बलपूर्वक राज्य में प्रवेश करना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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बलपूर्वक राज्य में प्रवेश करना

जब आप जानते हैं कि वास्तव में, सच में, यहाँ तक कि मूलभूत रीति से कोई वस्तु भली है, तो प्रायः दो प्रतिक्रियाँए होती हैं। कुछ लोग ऐसे दोषदर्शी लोग होते हैं जो जानते हैं कि यह वस्तु भली है और फिर भी दूसरों को उसे चखने से रोकने का प्रयास करते हैं। इसमें हिंसा भी हो सकती है, जैसे कोई बच्चा आनन्द को भंग करने के लिए अपने भाई-बहन के प्रिय खिलौने को तोड़ता है। किन्तु अन्य लोग अपने भीतर से उस भली वस्तु की लालसा करते हैं और सम्पूर्ण उत्साह के साथ इसको चखने का प्रयास करते हैं। यहाँ भी एक प्रकार की हिंसा है: पीड़ा सहने की इच्छा (बच्चे को जन्म देना), कष्ट सहना (मैराथन दौड़ को पूरा करना), या अथक रूप से बने रहना (एक पर्वत पर चढ़ना) क्योंकि आप अपने लक्ष्य के मूल्य के प्रति आश्वस्त हैं।
परमेश्वर का राज्य सर्वोत्तम भलाई है। यह एक छिपा हुआ धन है जिसको मोल लेने के लिए आप सब कुछ बेच देंगे (मत्ती 13:44), एक बहुमूल्य मोती जो आपके लिए सब कुछ है (पद 46), विवाह का एक इतना अच्छा भोज कि इसमें न आने के सभी कारण निरर्थक लगते हैं (लूका 14:16-24)। ख्रीष्ट का राज्य संसार की किसी भी वस्तु से बढ़कर आशिषें प्रदान करता है। कुछ लोग इसे दूसरों से चुराने का प्रयास करते हैं और उनका आनन्द लूट लेते हैं (यूहन्ना 10:8), जबकि अन्य लोग भीतर जाने का यत्न करते हैं भले ही इसका मूल्य कुछ भी हो (लूका 13:24)।
मत्ती 11:12 और लूका 16:16 में राज्य की भलाई को बलपूर्वक प्राप्त करने को स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है। इन पदों में यीशु की एक कठिन शिक्षा के दो सम्पूरक विवरण पाए जाते हैं। वह वर्णन करता है कि कैसे इतिहास इस्राएल के युग से लेकर यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के द्वारा घोषित किए गए नए युग तक घूमता है, राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया गया—अर्थात्, राज्य एक नए प्रकार से “सुसमाचारीकृत” किया जाता है। सर्वश्रेष्ठ भलाई आ गयी है, और मत्ती और लूका अलग-अलग प्रतिक्रियाओं को चित्रित करते हैं। फिर भी बल या हिंसा की विभिन्न सूक्ष्मान्तर के साथ दोनों खण्डों में दिखाई देने वाले यूनानी शब्द बियाज़ेटाय (biazetai) के अर्थ को सुलझाना जटिल है। यह शब्द कर्मवाच्य हो सकता है, जिससे कि हिंसावादी पुरूषों द्वारा राज्य के साथ बलपूर्वक व्यवहार किया जाता है, (मत्ती 11:12), परन्तु परमेश्वर के लोग को बलपूर्वक प्रवेश कराया जाता है (लूका 16:16)।
सम्भवतः इसे आत्म-प्रभावित होने की स्थिति को व्यक्त करने वाले वाले एक आत्मनेपद (medio-passive) के रूप में समझना अच्छा है। राज्य अपने आप को संसार में बलपूर्वक प्रवेश कराता है परन्तु उन हिंसावादी लोगों के द्वारा इसका विरोध किया जाता है जो इसे दूसरों से छीनना चाहते हैं (मत्ती 11:12), और उसके प्रतिउत्तर में परमेश्वर के लोग अपने आप को बलपूर्वक इसमें प्रवेश कराते हैं (लूका 16:16)। ऐसा दबाव कहाँ से आता है जो—जो लगभग हिंसक तथा सब कुछ सहने का साहस है? मनुष्य की इच्छाशक्ति से? नहीं, यह केवल राज्य की अच्छाई के आनन्द को लूटने की ओर ले जाता है। इसके विपरीत, यह स्वयं सुसमाचार से आता है। जैसा कि अलेक्जेंड्रिया के सिरिल ने व्यक्त किया, राज्य का पवित्र सन्देश पुनरुज्जीवित हृदय में एक गहरी इच्छा उत्पन्न करता है जिससे कि धन्य आशा में प्रवेश करने के लिए सम्पूर्ण बल और शक्ति का उपयोग किया जा सके। पवित्र आत्मा द्वारा दिया गया दबाव एक व्यक्ति को राज्य के क्षेत्रों को गुनगुने लोगों की निष्पक्ष भूमि के रूप में नहीं, वरन् एक ऐसी बात के रूप में जो ईश्वरीय बल के साथ आता है, जिसका विरोध होता है, और इसलिए जिसमें बलपूर्वक प्रवेश किया जाना चाहिए। जब राज्य की अच्छाई की अभिलाषा आपके परिवर्तित व्यक्तित्व को पूर्ण करती है तो, संसार की कितनी भी व्यर्थता, अशान्ति, कष्ट, पीड़ा, या यहाँ तक कि हिंसक विरोध भी आपको इसमें प्रवेश करने के लिए सभी ईश्वरीय शक्ति को लागू करने से नहीं रोक सकते हैं। यह सब कुछ की माँग करता है, क्योंकि यह सब कुछ के योग्य है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

ग्रेग लैनिएर
ग्रेग लैनिएर
डॉ. ग्रेग लैनिएर ऑर्लैण्डो, फ्लॉरिडा में रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में नए नियम के सहायक प्राध्यापक हैं, और लेक मेरी, फ्लॉरिडा में रिवर ओक्स चर्च में सहायक पास्टर हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें हमें बाइबल कैसे प्राप्त हुए (How We Got the Bible) सम्मिलित है।