इन अन्त के दिनों में जीना
25 अक्टूबर 2022आने वाले संसार में जीवन जीना
1 नवम्बर 2022अलगाववाद
सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का छठवा अध्याय है: दो जगत के मध्य
मैं कैलिफोर्निया छोड़ के जाने के लिए तैयार हूँ। यह संघ का सबसे महान राज्य हुआ करता था, परन्तु अब परिस्थितियाँ परिवर्तित हो गयी हैं। कैलिफोर्निया को जीवन की गुणवत्ता के लिए अन्तिम स्थान दिया गया था। रास्ते भीड़ से भरे हुए हैं, लोगों से अधिक कर वसूला जा रहा है, और जीवन यापन की लागत अब तक के उच्चतम स्तर पर है। मैं इडाहो जाना चाहता हूँ, एक खेत खरीद कर, लोगों और समस्याओं से कोसों दूर रहना चाहता हूँ।
मैं अपनी बात को रखने के लिए एक अतिशयोक्ति का प्रयोग कर रहा हूँ। जिस मनोभाव का वर्णन मैंने किया है वह वही है जो अधिकांश मसीही इस संसार के सम्बन्ध में सोचते हैं। मुझे केवल इतना करना होगा कि “कैलिफोर्निया” के स्थान पर “संसार” को रखना होगा, और लागूकरण वही होगा। आज मसीही संसार में जो कुछ देख रहे हैं उससे अत्यन्त हतोत्साहित हैं। एक मसीही होना और अविश्वासियों के साथ इस संसार में एक साथ रहना अत्यन्त कठिन होता जा रहा है। अलगाव के विषय में मसीही बहुत अधिक सोच रहे हैं, और इससे निकल जाने के लिए एक खेत का विचार बुरा नहीं प्रतीत होता।
दूसरे स्थान पर जाने के लिए निश्चित रूप से उचित कारण होते हैं। समस्या यह है कि अधिकांश मसीही कहीं जाने को इसलिए सही ठहराते हैं क्योंकि वे उन समस्याओं से बचना चाहते हैं जिनका अनुभव वे संसार में करते हैं। अंततः, क्या परमेश्वर ने सभी विश्वासियों को संसार से अलग होने के लिए नहीं बुलाया है (2 कुरिन्थियों 6:14-18)? इसका क्या अर्थ हुआ? क्या हमें संसार से हट जाने और गैर-मसीहियों से कोई सम्पर्क न रखने के लिए बुलाया गया है?
कुछ मसीही सोचेंगे कि इस बुलाहट का अर्थ है कि हमें एक वैरागी जीवन (monastic life) जीना है, परन्तु संसार और इसकी समस्याओं से निकल जाना वैरागवाद का एक प्रकार हो सकता है। विडम्बना यह है कि, उस प्रकार का अलगाव एक अत्यन्त सांसारिक अनुसरण हो सकता है। यह समझता है कि कोई व्यक्ति इसी जीवन में उन महिमाओं को प्राप्त कर सकता है जिसकी केवल नए आकाश और नए पृथ्वी में प्रतिज्ञा की गयी है। और इस रीति से इस प्रकार का अलवाग संसार को गलत सन्देश देता है —कि हम उनके विषय में नहीं सोचते और केवल निकल जाना चाहते हैं। इस प्रकार के अलगाव से महान आदेश का क्या होगा? इसी लिए हमें इस बात पर स्वस्थविचार करने की आवश्यकता है कि संसार से अलगाव का क्या अर्थ है।
बाहर निकलें और अलग हो जाएं
मसीहियों ने सदैव इस बात से संघर्ष किया है कि संसार से अलग लोग होने की बुलाहट को कैसे समझें। सदा से ऐसे लोग रहे हैं जो, रिचर्ड नेबुहर की पुरातन श्रेणियों का उपयोग कर के या तो ख्रीस्ट को, संस्कृति के विरुद्ध या संस्कृति मे पूर्ण रूप से समावेशित कर देते हैं । हम संसार में उतनी ही सरलता से पुन: पड़ सकते हैं जितनी सरलता से संसार से अलग होने की इच्छा कर सकते हैं। तो, फिर किस प्रकार के अलगाव के लिए परमेश्वर मसीहियों को इस संसार में बुलाता है?
कुरिन्थ के मसीहियों को दिए गए पौलुस के निर्देश पर संक्षिप्त विचार हमें इसका उत्तर प्रदान करते हैं। वे सांसारिकता को कलीसिया में अनियन्त्रित होने दे रहे थे। इसके कुछ लक्षणों में पापपूर्ण विभाजन, सेवकाई की सांसारिक विधियाँ, आराधना में मूर्तिपूजा, आत्मिक वरदानों का दुरुपयोग, यौन अनैतिकता, और झूठे सिद्धान्त को सहन करना सम्मिलित है।
इन समस्याओं को सम्बोधित करने का पौलुस का लक्ष्य था कलीसिया को परमेश्वर के लोगो के रूप में संसार से उचित अलगाव की बुलाहट देना। 1 कुरिन्थियों 5:1 में, पौलुस एक बात को सम्बोधित करता है कि कलीसिया में अशिष्ट यौन अनैतिकता को सहन किया जा रहा था। क्योंकि कलीसिया ने कलीसियाई अनुशासन का प्रयोग करने के द्वारा इस मुद्दे को सम्बोधित करने से इनकार कर दिया था, वे परमेश्वर के पवित्र समुदाय के रूप में अपनी स्थिति से समझौता कर रहे थे।
कलीसिया के अलग होने की बुलाहट में, पौलुस पुराने नियम से एक आश्चर्यजनक सम्बन्ध जोड़ता है: “पुराना खमीर निकालकर अपने आप को शुद्ध करो कि ऐसा नया गूंधा अर्थात् अखमीरी आटा बन जाओ जैसा कि तुम वास्तव में हो। क्योंकि हमारे फसह का मेमना ख्रीष्ट भी बलिदान हुआ है” (1 कुरिन्थियों 5:7)। पौलुस मिस्र से इस्राएल के छुटकारे की कहानी में अलगाव की अपनी बुलाहट को आधार बनाता है। अखमीरी रोटी के पर्व के साथ, फसह इस्राएल के मृत्यु से छुटकारे और मिस्र की भूमि से उनके अलगाव के लिए मनाया जाता था। उनके पुराने जीवन के रीतियों में से कुछ भी फिर से लेकर आना परमेश्वर के लोगों के रूप में उनके अलग स्थिति के लिए एक जोखिम था। इस्राएल के समान, कलीसिया को, “उनमें से निकलने और अलग हो जाने” (2 कुरिन्थियों 6:17) के लिए बुलाया गया था। उन्हें मिस्र से बाहर आना था और मिस्र को उन अपने में फिर कभी नहीं आने देना था।
पौलुस ने यह जान लिया कि कुरिन्थ में कलीसिया अलगाव के मुद्दे पर भ्रमित थी। वे उसके अलगाव होने की बुलाहट को अनुचित मान रहे थे। उनके प्रश्न सम्भवतः इस प्रकार से थे: “हमें क्या करना चाहिए? क्या हम अपनी स्वयं की नैतिकता के साथ अपने छोटे साम्प्रदायिक समूह का निर्माण कर लें?” और अन्य मसीहियों के साथ हमारे मतभेदों के विषय में क्या? अधिकांश मसीही आज इस भ्रम को साझा करते हैं।
पौलुस का उत्तर हमारे लिए अत्यन्त शिक्षाप्रद है। उसने समझाया कि अलग होने की बुलाहट का अर्थ यह नहीं है कि उनका संसार के पापियों के साथ कोई सम्पर्क नहीं होना चाहिए। उन्हें उस रीति से संसार छोड़ने के लिए नहीं बुलाया गया है जिस रीति से वैरागियों ने संसार छोड़ने का प्रयास किया था। अलगाव संसार में पापियों से बच कर रहने से प्राप्त नहीं होता। विश्वासी को संगति के द्वारा अलग होने के लिए बुलाया गया है। ख्रीष्ट की देह में एक भागीदारी है जो केवल विश्वासियों के लिए अनोखी है। पौलुस कलीसिया को संसार के विषय में जैसा उन्होंने ख्रीष्ट की कलीसिया के सम्बन्ध में किया था उससे भिन्न रीति से सोचने के लिए बुला रहा था।
संसार सदा से वही रहेगा जो वह है। यह अपने स्वयं के मूल्यों, आकर्षण, और ज्ञान की प्रणाली पर कार्य करता है जो कि प्रायः परमेश्वर की धार्मिकता के विरोध में है। मसीही बनने के द्वारा, हमने उनकी संगति छोड़ दी है और एक दूसरे के साथ जुड़ गए हैं। संसार के लिए प्रेम ने ख्रीष्ट के प्रेम का स्थान ले लिया है, परन्तु इनमें से कोई भी सत्य संसार के लोगों से दूर हो जाने या उनमें मिलने को नकारता नहीं है। इसी लिए पौलुस कुरिन्थवासियों को समझाता है कि क्योंकि हम संसार में रहते हैं तो दैनिक जीवन में अविश्वासियों से बच कर रहने का कोई सम्भव उपाय नहीं है। जब तक मसीही इस पृथ्वी पर रहते हैं, उनके पास पृथ्वी की नागरिकता भी है।
मसीही संसार से पृथक हैं, यद्यपि, जहाँ तक हम जीवन की उस रीति से जुड़ने से नकारते हैं जो हमारी स्वर्गिक नागरिकता के विरोध में होती है। हमें उन लोगों के साथ संगति को नकारने के द्वारा संसार से अलग होने के लिए बुलाया गया है जो जीवन की उस रीति का अभ्यास करते हैं जिससे हमें छुड़ाया गया है। हम ख्रीष्ट की देह के रूप में अपनी स्वर्गिक स्थिति में और जिस प्रकार से हम संसार के सम्मुख व्यवहार करते हैं उसमें अलग हैं।
यहीं पर कुरिन्थवासी असफल हो गए थे। उन्होंने अपनी संगति में ऐसे किसी को आने दिया था जो एक विश्वासी होने का दावा करता था और फिर भी यौन अनैतिकता में जी रहा था। कलीसिया के अपने पुराने जीवन जीने के रीति से अलगाव को नकारने का परिणाम कलीसिया और संसार का एक साथ जुड़ना था। इसी लिए पौलुस उन्हें “कोई भाई कहलाने वाले व्यक्ति” (1 कुरिन्थियों 5:11) से अलग होने के लिए कहता है जो परमेश्वर द्वारा छुड़ाए हुए लोगों के रूप में अपनी नयी पहचान से भिन्न रीति से जीता है। प्रभु ने हमें उन लोगों से अलग होने के लिए बुलाया है जो विश्वासी होने का दावा करते हैं और फिर भी बिना पश्चाताप के पाप के अभ्यास करते हुए मसीही विश्वास और जीवन के विरुद्ध जीवन जीते हैं। हम उनसे संगति तोड़कर अलग होते हैं। विश्वासियों के मध्य पायी जाने वाली आत्मीयता, देख-रेख, और भागीदारी उन लोगों के साथ साझा नहीं की जाती जो पश्चाताप करने और सुसमाचार पर विश्वास करने से नकारते हैं।
कुरिन्थ की कलीसिया को यह अलगाव कलीसिया अनुशासन के माध्यम से पूरा करना था। उस व्यक्ति को पुनः संसार में डाल देने के द्वारा, वे ख्रीष्ट के लोगों की अपनी अलग स्थिति को सुरक्षित कर रहे थे। क्या उनके रास्ते अभी भी इस व्यक्ति से टकराएंगे? हाँ, अवश्य ही । परन्तु अब उनकी उसके साथ कोई मसीही संगति नहीं थी, और संसार में विश्वासियों के रूप में ख्रीष्ट की कलीसिया की पवित्रता को बनाए रखने की उनकी इच्छा ही बाइबलीय अलगाव है।
तो हम अलग कैसे होंगे?
हमारे सम्मुख रखे गए सिद्धान्तों के साथ, कुछ ऐसी रीतियाँ हैं जिन पर मसीहियों को तब विचार करना चाहिए जब बाइबलीय अलगाव के मुद्दे पर बात आती है।
पहला, कलीसिया को आज अलग होने की बुलाहट को गम्भीरतापूर्वक न लेने के लिए पश्चाताप करने की आवश्यकता है। मसीहियत और उदारवाद नामक अपनी पुस्तक में, जे. ग्रेशम मेकन इस बात पर विलाप करते हैं कि कलीसिया ख्रीष्ट के प्रति अविश्वासयोग्य रही है अविश्वासियों को सदस्यता देने में, जिनमें से कई को शिक्षा देने वाले पदों पर नियुक्त किया गया था। मेकेन ने लिखा:
आज मसीही कलीसिया में बड़ा संकट बाहर के शत्रुओं से नहीं, परन्तु भीतर के शत्रुओं से आता है; यह कलीसिया के भीतर एक प्रकार के विश्वास और अभ्यास से आता है जो मूलतः ख्रीष्ट-विरोधी है. . . . . कलीसिया में दो पक्षों में अलगाव समय की माँग है।
एक अलगाव, जैसा कि पौलुस द्वारा कुरिन्थवासियों को वर्णित किया गया है, वह हमारे लिए भी समय की माँग है। क्योंकि अलग होने की बुलाहट को कलीसिया में गम्भीरतापूर्वक नहीं लिया गया, आज कलीसिया संसार में अपनी पहचान खो चुकी है। कलीसिया को विश्वास और अभ्यास में संसार से बहुत भिन्न दिखना चाहिए। अधिकांश कलीसियाएँ अपने मध्य से “आकान” को निकाल कर इस समस्या को हल करना आरम्भ कर सकते हैं (देखें यहोशू 7)।
दूसरा, मसीहियों को अलगाव के अपने प्रयास में सही प्राथमिकताओं को निर्धारित करने की आवश्यकता है। प्रायः मसीही एक दूसरे और संसार से अलग हो रहे हैं अनुचित विषयों पर। मसीहियों को जो अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय है उसमें एकजुट होने की आवश्यकता है और हमारे कायलताओं मे अप्रिय होने से बचने की आवश्यकता है क्योंकि हम विवेक की स्वतंत्रता के उन विषयों पर मतभेदों की अनुमति देते हैं, बिना किसी अलगाव के। समय की सबसे बड़ी माँग कायल मसीही हैं जो सुसमाचार के सत्य के लिए एक साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं, जो परमेश्वर के वचन के द्वारा आकार पाने के लिए समर्पित हैं, और जो उन विषयों में अन्तर करने में सक्षम है जिनका सत्य के लिए उनके खड़े रहने का स्थायी महत्व है।
अन्त में, मसीहियों को संसार के लिए अपनी साक्षी पर विचार करना चाहिए। अपनी महायाजकीय प्रार्थना में, यीशु ने विशिष्ट रूप से अपने पिता से प्रार्थना करी कि विश्वासियों को इस संसार से उठा न लिया जाए (यूहन्ना 17:15)। प्रभु ने हमें इस संसार में उसके साक्षी बनने के लिए छोड़ दिया है। अविश्वासियों को सुसमाचार की आवश्यकता है, और इसलिए हम यहाँ हैं। क्या संसार हमारे विषय में यह बात समझता है? क्या वे देखते हैं कि ख्रीष्ट में हमारे पास जो धन्यता है उसे जानने में उनकी सहायता करने के प्रति हम चिन्तित हैं? हम उत्तर को क्रूस के सन्देश में उत्तर को रखते हैं, परन्तु यदि अविश्वासियों को हमसे यह भाव मिलता है कि हम उनसे भाग रहे हैं, तो हम कैसे यह सोच सकते हैं कि वे यीशु की ओर फिरेंगे और हमारी संगति में आने के इच्छुक होंगे? अपने उचित अलगाव में, हम सुसमाचार के साथ उनके पास जाते हैं और स्मरण रखते हैं कि हमारी साक्षी ही कारण है जिसके लिए प्रभु ने संसार में हमें सुरक्षित रखा है।
एक दिन मैं सम्भवतः कैलिफोर्निया छोड़ दूँ, परन्तु यह वह सब कुछ नहीं होगा जिसकी मैं अपेक्षा करता हूँ। तो अभी के लिए, मुझे लगता है, मैं जहाँ हूँ वहाँ अलग होने का अभ्यास करूंगा। जहाँ भी मसीही सच में ख्रीष्ट की देह के रूप में अलग हुए हैं, उस स्थान में पृथ्वी पर स्वर्ग के छोटे से टुकड़े का आनन्द लिया जा सकता है, और वही है जिसकी हर स्थान को अभी आवश्यकता है।
यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया