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हमारे विभाजित ह्रदयों के लिए उपचार

The Cure for Our Divided Hearts - Kara Dedert

कारा डेडर्ट

जब कोई वृद्ध माता-पिता या मित्र मरता है, तो हम प्रायः परिवार से पूछते हैं कि क्या वे अन्तिम अभिवादन कह पाए। अन्तिम शब्दों को संजोया जाता है, केवल एक अन्तिम विदाई के जैसे नहीं परन्तु क्योंकि उनमें प्रायः बुद्धि और जीवनभर का प्रेम समाहित होता है।

पवित्रशास्त्र हमें ऐसे ही एक अन्तिम अभिवादन की झलक देता है, एक मरते हुए राजा और अपने जीवित पुत्र के बीच का अन्तिम क्षणः दाऊद और सुलैमान। राज्य पर शासन करने के व्यावहारिक परामर्श साझा करने के बाद, दाऊद व्यक्तिगत बात करता है। आप कल्पना कर सकते हैं कि दाऊद, एक वृद्ध पुरुष के रूप में, झुक कर, सुलैमान की आँखों में देखता है: “मेरे पुत्र, अपने पिता के परमेश्वर को जान और सम्पूर्ण हृदय से उसकी सेवा कर” (1 इतिहास 28:9)।

“भाग” की तुलना में, जिसमें किसी वस्तु को रोका या विभाजित किया जाता है, “सम्पूर्ण” शब्द का अर्थ “कुल” या “पूर्ण” होता है। दाऊद को परमेश्वर के मन के अनुसार का व्यक्ति करके कहा गया है (देखे प्रेरितों के काम 13:22), परन्तु वह अपने हृदय के झुकाव को जानता था कि वह सम्पूर्ण जीवन परमेश्वर को समर्पित करने के स्थान पर जीवन के कुछ भागों को अपने पास रखना चाहता था। उसने विनती की, “मेरे हृदय को एकाग्र-चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानू” (भजन 86:11)।

जब भी हम विश्वास करते हैं कि हम परमेश्वर से उत्तम स्वयं से प्रेम कर सकते हैं, हम बिना बोले ही अपने जीवनों का एक भाग परमेश्वर से भिन्न “मेरा” के रूप में अलग करते हैं। सुलैमान बुद्धि और सामर्थ्य से भरा हुआ, एक सामर्थी राजा बना, परन्तु वह अपने हृदय को सन्तुष्ट करने के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं से परे देखने लगा। यह परमेश्वर में शरण पाने की अपेक्षा स्त्रियों में शरण पाने के साथ आरम्भ हुआ। यह मूर्तिपूजा तथा परमेश्वर की महिमा के प्रतिबिम्ब को सीमित करने की ओर ले गई, और इसके फलस्वरूप राज्य का विनाशकारी विभाजन हुआ।

यह गम्भीर बात है कि हम अपने सिर पर उद्धार का टोप पहने हुए, ख्रीष्ट की धार्मिकता के वस्त्र से ढके हुए हो सकते हैं और फिर भी विभाजित हृदय से उत्पन्न समझौते की छाया में रह सकते हैं। और जबकि ख्रीष्ट का उद्धार पूर्ण और निश्चित है कि यहाँ तक कि नरक भी इसे नहीं हिला सकता है, विभाजित हृदय हमें उद्धार में निहित शान्ति, फलदायीपन, और खुशी से वंचित कर सकता है। यह हमारे जीवन के उद्देश्य को धुँधला कर देता है, क्रूस की महिमा की उपेक्षा करता है, और हमारे जीवनों से दूसरों के लिए बहने वाली भलाई को रोक देता है।

दाऊद और सुलैमान के जीवन के पथ में स्पष्ट अन्तर है। जबकि सुलैमान का जीवन समझौते में बढ़ता गया, दाऊद ने सच्चे पश्चात्ताप से प्रतिउत्तर किया और पाया कि परमेश्वर उसे पुनर्स्थापित करने के लिए तैयार है: “परन्तु हे प्रभु, तू दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर है, क्रोध करने में धीमा और करुणा और सच्चाई से परिपूर्ण है” (भजन. 86:15)। हमारे पास भी विकल्प है— हम अपने विभाजित हृदयों को अनदेखा कर सकते हैं या छिपा सकते हैं, अथवा हम पश्चात्ताप करके, पुनः उसकी प्रतिज्ञाओं में भरोसा कर सकते हैं।

हमारे प्रति यीशु के सम्पूर्ण हृदय से प्रेम के कारण, हम अपने विभाजित हृदयों के साथ उसके पास आ सकते हैं और पूर्ण बन सकते हैं। उसका हृदय कभी भी विभाजित नहीं हुआ—जब हम अपने पापों में मरे हुए थे, उसने अपना जीवन हमें दिया; जब हम शत्रु थे, उसने हमसे मेल-मिलाप किया और हमें अपने मित्र कहा। क्या अद्भुत अनुग्रह है यह! हमारे जीवनों के लिए परमेश्वर के उद्देश्य किसी भी महानता या खुशी से परे है जिसकी हम कभी कल्पना कर सकते या स्वयं के लिए बना सकते हैं। और जब हम परमेश्वर की ओर देखते हैं और उसकी प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करते हैं, हमारे जीवन उसकी महिमा, उद्देश्य और प्रेम के साथ चमक उठेंगे।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।