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बाइबल को स्मरण रखना और उसका नियमित अभ्यास करना

Remembering-and-Practicing-the-Bible

बाइबल को सीखना किसी भाषा को सीखने के जैसा है। दोनों को सीखने का सबसे अच्छा उपाय है उनमें पूर्णतः डूब जाना। जैसे-जैसे हमारे बच्चे, पढ़ना-लिखना और बोलना सीखते हैं, वे बार-बार दोहराने, अभ्यास करने और उपयोग करने से अपनी भाषा सीखते हैं। इसी प्रकार, जब हम परमेश्वर के वचन को पढ़ते हैं, तो पवित्रशास्त्र को स्मरण रखने के कुछ सर्वोत्तम उपाय हैं: इसे नियमित रूप से पढ़ना, इसे अपने हृदय में प्रार्थना करना, इसे पारिवारिक जीवन में पिरोने और इसे प्रचारित होते सुनना। दूसरे शब्दों में, जितना अधिक हम पवित्रशास्त्र को अपने दैनिक जीवन और अभ्यास में सम्मिलित करेंगे, उतना ही अधिक हम इसकी शिक्षा को स्मरण रखेंगे और अपने जीवन में सँजोए रखेंगे।

1. सम्पूर्ण बाइबल को नियमित रूप से पढ़ना।

सबसे पहले, हमें सम्पूर्ण बाइबल को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने के लिए हमें जिन बातों की आवश्यकता होती हैं, वे हैं शब्दावली, व्याकरण और सामग्री। यह रोचक है कि भजन 1 विश्वासियों को दिन-रात परमेश्वर की व्यवस्था पर मनन करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता; किन्तु यह मान कर चलता है कि हम ऐसा करते ही हैं (भजनसंहिता 1:2)। फिर भी बहुत से विश्वासी नहीं जानते कि पवित्रशास्त्र पर मनन कैसे किया जाए। उन्हें कहाँ से आरम्भ करना चाहिए? पहला स्पष्ट कदम इसे पढ़ना है।

ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत से ख्रीष्टीय पूरी बाइबल को नहीं पढ़ते हैं। हमने कितना पढ़ा है, इसका अवलोकन करने पर, क्या हम पाते हैं कि हम चारों सुसमाचार या रोमियों 8 जैसे प्रिय स्थलों की ओर अधिक आकर्षित होते हैं? फिर भी हमें परमेश्वर के वचन के प्रत्येक भाग को अपने हृदय में सँजोए रखना चाहिए, यदि किसी और कारण से नहीं तो इसलिए कि यह परमेश्वर का वचन है। भजन 119 ने प्रभु की व्यवस्था के प्रति सम्पूर्ण हृदय से प्रेम व्यक्त किया क्योंकि भजनकार का उद्देश्य व्यवस्था के प्रभु के प्रति सम्पूर्ण हृदय से प्रेम करना था। परमेश्वर कैसा है और वह कौन है, इसका पूरा चित्र पाने के लिए हमें पूरी पवित्रशास्त्र की आवश्यकता है। ऐसा करने का सबसे अच्छा उपाय है: बाइबल पढ़ने के लिए एक योजना बनाना।

जबकि बाइबल पढ़ने की कई योजनाएँ आज हमारे पास उपलब्ध हैं, प्रतिदिन तीन से चार अध्याय पढ़ने से आप लगभग एक वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ लेंगे। जितनी अधिक बार हम पवित्रशास्त्र के प्रत्येक भाग को पढ़ते हैं, उतना ही अधिक वे भाग स्वयं एक-दूसरे की व्याख्या करते हैं, क्योंकि हम बाइबल की शब्दावली, व्याकरण और विचार स्वरूप को समझना आरम्भ कर देते हैं। यदि हम दैनिक रूप से निजी आराधना के लिए अलग से समय नहीं निकालते हैं, तथा परमेश्वर की पुस्तक का निरन्तर अध्ययन नहीं करते हैं, तो हम, अपुल्‍लोस के जैसे, “पवित्रशास्त्र में निपुण” कैसे बनेंगे (प्रेरितों के काम 18:24)?

2. बाइबल पढ़ते हुए प्रार्थना करना।

पवित्रशास्त्र पढ़ना केवल निजी “भक्ति” की अभिव्यक्ति नहीं होनी चाहिए। यह आराधना का एक कार्य है जिसके माध्यम से हम परमेश्वर की खोज करते हैं, जिसे हम मुख्य रूप से प्रार्थना के माध्यम से व्यक्त करते हैं। हमें न केवल यह प्रार्थना करनी चाहिए कि परमेश्वर अपनी व्यवस्था से अद्भुत बातों को देखने के लिए हमारी आँखें खोल दें (भजन 119:18), पर हमें अपनी प्रार्थनाओं में पवित्रशास्त्र की अभिव्यक्तियों को भी सम्मिलित करना चाहिए। यह प्रश्न पूछना कि, “यह स्थल मुझे परमेश्वर के विषय में क्या दिखाता है?” सरल और कठिन दोनों प्रकार के खण्डों को हमारे जीवन में उपयोगी बना सकता है।

उदाहरण के लिए, भजन 90:1-2 कहता है कि परमेश्वर सभी पीढ़ियों में हमारा निवास स्थान है, और “अनन्तकाल से अनन्तकाल तक” वह परमेश्वर है। हम इस पर आधारित प्रार्थना कर सकते हैं, “हे परमेश्वर, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि मैं और मेरे बच्चे आपके साथ रहते हैं और आप हमारे साथ हैं, और क्योंकि आप अनन्त हैं, आप हमारे परिवार से की गई अपनी प्रतिज्ञाओं को सर्वदा पूरा कर सकते हैं” प्रार्थना के माध्यम से परमेश्वर की महिमा की खोज करना हमें आराधना में परमेश्वर की ओर आकर्षित कर सकता है, यहाँ तक ​​कि 1 इतिहास में वंशावली के नौ अध्यायों के माध्यम से भी, क्योंकि हम केवल नामों की सूची के स्थान पर अपने लोगों के प्रति परमेश्वर की वाचा की विश्वासयोग्यता को देखेंगे।

3. अपने पारिवारिक दिनचर्या में पवित्रशास्त्र को पिरोना।

हम जानते हैं कि प्रभु से प्रेम करने में अपने बच्चों से उसके वचन के बारे में बात करना सम्मिलित है जब हम बैठते हैं, जब हम उठते हैं, और जब हम चलते हैं (व्यवस्थाविवरण 6:6-7)। ऐसा करने का सबसे स्पष्ट उपाय यह है कि हम अपनी निजी आराधना को पारिवारिक आराधना में बढ़ाएँ, एक साथ वचन पढ़ने, प्रार्थना करने और पवित्रशास्त्र के माध्यम से प्रभु के लिए गीत गाना। पारिवारिक आराधना को छोटा और सरल रखना इन समयों को लाभदायक बनाता है, थोड़ा करना कुछ न करने से कहीं अच्छा है।

स्वयं और अपने परिवारों में बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने से स्वाभाविक रूप से पूरे दिन बाइबल के विषय में बातचीत होती रहती है। जैसे-जैसे पति-पत्नी स्वयं को परमेश्वर के वचन में लीन होते हैं, और अपने बच्चों को उसमें जोड़ते हैं, वे भक्ति के अभ्यासों को विकसित करते हैं जो उन्हें पवित्रशास्त्र को जानने और स्मरण रखने में सहायता करती हैं, जो स्वाभाविक रूप से दिनचर्या की बातचीत में दिखाई देती है। जितना अधिक पवित्रशास्त्र हम हृदय में सँजोए रखेंगे, उतना ही अधिक हमारा मुख हृदय के अतिप्रवाह के रूप में बोलेगा।

4. बाइबलीय प्रचार को नियमित रूप से सुनना।

बाइबल से विश्वासयोग्यता से किये गए प्रचार में, हम ख्रीष्ट की वाणी सुनते हैं (रोमियों 10:14-17; इफिसियों 2:17)। आत्मा का सामर्थ्य उन प्रचारकों के साथ होता है जो अपने पुत्र के लिए परमेश्वर की साक्षी की घोषणा करते हैं (1 कुरिन्थियों 2:1-5)। जबकि बाइबल के व्याख्यान और उपदेश ऑनलाइन सुनना अच्छी बात है, परन्तु सार्वजनिक आराधना में ख्रीष्ट और उसके लोगों के साथ मिलना कहीं श्रेष्ठतर है। प्रभु ने हमारे हृदयों को उस स्वर्ग की ओर जहाँ पुनर्जीवित और स्वर्गरोहित ख्रीष्ट हैं पुनर्निर्देशित करने के लिए हमें एक साप्ताहिक विश्राम का दिन दिया है। निजी और पारिवारिक आराधना हमें जीवन भर पवित्रशास्त्र में डूबे रहने में सहायता करती है। फिर भी सार्वजनिक आराधना इस प्रक्रिया की आधारशिला है, जिसमें आत्मा विशेष रिती से वचन को हमारे हृदयों में बैठाता है, जिससे हम परमेश्वर के वचन का अभ्यास कर पाते हैं और अभ्यास करके इसे स्मरण रख पाते हैं।

जैसा कि ऑगस्टीन (354-430) ने अपनी पुस्तक ऑन क्रिश्चियन डॉक्ट्रिन  में परामर्श दिया है, बाइबल पढ़ने की सबसे अच्छी रीति है इसके माध्यम से परमेश्वर को खोजना और उसका आनन्द लेना। हर पृष्ठ प्रभु की ओर इंगित करने वाले “संकेत” हैं, परन्तु त्रिएक परमेश्वर वह “वस्तु” है जिसकी अभिलाषा हम वास्तव में तब करते हैं जब हम परमेश्वर के वचन को पढ़ते और सुनते हैं। पवित्रशास्त्र सीखना सम्पूर्ण-प्राण का जुड़ाव है। क्या हम आत्मा से प्रार्थना करते हैं कि वह पुत्र की महिमा करे जब हम उसके वचन का अध्ययन करते हैं? क्या हमारा उद्देश्य है कि हम परमेश्वर के प्रिय बच्चों के रूप में शरीर और आत्मा से परमेश्वर की महिमा करें? क्या हम बाइबल को स्मरण रखने के लिए इसे साधनों का उपयोग करके उसे पूर्णतः ग्रहण करने और प्रार्थना के माध्यम से इसे अभ्यास में लाने का प्रयास करते हैं?

यह लेख व्याख्याशास्त्र संग्रह का भाग है और सर्वप्रथम अंग्रेज़ी में 12 मई, 2023 को प्रकाशित हुआ था।     

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।