पवित्र आत्मा - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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पवित्र आत्मा

प्रस्तावना
पवित्र आत्मा पवित्र त्रिएकता के तीन व्यक्तियों में से एक व्यक्ति है, और वह अवैयक्तिक शक्ति के स्थान पर एक वैयक्तिक प्राणी (being) है। वह परमेश्वर पिता और परमेश्वर पुत्र के साथ सत्त्व में समान तथा सामर्थ्य और महिमा में बराबर है। त्रिएक परमेश्वर के प्रत्येक व्यक्ति के पास एक विशिष्ट वैयक्तिक गुण है। आत्मा का वैयक्तिक गुण, जो कि परमेश्वर का तीसरा जन है, यह है कि वह पिता और पुत्र से “अग्रसर” (proceeds) होता है। परमेश्वर पवित्र आत्मा सृष्टि और नई सृष्टि के एक जीवन देने वाले अभिकर्ता के रूप में कार्य करता है। आत्मा बाइबलीय रहस्योद्घाटन (revelation), प्रकाशन (illumination), और दृढ़-विश्वास (persuasion) का मुख्य अभिकर्ता है। वह पापियों के हृदयों में कायलता (conviction), पुनरुज्जीवन (regeneration), और परिवर्तन (transformation) को भी लाता है। छुटकारे के कार्य में आत्मा चुने हुओं के हृदयों और जीवनों में पुत्र के कार्य को लागू करता है। आत्मा ख्रीष्ट के साथ विश्वासियों का आत्मिक मिलन करता है, जिसके द्वारा वह उन्हें ख्रीष्ट के व्यक्ति और कार्य के लाभों को प्रदान करता है।

व्याख्या
बाइबल सिखाती है कि एक ही सच्चा और जीवित परमेश्वर है। परमेश्वर तीन भिन्न परन्तु अविभाज्य व्यक्तियों में निर्वाह (subsist) करता है। त्रिएक परमेश्वर के सदस्य पूर्णतः एक-दूसरे में, और एक साथ वास करते हैं। वे ही एक सच्चा और जीवित परमेश्वर हैं। परमेश्वर के सभी सदस्य एक ही सारतत्व के हैं, जैसा कि वेस्टमिन्स्टर लघु धर्मप्रश्नोत्तरी कहती है, “सत्त्व में एक, सामर्थ्य और महिमा में बराबर।” ईश्वरविज्ञानियों ने सामान्य रीति से पवित्र आत्मा को परमेश्वर के “तीसरे व्यक्ति” के रूप में उल्लिखित किया है। इसमें प्राणी और अधिकार के सम्बन्ध में कोई पराधीनता सम्मिलित नहीं है, वरन् यह परमेश्वरत्व के तीन सदस्यों के मध्य वैयक्तिक भिन्नता को दर्शाता है। “अग्रसर होना” (Procession) या “निकलना” (spiration) पवित्र आत्मा का वैयक्तिक गुण है जो उसे पिता और पुत्र से अलग करता है। पवित्रशास्त्र आत्मा को अनेकों नामों से उल्लखित करता है — “आत्मा,” “परमेश्वर का आत्मा,” “यहोवा का आत्मा,” “पवित्र आत्मा,” “पवित्रता का आत्मा,” और “ख्रीष्ट का आत्मा” (उत्पत्ति 1:2; निर्गमन 31:3; न्यायियों 3:10; मत्ती 1:18; रोमियों 1:4; इफिसियों 4:30; 1 पतरस 1:11)।

आरम्भिक कलीसिया में पवित्र आत्मा के विषय में वाद-विवाद उसके ईश्वरत्व के स्थान पर व्यक्ति (personhood) पर केन्द्रित था। जैसा कि हरमन बाविंक (Herman Bavinck) समझाते हैं: “द्वितीय व्यक्ति के सन्दर्भ में, विवाद का मूल बिन्दु लगभग सदैव उसका ईश्ववरत्व था —सामान्य रीति से कहा जाए तो उसके व्यक्ति के कोई विवाद नहीं थे — पवित्र आत्मा के विषय में उसका व्यक्ति था जो जिसने मुख्यतः विवादों को जन्म दिया। यदि उसके व्यक्तित्व को स्वीकार किया जाता, तो स्वाभाविक रीति से उसके ईश्वरत्व को भी स्वीकार किया जाता” (रिफार्म्ड डॉगमैटिक्स, 2:311)।

पवित्रशास्त्र पवित्र आत्मा के व्यक्ति होने के विषय में कई रीतियों से सिखाता है। प्रेरित पतरस ने पवित्र आत्मा के व्यक्ति और ईश्वरत्व को हनन्याह के साथ आमना-सामना में पुष्टि की, जब उसने कहा, “शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले? . . . तूने मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर स झूठ बोला है” (प्रेरितों के काम 5:3-4)। यह आत्मा के ईश्वरत्व और व्यक्तित्व का स्पष्ट प्रमाण है। जब प्रेरित पौलुस प्रस्थान करने के समय इफिसुस की कलीसिया के अगुवों को अपना उपदेश दिया, उसने उन्हें स्मरण दिलाया कि पवित्र आत्मा ने उन्हें व्यक्तिगत रीति से परमेश्वर की कलीसिया का अध्यक्ष ठहराया है (प्रेरितों के काम 20:28)। आत्मा का व्यक्ति होना इस प्रकार भी प्रकट किया गया है कि नया नियम पुराने नियम का लेखक होने का श्रेय आत्मा को देता है। यीशु ने भजन संहिता 110 का उद्धरित करते कहा, “दाऊद, आत्मा में उसे प्रभु कहता है … ”(मत्ती 22:43)। इब्रानियों की पुस्तक के लेखक ने वर्णन किया कि भजन 95 का वैयक्तिक लेखक पवित्र आत्मा है। यह कहते हुए कि “जैसा पवित्र आत्मा कहता है, ‘यदि आज तुम उसकी आवाज़ सुनो’” (इब्रानियों 3:7)। केवल व्यक्ति बोलते हैं, इसलिए ये पद दिखाते हैं कि पवित्र आत्मा एक संचार करने वाला ईश्वर व्यक्ति है।

पुराने नियम में पवित्र आत्मा नव निर्मित और बेडौल संसार के जल पर मण्डराता था। उसने सृष्टि के निकट अभिकर्ता के रूप में कार्य किया, और उसने संसार में अव्यवस्था से व्यवस्था को और जीवन और सुन्दरता को लाया। भजन 104:30 उस रीति के विषय में बात करता है जिसमें पवित्र आत्मा सृजित संसार में जीवन को उत्पन्न करता है और सम्भालता है: “तू अपना आत्मा भेजता है तो वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती के रूप को नया कर देता है।” वैसे ही नई सृष्टि के कार्य में पवित्र आत्मा जीवन, सम्पोषण (सम्भालने वाला), और सामर्थ्य का अभिकर्ता है। नई सृष्टि के कार्य में पवित्र आत्मा छुड़ाए हुओं को परमेश्वर के समस्त अनुग्रह प्रदान करता है। हरमन बाविंक पुराने नियम में परमेश्वर के आत्मा के कार्य पर निम्न प्रकार से प्रकाश डालते हैं:

परमेश्वर का आत्मा समस्त जीवन और भलाई का तथा प्रकाशन के क्षेत्र में समस्त वरदान और सामर्थ्य का मूल (आधार) है: साहस का (न्यायियों 3:10; 6:34; 11:29; 13:25; 1 शमूएल 11:6), दैहिक बल का (न्यायियों 14:6; 15:14), कलात्मक कुशलता का (निर्गमन 28:3; 31:3-5; 35:31-35; 1 इतिहास 28:12-19), शासन करने की योग्यता का (गिनती 11:17, 25; 1 शमूएल 16:13), ज्ञान और बुद्धि का (अय्यूब 32:8; यशायाह 11:2), पवित्रता और नवीनीकरण का (भजन संहिता 51:12; यशायाह 63:10; इसे भी देखें उत्पत्ति 6:3; नहेमायाह 9:20; 1 शमूएल 10:6,9), और नबूवत और भविष्यवाणी का (गिनती 11:25,29; 24:2-3; मीका 3:8 इत्यादि)। (रिफॉर्म्ड डॉग्मैटिक्स, 2:263)

पुराने नियम और नये नियम दोनों में पवित्र आत्मा ही यीशु को उसके व्यक्ति और कार्य के आधार पर प्रकट करने वाला अभिकर्ता है। पवित्र आत्मा विश्वासियों का ख्रीष्ट के साथ मिलन का भी अभिकर्ता है। पुराने नियम के नबियों को पहले ही से मसीह के जीवन और सेवकाई में पवित्र आत्मा की भूमिका के विषय में बता दिया गया था (यशायाह 11:2; 42:1; 61ः1)। उन्होंने राष्ट्रों के मध्य ख्रीष्ट के बचाने वाले कार्य को लागू करने वाले एक अभिकर्ता के रूप में पवित्र आत्मा के कार्य की प्रत्याशा की (यशायाह 32:15, 44:3; यहेजकेल 36:26-27; 39:29; योएल 2:28-29; ज़कर्याह 12:10)।

नये नियम में पवित्रशास्त्र वर्णन करता है कि पवित्र आत्मा ख्रीष्ट को उसके छुटकारे के कार्य को पूरा करने में सहयोग किया। पवित्र आत्मा मरियम के गर्भ में यीशु का अद्भुत गर्भधारण के अभिकर्ता के रूप में कार्य किया; पवित्र आत्मा ने ख्रीष्ट को उसके पवित्र वृद्धि और विकास के लिए भर दिया, उसने यीशु को अद्भुत कार्यों को करने के लिए सामर्थ्य से भर दिया; उसने ख्रीष्ट को परीक्षाओं और दुःखों में अगुवाई की। इससे बढ़कर, पवित्र आत्मा के द्वारा ही ख्रीष्ट ने स्वयं को परमेश्वर के सम्मुख चढ़ा दिया (इब्रानियों 9:14)। पवित्र आत्मा ही ख्रीष्ट के पुनरुत्थान और महिमान्वीकरण का अभिकर्ता है। यीशु के अद्भुत कार्यों में पवित्र आत्मा के कार्य को अस्वीकार करना परमेश्वर के प्रति ईशनिन्दा करने के समतुल्य है।

उसके स्वर्गारोहण के पश्चात् यीशु ने पवित्र आत्मा को अपने लोगों में भेजा जिससे कि उन्हें सारे संंसार में उसकी साक्षी देने के लिए सामर्थ्य मिले। प्रेरितीय युग के अन्तराल पवित्र आत्मा ने परमेश्वर के राज्य के आगमन को प्रमाणित करने के लिए अपने लोगों में असाधारण वरदानों का कार्य किया। वे वरदान ग्रन्थ-संग्रह के साथ समाप्ति के साथ बन्द हो गए। ख्रीष्ट का आत्मा उन लोगों के द्वारा प्रचार किए जाने वाले सुसमाचार के सन्देश को सामर्थ्य और प्रभाव देता है, जिन्हें परमेश्वर ने खोए हुए और नाश होने वाले संसार में शुभ सन्देश लाने के लिए नियुक्त किया है (1पतरस 1:11-12)। चुने हुए लोगों को पाप के विषय में और उद्धारकर्ता की आवश्यकता के विषय में कायल करने के साथ पवित्र आत्मा उन्हें पुनरुज्जीवित करता है, उनमें वास करता है, और उनके अनन्त उत्तराधिकार की छाप बन जाता है। विश्वासी पाप को स्वीकार कर आत्मा को दुःखी कर सकते हैं और बुझा सकते हैं। परन्तु पवित्र आत्मा विश्वासियों को पवित्र करता है, उन्हें पवित्रता के मार्गों पर अगुवाई करता है और उनके प्राणों में आशा, आनन्द, आश्वासन उत्पन्न करता है।

उद्धरण
पवित्र आत्मा को एक व्यक्ति कहा जाता है। व्यक्ति वाचक सर्वनाम (personal demonstrative pronoun) ‘वह’-पुल्लिंग सर्वनाम (इकेनॉस – ἐκεινος) का उपयोग उसके सन्दर्भ में किया जाता है (यूहन्ना 15:26; 15:13-14); उसे पाराक्लीट (Paraclete=παρακλητος, यूहन्ना 15:26; की तुलना यूहन्ना 2:1 से करें); और दूसरा पाराक्लीट (यूहन्ना 14:16) कहा जाता है, जो स्वयं के विषय में प्रथम पुरुष में बोलता है (प्रेरितों के काम 13:2)। समस्त वैयक्तिक क्षमता और कार्यों का श्रेय उसे दिया जाता है: गूढ़ बातों को खोजना (1 कुरिन्थियों 2:10-11), उचित व अनुचित में भेद करना (प्रेरितों के काम 15:28), सुनना (यूहन्ना 16:13), बोलना (प्रेरितों के काम 13:2 ; प्रकाशितवाक्य 2:7,11 17,29; 3:6,13, 22; 14:13; 22:17), इच्छानुसार कार्य करना (1कुरिन्थियों 12:11), सिखाना (यूहन्ना 14:26), विनती करना (रोमियों 8:27), साक्षी देना (यूहन्ना 15:26) इत्यादि। वह पिता और पुत्र के साथ बराबर (समकक्ष) है (मत्ती 28:19; 1 कुरिन्थियों 12:4-6; 2 कुरिन्थियों 13:13; प्रकाशितवाक्य 1:4)। हम सोचते हैं इसमें से कुछ भी सम्भव नहीं है जब तक पवित्र आत्मा भी वास्तव परमेश्वर न हो।
हरमन बाविंक
रिफॉर्म्ड डॉग्मैटिक्स

बाइबल पवित्र आत्मा की पुस्तक है। वह न केवल पवित्रशास्त्र की अभिप्रेरणा (inspiration) के कार्य में सम्मिलित है, परन्तु वह पवित्रशास्त्र की सत्यता का एक साक्षी भी है। इसे ही हम पवित्र आत्मा की ‘भातरी साक्षी’ कहते हैं। दूसरे शब्दों में, हमारे भीतर एक साक्षी देता है — वह हमारी आत्मा के साथ मिलकर साक्षी देता है कि बाइबल परमेश्वर का वचन है। जैसे कि आत्मा स्वयं हमारी आत्मा के साथ मिलकर साक्षी देता है कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं (रोमियों 8:16), वह अपने वचन के पवित्र सत्य के विषय में निश्चिन्त करता है।
आर. सी. स्प्रोल
“द स्प्रिट्स इन्टरनल विटनेस”
टेबलटॉल्क मैगज़ीन

परमेश्वर के वचन के साथ कार्यरत आत्मा का परिणाम हमारी सोच को प्रकाशित करने और परिवर्तित करने के लिए एक ईश्वरीय वृत्ति (instinct) का विकास है जो कभी-कभी आश्चर्यजनक रीतियों से कार्य करती है। एक अच्छी रीति से सिखाया हुआ, आत्मा द्वारा प्रकाशित विश्वासी के मन में पवित्रशास्त्र का प्रकाशन एक इतना बड़ा भाग बन जाता है कि परमेश्वर की इच्छा प्रायः सरल रीति से और यहाँ तक कि तुरन्त स्पष्ट हो जाती है—ठीक वैसे ही जैसे कि एक कुशल संगीतकार के लिए तुरन्त स्पष्ट हो जाता है कि किसी गीत को अच्छी या बुरी रीति से बजाया गया है। यह एक प्रकार का आत्मिक अभ्यास है जो परखने की क्षमता को उत्पन्न करता है (इब्रानियों 5:11-14)।
सिंक्लेयर बी. फर्गसन
“स्प्रिट ऑफ लाइट”

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।