दोहरे नागरिकों के रूप में जीना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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दोहरे नागरिकों के रूप में जीना

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का चौवथा अध्याय है: दो जगत के मध्य

यीशु को नैतिक या ईश्वरविज्ञानी दुविधा में फंसाना सरल नहीं था। परन्तु इस बात ने यहूदी अगुवों को प्रयास करने से नहीं रोका। यीशु ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उसका राज्य “इस संसार का” नहीं है (यूहन्ना 18:36)। उसका राज्य, जो उचित रूप में आने वाले युग का है, इस संसार और वर्तमान युग में प्रवेश कर रहा है। यहूदी अचम्भित थे, कि कैसे, उसका राज्य हमारे समय के संस्थानों जैसे कि परिवार और सरकार से सम्बन्धित था?

लूका 20 में, सदूकियों ने उस से, पुनर्विवाह करने वाली विधवा के लिए पुनरुत्थान में विवाह की प्रकृति को लेकर एक परिवार संबंधित काल्पनिक प्रश्न पूछा। यीशु ने प्रयत्युत्तर दिया, “इस युग के सन्तान शादी-ब्याह करते व करवाते हैं,परन्तु वे जो उस युग में प्रवेश करने और मरे हुओं में से जी उठने के योग्य ठहरे हैं, न तो शादी-ब्याह करेंगे और न करवाएंगे” (पद 34-35)। परिवार सृष्टि एक स्थायी विधि (enduring creation ordinance) है, परन्तु आने वाले युग का राज्य एक भिन्न रीति से संचालित होता है।

जब यहूदी शास्त्रियों और प्राचीनों ने यीशु से पूछा कि क्या कैसर को कर देना उचित है, यीशु ने उनसे एक दीनार दिखाने को कहा। उस पर किसकी आकृति और लेख था? जब उन्होंने प्रत्युत्तर दिया, “कैसर के”, यीशु ने अपना निष्कर्ष निकाला: “तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो” (पद 22-25)। एक उलट देने वाली रीति से, यीशु ने कैसर के अधिकार को मूलतः सीमित कर दिया और परमेश्वर के असीमित अधिकार को दिखा दिया। दीनार पर आकृति का अर्थ था उन्हें कैसर को कर देना था, परन्तु परमेश्वर की छवि, हमारे मानव स्वभाव पर अंकित है, अर्थात् हमें अपने जीवन को स्वर्ग और पृथ्वी के बनाने वाले को देना है। सरकार सृष्टि की स्थायी विधि है, परन्तु आने वाले युग का राज्य एक भिन्न रीति से संचालित होता है       

परमेश्वर का नगर और मनुष्य का नगर

पाँचवी शताब्दी में, ऑगस्टीन ने द सिटी ऑफ गॉड  लिखा, राजनैतिक ईश्वाविज्ञान का प्रतिष्ठित कार्य जिसमें उन्होंने सिविटा देई (परमेश्वर के नगर) की सिविटाज़ टेर्रेना  (शाब्दिक रूप से, संसार का नगर) के साथ तुलना की। लोकप्रिय समूहों में, स्वर्ग में जीवन परमेश्वर का नगर और सांसारिक क्षेत्र में पृथ्वी पर जीवन मनुष्य का नगर के विषय में बात करने के कारण ऑगस्टीन को व्यापक रूप से गलत समझा जाता है। परन्तु वास्तव में, ऑगस्टीन एक समान सोच रखने वाले व्यक्तियों के दो समुदायों या समूहों की बात कर रहे थे जो स्वर्ग और पृथ्वी को लेकर प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण रखते हैं। मनुष्य का नगर—और यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है—सृष्टि की रचना से नहीं परन्तु पतन से आरम्भ होता है। इसकी इच्छाएँ और उद्देश्य अत्यन्त अस्त-व्यस्त हैं, यह स्व के प्रेम द्वारा चलता है न कि परमेश्वर के प्रेम द्वारा, और यह आत्मा के द्वारा नहीं परन्तु शरीर के मापदण्डों के अनुसार संचालित होता है। छुटकारा पाए हुए, जो परमेश्वर के नगर को बनाते हैं, परमेश्वर को सर्वोच्च भलाई के रूप में खोजते हैं और उसके लिए सब कुछ प्रेम के आस पास निर्धारित करते हैं। तो, मसीहीयों के रूप में, हम मनुष्य के नगर के मध्य रहते हैं परन्तु परमेश्वर के नगर के हैं।

में पर के नहीं

ऑगस्टीन के ढ़ाँचे में गहरी बाइबलीय जड़े हैं। जब हम इस संसार में रहते हैं, हम पहचानते हैं कि “यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है” (इब्रानियों 13:14); अब्राहम के समान, हम “उस स्थिर नींव वाले नगर की प्रतीक्षा में हैं जिसका रचने और बनाने वाला परमेश्वर है” (11:10)। और फिर भी, यद्यपि हम “परदेशी और यात्री” (1 पतरस 2:11) हैं जो पृथ्वी पर किसी भी स्थान को अपना स्थायी घर नहीं कहते, साथ ही हमें आज्ञा मिली है “नगर की कुशलता के प्रयास की. . . . . . और यहोवा से उसके लिए प्रार्थना करने की” (यिर्मयाह 29:7)। हम “संसार के” होने के लिए नहीं हैं परन्तु अपरिवर्तनीय रूप से “संसार में” हैं और ख्रीष्ट के राजदूतों और दूतों के रूप में “संसार में” भेजे गए हैं (यूहन्ना 17:15-16; देखें 1 कुरिन्थियों 5:9-10)। हमें संसार के अनुरूप होने के स्थान पर वचन द्वारा परिवर्तित होना है (रोमियों 12:2)। हमें अपने आप को “संसार से निष्कलंक” रखना है (याकूब 1:27)—और फिर भी हमें अपने आस पास की अन्धकारपूर्ण और नष्ट होती संस्कृति के लिए (देखें फिलिप्पियों 2:15) नमक के समान स्वाद रखना और ज्योति के समान चमकना है (मत्ती 5:13-16)।

दोहरी नागरिकता

वर्तमान युग और आने वाले युग के मध्य हमारे सम्बन्धों के माध्यम से सोचने के लिए बाइबलीय रूपकों में से एक है नागरिकता। नागरिकता एक सार्वजनिक रूप से मान्यता प्राप्त कानूनी स्थिति है जो किसी को एक नागरिक होने के लिए अधिकृत करती है—अर्थात्, एक सामाजिक और राजनैतिक समुदाय, एक सिविटाज़ (नगर) का पूर्ण और कार्यशील सदस्य, इसके साथ मिलने वाले अधिकारों और कर्तव्यों के साथ। उस व्यक्ति से भिन्न जो राज्य में मात्र एक कर्ता है, एक नागरिक नगर व्यवस्था बनाए रखने में सहायता करने के लिए समुदाय में भाग लेता है।     

प्रेरितों के काम पुस्तक में, हम देखते हैं कि प्रेरित पौलुस न केवल अपनी रोमी नागरिकता की अवधारणा को स्वीकार करता है परन्तु सक्रिय रूप से इसके द्वारा निवेदन भी करता है। जब सिपाही पौलुस और सीलास को बताते हैं कि न्यायाधीश ने उन्हें बन्दीगृह से चुपचाप छोड़ने के लिए कहा है, पौलुस क्रोधित हो जाता है: “उन्होंने हमें जो रोमीं हैं बिना अपराधी ठहराए सब के सामने पीटा और जेल में डाला। और क्या वे अब हमें चुपके से बाहर निकाल रहे हैं? यह नहीं हो सकता! वे स्वयं आकर हमें बाहर निकालें” (प्रेरितों के काम 16:37)। प्रेरितों के काम 22 में, पौलुस सफलतापूर्वक सूबेदार से एक सरल प्रश्न पूछ कर न्यायाधीश के हाथों कोड़े लगने का सफलतापूर्वक विरोध किया: “क्या यह उचित है कि एक रोमी मनुष्य को कोड़े मारो और वह भी बिना दोषी ठहराए ? . . . . . मैं जन्म से रोमी हूँ” (पद 25, 28)। दोनों ही स्थितियों में, रोमी अधिकारियों द्वारा प्रतिक्रिया एक वास्तविक भय था, चूंकि वे अपने नागरिकों के अधिकारों का अन्यायपूर्ण उल्लंघन कर रहे थे (21:38-39; 22:29)।           

यद्यपि पौलुस ने रोमी नागरिकता अपने परिवार के इतिहास के माध्यम से प्राप्त की थी, वह साथ ही अन्य प्रकार की नागरिकता लेने भी आया था। फिलिप्पी में कलीसिया को लिखते हुए, वह ऐसा मसीहियों के लिए कहता है, “हमारी नागरिकता स्वर्ग की है” (फिलिप्पियों 3:20)। यीशु ने कहा कि उसका राज्य इस संसार का नहीं है (यूहन्ना 18:36)। जब हमारा नया जन्म होता है और परमेश्वर के परिवार में गोद लिए जाते हैं, “अन्धकार के साम्राज्य से छुड़ा कर उसके प्रिय पुत्र के राज्य में” (कुलुस्सियों 1:13), हम प्रवेश करते हैं और एक नए राजा के प्रति समर्पित होते हैं।

इसे जीने के चार ढंग

जब हम अपनी दोहरी नागरिकता के प्रति विश्वासयोग्य होने की खोज करते हैं तो उसे स्मरण रखने के लिए यहाँ चार बातें हैं। 

1. सब कुछ पर परमेश्वर के शासन को पहचाने, यद्यपि वह भिन्न संस्थानों पर भिन्न रीति से शासन करता है।  ख्रीष्ट के पास स्वर्ग और पृथ्वी दोनों पर अधिकार है (मत्ती 28:18), परन्तु पतन के प्रकाश में, वह इस युग की अस्थायी व्यवस्था पर शासन (सृष्टि किए हुए संस्थानों समेत जैसे परिवार और सरकार) कलीसिया पर शासन करने से भिन्न रीति से करता है। इस युग में सरकार तलवार की सामर्थ के माध्यम से व्यवस्था लागू करती है, कानून के दबाव के द्वारा व्यवस्था  लागू करती है; दूसरी ओर, परमेश्वर का राज्य, आत्मा के सामर्थ के माध्यम से आता है, सुसमाचार की घोषणा और अनुग्रह के माध्यम में नियमित भागीदारी के माध्यम से परमेश्वर के एकत्रित लोगों के परिवर्तन को उत्पन्न करता है।       

2. यह समझना कि केवल इसलिए कि हमारी पृथ्वी पर की नागरिकता अन्तिम नहीं है, यह इसे महत्वहीन नहीं बना देती है। अस्थायी बातें एक महत्वपूर्ण अन्तर ला सकती हैं। पौलुस जानता था कि अपनी रोमी नागरिकता के विषय में अधिकारियों से निवेदन करना उनके साथ सुसमाचार बांटने के समान नहीं था। परन्तु उसके पृथ्वी पर के अधिकार फिर भी महत्वपूर्ण थे। अच्छे कानून हृदय नहीं परिवर्तित कर सकते, परन्तु फिर भी जीवन और मृत्य के मध्य के अन्तर का माध्यम हो सकते हैं।

हाँ, एक अस्थायी आवश्यकता को पूरा करने से अधिक महत्वपूर्ण एक अनन्त आत्मा को बचाना है। इस युग के कष्ट को कम करने से श्रेष्ठ है अनन्त कष्ट को समाप्त करना। परन्तु बाइबल वास्तव में हमें सुसमाचार प्रचार और नागरिक अनुबन्ध के मध्य चुनाव करने के लिए नहीं कहती, क्योंकि ख्रीष्ट ने हमें शिष्यता के जीवन के लिए बुलाया है जहाँ सार्वजनिक रूप से हम उसके साथ पहचानें जाते हैं और दूसरों को जो कुछ भी उसने आज्ञा दी है उसका पालन करने की शिक्षा देने में उसका अनुसरण करते हैं (मत्ती 28:19-20)।

3.  सरकार के रूप में उसके सामान्य अनुग्रह समेत, परमेश्वर के सभी उपहारों को आनन्द के साथ ग्रहण करें।  जब जाति-जाति के लोग हुल्लड़ मचाते हैं (भजन 2) तो निराशा का अनुभव करना गलत नहीं है, क्योंकि इसका अर्थ है कि संसार परमेश्वर प्रदत्त प्रारूप के अनुसार कार्य नहीं कर रहा है। परन्तु हमारे पतित संसार में इस व्यवस्था को गठित करने में परमेश्वर की भलाई को कभी नहीं भुलाना चाहिए। परमेश्वर ने पृथ्वी के शासकों को नियुक्त किया है (रोमियों 13:1-2) हमारे भले के लिए (पद 4), और हमें उनका आदर और सम्मान करना चाहिए (पद 7), फिर चाहे वे कितने भी बुरे क्यों न हों। सरकार परमेश्वर की ओर से उपहार है, जिसे जो बुरा है (पद 2-4) उसके निवारक के रूप में सेवा करते हुए भलाई को बढ़ावा देने और सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। एक कारण जिसके लिए हमें अपने शासकों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए है वह यह है ताकि सरकार इस रीति से कार्य करे कि हमारे पास ऐसी परिस्थितियाँ हों जो हमें शान्त और ईश्वरीय जीवन जीने की अनुमति दे (1 तीमुथियुस 2:2)। 

4.  अपनी स्वर्गिक नागरिकता को सार्वजनिक रूप से पहचानने के लिए पृथ्वी पर परमेश्वर के माध्यमों को स्वीकार करें। एक स्तर पर, संसार हमारी स्वर्गीय नागरिकता को नहीं देख सकता। यह एक ऐसी स्थिति है जो किसी पृथ्वी की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। हमारे जीवन “ख्रीष्ट के साथ परमेश्वर में छिपे हुए हैं” (कुलुस्सियों 3:3)। यद्यपि, परमेश्वर ने एक तरीका निर्धारित किया है जिसमें हमारी नागरिकता  यहाँ और अभी, ख्रीष्ट के दोनों आगमनों के मध्य के युग में, सार्वजनिक रूप से घोषित हो सकती है। यीशु ख्रीष्ट की कलीसिया—परमेश्वर के अनुग्रह के माध्यमों का अभ्यास करने वाला परमेश्वर के शासन के अधीन परमेश्वर के स्थान पर एकत्रित परमेश्वर के लोगों से बना आराधना का समूह—इस संसार में परमेश्वर के राज्य की संस्थागत अभिव्यक्ति है। स्वर्गीय नागरिक पृथ्वी पर स्थानीय कलीसिया से जुड़ते हैं। बपतिस्में और सदस्यता के माध्यम से, हम राज्य की चौकियों में अपनी राजदूत सम्बन्धी भूमिका का सार्वजनिक रूप से संकेत देते हैं जब हम अनन्त राजा का प्रतिनिधित्व और उसकी आराधना करते हैं और दूसरों को भी ऐसा करने का निमंत्रण देते हैं।

राजनैतिक व्यवस्था और हमारे नागरिक अनुबन्ध से बढ़ कर भी जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बाते हैं। यह सरलता से मूर्तिपूजा बन सकता है, जो उस निष्ठा और पहचान से निवेशित हो जो पवित्रशास्त्र से परे है। परन्तु एक पृथ्वी के नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों और भागीदारी से भागना भी सरल है, अपनी उदासीनता को आत्मिक कारणों से न्यायोचित ठहराते हुए जो स्वयं पवित्रशास्त्र से परे है। जिस भी तरफ हम बल देने के लिए प्रलोभित होते हैं, हम स्मरण करें कि हम दोहरे नागरिक हैं। एक अच्छा नागरिक होने के भाग में—स्वर्गीय और पृथ्वी दोनों ही क्षेत्रों में—हमारे नागरिक जीवन को सुसमाचार द्वारा आकार देने और परमेश्वर के वचन द्वारा अवगत होना सम्मिलित है जब हम प्रार्थनापूर्वक अवगत होने के लिए, अपने पड़ोसी से प्रेम करने, और नगर की सामान्य भलाई के लिए कार्य करते हैं, तब भी जब कि हम उस नगर  की प्रतीक्षा करते और अन्य लोगों को उस नगर के लिए आमंत्रित करते हैं जिसको अभी आना है।                       

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

जस्टिन टेलर
जस्टिन टेलर
जस्टिन टेलर क्रॉसवे में पुस्तक प्रकाशन और पुस्तक प्रकाशक के कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं। वह अ गॉड-एंट्रेन्स्ड विज़न ऑफ ऑल थिंग्स और रीक्लेमिंग द सेन्टर समेत कई पुस्तकों के सम्पादक या योगदानकर्ता हैं।