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26 जून 2025यीशु अच्छा चरवाहा कैसे है?

—इयान हैमिल्टन
इस बड़े प्रश्न का सीधा सा उत्तर यह है: यीशु अच्छा चरवाहा है क्योंकि उसने स्वयं कहा कि वह अच्छा चरवाहा है। यूहन्ना के सुसमाचार में, यीशु ने कहा, “अच्छा चरवाहा मैं हूँ” (यूहन्ना 10:11)। हम इस विषय को यहीं छोड़ सकते हैं और यीशु के दावे से संतुष्ट हो सकते हैं — उसके दावा से जिसने अपने ऊपर आरोप लगाने वालों से कहा था, “तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है?” (यूहन्ना 8:46)। यीशु ने न केवल सत्य कहा, वरन् उसने कहा, “ सत्य मैं हूँ” (यूहन्ना 14:6)। तथापि, यीशु ने कभी भी साक्ष्य के बिना अपने विषय में कोई दावा नहीं किया। कोई भी व्यक्ति अपने विषय में दावा कर सकता है, यहाँ तक कि असाधारण दावे भी कर सकता है। परन्तु यह दिखाने के लिए दावों को परखा जाना चाहिए कि वे सत्य हैं या केवल आत्म-भ्रम।
जब यीशु ने कहा, “अच्छा चरवाहा मैं हूँ,” तो उसके बाद के शब्दों ने न केवल यह स्पष्ट किया कि उसका अर्थ था, वरन् उसके दावे की पुष्टि भी की: “अच्छा चरवाहा मैं हूँ। अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है” (यूहन्ना 10:11)।
चरवाहे और भेड़ों के बीच की चरवाहा सम्बन्धी छवि यीशु के श्रोताओं को भली-भाँति पता थी। वे ऐसे देश में रहते थे जहाँ चरवाहे और भेड़ें हर स्थान पर थीं। लेकिन उससे भी बढ़कर, वे शास्त्रों से जानते थे कि परमेश्वर ने अपनी तुलना एक चरवाहे से की है जो अपनी भेड़ों–अपने विश्वासी लोगों–की बहुत चिंता करता है। सम्भवतः भजन 23 सबसे स्पष्ट और स्मरणीय ढ़ंग से चरवाहे जैसी देखभाल को दर्शाता है जो प्रभु परमेश्वर अपनी अनमोल भेड़ों के लिए करता है:
यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।
वह मुझे हरे हरे चरागाहों में बैठाता है; वह मुझे सुखदायक जल के सोतों के पास ले चलता है।
वह मेरे जी में जी ले आता है, धार्मिकता के मार्गों में वह अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई करता है।
चाहे मैं मृत्यु के घोर अन्धकार की तराई में होकर चलूँ, फिर भी हानि से न डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरी छड़ी और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।
तू मेरे शत्रुओं के सामने मेरे लिए मेज़ लगाता है, तू ने मेरे सिर पर तेल उण्डेला है, मेरा प्याला उमड़ रहा है।
‘निश्चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी, और मैं यहोवा के घर में सर्वदा वास करूँगा।
मैंने इस भजन को सैकड़ों बार पढ़ा है और अपने चालीस वर्षों की सेवकाई में सात सौ से अधिक अन्त्येष्टियों में इसे पढ़ा है। ये शब्द स्वर्गीय चरवाहे की अपनी अनमोल भेड़ों के प्रति देखभाल, दयालुता, प्रावधान, सुरक्षा और विशुद्ध प्रेम को बहुत ही सुन्दरता से दर्शाते हैं। वे इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि प्रभु अच्छा चरवाहा क्यों है।
जब यीशु ने कहा, “अच्छा चरवाहा मैं हूँ,” तो वह एक चौंकाने वाला दावा कर रहा था। वह दावा कर रहा था कि वह देहधारी प्रभु है जो अपनी भेड़ों से प्रेम करता है, उनकी देखभाल करता है, उनकी आवश्यकताएँ पूरी करता है और उनकी रक्षा करता है। परन्तु यीशु के शब्द सबसे उल्लेखनीय रीति से यह दर्शाते हैं कि वह वास्तव में वह अच्छा चरवाहा कैसे है: “अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिए अपना प्राण देता है।”
अच्छा चरवाहा होने का यीशु का दावा कहीं अधिक अद्भुत और आश्चर्यजनक रूप से तब दिखाया गया जब उसने अपनी भेड़ों की अनन्त भलाई को सुरक्षित करने के लिए अपना जीवन दे दिया।
मार्टिन लूथर ने एक बार लिखा था, “क्रूक्स प्रोबेट ओम्निया,” या, “क्रूस सब कुछ की परीक्षा है।” उसका अर्थ यह था कि कलवरी के क्रूस पर यीशु की पाप-वहन और पाप-प्रायश्चित करने वाली मृत्यु पापियों के लिए परमेश्वर के प्रेम का पूर्ण रहस्योद्घाटन है। हमारे पहले पिता, आदम में हमारे पाप और पतन ने हमें परमेश्वर से अलग कर दिया और हमें उसके धर्मी और न्यायपूर्ण न्याय के अधीन कर दिया। हम अपने और परमेश्वर के बीच के सम्बन्ध को सुधारने के लिए कुछ भी करने में असमर्थ थे। परन्तु हम जो करने में असमर्थ थे, उसे परमेश्वर ने अपने पुत्र के द्वारा पूर्ण कर दिया। हमारे स्थान पर जीवन और मृत्यु के द्वारा, हमारे पापों के योग्य न्याय को सहते हुए, तीसरे दिन विजय में वह जी उठा, और इस तरह परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध को उसने ठीक कर दिया।
तो, यीशु अच्छा चरवाहा कैसे है? प्रेम में, इस स्वर्ग-से-भेजे गए चरवाहे ने स्वयं को बलिदान कर दिया जिससे कि खोई हुई, न्याय-योग्य भेड़ें परमेश्वर के न्यायपूर्ण क्रोध से बच सकें, उसकी मित्रता और संगति में पुनः स्थापित हो सकें, और एक दिन उसकी निकट उपस्थिति में पाई जा सकें।
तो अन्त में, मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ, क्या आप पश्चाताप और विश्वास के साथ इस अच्छे चरवाहे के पास आए हैं, और परमेश्वर पिता को धन्यवाद देते हैं कि उसने अपने पुत्र को क्षमा नहीं किया, वरन् उसे क्रूस की मृत्यु के लिए दे दिया जिससे कि वह आपके स्थान पर और आपके लिए मारा जाए? यीशु ने कहा है:
मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। वे कभी नाश न होंगी, और उन्हें मेरे हाथों से कोई भी छीन नहीं सकता। मेरा पिता, जिसने उन्हें मुझे दिया है, सबसे महान् है, और कोई भी उन्हें पिता के हाथों से छीन नहीं सकता। मैं और पिता एक हैं (यूहन्ना 10:27–30)।
क्या आपने सुसमाचार में उसकी अवाज़ सुनी है? क्या आप यीशु का अनुसरण करते हैं, न केवल अपने होठों से उसे स्वीकार करते हैं वरन् अपने जीवन में भी उसकी आज्ञा मानते हैं? यदि ऐसा है, तो उसके लहू से छुड़ाए गए भेड़ों में से एक के रूप में आनन्दित हों, जिन्हें उसने अनन्त जीवन दिया है।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।