्थ है उसके चुने हुए लोग। उसमें केवल वही लोग हैं जो ख्रीष्ट द्वारा छुड़ाए गए हैं, आत्मा द्वारा पुनरुज्जीवित किए गए हैं, और उसके साथ जीवित संगति में रहते हैं। यह “परमेश्वर की कलीसिया” है “जिसे उसने अपने ही लहू से मोल लिया है” (प्रेरितों के काम 20:28)। परन्तु क्योंकि हम कलीसिया सभा में अपने साथ बैठने वाले के हृदय को नहीं देख सकते हैं, इसलिए हम नहीं जान सकते हैं कि वह इस अदृश्य वास्तविकता का सदस्य है या नहीं। हमारी दृष्टिकोण से, “दृश्यमान कलीसिया में संसार भर के वे सब लोग हैं जो सच्चे विश्वास का दावा करते हैं; और उनके बच्चे भी” (वेस्टमिन्स्टर विश्वास का अंगीकार 25.2)। परन्तु यीशु ने चिताया, “प्रत्येक जो मुझसे, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा” (मत्ती 7:21)। दूसरे शब्दों में, हम जो देखते हैं और सुनते हैं, सर्वदा वह वास्तविकता से मेल नहीं खाता है।

यह दृश्यमान और अदृश्यमान का अन्तर महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बाइबलीय है। यहूदा बारह चेलों में एक था, हनन्याह और सफीरा यरूशलेम की कलीसिया के सदस्य थे, और ये तीनों लोग इस्राएल देश के थे। फिर भी पौलुस ने लिखा, “वे सब जो इस्राएल के वंशज हैं, इस्राएली नहीं” (रोमियों 9:6)। यह अन्तर करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन बातों को सार्थक बनाता है जिनकी पवित्रशास्त्र कलीसिया के विषय में पुष्टि करता है। कलीसिया पवित्र है (1 कुरिन्थियों 1:2) क्योंकि अदृश्यमान कलीसिया—चुने हुए लोग—यीशु के साथ मिलन के द्वारा पृथक किया गया है। दृश्यमान कलीसिया के भीतर झूठे दावे इस सत्य को न ही बदलते हैं और न ही बदल सकते हैं।

और यह अन्तिर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बाध्य करता है कि हम ध्यान से विचार करें कि कलीसिया सेवकाई कैसे करती है। हमारा लक्ष्य है कि दृश्यमान कलीसिया और अधिक अदृश्यमान कलीसिया को प्रतिबिम्बित करती जाए। अर्थात्, हम चाहते हैं कि वे सब लोग जो दावा करते हैं कि वे ख्रीष्ट को जानते हैं, सच में उसको जानें। तो, कलीसिया को अपनी शुद्धता को सुरक्षित रखने और झूठे दावे करने वालों को सच्चे अनुयायी में परिवर्तित होते हुए देखने के लिए क्या करना चाहिए?

ख्रीष्ट का प्रचार करें
उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण सेवकाई है ख्रीष्ट और क्रूसित ख्रीष्ट का स्पष्ट प्रचार। हमें इस बात को भूलना नहीं चाहिए कि सुसमाचार ख्रीष्टियों के लिए आवश्यक है। यह कोई ऐसी बात नहीं है जिस पर हम केवल कलीसिया में “प्रवेश करने” के लिए विश्वास करते हैं या फिर केवल मृत्यु के कुछ क्षण पहले ग्रहण करते हैं। सुसमाचार सम्पूर्ण ख्रीष्टीय जीवन के लिए आधारभूत है। विश्वास और मन फिराव केवल एक बार की घटनाएँ नहीं हैं, परन्तु चलते रहते हैं। हमें निरन्तर पाप को छोड़ना है और यीशु ख्रीष्ट में परमेश्वर के अनुग्रह की ओर लौटने की आवश्यकता है। उसकी करुणा प्रतिदिन नई है, और हमें प्रतिदिन उसके बारे में सुनने की आवश्यकता है।

यदि सुसमाचार विश्वासी के लिए आवश्यक है, तो यह और कितना अधिक आवश्यक है अविश्वासी के लिए जो “आशाहीन और संसार में परमेशिवर-रहित” हैं (इफिसियों 2:12)? कलीसिया के प्रचार में यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि प्रत्येक प्राण को उद्धारकर्ता से मिलने की आवश्यकता है। किसी भी मण्डली को यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्होंने इस लक्ष्य को पहले ही प्राप्त कर लिया है (फिलिप्पियों 3:12) और कि केवल उन लोगों को सुसमाचार की आवश्यकता है जो कलीसिया के बाहर हैं। सुसमाचार का प्रचार करना केवल बाजारों, सम्मेलनों या विशेष कार्यक्रमों के लिए ही नहीं है। सुसमाचार का प्रचार करना रविवार के लिए भी है, क्योंकि उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को उसकी आवश्यकता है। और इस सप्ताह, परमेश्वर के अनुग्रह से, हो सकता है कि कोई व्यक्ति जो बहुत समय से सदस्य है पहली बार इस पर विश्वास करे।

कलीसियाई अनुशासन लागू करें
यह वास्तविकता कि दृश्यमान कलीसिया में विश्वासियों और अविश्वासियों का मिश्रण है, कलीसियाई अनुशासन की आवश्यकता के महत्व को प्रकट करता है—विश्वासियों को पुनःस्थापित करने के लिए और “सम्पूर्ण आटे को संक्रमित करने वाले खमीर” (वेस्टमिन्स्टर विश्वास का अंगीकार 30.3) को निकालने के लिए। कलीसिया को शुद्ध रखने के द्वारा कलीसिया के अगुवे झुण्ड को सुरक्षित रखते हैं और ख्रीष्ट के शुद्ध नाम को बढ़ावा देते हैं। यीशु ने स्वयं अपश्चात्तापी कलीसियाई सदस्य के विषय में कहा, “यदि वह कलीसिया की भी न सुने तो वह तेरे लिए अन्यजाति और कर वसूल करने वाले के समान ठहरे” (मत्ती 18:17)। वे पास्टर और एल्डर जो अनुशासन को गम्भीरता से नहीं लेते हैं, वे दृश्यमान और अदृश्यमान कलीसिया के मध्य के अन्तर को और गहरा करने के खतरे में हैं।

महिमा की आशा रखें
जबकि परमेश्वर के लोगों में पाप की उपस्थिति निरुत्साह का कारण है, यह अन्तर वास्तव में हमें आशा देती है क्योंकि यह इस बात की पुष्टि करता है कि कलीसिया में कुछ ऐसी बात भी है जिसे हम अभी देख नहीं सकते हैं। व्यक्तिगत पवित्रीकरण के सम्बन्ध में जॉन न्यूटन (John Newton) के शब्द कलीसिया का वर्णन करने के लिए भी उपयुक्त हैं: “मैं वह नहीं हूँ जो मुझे होना चाहिए, मैं वह नहीं हूँ जो मैं होना चाहता हूँ, मैं वह नहीं हूँ जो मैं किसी अन्य संसार में होने की इच्छा रखता हूँ; परन्तु मैं वह भी नहीं हूँ जो मैं हुआ करता था, और परमेश्वर के अनुग्रह से मैं जो हूँ सो हूँ।”

ऐसा कहा गया है कि पृथ्वी पर कलीसिया उस भव्य भवन के समान है जिसकी सुन्दरता निर्माण में सहायता करने वाले मचान के कारण धुंधली हो गई है। यद्यपि मचान भवन को देखने में बाधा डालते हैं, यह केवल कुछ समय के लिए, और एक बड़े उद्देश्य के लिए ऐसा करता है: भवन को और अधिक सुन्दर बनाया जा रहा होता है। पवित्र आत्मा के अन्तर्निवास के द्वारा, दश्यमान कलीसिया के भीतर वे सब तत्व हैं जो शीघ्र प्रकट होने वाले अद्भुत नवीनिकरण के लिए आवश्यक है (रोमियों 8:23)। इसलिए, हमारे पास हर सम्भव कारण है कि हम सेवकाई में लगे रहें और इस आशापूर्ण भरोसे के साथ लगे रहें कि परमेश्वर के लोगों को कोई भी पाप या बाधा पूर्ण रीति से नहीं पराजित कर सकता है।

यह महिमामय उन्नत्ति के मार्ग का अर्थ है कि सब लोगों को दृश्यमान कलीसिया में होने की आवश्यकता है। इसलिए हम उत्साह के साथ बाहर वालों का स्वागत करते हैं और सक्रीय रीति से भीतर वालों को प्रोत्साहित करते हैं। हम उन सब को अपनाते हैं जिन्होंने ख्रीष्ट पर विश्वास करने का दावा किया, जैसे परमेश्वर हमारा स्वागत करता है, और हम सन्देह और भेद-भाव को दूर रखते हुए उनको अपना परिवार मानते हैं। उसके साथ-साथ, हम जानते हैं कि हमारी मण्डलियों में अविश्वासी लोग अवश्य होंगे, और इसलिए हम सुनिश्चित करते हैं कि सुसमाचार हमारे प्रत्येक कार्य में पाया जाए। आत्मा पर निर्भरता और कलीसिया को बनाने के लिए ख्रीष्ट की प्रतिज्ञा पर विश्वास के द्वारा, दृश्यमान कलीसिया के रूप में हम सक्रीय रीति से अदृश्यमान कलीसिया में प्रवेश को बढ़ावा देते हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

जॉनथन लैण्ड्री क्रूस
जॉनथन लैण्ड्री क्रूस
रेव्ह. जॉनथन लैण्ड्री क्रूस मिशिगन के कालामज़ू में कम्यूनिटी प्रेस्बिटेरियन चर्च के पास्टर हैं। वे पच्चास से अधिक भजन और कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें हिम्स ऑफ डिवोशन, द क्रिस्चियन्स ट्रू आयडेन्टिटी और द कैरक्टर ऑफ क्राइस्ट हैं।