हमारे हृदयों में अनन्त काल की लालसा - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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हमारे हृदयों में अनन्त काल की लालसा

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का तीसरा अध्याय है: दो जगत के मध्य

एक विवाह मसीह को आमने-सामने देखने की हमरी प्रत्याशा को बड़े अच्छे ढंग से व्यक्त करता है। 14 जनवरी, 1632 को, स्कॉटलैण्ड के प्रेस्बिटेरियन पास्टर और ईश्वरविज्ञानी सैमुएल रदरफोर्ड ने इस अद्भुत घटना की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा, “[ख्रीष्ट] के लिए हमारा प्रेम पृथ्वी पर वैसे ही आरम्भ होना चाहिए, जैसा कि वह स्वर्ग में होगा; क्योंकि दुल्हन अपने विवाह के परिधान के द्वारा  इतना आनन्द नहीं पाती, जितना वह अपने दूल्हे में पाती है”।

यदि आप किसी विवाह में गए हैं, तो आप रदरफोर्ड के अवलोकन की सराहना करेंगे। उसकी पोशाक चाहे कितनी भी सुन्दर क्यों न हो, दुल्हन कभी भी अपने गाउन पर आँखे गड़ाए हुए विवाह नहीं करती है। उसका ध्यान उसके होने वाले पति पर होता है। रदरफोर्ड स्वर्ग के वास्तविक आश्चर्य को और अधिक स्पष्टता से देखने के लिए उदाहरण को अधिक विस्तार से बताते हैं। वह आगे कहते हैं, ”हम भी, आने वाले जीवन में, यद्यपि चोगे के समान महिमा को धारण किए, इस महिमा से बहुत अधिक प्रभावित नहीं होंगे, जितना अधिक दूल्हे के आनन्दमय मुख और उपस्थिति से होंगे।“ रदरफोर्ड की इस पुराने विचार की बात के पीछे एक प्रगाढ़ उदाहरण है। स्वर्ग कितना भी आश्चर्यजनक क्यों न हो, जो बात इसे अनोखा बनाती है वह है कि हम अपने उद्धारकर्ता के मुख को देखेंगे। कलीसिया दुल्हन के समान दूल्हे के रूप में यीशु के साथ होगी, और वे सदैव प्रसन्नता से रहेंगे।

रदरफोर्ड के प्रसिद्ध पत्र लिखने के लगभग दो सदी पश्चात्, एने कज़न नामक एक अंग्रेजी कवि ने रदरफोर्ड की “प्रिय बातों” पर आधारित सुपरिचित भजन “समय की रेत ढह रही है” (द सैन्ड्स ऑफ टाइम आर सिंकिंग) को लिखा। विशेष रूप से एक छ्न्द ख्रीष्ट को महिमा में देखने की घटना को समझाता है:

दुल्हन अपने परिधान को नहीं, परन्तु अपने प्रिय दूल्हे के मुख को देखती है;

मैं महिमा को नहीं, परन्तु अपने राजा के अनुग्रह पर दृष्टि रखूंगा।

उस मुकुट पर नहीं, जो वह देता है, परन्तु उसके छिदे हुए हाथों पर;

मेमना इम्मानुएल की भूमि की सारी महिमा है।

अनन्त काल के इस ओर, मसीही जीवन एक मँगनी के समान है। यह विवाह के दिन के पूर्वाभास में जीना है। मसीहियों के रूप में, हम ख्रीष्ट से हो चुकी मँगनी और मेमने के विवाह भोज जो अभी तक नहीं हुआ है के मध्य में जीते हैं। हमें उस होने वाली दुल्हन के समान बनना है जो अपने प्रिय के साथ के जीवन की तैयारी के लिए हर अवसर का लाभ लेती है। इसलिए स्वर्ग में ख्रीष्ट को आँखों से देखने की अपेक्षा को यह दिखलाना चाहिए कि हम यहाँ पृथ्वी पर विश्वास के द्वारा कैसे जीते हैं। 

अधिक बुनियादी स्तर पर,मँगनी किए जोड़ों द्वारा अनुभूत की गयी उत्सुकता एक मौलिक इच्छा को प्रकट करती है जो सब लोगों में होती है: अनन्त काल की लालसा। यह बिन्दु प्रचारक द्वारा सभोपदेशक 3:9-11 में भली प्रकार से बतायी गयी है:

काम करने वाले को अपने परिश्रम से क्या लाभ होता है? मैंने उस काम को देखा है जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों के लिए ठहराया है कि वे उसमें व्यस्त रहें। उसने प्रत्येक वस्तु को अपने समय के लिए उपयुक्त बनाया है। उसने उनके मनों में अनन्तता का ज्ञान भी उत्पन्न किया है, फिर भी वे उन कामों को समझ नहीं सकते जो परमेश्वर ने आदि से अन्त तक किए हैं।

आइए उन दो रीतियों पर विचार करें जो यह स्थल अनन्त काल के लिए हमारी लालसा के विषय में बताता है। प्रथम, हमें बताया गया है कि परमेश्वर ने प्रत्येक वस्तु को अपने समय के लिए उपयुक्त बनाया है” (पद 11)। एक आधुनिक टिप्पणीकार ने इस पद को “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में ईश्वरीय प्रयोजन का महान कथन” कहा है। इस बाइबलीय स्थल को जो इतना आकर्षक बनाता है वह है कि इस जीवन में बहुत कुछ है जो सुन्दर से बहुत दूर है। परन्तु प्रचारक संसार में व्याप्त कुरूपता से अनजान नहीं है। पद 9 में उसका प्रश्न अदन की वाटिका में घोषित अभिशाप को प्रतिध्वनित करता है: “काम करने वाले को अपने परिश्रम से क्या लाभ होता है?” यह केवल एक आलंकारिक प्रश्न (rhetorical question) नहीं है जो वास्तविक जीवन के अनुभव के दबावों से पृथक है (1:3 देखें)। थोड़े लाभ के साथ कठिन परिश्रम की स्पष्ट निरर्थकता कुछ ऐसा है जिसे उसने प्रत्यक्ष रूप से देखा है। “मैंने उस काम को देखा है जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों के लिए ठहराया है कि वे उसमें व्यस्त रहें” (3:10)।

स्पष्टतः, बाइबलीय आलेख कार्य की गरिमा की पुष्टि करता है। पतन से पूर्व, आदम और हव्वा को फलदायी होने की प्रतिज्ञा के साथ अपने कर्तव्यों को पूरा करने की आज्ञा दी गयी थी (उत्पत्ति 1:28-31; 2:15-17; देखें सभोपदेशक 3:13)। परन्तु पतन के पश्चात्, कार्य कठिन है (उत्पत्ति 3:17-19)। अब हम अपने कार्यों को वाटिका के हरेभरे पर्यावरण में नहीं परन्तु कांटे और ऊंटकटारे, विफलता और निराशा से भरे जंगल की कठिन परिस्थितियों में करते हैं। जैसा कि प्रचारक सभोपदेशक 2:23 में विलाप करता है, “कार्य कष्टदायक होते हैं”। जब हम अपने कार्यों में कठिनाईयों का, अपने कार्यस्थल पर अन्याय का, और कार्य को पूरा करने में पराजय का सामना करते हैं, तो हमारा सामना इस कष्टदायी सत्य से होता है कि यह पतित संसार स्थायी लाभ नहीं पहुँचाएगी। व्यवसायिक असन्तोष हमें स्मरण कराता है कि हमारी रुचियाँ और कार्य जो हमें प्रदान कर सकते हैं हम उनसे कुछ बड़े के लिए बने हैं।

परन्तु एक आशा है। हमें बताया गया है कि परमेश्वर ने प्रत्येक वस्तु को अपने समय के लिए उपयुक्त बनाया है”। सभोपदेशक 3:11 में “प्रत्येक वस्तु” पद 1 में “प्रत्येक बात” का स्मरण कराती है: “प्रत्येक बात के लिए समय नियुक्त है, तथा आकाश के नीचे प्रत्येक घटना का एक समय है।” वह जीवन जो एक सम्प्रभु सृष्टिकर्ता की चौकस देखरेख में जिया जाता है प्रत्येक बात के प्रति हमारी समझ को प्रकाशित करता है। उसके प्रयोजन के प्रकाश में, हम सीखते हैं कि जन्म और मृत्यु के लिए, रोपने के लिए और इकट्ठा होने के लिए, शोक मनाने और नाचने के लिए, युद्ध और शान्ति के लिए समय होता है। इन सभी बातों पर परमेश्वर का नियंत्रण है। सुन्दरता इस खोज में पायी जाती है कि परमेश्वर अपने सिद्ध प्रारूप के अनुसार प्रत्येक विवरण को नियोजित करता है।

सभोपदेशक 3:11 पुराने नियम का रोमियों 8:28 है। रोमियों 8:28 में, प्रेरित पौलुस कहता है, “और हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं उनके लिए वह सब बातों के द्वारा भलाई को उत्पन्न करता है, अर्थात् उन्हीं के लिए जो उसके अभिप्राय के अनुसार बुलाए गए हैं।“ ध्यान दें कि पौलुस यह नहीं कहता कि सब बातें भली हैं परन्तु कहता है कि सब बातों द्वारा भलाई उत्पन्न होती है। और भलाई क्या है? यह ख्रीष्ट की समरूपता में होना है (पद 29)। जैसे मसीही जीवन के समयों का अनुभव करते हैं, हमें यह जानकर सान्त्वना मिल सकती है कि परमेश्वर प्रत्येक परिस्थिति का प्रयोग हमें अधिक से अधिक अपने पुत्र के स्वरूप में बनाने में करता है।

24 अगस्त, 1662 को, दो हज़ार से अधिक सेवक सामन्य प्रार्थना की पुस्तक (Book of common prayer) के स्वीकार न करने के कारण इंग्लैण्ड की कलीसिया से निकाल दिए गए। वह दिन ब्लैक बार्थोलोम्यू (Black Bartholomew) दिवस  के रूप में जाना जाता है, 1572 के उसी दिन के एक गम्भीर प्रसंग को स्मरण करते हुए जब हज़ारों फ्रांसीसी प्रोटेस्टेन्ट का संहार कर दिया गया था। निष्कासित किए गए सेवकों में थॉमस वॉटसन नामक एक प्यूरिटन था। महान निष्कासन के प्रत्युत्तर में, दुख सह रहे मसीहियों को सान्त्वना देने के लिए, उसने रोमियों 8:28 पर आधारित, ए डिवाइन कॉर्डियल शीर्षक की पुस्तक लिखी। उन्होंने देखा कि, “उत्तम वस्तुएँ और बुरी वस्तुएँ, महान परमेश्वर के सर्वशक्तिमान हाथ के द्वारा, पवित्र लोगों के लिए मिलकर भलाई उत्पन्न करती हैं।“  यह निर्विवादित है कि यह संसार प्रायः भयावह और व्यथा से भरा है। परन्तु परमेश्वर हम मसीहियों को ख्रीष्ट की समरूपता में परिवर्तित करने के लिए आनन्द और दुख दोनों का सुन्दरतापूर्वक प्रयोग करता है। निराशाएँ हमें उसके पास अधिक समय तक बने रहने के लिए प्रेरित करती हैं।

द्वितीय, हमें बताया गया है कि परमेश्वर ने “मनुष्य के मन में अनन्तता का ज्ञान भी उत्पन्न किया है” (सभोपदेशक 3:11)।  ये शब्द ऑगस्टीन के अंगीकार के आरम्भ की प्रत्याशा करते हैं, जहाँ वह कहता है, “तेरी प्रशंसा करना तेरी सृष्टि के एक छोटे से टुकड़े मनुष्य की इच्छा है। तूने मनुष्य को तेरी प्रशन्सा करने में आनन्द लेने के लिए उकसाया  है, क्योंकि तूने हमें अपने लिए बनाया है, और हमारे हृदय तब तक अधीर हैं जब तक तुझ में विश्राम नहीं पा लेंते”। प्राचीन उपदेशक और कलीसिया के पिता (church father) दोनों ने यह पुष्टि की है कि हम परमेश्वर के ज्ञान  और अनन्तता के लिए लालसा के साथ रचे गए हैं। जबकि ऑगस्टीन उस अधीरता की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं जिसका अनुभव हम ख्रीष्ट में परमेश्वर को जानने से पृथक करते हैं, सभोपदेशक का उपदेशक थोड़ा भिन्न बिन्दु बताता है। सूर्य के नीचे जीवन की व्यर्थता पर बल देने के द्वारा, वह अनन्तता के प्रति हमारी सहज जागरुकता को पहचानने के लिए हमें प्रेरित करता है।

ध्यान दें कि उपदेशक कितनी बार कहता है कि वह परमेश्वर के तरीकों को जानता है। वह समझता है कि परमेश्वर ने मनुष्यों को कार्य एक वरदान के रूप में दिया है (सभोपदेशक 3:10, 13), कि परमेश्वर ने प्रत्येक वस्तु को अपने समय के लिए उपयुक्त बनाया है (पद 11a), कि परमेश्वर ने मनुष्य के मनों में अनन्तता का ज्ञान उत्पन्न किया है (पद 11b), कि परमेश्वर के उद्देश्य गूढ़ हैं (पद 11c), कि परमेश्वर की योजनाएँ सदा के लिए रहती हैं (पद 14-15), और कि परमेश्वर धर्मी और दुष्ट का न्याय करेगा (पद 16-22)। संक्षेप में, उपदेशक जानता है कि परमेश्वर के तरीके सुन्दर, अबोधगम्य, और अनन्तकाल के हैं। यद्यपि हम सीमित और पतित प्राणी हैं, परमेश्वर ने हमें यह समझने की क्षमता दी है कि इतिहास का एक उद्देश्य है, तब भी यदि हम पूर्ण रूप से “जो परमेश्वर ने आरम्भ से अन्त तक किया है” (पद 11) उसे समझने में असमर्थ हों। अपनी सीमितता का सामना करने से परमेश्वर पर हमारी निर्भरता बढ़नी चाहिए। हमें अपने जीवन को अनन्त काल के दृष्टिकोण (vantage point) से जीना है।

यद्यपि, पाप, इस दृष्टिकोण को विकृत कर देता है। अब हम कार्य को परमेश्वर के एक वरदान के रूप में नहीं परन्तु व्यक्तिगत महानता के एक मंच के रूप में देखते हैं।समय को किसी सुन्दर वस्तु के समान नहीं देखा जाता है जिसका लाभ उठाना चाहिए परन्तु महत्वहीन समझा जाता है जिसे व्यर्थ किया जा सके। इतिहास को परमेश्वर के प्रावधानिक नियम के कार्यक्षेत्र के रूप में नहीं परन्तु शक्तिशाली द्वारा निर्बलों का अनुचित लाभ उठाने के स्थान के रूप में समझा जाता है। और अनन्त जीवन चाहने के लिए नहीं परन्तु उन लोगों द्वारा उपहासित करने के लिए है जो केवल क्षण भर के लिए जीते हैं। सभोपदेशक हमें सिखाता है कि ऐसा नियतिवाद व्यर्थ है। हम परमेश्वर को जानने के लिए बनाए गए हैं। उसके साथ अनन्तता से पृथक कुछ भी हमारी गहरी लालसा को सन्तुष्ट नहीं करेगा।

शुभ समाचार यह है कि परमेश्वर की उपस्थिति में सदा के लिए वास करने के लिए ख्रीष्ट पापियों को मार्ग प्रदान करता है। जैसा कि प्रेरित पतरस कहता है, “ख्रीष्ट भी सभी के पापों के लिए एक ही बार मर गया, अर्थात् अधर्मियों के लिए अधर्मी जिस से वह हमें परमेश्वर के समीप ले आए”(1 पतरस 3:18)। यह वह अनन्त आशा है जिसके लिए हम जीते हैं। यात्रियों के रूप में जो इस संसार से उस संसार की ओर यात्रा करते हैं, हम प्रति सुबह अपने राजा के लौटने का उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। हम मानते हैं कि प्रत्येक प्रभु का दिन अनन्तकाल का पूर्वाभास है। और शेष सप्ताह के लिए, अपनी घड़ियों को तैयार रखते हैं यह जानते हुए कि हमारा परिश्रम भी हमें इम्मानुएल के भूमि के लिए तैयार करने के लिए उपयोग किया जा रहा है।

1683 में ब्लैक बार्थोलोम्यू दिवस की प्रातः, विलियम पाएने अपने लम्बे समय के मित्र जॉन ओवेन को विदाई देने गए। पाएने यह समाचार भी लाए कि ओवेन की अन्तिम पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली थी। ओवेन ने अविस्मरणीय रूप से उत्तर दिया:

मुझे यह सुन कर प्रसन्नता हुई कि वह कार्य प्रकाशन के लिए चला गया है; परन्तु भाई पाएने, लम्बे समय से चाहा दिन आखिरकार आ गया है, जिसमें मैं उस महिमा को एक भिन्न रूप में देखूंगा जैसा मैंने सम्भवतः कभी देखा न होगा या इस संसार में देखने के योग्य रहा हूँगा!

ओवेन की मरते हुए साक्षी उसकी मण्डली को अनन्तकाल का स्मरण कराने के लिए थी। वे चाहता था कि वे लोग जानें कि स्वर्ग में ख्रीष्ट को आँखों से देखने का एकमात्र तरीका है कि यहाँ पृथ्वी पर विश्वास से उसे देखा जाए।       

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

जॉन डब्ल्यू ट्वीडडेल
जॉन डब्ल्यू ट्वीडडेल
डॉ. जॉन डब्ल्यू. ट्वीडडेल सैनफोर्ड फ्लोरिडा के रिफॉर्मेशन बाइबल कॉलेज में शैक्षिक संकायाध्यक्ष और ईश्वरविज्ञान के प्रोफेसर हैं, और प्रेस्बिटेरियन चर्च इन अमेरिका में एक शिक्षक प्राचीन हैं। वह जॉन ओवेन और हिब्रूज़ के लेखक हैं।