सर्वज्ञता - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
सर्वशक्ति
15 दिसम्बर 2023
हमारा दयालू महायाजक
17 दिसम्बर 2023
सर्वशक्ति
15 दिसम्बर 2023
हमारा दयालू महायाजक
17 दिसम्बर 2023

सर्वज्ञता

अतीत के विषय में विचार करते समय आपने कितनी बार कहा है, “अच्छा होता यदि मैं तब उन बातों को जानता जिन्हें मैं अब जानता हूँ”? मनुष्य होने का एक आयाम यह है कि किसी भी क्षण में हम उन सब बातों को नहीं जानते हैं जिन्हें जाना जा सकता है, और यदि हमारे साथ सब कुछ ठीक रहा, तो हम अपने जीवनकाल में और जानते हैं। यह तथ्य कि हम प्रायः और जानना चाहते हैं, और शिक्षा पर इतना ध्यान देते हैं, इस बात का संकेत करता है कि ज्ञान एक भली बात है। अर्थात्, यह जीवन के लिए अति मूल्यवान और लाभकारी है; यह हमारे जीवन के लिए बुद्धि का एक भाग है। और ज्ञान प्राप्त करना सम्भवतः हमारे मानवता की स्थिति को सुधारता है।

परन्तु इस तथ्य का कि हम प्रायः और जानना चाहते हैं और अपने जीवन काल में और जान सकते हैं, और इस दुःखद तथ्य का कि हम ज्ञान को खो सकते हैं, यह अर्थ है कि मानवीय ज्ञान गतिशील किन्तु सीमित है। यहाँ तक कि जिन सबसे बुद्धिमान लोगों को हम जानते हैं, जो सरलता से रोचक तथ्यों को जानते हैं और जटिल बातों को समझते हैं, उन्हें भी उन बातों को सीखना पड़ा। मानवीय ज्ञान, और सबसे उत्कृष्ट मानवीय ज्ञान भी, सब कुछ को नहीं जानता है, सर्वज्ञानी नहीं है, और इसके लिए प्रयास करना पड़ता है।

परमेश्वर के साथ ऐसा नहीं है। मानवीय ज्ञान के विषय में कुछ विचारों के साथ आरम्भ करना इस बात को स्पष्ट करता है, क्योंकि प्रायः परमेश्वर के गुणों के विषय में, विशेषकर उसके असंचारीय गुणों के विषय में हमारा ज्ञान, हमारे किसी गुण की तुलना करते हुए उसे नकारने के द्वारा हमारे पास आता है। इसका तात्पर्य यह है कि परमेश्वर इतना महान् है, वह इतना सामर्थी है, और उसका स्वभाव हम से इतना भिन्न है कि यह व्यक्त करने के लिए कि वह कैसा है, हमें इस बात से आरम्भ करना होगा कि वह कैसा नहीं है। परमेश्वर पवित्रशास्त्र में स्वयं अपने विषय में ऐसे ही बात करता है: “क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं (मलाकी 3:6)।

ए.डब्ल्यू. टोज़र (A.W. Tozer) ने परमेश्वर के सर्वज्ञता को संक्षिप्त में परिभाषित किया: “यह कहना कि परमेश्वर सर्वज्ञानी है, इसका अर्थ है कि उसके पास सिद्ध ज्ञान है और इसलिए उसे सीखने की आवश्यकता नहीं है। परन्तु इससे भी बढ़कर: इसका अर्थ है कि परमेश्वर ने कभी भी सीखा नहीं है और वह सीख नहीं सकता।

जो बात हम में अ-सिद्ध रूप से है, वह परमेश्वर में सिद्ध रूप से है। यह कहना कि परमेश्वर किसी बात से अनजान हो सकता है, इसे पवित्रशास्त्र अर्थहीन के रूप में ठुकराता है: “जिसने कान दिया, क्या वह स्वयं नहीं सुनता? जिसने आँख रची, क्या वह स्वयं नहीं देखता?” (भजन 94:9)। परमेश्वर का ज्ञान सिद्ध या पूर्ण है। यदि आप मुझसे टोलीडो, ओहायो कि विषय में कुछ पूछें, मैं बहुत कुछ कह सकता हूँ; मैं तो वहीं बड़ा हुआ था। यदि आप लक्समबर्ग देश के विषय में मुझ से कुछ पूछें, मैं बहुत कम कह सकता हूँ; मैं तो कभी भी वहाँ गया नहीं हूँ। मानवीय ज्ञान कुछ बातों को अधिक जानता है और कुछ बातों को कम। परमेश्वर सब कुछ को एक समान जानता है। परमेश्वर कभी भी अचानक बातों को नहीं समझता है—वह कभी भी किसी नई बात की खोज नहीं करता है, वह कभी भी आश्चर्यचकित नहीं होता है, वह कभी भी सीखता नहीं है। यह सब बातों के विषय में सत्य है: “उसकी बुद्धि अगम है” (यशायाह 40:28)। परन्तु पवित्रशास्त्र विशेषकर बल देता है कि परमेश्वर मनुष्यों को जानता है: “जिसको हमें लेखा देना है, उसकी दृष्टि में कोई भी प्राणी छिपा नहीं। उसकी आँखों के सामने सब कुछ खुला और नग्न है” (इब्रानियों 4:13)।

परन्तु, परमेश्वर का ज्ञान केवल मात्रा का विषय नहीं है, मानो उसका ज्ञान इस कारण से उत्तम और सिद्ध है क्योंकि वह हम से अधिक बातों को जानता है। परमेश्वर तो बातों को परमेश्वर होने के रूप में जानता है, जो समय से परे है, जिसको किसी बात की आवश्यकता नहीं है, और जो किसी पर निर्भर नहीं है। ऑगस्टीन ने कहा, “परमेश्वर सब प्राणियों को अवश्य जानता है . . . क्योंकि वे अस्तित्व में हैं; वे इसलिए अस्तित्व में हैं क्योंकि परमेश्वर उन्हें जानता है।” दूसरे शब्दों में, बातों को जानने के लिए परमेश्वर हमारे कार्यों पर निर्भर नहीं होता है। मैं एक दिन अपने नाति-पोतों को जानना चाहता हूँ, परन्तु वह तब तक नहीं होगा जब तक मेरे बच्चों के बच्चे नहीं होंगे। मेरी मानवीय ज्ञान समय के प्रकट होने के द्वारा सीमित है। पिछले तीस वर्षों में खुला ईश्वरविज्ञान (open theism) नाम की शिक्षा ने इसी बात को परमेश्वर के लिए कहा।

खुले ईश्वरविज्ञानी मानव इच्छा-शक्ति की स्वतन्त्रता के लिए बड़ा स्थान बनाना चाहते हैं, और ऐसा करने के लिए वे कहते हैं कि परमेश्वर हमारे भविष्य के कार्यों को नहीं जानता है, परन्तु जैसे वह हमारे साथ जीता है वह हमारे साथ उन्हें जान जाता है। यह एक गम्भीर त्रुटि है। यह परमेश्वर के ज्ञान को सृष्टि और इतिहास पर निर्भर बनाता है। इसके विपरीत, समय से परे होने के कारण, परमेश्वर सब कुछ को एक साथ जानता है। हर्मन बाविंक कहते हैं, “वह सह कुछ को तुरन्त, एक ही समय में, और अनादिकाल से जानता है; उसके मन की आँख के लिए सब कुछ अनन्त रीति से वर्तमान है।” इस ज्ञान में प्रत्येक सम्भावना सम्मिलित है, क्योंकि अपने ईश्वरीय प्रावधान में होकर परमेश्वर ने ठहराया है कि सब कुछ कैसे होगा (भजन 139:16)—यहाँ तक कि पक्षी के गिरने तक भी (मत्ती 10:29)। परमेश्वर की सर्वज्ञता को सही रीति से समझना हमारी सहायता करता है कि हम खुला ईश्वरविज्ञान जैसे ईश्वरविज्ञानीय त्रुटियों को पकड़ सकें।

सकारात्मक रूप से, परमेश्वर की सर्वज्ञता उसके लोगों को सान्त्वना देता है और उनकी आराधना को बढ़ाता है। हम ऐसा सोच सकते हैं कि परमेश्वर का अबोधगम्य ज्ञान उसके और उसके लोगों के मध्य दूरी उत्पन्न करता है। सच्चाई इसके विपरीत है। भजन 139:1-18 में भजनकार कहता है कि यह “बहुमूल्य” है कि परमेश्वर उसे बहुत गहराई से जानता है। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि हमारा वाचायी परमेश्वर अनुग्रहकारी है, और दया और सहायता से परिपूर्ण है (भजन 116:5-7)। विलियम एम्स ने इसे अच्छे से कहा: “विश्वास उस जन पर भरोसा करता है जो जानता है कि हमारे लिए क्या आवश्यक है और फिर उसे उपलब्ध कराने के लिए इच्छुक भी है।”

हमारे विषय में परमेश्वर के ज्ञान से बढ़कर,परमेश्वर स्वयं के विषय में सिद्ध ज्ञान रखता है। हम इसी कारण से परमेश्वर को जान सकते हैं, क्योंकि यदि परमेश्वर स्वयं को नहीं जानता, तो उसके पास हम पर प्रकट करने के लिए कुछ नहीं होता। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि वह स्वयं को —पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा को सिद्ध रूप से जानता है। “मेरे पिता के द्वारा मुझे सब कुछ सौंपा गया है। पिता के अतिरिक्त पुत्र को कोई नहीं जानता, न पुत्र के अतिरिक्त पिता को कोई जानता है” (मत्ती 11:27)। जिस प्रकार से पिता और पुत्र पूर्ण रूप से एक दूसरे को जानते हैं, आत्मा भी “परमेश्वर की गूढ़ बातों को खोजता है” (1 कुरिन्थियों 2:10)। क्योंकि वे ईश्वरीय स्वभाव में एक दूसरे को सिद्ध रूप से जानते हैं, त्रिएकता के जनों के मध्य प्रेम और आनन्द में एक असीम परिपूर्णता और धन है। परमेश्वर उसी प्रेम और आनन्द को अनुग्रह में होकर सुसमाचार में खोलता है, और जब हम इसे ग्रहण करते हैं तो हम प्रेम से भरकर गाने के लिए उत्साहित होते हैं, “अमर, अदृश्य, एकमात्र बुद्धिमान परमेश्वर, अगम्य ज्योति में हमारी आँखों से छिपा हुआ।”

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

डी. ब्लेयर स्मिथ
डी. ब्लेयर स्मिथ
डॉ. डी. ब्लैर स्मिथ नॉर्थ कैरोलायना के शार्लट्ट में रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनेरी में विधिवत ईश्वरविज्ञान के सहायक प्राध्यापक हैं, और प्रेस्बिटेरिय चर्च इन अमेरिका में एक शिक्षक पास्टर हैं।