बच्चों के समान बात करने का बहमूल्य उपहार - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
प्राण को आकार देने वाली सुसमाचार की वास्तविकता: डेविड वेल्स के साथ एक साक्षात्कार
1 सितम्बर 2022
यूहन्ना में प्रेम
8 सितम्बर 2022
प्राण को आकार देने वाली सुसमाचार की वास्तविकता: डेविड वेल्स के साथ एक साक्षात्कार
1 सितम्बर 2022
यूहन्ना में प्रेम
8 सितम्बर 2022

बच्चों के समान बात करने का बहमूल्य उपहार

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का आठवां अध्याय है: नए नियम की पत्रियाँ

मानवीय भाषा बहुमूल्य है। यह हमें पशुओं से अलग करती है। यह हमारी सबसे गूढ़ वैज्ञानिक खोजों और हमारी गहरी भावनाओं को साझा करने के योग्य बनाती है। इन सबसे बढ़कर, परमेश्वर ने बाइबल में मानवीय भाषा के माध्यम से स्वयं को मनुष्यों पर प्रकट किया। समय की परिपूर्णता में, उसने अपने पुत्र के द्वारा हमसे बात की (इब्रानियों 1:1-2), और वह पुत्र मानवीय भाषा बोलता था। उसी प्रकार, उसने अपने प्रेरितों को समस्त सत्य की ओर ले जाने के लिए अपना आत्मा भेजा जिससे कि वे पुत्र की कहानी मानवीय भाषा में बता सकें। मानवीय भाषा में इस कहानी के बिना, हम पुत्र को नहीं जान पाते। इसलिए, मानवीय भाषा असीमित रूप से बहुमूल्य है।

परन्तु परमेश्वर की सम्पूर्णता को समझने के लिए यह असिद्ध है। 1 कुरिन्थियों 13 में, वर्तमान समय और ख्रीष्ट की वापसी के पश्चात् आने वाले युग के मध्य चार तुलनाएँ हैं।

प्रेम कभी मिटता नहीं। नबूवतें हों तो समाप्त हो जाएँगी, भाषाएँ हों तो जाती रहेंगी; और ज्ञान हो तो लुप्त हो जाएगा। क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है और हमारी नबूवतें अधूरी हैं। परन्तु जब सर्व-सिद्ध आएगा तो अधूरापन मिट जाएगा। जब मैं बालक था तो बालक के समान बोलता, बालक के समान सोचता और बालक के समान समझता था, परन्तु जब सयाना हुआ तब बालकपन की बातें छोड़ दीं। अभी तो हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई पड़ता है, परन्तु उस समय आमने सामने देखेंगे; इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है, परन्तु उस समय पूर्ण रूप से जानूंगा, जैसा मैं स्वयं भी पूर्णरूप से जाना गया हूँ। पर अब विश्वास, आशा, प्रेम, ये तीनों स्थायी हैं, परन्तु इनमें सबसे बड़ा प्रेम है (पद 8-13)। इस युग (अभी) और आने वाले युग (तब) की तुलना पर ध्यान दें:

अभी: हमारा ज्ञान अधूरा है।
तब:  जब सर्व-सिद्ध आएगा तो अधूरापन मिट जाएगा (पद 9-10)।

अभी: मैं बालक के समान बोलता, सोचता, और तर्क समझता था।
तब:  जब सयाना हुआ तब बालकपन की बातें छोड़ दीं (पद 11))।

अभी: हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई पड़ता है।
तब:  उस समय आमने सामने देखेंगे (पद 12)।

अभी: मेरा ज्ञान अधूरा है।
तब: उस समय पूर्ण रूप से जानूंगा, जैसा मैं स्वयं भी पूर्णरूप से जाना गया हूँ (पद 12)।

इस सन्दर्भ में, हम देख सकते हैं कि पौलुस का क्या अर्थ है जब वह लिखता है, “जब मैं बालक था तो बालक के समान बोलता, बालक के समान सोचता और बालक के समान समझता था।“ वह कह रहा है कि इस युग में, हमारी मानवीय भाषा, और सोच और समझ आने वाले युग में हम कैसे बोलेंगे, सोचेंगे, और समझेंगे की तुलना में बाल वार्ता (बच्चो के समान बात करने) के जैसा है।      

जब पौलुस को स्वर्ग में उठा लिया गया और स्वर्गीय वास्तविकताओं की झलक दी गयी, उसने कहा कि, “उसने ऐसी बातें सुनी जो वर्णन से बाहर हैं, और जिन्हें मनुष्यों को बोलने की अनुमति नहीं” (2 कुरिन्थियों 12:4)। हमारी भाषा उस सारी महानता को वहन करने के लिए अपर्याप्त है जो परमेश्वर है।

परन्तु इस बात से यह अनुमान लगाना कितनी बड़ी भूल होगी कि हम भाषा की उपेक्षा या इसके साथ निन्दनीय या असावधानी का व्यवहार करें। यह कितनी बड़ी भूल है, यदि हम परमेश्वर के विषय में सत्य कथनों को घटिया, अनुपयोगी, या झूठे के रूप में त्रुटि निकालने लगें। यह क्या ही मूर्खता होगी यदि हम प्रतिज्ञप्तियों, उपवाक्यों, वाक्यांशों, और शब्दों का तिरस्कार करें, जैसे कि वे अकथनीय रूप से बहुमूल्य और जीवन के अनिवार्य न हों।

इस मूर्खता का मुख्य कारण यह होगा कि परमेश्वर ने अपने पुत्र को हमारे बाल कक्ष (nursery) में भेजने और हमारे साथ बाल वार्ता करने के लिए चुना। यीशु ख्रीष्ट हमारे साथ बालक बन गए। एक समय था जब स्वयं यीशु ने कहा होगा, “जब मैं बालक था तो बालक के समान बोलता, बालक के समान सोचता और बालक के समान समझता था।” देहधारण का अर्थ यही है। उसने स्वयं को हमारी बाल वार्ता में समायोजित किया। इस युग के मानव जीवन के बाल कक्ष में उसने हमारे साथ हकलाकर बात की।

यीशु ने बालकों के समान बात की। पहाड़ी उपदेश हमारी बाल वार्ता है। यूहन्ना 17 में उसकी महायाजकीय प्रार्थना बाल वार्ता है। “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”(मरकुस15:34) बाल वार्ता है—असीमित रूप से बहुमूल्य, सच्ची, महिमावान बाल वार्ता।

इससे बढ़कर, परमेश्वर ने बाल वार्ता की पूरी बाइबल को प्रेरित किया। सच्ची बाल वार्ता। पूर्ण अधिकार और सामर्थ के साथ बाल वार्ता। बाल वार्ता जो कि मधु से भी मीठी और सोने से भी अधिक चाहने योग्य है। जॉन कैल्विन ने कहा है, “परमेश्वर, हमसे बात करने के लिए ऐसे तुतलाता है जैसे कि दाईयाँ भी छोटे बच्चों के साथ करने में अभ्यस्त नहीं होतीं” (इन्स्टीट्यूट ऑफ क्रिश्चयन रीलीजन 1.13.1)। परमेश्वर की बाल वार्ता कितनी ही बहुमूल्य है। यह घास के समान नहीं है जो सूख जाती या फूल के जो मुर्झा जाता है; यह सदा अटल रहेगी (यशायाह 40:8)।

आने वाले युग में एक और भाषा और सोच और समझ होगी। और हम उन बातों को देखेंगे जिन्हें हमारी वर्तमान की बाल वार्ता में व्यक्त भी नहीं किया जा सकता है। परन्तु जब परमेश्वर ने अपने पुत्र को हमारे बाल कक्ष में भेजा, बाल वार्ता करने और नन्हे बच्चों के लिए मरने के लिए, उसने उन लोगों के मुँह बन्द कर दिए जो बालक के मुँह से निकलने वाले सत्य और सुन्दरता की सम्भावनाओं का उपहास उड़ाते हैं।

और जब परमेश्वर ने स्वयं की अचूक व्याख्या के रूप में बाल वार्ता के साथ एक पुस्तक को प्रेरित किया, तो हम उन बालकों को क्या कहेंगे जो परमेश्वर को जानने के साधन के रूप में मानवीय भाषा के उपहार को प्रकाश में लाते है?  हाय उन पर जो मनुष्य के बच्चों के उपहार की उपेक्षा, तिरस्कार, शोषण, या हेरफेर करते। यह बाल कक्ष में एक खिलौना नहीं है। यह जीवन की श्वांस है। “जो बातें मैंने तुमसे कहीं हैं वह आत्मा और जीवन हैं” (यूहन्ना 6:63)।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

जॉन पाइपर
जॉन पाइपर
डॉ. जॉन पाइपर (@JohnPiper) डिज़ायरिंग गॉड के संस्थापक और शिक्षक हैं और मिनियापोलिस में बेथलहम कॉलेज और सेमिनरी के कुलाधिपती हैं। वह पचास से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें परमेश्वर की ओर झुका हुआ हृदय (A Godward Heart) और अस्पताल के बिस्तर से प्राप्त शिक्षाएं (Lessons from a Hospital Bed) सम्मिलित हैं।