प्राण को आकार देने वाली सुसमाचार की वास्तविकता: डेविड वेल्स के साथ एक साक्षात्कार - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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प्राण को आकार देने वाली सुसमाचार की वास्तविकता: डेविड वेल्स के साथ एक साक्षात्कार

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का सातवां अध्याय है: नए नियम की पत्रियाँ

टेबलटॉक: बाइबल के अतिरिक्त, पिछले वर्ष में आपने कौन सी सबसे प्रभावशाली पुस्तक पढ़ी?

डेविड वेल्स: अ‍धिकांश राजनेता उनसे पूछे गए प्रश्न से थोड़ा भिन्न प्रश्न का उत्तर देते हैं, तो क्या मैं भी ऐसा कर सकता हूँ? जिस पुस्तक को मैं इस वर्ष की सबसे प्रभावशाली पुस्तक के रूप में देखना चाहता हूँ वह है जे. आई. पैकर और गैरी पैरट की ग्राउन्डेड इन गॉस्पेल: बिल्डिंग बिलीवर्स इन ओल्ड फैशन वे  (Grounded in the Gospel: Building Believers the Old-Fashioned Way)। यह तर्क देती है कि हमारी कलीसियाओं को प्रश्नोत्तर के द्वारा शिक्षा देने वाली होना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की शिक्षा, विशेषकर हमारे युवाओं के, सिद्धान्त को संरक्षित रखती हैं। बाइबलीय सिद्धान्त ही है जो कलीसिया को कलीसिया बनाता है। हम विश्वास के सैद्धान्तिक मूल को पार करने में ठोकर खा रहे हैं, और वह आज कलीसिया की दुर्बलताओं से व्यवहार करता है।

टेबलतटॉलक: वर्तमान सुसमाचारवादी परिदृश्य को देखते हुए, आप कलीसिया के लिए सबसे बड़े जोख़िम के रूप में किसे देखते हैं?

डेविड वेल्स: कलीसियाओं के भीतरी जीवन का प्रत्येक अध्ययन यह दिखाता है कि वे अधिक मात्रा में बाइबलीय रूप से कम साक्षर होते जा रहे हैं। इसके साथ ही, हमारी संस्कृति कहाँ हमारे प्राणों को कितना प्रभावित रही है उसको जाँचने की हमारी योग्यता कम हो गयी है। ऐसी कलीसिया जो बाइबलीय विकल्प प्रदान करने के स्थान पर मात्र संस्कृति का अनुकरण कर रही है वह विस्मरण के मार्ग पर है। वास्तव में, ऐसा कई पश्चिमी देशों में हुआ है, जहाँ रविवार की प्रातः दो से पाँच प्रतिशत से अधिक लोग किसी भी प्रकार की कलीसिया में नहीं जाते हैं। आने वाले वर्षों में हम जिस ओर जा रहे हैं आज यूरोप में वह स्थिति हो सकती है।

टेबलटॉक: जब हम पश्चिम में एक निश्चित रूप से उत्तर-मसीही युग (post-Christian era) की ओर बढ़ रहे हैं ऐसे में कलीसिया एक प्रभावशाली साक्षी को कैसे बनाए रख सकती है?

डेविड वेल्स: हमें यहाँ पूरी बात को समझने की आवश्कता है। अन्य स्थानों के मसीहियों की तुलना में, संयुक्त राज्य अमरीका में हमारी स्थिति, असामान्य रूप से कठिन नहीं है। यह सत्य है कि अब हम उस समय से दूर जा रहे हैं जब मसीहियत के पास कुछ सांस्कृतिक स्वीकृति थी। अन्ततः, विचार कीजिए कि “नया जन्म” होना कितना लोकप्रिय रहा है। परन्तु यह स्मरण रखें कि संयुक्त राज्य अमरीका के बाहर, ऐसे मसीही हैं जो अत्याचारों के अधीन जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जैसे कि इस्लाम से, या अत्याधिक निर्धनता में, या भयानक राजनीतिक भ्रष्टाचार से घिरे हुए, या अनियन्त्रित अपराध के अधीन हैं। उनके तुलना में हमारी स्थिति वास्तव में बहुत बुरी नहीं है। इसके लिए जो आवश्यकता है वह है कि हम में बाइबलीय सत्य के प्रति कुछ कायलता हो, जिस संस्कृति में हम रह रहे हैं उसके विषय में कुछ व्यावहारिक ज्ञान हो, और विश्वासियों के रूप में अपनी पहचान को संरक्षित रखने के लिए दृढ़ता हो। यह सोचना एक प्रलोभन है कि अच्छे और मिलनसार होने के द्वारा हम सुसमाचार को हर एक के जीवन में एक महान छोटी अनुवृद्धि बना सकते हैं। परन्तु सुसमाचार एक महान छोटी अनुवृद्धि नहीं है। यह प्राणों को हिला देने वाला, बहुमूल्य, माँग करने वाली वास्तविकता है। कलीसिया इस सत्य को छिपा नहीं सकती है! सुसमाचार स्वयं के उपचार के विषय में नहीं है। हमारे दबाव में, सख्त, और चिन्तित होने वाले युग के होने के बाद भी, मसीही सन्देश हमें स्वयं के विषय में उत्तम आभास करवाने या इसका सामना करने के अधिक योग्य बनाने के लिए नहीं है। यह हमारे महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता के सम्मुख आने, अपने पापों का अंगीकार करने, स्वयं को उसे सौंप देने, और स्वयं पर अपने अधिकार को उसे समर्पित करने के विषय में है। कलीसिया में जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता, और जिसकी सबसे अधिक कमी है, वह है इसके सन्देश को स्वयं के सहायता उपचारों और विपणन रणनीतियों से अन्तर करने का गुण। हमारी कमी यह नहीं है कि हमारे पास सही तकनीकियों का अभाव है। वह यह है कि हमारे पास प्रायः वास्तविक विकल्प नहीं होता है।

टेबलटॉक: क्या आपके पास शैक्षिक क्षेत्र में कार्य करने वाले मसीहियों के लिये कोई परामर्श है?

डेविड वेल्स: कार्य के अन्य मार्गों के समान, शैक्षिक क्षेत्र पेशेवर बन गए हैं। इसका अर्थ है कि इसमें प्रवेश को सावधानीपूर्वक सुरक्षित किया गया है—आपके पास सही डिग्री होनी चाहिए—और इसके भीतर की प्रगति को सावधानीपूर्वक नियन्त्रित किया गया है। व्यवहारिक रूप में इसका अर्थ है, कि आगे बढ़ने के साथ-साथ उन शिक्षाविदों को राजनैतिक विपरीत स्थितियों के साथ मोल-तोल करना होगा और निश्चित रूप से वे अपना जीवनयापन हेतु कार्य करने के सम्बन्ध में वे अपने कार्य के विषय में सोचना आरम्भ कर देंगे। जीवनयापन हेतु कार्य होने का अर्थ है दृश्यता, सामर्थ, और सम्भवतः धन की सीढ़ी पर चढ़ते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए रणनीतियाँ बनाना। यह सब मसीही विश्वास के लिए घातक है। यह परमेश्वर के राज्य के लोगों के लिए माँगों और सीमाओं को प्रतिस्थापित कर देता है। वह सर्वदा से ऐसा है, जब तक कि हम वास्तव में परमेश्वर के संसार में जीवनयापन हेतु कार्य करने वालों के समान नहीं, वरन् उसके सेवक के रूप में और ख्रीष्ट के सुसमाचार के लिए उसके साक्षियों के रूप  अपना स्थान सुरक्षित रखने के प्रति सुविचारित नहीं हैं। अपने जीवनयापन हेतु कार्य को आगे बढ़ाने के लिए इनसे समझौता करना कितना सरल है।

टेबलटॉक: आज जिस अवस्था में हम कलीसिया को पाते हैं उसमें उपभोक्तावाद ने कैसे योगदान दिया है?

डेविड वेल्स: हम कलीसिया में क्रय और विक्रय की लय ले कर आए हैं, एक उत्पाद को आकर्षक बनाने के लिए ताकि एक सम्भावित क्रेता को लुभाया जा सके, और इस प्रक्रिया में सहायता के लिए, हम आराधना के वातावरण को एक सुखद मनोरंजन में परिवर्तित कर रहे हैं। जो उत्पाद हम सोच रहे हैं कि बेच रहे हैं वह सुसमाचार है और , उसी के भीतर विश्व के परमेश्वर को भी। ऐसे कहें तो, यह अत्यन्त ही बेतुका सुनाई देता है, है न? परन्तु जब सफलता, सम्भावित क्रेताओं से भरे पवित्र स्थानों की दूरदर्शिता, हमारी आँखों के सामने नृत्य करती हैं, हमें कुछ भी बेतुका, अनुचित, या निषिद्ध नहीं लगता। स्पष्ट रूप से, हम जो भी सोचते हैं वह करने के लिए तैयार हैं, भले वह कितना भी अनुचित क्यों न हो।

टेबलटॉक: यदि आप आज नो प्लेस फॉर ट्रूथ (No Place For Truth)  पुस्तक लिखते, तो क्या कुछ ऐसा है जिसे आप पुस्तक में परिवर्तित करना/जोड़ना/घटाना चाहेंगे?

डेविड वेल्स: अब लगभग तीन दशक हो गए हैं जब मैंने पहली बार नो प्लेस फॉर ट्रूथ  पर शोध करना आरम्भ किया था। बाद में, जब 1993 में यह आयी, तो चारों ओर लोग चकित रह गए। और कुछ लोगों ने कहा कि निश्चित रूप से मैं बढ़ा-चढ़ा कर कह रहा था। यद्यपि, तब जो मैंने तर्क दिया था, वह अब एक सामान्य अवधारणा बन गयी है। शोध प्रबन्ध यह था कि सुसमचारवाद कई सांस्कृतिक समझौतों के माध्यम से अपने बाइबलीय/ईश्वरविज्ञानी प्राण की हानि कर रहा है। यह प्रक्रिया केवल तीव्र हुई है। यद्यपि, मैं प्रोत्साहित हुआ कि अब ऐसे अधिक लोग हैं जो, बीती घटनाओं के प्रति चौकस हैं, अधिक लोग जो वास्तव में प्रमाणिकता चाहते हैं, अधिक लोग जो मनोवैज्ञानिक विश्वास या विपणन सुसमाचार से प्रभावित नहीं हैं, और अधिक लोग जो वास्तविक, उत्साहपूर्ण शास्त्रसम्मत के लिए लालायित हैं। तब, जो मैं परिवर्तित करूँगा, वह केवल यह जोड़ना होगा—कि जब सुसमाचारवाद का झगड़ा कराना और सुलझना सतत है, अधिक लोग कुछ बेहतर की खोज में हैं।

टेबलटॉक: यद्यपि कई हैं, परन्तु एक सीख क्या है जिसे प्रभु ने आपको सिखाया है जो आप हमारे साथ साझा करना चाहेंगे?

डेविड वेल्स: मुझे निरन्तर रूप से जीवन की क्षण भंगुरता के विषय में स्मरण रहता है, क्योंकि मैं बहुतों को जानता हूँ जिनकी मृत्यु असामयिक प्रतीत हुई। मुझे जॉन डोन  की पंक्तियाँ स्मरण हैं, “इसलिए, यह मत पूछें कि मृत्यु की घण्टी किसके लिए बज रही है, यह तो आप के लिए बज रही है।” हे प्रभु, मेरे दिनों को गिनने और मेरे हृदय को बुद्धिमान बनाने में मेरी सहायता करें! और यह क्षण भंगुरता आत्मिक रूप से और अधिक स्पष्ट है। हमारी उत्तम ईश्वरभक्ति  कितनी पतली है! जीवन कितना अधर्मी हो सकता है! मैं कई लोगों के विषय में सोच सकता हूँ, यहाँ तक कि जो सेवकाई में हैं, जो अपने भयंकर भूल कर चुके और मार्ग से भटक चुके हैं। प्रत्येक दिन वह दिन है जब जीवन के महान उपहार के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया जाना चाहिए, और प्रत्येक दिन जब मैं निरन्तर उसके साथ चलता हूँ वह दिन है जब मैं उसके अनुग्रह के लिए अपने ऋण को स्मरण करता हूँ। हाँ, परन्तु के अनुग्रह के बिना मैं भी उसी मार्ग पर जा रहा होता!

टेबलटॉक: वर्तमान में आप किन कार्यों में कार्यरत हैं?

डेविड वेल्स: मैं अपनी पुस्तक द करेज टू बी प्रोटेस्टेन्ट (The Courage to be Protestant) से पाँच छोटी, उत्तम दर के चलचित्र बनाने की आशा कर रहा हूँ। इन चलचित्रों के साथ छोटे समूहों और सण्डे स्कूल की कक्षाओं के लिए अध्ययन सामग्री होगी। ये चलचित्र पुस्तक के इन विषयों को बताएँगी: मसीही विश्वास कैसे सत्य, स्वयं, परमेश्वर, ख्रीष्ट, और कलीसिया के सम्बन्ध में अपनी संस्कृति के साथ ताल-मेल रखता है, और इसे कैसे रखना चाहिए। वित्त पोषण के सम्बन्ध में अर्थव्यवस्था हमारे लिए लाभप्रद नहीं रही है, परन्तु मैं आशा करता हूँ कि हम शीघ्र ही इस पर कार्य आरम्भ करने में सक्षम होंगे।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

डेविड एफ. वेल्स
डेविड एफ. वेल्स
डेविड एफ. वेल्स साउथ हैमिल्टन, मैस्सशूसट्स में गॉर्डन-कॉनवेल थियोलॉजिकल सेमिनेरी में प्रतिष्ठित अनुसंधान प्राध्यापक हैं। वे गॉड इन द वरविन्ड: हाउ द होली-लव ऑफ गॉड रीओरियन्ट्स द वर्ल्ड (God In the Whirlwind: How the Holy-Love of God Reorients the World) पुस्तक के लेखक हैं।