प्रेम, न्याय, और प्रकोप - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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प्रेम, न्याय, और प्रकोप

फ्रान्सिस शेफर (Francis Schaeffer) ने एक बार हमें कल्पना करने के लिए उत्साहित किया कि हम मार्ग पर चल रहे हैं और देखते हैं कि एक जवान डाकू एक वृद्ध स्त्री को मार रहा है। वह बार बार उसे मार रहा है और वह अपने बटुए को पकड़े रहती है जिसे वह छीनने का प्रयास कर रहा है। शेफर पूछते हैं, “उस परिस्थिति में अपने पड़ोसी से प्रेम करने का क्या अर्थ है?” निस्सन्देह, अपने पड़ोसी से प्रेम करने का अर्थ है कि मैं उतनी शक्ति (धर्मी प्रकोप) उपयोग करूँ कि वह (बुरा) डाकू वशीभूत हो और उस (निर्दोष) वृद्ध स्त्री को बचाऊँ (प्रेम)। प्रेम और न्याय, भलाई और पवित्रता, अनुग्रह और प्रकोप एक दूसरे से विपरीत नहीं हैं। वे एक दूसरे के सम्पूरक हैं। मूल रीति से, वे एक दूसरे पर निर्भर हैं। बिना न्याय का प्रेम केवल भावुकता है। बिना प्रेम का न्याय प्रतिशोधिता है। परन्तु परमेश्वर में, “करुणा और भलाई आपस में मिल गई हैं, धार्मिकता और मेल ने एक दूसरे का चुम्बन किया” (भजन 85:10)। प्रेम उन लोगों के लिए न्याय चाहता है जो प्रिय हैं। न्याय प्रिय लोगों की रक्षा करता है, उनके लिए प्रतिशोध करता है, और उन्हें सही ठहराता है। ख्रीष्ट का क्रूस अयोग्य पापियों को बचाने वाले परमेश्वर के प्रेम का और उद्धार के लिए उचित मूल्य की माँग करने वाले परमेश्वर के न्याय की सिद्ध अभिव्यक्ति है।

परमेश्वर की सरलता
परमेश्वर के सभी गुणों में भले ही हमें प्रतीत होता है कि तनाव है, उनमें सिद्ध सामन्जस्य है। वास्तव में, परमेश्वर के पास अनेक गुण नहीं हैं, वरन् एक महिमामय ईश्वरीय सारत्तत्व। पुराने ईश्वरविज्ञानी प्रायः परमेश्वर के गुणों की चर्चा करते समय ईश्वरीय सरला (simplicity) को सबसे पहले रखते थे, यह कहते हुए कि सभी गुणों को ठीक से समझने के लिए यह अनिवार्य है कि सरलता को ठीक रीति से समझा जाए। परमेश्वर सरल है। वह आत्मा है, जो अविभाजित, एक, और असंयोजित (uncompounded) है। वह एक है, और उसका न तो शरीर, न भाग, न लालसाएँ हैं। जब हम परमेश्वर के गुणों का अध्ययन करते हैं, हम परमेश्वर के विभिन्न भागों के विषय में नहीं सोच रहे हैं। हम प्रत्येक गुण को अलग करके अध्ययन करते हैं क्योंकि हमारे सोचने की क्षमता सीमित है। लीविस बेली (Lewis Bayly) ने ईश्वरवाद को व्यक्त करते हुए कहा, “परमेश्वर में अनेक गुण नहीं हैं, वरन् केवल एक ही, जो कि स्वय ईश्वरीय सारत्तत्व है, जिसे आप कुछ भी कह सकते हैं।” परमेश्वर के ईश्वरीय गुण (attributa divina) उसके परमेश्वर के सारत्तत्व (essentia Dei) से अविभाज्य है।

ईश्वरीय गुणों के सारत्तात्विक एकता को देखते हुए, हम हमारे अनुसार उसके चरित्र के कोमल को कठोर आयामों के मध्य के सम्बन्ध के विषय में क्या कह सकते हैं, जैसे प्रेम और प्रकोप का सम्बन्ध, और दया और न्याय का सम्बन्ध? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए उपयोगी होगा यदि हम प्रेम पर ध्यान केन्द्रित करें, जो कि वह गुण है जिस के आसपास चर्चा और विवाद उठता है। “परमेश्वर प्रेम है,” इस बात पर बाइबल और प्रचलित समत्ति सहमत हैं। तो फिर, हमें उसके न्याय और प्रकोप को कैसे समझना चाहिए?

प्रेम से अधिक
प्रथम, परमेश्वर प्रेम है, पर प्रेम से अधिक है। पुराने ईश्वरविज्ञानी प्रेम को भलाई के एक उपभाग समझते हैं। परमेश्वर की भलाई—जिसको स्टीफन चार्नोक (Stephen Charnock) ने “कप्तान गुण” कहा—वह वंश (genus) जिसमें प्रेम, अनुग्रह, दया, निनम्रता, और धैर्य जाति (species) हैं। बातों को इस रीति से वर्गीकृत करने में यह बात निहित है कि “परमेश्वर प्रेम है” का अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर अपने शेष गुणों से पृथक होकर प्रेम है (1 यूहन्ना 4:8)। प्रेरित यूहन्ना यह नहीं लिखता है कि “प्रेम परमेश्वर है।” इस समीकरण को उलटाया नहीं जा सकता है। बाइबल यह भी कहता है कि परमेश्वर “ज्योति” है (1 यूहन्ना 1:5), और कि परमेश्वर “भस्म करने वाली आग” है (इब्रानियों 12:29)। इन सभी कथनों में व्याकरण की एक ही रूपरेखा उपयोग की गई है। जो परमेश्वर प्रेम है, यूहन्ना हमें बताता है कि वह “विश्वासयोग्य” और “धर्मी” भी है (1 यूहन्ना 1:9)। उन्नीसवी शताब्दी के प्रेस्बुतिरवादी जे.डब्ल्यू. अलेक्ज़ैन्डर (J.W. Alexander) के अनुसार, “यद्यपि परमेश्वर असीम रीति से परोपकारी है, इसका अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर केवल असीम रीति से परोपकारी ही है।” परमेश्वर का प्रेम एक न्यायी प्रेम है, और उसका न्याय एक प्रेमी न्याय है। हमें सावधान होना चाहिए कि एक गुण शेष गुणों को न दबा दे। चार्ल्स स्पर्जन (Charles Spurgeon) ने इसे इस रीति से कहा: “परमेश्वर उतना न्यायी है मानो कि उसमें प्रेम नहीं है, और फिर भी उतना प्रेमी है मानो उसमें न्याय न हो।”

प्रेम की परिभाषा दें
दूसरा, बाइबल को अनुमति दी जानी चाहिए कि वह प्रेम को परिभाषित करे। बहुधा, परमेश्वर के प्रेम को इस रीति से त्रुटीपूर्वक रीति से समझा जाता है जिसमें परमेश्वर के नैतिक गुणों को नकारा जाता है। “मैं तो प्रेम करने वाले परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ,” ऐसा कहते हुए लोग न्याय के दिन को हटा देते हैं और नरक की आग को बुझा देते हैं। “एक प्रेम करने वाला परमेश्वर कभी भी ऐसा नहीं करेगा,” लोग कहते हैं और फिर वे एक सूची देते हैं कि परमेश्वर किन जीवनशैली में भेद या नैतिक माँगों को नहीं करेगा। परमेश्वर कभी भी मुझे दोषी नहीं ठहराएगा, न चाहेगा कि मैं दुःखी होऊँ, न मेरे चाल-चलन को तुच्छ जानेगा, न मेरी स्वयं द्वारा निर्धारित पहचान को चुनौति देगा। वह ऐसा क्यों नहीं करेगा? यह कहा जाता है क्योंकि वह केवल और सर्वदा सब लोगों को और सब कुछ को स्वीकार करता है। परमेश्वर के परिभाषा को प्रेम के एक आकारहीन समझ द्वारा की गई है, ऐसे विचारों के साथ जो पवित्रता और स्वयं पवित्रशास्त्र से असम्बन्धित हैं। जब प्रेरित कहते हैं कि परमेश्वर प्रेम है, उनका अर्थ है कि वह अगाप (agap) है, न कि इरस (ers), कारिटास (caritas), न ही ओमोर (amor)—वह स्वयं को देने वाला बलिदानी प्रेम है, न कि भावुक प्रेम, न कामुक प्रेम, ने भावनात्मक प्रेम, न आँख बन्द करके स्वीकार करने वाला प्रेम। परमेश्वर का प्रेम भेद करता है, सुधारता है, और यह एक धर्मी प्रेम है।

बाइबल एक ऐसे परमेश्वर को प्रकट करती है जो भला और धर्मी दोनों है। वह “दयालु और अनुग्रहकारी” है, फिर भी वह “दोषी को किसी भी प्रकार दण्ड दिए बिना नहीं छोड़ेगा” (निर्गमन 34:6-7)। प्रेरित पौलुस कहता है, “परमेश्वर की दयालुता और कठोरता पर ध्यान दो” (रोमियों 11:22)। यदि वह न्यायी नहीं होता, तो वह भला भी नहीं होता। यदि वह पाप को जाने देता, यदि वह बुराई का अनदेखा करता, यदि वह अन्याय का सहन करता, यदि वह निर्दोष को भक्तिहीनों के हाथों में छोड़ देता—जिससे कि वे छुड़ाए न जाएँ, उनके लिए बदला न लिया जाए, वे सही प्रमाणित न हों, और वे अनन्त काल के लिए दुष्टों से भिन्न न हों, और उनको वही स्थान, वही नियति, वही प्रतिफल, और वही दण्ड मिलता—तो परमेश्वर भला या दयालु या धर्मी या पवित्र या न्यायी नहीं होता। ईयन हैमिल्टन कहते हैं, “उसका प्रेम अन्धा और आसक्त नहीं है और नहीं हो सकते है जिस प्रकार से उसका न्याय और उसकी पवित्रता, शिथिल और मनमाना नहीं हैं और नहीं हो सकते हैं।” एक बार फिर से, प्रेम न्याय की माँग करता है।

प्रेम करने के लिए प्रवृत्त
तीसरा, परमेश्वर प्रेम करने के लिए प्रवृत्त है। जबकि हमें सावधान होना चाहिए कि परमेश्वर का प्रेम उसके शेष सभी गुणों पर प्रबल न हो जाए, फिर भी हम कह सकते हैं कि प्रेम, और प्रेम के साथ उसकी भलाई, परमेश्वर के लिए उसके प्रकोप से अधिक “स्वभाविक” है। वह अपने चरित्र के कठोर अभिव्यक्तिओं की तुलना में प्रेम को प्रिय जानता है। हम इस बिन्दू पर भाषा पर तनाव डाल रहे हैं क्योंकि जैसा कि हम पहले देख चुके हैं, परमेश्वर के गुण सामंजस्यपूर्ण एकता में पाए जाते हैं। परमेश्वर के स्वभाव या चेतना में प्रेम और न्याय एक दूसरे से युद्ध नहीं कर रहे हैं। फिर भी बाइबल हमें सिखाती है कि परमेश्वर को “करुणा (इब्रानी में ख़ेसेद) दिखाना भाता है” (मीका 7:18), जबकि वह कभी नहीं सिखाती है कि प्रकोप करना उसको भाता है। थॉमस वॉट्सन (Thomas Watson) कहते हैं, “परमेश्वर प्रकोप से अधिक दया की ओर झुकता है। कठोरता के कार्य करने के लिए उसको लगभग विवश किया जाता है।” बाइबल सिखाती है कि वह “मन से पीड़ा नहीं पहुँचाता है,” फिर भी वह मन से और उत्सुकता से प्रेम करता है (विलापगीत 3:33; व्यवस्थाविवरण 7:6-7 देखें)। वह “विलम्ब से कोप करने वाला” है जबकि वह क्षमा करने के लिए उत्सुक और “करुणा से भरपूर” है (भजन 103:8; निर्गमन 34:6)। यशायाह परमेश्वर के न्याय को उसका “अनोखा काम” कहता है (यशायाह 28:21), जिसे ईश्वरविज्ञानी उसका ओपेरा एलिएना (opera aliena) कहते हैं, अर्थात् उसका प्रकिकूल कार्य। वह एक अनुच्छुक न्यायी है। वह क्रोध करने, प्रकोप दिखाने और न्याय करने से अधिक प्रेम करने के लिए—दयालुता, अनुग्रह, और दया दिखाने के लिए—प्रवृत्त है। उसके प्रेम की अभिव्यक्ति उसकी प्रवृत्ति या उसके स्वभाव के झुकाव को उसके प्रकोप की अभिव्यक्ति से अधिक प्रकट करता है, और उसकी वरीयता का अधिक स्पष्ट प्रकटीकरण है। वासत्व में, जैसा कि विलियम गर्नाल (William Gurnall) कहते हैं, परमेश्वर का प्रेम “उसके सभी शेष गुणों को कार्य पर लगाता है।”

हमें सर्वदा परमेश्वर के गुणों को नम्रता में होकर व्यक्त करना चाहिए। हमने भले ही जितना कह दिया है, सर्वदा और कहा जा सकता है। सीमित बुद्धि असीमित परमेश्वर को पूर्ण रीति से या सुविस्तृत रीति से नहीं जान सकता है। फिर भी हम सच में परमेश्वर को जान सकते हैं, और हम बाइबल से मेल खाते हुए बात कर सकते हैं, जब वह प्रकट करता है कि परमेश्वर प्रेम और न्यायी है, जिसको हम कलवरी पर देखते हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

टेरी एल. जॉनसन
टेरी एल. जॉनसन
रेव. टेरी एल. जॉनसन सवाना, जॉर्जिया में इनडिपेन्डेन्ट प्रेस्बिटेरियन चर्च के वरिष्ठ सेवक हैं। वे परम्परागत प्रोटेस्टेन्ट का पक्ष (The Case for Traditional Protestantism) और धर्मसुधारवादी आराधना (Reformed Worship) के लेखक हैं