अपने मनों को नया करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
आने वाले संसार में जीवन जीना
1 नवम्बर 2022
कलीसिया में पक्षपात
8 नवम्बर 2022
आने वाले संसार में जीवन जीना
1 नवम्बर 2022
कलीसिया में पक्षपात
8 नवम्बर 2022

अपने मनों को नया करना

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का आठवा अध्याय है: दो जगत के मध्य

जुलाई में, अपने मनों को नया करना (Renewing Your Mind), आर. सी. स्प्रोल के साथ ने अपनी चौबीसवीं वर्षगांठ मनाई। इस  कार्यक्रम का नाम, जिसको संचालन करना मेरा सौभाग्य है, रोमियों 12:2 से लिया गया है: “इस संसार के अनुरूप न बनो, परन्तु अपने मन के नए हो जाने से तुम परिवर्तित हो जाओ।“ पौलुस का संक्षिप्त उपदेश मसीही के अनुयायियों के रूप में जीवन जीने की कुन्जी प्रदान करता है।

अनुरूपता का अर्थ है प्रवाह के साथ जाना। इसलिए, वस्तुतः मसीही संसार के अनुरूप न होने के कारण प्रवाह के विपरीत तैर रहे हैं। और ऐसा करने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। हम स्वर्ग में अपने कार्य के अनुसार जाने की बात नहीं कर रहे हैं। इस खण्ड में, पौलुस विश्वासियों को सम्बोधित कर रहा है, जो पहले से ही धर्मी ठहराए जा चुके हैं। और हमें यह स्मरण कराया जाता है कि, “जिसने तुम में भला कार्य आरम्भ किया है, वही उसे पूर्ण भी करेगा” (फिलिप्पियों 1:6). हम अपने पवित्रीकरण की बात कर रहे हैं, जिसमें प्रयास सम्मिलित है।

पौलुस ने संसार के अनुरूप होने को “शरीर में जीवन जीने” के रूप में वर्णित किया है, और उसने चेतावनी दी, “शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है” (रोमियों 8:6)। चार्ल्स स्पर्जन भी समान रूप से स्पष्ट थे जब उन्होंने कहा, “यदि एक मसीही, सम्भावना भी हो की, संसार के अनुरूप होने बाद भी बचाया जा सके,तो ये आग से होकर जाने के समान होगा। इस प्रकार का उद्धार जितना वांछित है उतना ही भयानक भी है।“ ऐसे परिवर्तित जीवन में नए प्रकार की सोच सम्मिलित है। और इसे आरम्भ करने के लिए सही स्थान है उस बात का खरा आंकलन जो हमारे वर्तमान वैचारिक जीवन को प्रभावित करता है। सम्भवतः आपने यह अभिव्यक्ति सुनी होगी “आप जैसा खाते हैं वैसे होते हैं”। मुझे लगता है यह कहना भी उचित होगा कि आप वह हैं जो आप सोचते हैं। मुझे यह स्वीकार करने वाला पहला व्यक्ति होने दीजिए कि मैं अपने अधिकांश विचारों को उन बातों पर केन्द्रित करता हूँ जो प्राणों को थोड़ा ही पोषण प्रदान करते हैं। भजनकार हमें स्मरण कराता है:

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की सम्मति पर नहीं चलता, न पापियों के मार्ग में खड़ा होता, और न ठट्ठा करने वालों की बैठक में बैठता है। परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से आनन्दित होता और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन मनन करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है जो जल-धाराओं के किनारे लगाया गया है, और अपनी ऋतु में फलता है और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। (भजन 1:1-3)।

डॉ. स्प्रोल ने कहा, “एक नया हुआ मन परमेश्वर के ज्ञान का परिश्रमपूर्वक अनुसरण करने का परिणाम है।“ वे बताते हैं कि यह ज्ञान हमें कहाँ मिलता हैं:

परमेश्वर हमें पवित्रशास्त्र का प्रकाशन देता है अपने मनों को परिवर्तित करने के लिए ताकि हम यीशु के समान सोचना आरम्भ कर दें। पवित्रीकरण और आत्मिक विकास इसी के विषय में है। यदि यह केवल आपके मन में है और आपके हृदय में नहीं है, तो आपके पास यह नहीं है। परन्तु अपने मनों में लिए बिना आप इसे अपने हृदय में नहीं पा सकते। हम परमेश्वर के वचन द्वारा शिक्षित एक मन चाहते हैं।

परिवर्तन कैसा दिखता है

ऐसी स्पष्ट ताड़ना मस्तिष्क में एक ऐसे व्यक्ति को लाती है जिसे हमने कुछ महिने पूर्व अपने मनों को नया करने (Renewing Your Mind) में दिखाया था। लोवेल आईवे को सशस्त्र डकैती के लिए सत्रह वर्ष की सज़ा सुनाई गयी थी। उनका मानना था कि कारावास से बचने का एकमात्र तरीका श्वेत वर्चस्ववादी गिरोह (white supremacist gang) से जुड़ जाना है। लोवेल हर प्रकार से समूह के अनुरूप थे। उन्होंने स्वयं को घृणित, जातिवाद साहित्य में लीन कर लिया और अपने शरीर के ऊपरी भाग को टैटू से भरना आरम्भ कर दिया जो उसकी नयी पहचान  और अन्य जाति के लोगों के प्रति उसकी घृणा को दिखाता था। गिरोह के प्रति अपनी विश्वसनीयता प्रमाणित करने के लिए, लोवेल ने एक अफ्रीकी-अमरीकी कैदी पर घर के बने चाकू से हमला करने का प्रयास किया, एक ऐसा अपराध जो उन्हें एकान्त कारावास में ले गया।

परन्तु, एक रविवार की संध्या, स्थानीय प्रसारण केन्द्र पर एक उपदेश सुनते हुए, लोवेल अपने जीवन की दिशा के प्रति निराशा की स्थिति में आ गए और इस बात के लिए दृढ़ निश्चयी हो गए कि वह नरक में जा रहे हैं। उन्होंने कहा: “आँसू बह रहे थे और मैं उसके सम्मुख घुटनों पर गिर गया और मैंने कहा, ‘प्रभु, मुझे एक मसीही बना। मेरे हृदय को परिवर्तित कर। इसे दूर कर दे और मुझे तेरे पीछे चलने में सहायता कर।‘ और उसने ऐसा किया।”

लोवेल एकान्त कारावास में और सात वर्ष के लिए रहे, परन्तु उन्होंने कहा वह समय एक नए विश्वासी के रूप में उनके विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण था। “मैं समय का उपयोग पढ़ने, अध्ययन करने, और परमेश्वर के वचन पर मनन करने और प्रार्थना करने में करता था। प्रभु मुझे अपने साथ संगति में बढ़ा रहा था। वह समय का दुरुपयोग नहीं था।“

परमेश्वर के प्रावधान से, लोवेल को रेडियो पर अपने मनों को नया करना  कार्यक्रम मिला और उन्होंने कहा कि डॉ. स्प्रोल की शिक्षाएँ उनके विकास की कुँजी थी। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यतः कार्यक्रम सुनने के माध्यम से ईश्वरविज्ञानी रूप से अधिक परिपक्व बन गया।” उन्होंने धर्मसुधार अध्ययन बाइबल (Reformation Study Bible) की एक प्रति भी प्राप्त की, उसी बाइबल का उपयोग आज वह वर्जीनिया में कलीसिया के पास्टर होने के रूप में उपदेश तैयार करने के लिए करते हैं। साथ ही वह एक पति और तीन बच्चों के पिता भी हैं।

लोवेल का परिवर्तन इतना गहन है, जब मैंने उनका साक्षात्कार किया, मैं विश्वास नहीं कर सका कि मेरे सामने वाला व्यक्ति वही व्यक्ति है जिसका उन्होंने हृदयपरिवर्तन से पहले वर्णन किया था। ध्यान दीजिए कि कैसे उन्होंने कारावास में श्वेत वर्चस्ववादी की पहचान से परिवर्तन का वर्णन किया: 

प्रभु ने मुझे जातिवाद के पाप से बहुत गहनता से छुड़ाया है। जब मैंने वचन को पढ़ा, और जैसे-जैसे मेरी सोच और प्रेम परमेश्वर के वचन द्वारा आकार दिए गए, तो ऐसा सम्भव ही नहीं है कि मैं किसी के प्रति कटुता को बनाए रखूं।

एक परिवर्तित जीवन जीने की प्रेरणा

पुराने नियम में, इस्राएलियों को बार-बार उन्हें दासत्व से स्वतन्त्र करने में परमेश्वर की दया के विषय में स्मरण कराया जाता है। “क्योंकि मैं यहोवा हूँ और तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया हूँ कि मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूँ। इसलिए तुम पवित्र बनों, क्योंकि मैं पवित्र हूँ” (लैव्यव्यवस्था 11:45)। 

इसी प्रकार, पौलुस अपनी बात को रोमियों 12 में “परमेश्वर की दया” (पद 1) पर आधारित करता है, जिसका विवरण उसने अध्याय 3-11 में दिया है। वह हमें पाप के दासत्व से स्वतन्त्रता (6: 20-23) का भी स्मरण कराता है। लोवेल उन्हें पाप से स्वतन्त्र करने में परमेश्वर की दया को वर्णित करते हैं: “वह बहुत अनुग्रहकारी रहा है। उसने मुझे उस राख के ढेर और गड़हे से निकाल लिया जिसे मैंने अपने लिए खोदा था। और उसने मुझे अपने पुत्र, यीशु ख्रीष्ट के महिमावान राज्य में पहुँचा दिया है।“

यह सोचना प्रलोभन हो सकता है कि लोवेल का हृदयपरिवर्तन हमारे से अधिक अद्भुत है। हमें भी यह स्मरण रखना होगा कि, लोवेल के समान, हम भी अपने अपराधों और पापों में मरे हुए थे (इफिसियों 2:1)। परन्तु, लोवेल के समान, परमेश्वर ने हम पर भी दया दिखायी है। जैसा कि आइज़ेक वॉट्स अपने प्रसिद्ध भजन में लिखते हैं, “जब मैं उसके आश्चर्यजनक क्रूस को देखतता हूँ”: “प्रेम इतना अद्भुत, इतना ईश्वरीय है, मेरे प्राण, मेरे जीवन, मेरे सब कुछ की माँग करता है।“ (When I Survey the Wondrous Cross: Love so amazing, so divine, demands my soul, my life, my all)

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

ली वेब
ली वेब
ली वेब रिन्यूइंग यॉर माइंड कार्यक्रम (अपने मनों को नया करना Renewing Your Mind) के संचालक हैं।