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रॉबर्ट मर्रे मक्शेन का जीवन और उनकी सेवकाई

The Life and Ministry of Robert Murray M’Cheyne

रॉबर्ट स्मिथ कैण्डलिश एक बार अलेक्जेंडर मूडी-स्टुअर्ट से बात कर रहे थे। ऐसे वार्तालाप को सुनना अद्भुत होता, क्योंकि दोनों ही पुरुष स्कॉटलैण्ड की कलीसिया के प्रमुख सुसमाचारवादी थे। इसके पश्चात भी, इतिहास ने उस पुरानी वार्तालाप से मात्र एक ही बात को अभिलिखित किया है। कैण्डलिश ने मूडी-स्टुअर्ट को बताया कि वह डण्डी नगर के लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाले एक सेवक: रॉबर्ट मर्रे मक्शेन से प्रभावित हैं। कैण्डलिश ने यह टिप्पणी की, “मैं मक्शेन को समझ नहीं पा रहा हूँ,” । “अनुग्रह उसे स्वाभाविक लगता है।”
अनुग्रह का एक पुरस्कार
रॉबर्ट मर्रे मक्शेन (1813-43) अपनी मृत्यु के लगभग दो शताब्दियों के पश्चात् भी मसीहीयों के ध्यान को आकर्षित करते रहे हैं—ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने कैण्डलिश को प्रभावित किया था। लोग इस युवा पास्टर के विषय में कहते थे कि “वह उन सभी लोगों में से जिनसे वे अब तक मिले हैं सबसे अधिक यीशु-के-समान व्यक्ति थे।” मक्शेन का अध्ययन करना सम्प्रभु प्रभु के जीवन की साक्षी का अवलोकन करना है, “जिसने हमारा उद्धार किया, पवित्र बुलाहट से बुलाया, हमारे कामों के अनुसार नहीं, परन्तु अपने ही उद्देश्य और अनुग्रह के अनुसार जो ख्रीष्ट यीशु में अनन्तकाल से हम पर हुआ।” (2 तीमुथियुस 1:9)।

परमेश्वर का अनुग्रह मक्शेन के जीवन के ताने-बाने में गहराई से बुना हुआ एक धागा है। जिस अनुग्रह ने मक्शेन की आत्मा को अन्धकार से परिवर्तित किया, उसी अनुग्रह ने उन्हें सुसमाचार के सेवक के रूप में भी नियुक्त किया।

अनुग्रह के द्वारा उद्धार
1813 में एडम और लॉकहार्ट मक्शेन के घर जन्मे रॉबर्ट पाँच बच्चों में सबसे छोटे थे। आरम्भ से ही, रॉबर्ट ने अपनी पढ़ाई में उल्लेखनीय क्षमता और एक ऐसी व्यक्तित्व का प्रदर्शन किया जिससे वे अपनी कक्षा में सबसे लोकप्रिय छात्रों में गिने जाते थे। एडम को स्मरण था कि कैसे चार वर्षीय रॉबर्ट ने बीमारी से उबरते समय मनोरंजन के लिए यूनानी वर्णमाला सिख ली थी। समय के साथ, रॉबर्ट व्यायाम विद्या, काव्य, रेखाचित्रण और पढ़ाई ओर रुचि विकसित की। मक्शेन के सभी प्रयासों में स्वाभाविकता झलकती थी। यद्यपि, रॉबर्ट के आरम्भिक वर्षों में आत्मिक अनुग्रह अनुपस्थित था।

रॉबर्ट के बचपन के दौरान मक्शेन परिवार स्कॉटलैण्ड की कलीसिया की विभिन्न मण्डलियों का सदस्य रहा था । रॉबर्ट प्रश्नोंत्तरी की कक्षाओं में नियमित रूप से जाते थे, और उसके मित्रों ने बाद में उस स्पष्टता और मधुरता को स्मरण किया जिसके साथ वे पवित्रशास्त्र के खण्डों और वेस्टमिंस्टर छोटी प्रश्नोंत्तरी के उत्तरों को सुनते थे। फिर भी, यह सार्वजनिक धर्मनिष्ठा उनके आन्तरिक स्व-धर्मिकता को छिपाए हुए थी। मक्शेन ने बाद में अपनी प्रारम्भिक धार्मिक समर्पण को “निर्जीव नैतिकता” से अधिक और कुछ नहीं माना, उन्होने इन दिनों को ऐसे माना “जिसमें उसने एक शुद्ध नैतिकता का पालन किया, परन्तु हृदय में एक फरीसी के रूप में जीवन बिताया।”
रॉबर्ट अपने सभी भाई-बहनों के बहुत निकट थे, परन्तु उसका सबसे बड़ा भाई डेविड उनके लिए एक आदर्श और मार्गदर्शक थे। रॉबर्ट डेविड की प्रत्येक चाल को बहुत ही ध्यान से देखते थे। डेविड के प्राण ने सच्चे हृदय परिवर्तन का अनुभव किया था, और अनन्तकाल की वास्तविकताओं के प्रति उसकी गहरी समझ ने रॉबर्ट के आत्मसंतोष को दोषी ठहराया। रॉबर्ट ने लिखा, “मुझे अच्छे से स्मरण है कि, जब मैं किसी मौज-मस्ती, या किसी नृत्य या मूर्खतापूर्ण कार्य में जाने की तैयारी कर रहा होता था, तब मैंने उसे अपनी बाइबल पढ़ते हुए, या प्रार्थना करने के लिए अपने कक्ष का द्वार बन्द करते हुए देखा है।”

परमेश्वर के प्रवाधान में, डेविड वह मानवीय साधन था जिसके माध्यम से रॉबर्ट को ख्रीष्ट में नया जीवन मिला। परन्तु डेविड के जीवित रहने से अधिक, उसकी मृत्यु थी जिसने रॉबर्ट को पूर्ण विश्वास की ओर प्रेरित किया।

जुलाई 1831 में, डेविड की भयंकर ज्वर से मृत्यु हो गई। डेविड की स्वर्गीय घर वापसी की ग्यारहवीं वर्षगाँठ पर, रॉबर्ट ने लिखा, “ग्यारह वर्ष पहले इसी दिन, मैंने अपने प्रिय और प्रेमी भाई को खो दिया, और मैंने एक ऐसे भाई की खोजना आरम्भ किया जो काभी मर न सके।” इस खोज ने रॉबर्ट को द सम ऑफ़ सेविंग नॉलेज नामक पुस्तक की ओर प्रेरित किया, जो कि ईश्वरविज्ञान पर एक छोटी पुस्तिका है और सामान्यतः वेस्टमिंस्टर विश्वास अंगीकार के साथ संलग्न रहती थी। इस पुस्तक ने परमेश्वर के साथ स्वीकार्यता का मार्ग बताया और मक्शेन को उसके विश्वास का आश्वासन दिया। मित्रों ने रॉबर्ट में आए स्पष्ट परिवर्तन का अनुभव किया। उन्होंने शीघ्र ही स्वयं को मसीही सेवा में झोंक दिया—सब्त स्कूल जाने में, पवित्रशास्त्र का लगन से अध्ययन करने में, और परमेश्वर के अनुग्रहपूर्ण सुसमाचार का आनन्द लेने में।

रॉबर्ट का सेवकाई का आह्वान लगभग उनके हृदय परिवर्तन के साथ ही जुड़ा हुआ है। ख्रीष्ट में आने के कुछ ही सप्ताहों के भीतर, रॉबर्ट एडिनबरा के प्रेस्बिटेरी के सामने प्रस्तुत हुए और सेवकाई के लिए अध्ययन करने की अपनी इच्छा को व्यक्त किया।

परमेश्वर के अनुग्रह का अध्ययन
नवम्बर 1831 में, रॉबर्ट मक्शेन ने एडिनबरा विश्वविद्यालय के संपन्न डिविनिटी हॉल में प्रवेश लिया। वहाँ वे थॉमस चाल्मर्स के प्रभाव में आए, जो अपनी सामर्थ्य के शिखर पर थे। चाल्मर्स ने डिविनिटी पाठ्यक्रमों में पढ़ाया और मक्शेन को अपने संरक्षण में लिया, युवा व्यक्ति को ईश्वरविज्ञान, सेवकाई और उसकी आध्यात्मिक चिन्ता करते हुए प्रशिक्षित किया।
यीशु ख्रीष्ट के अनुग्रह और ज्ञान में वृद्धि मक्शेन के डिविनिटी हॉल में बिताए वर्षों में स्पष्ट रूप से दिखाई देते थे। उनकी बढ़ती हुई ईश्वर भक्ति उनके बाइबल और ईश्वरविज्ञान में निरन्तर बढ़ते कौशल से मेल खाती थी। उनकी डायरी ख्रीष्ट के समान बनने की लालसा से भरी हुई है:

मुझे अपने प्रभु का समय चोरी करने और उसका दुरुपयोग करने का क्या अधिकार है? “इसे छुड़ाओं,” वह मुझसे चिल्ला कर कह रहा है।

स्मरण रखने योग्य एक भी विशेषता नहीं! और इसके पश्चात भी इन चौबीस घण्टों का लेखा देना पड़ेगा।

यदि ऐसा होता कि हृदय और समझ दोनों भाई और बहन के समान एक साथ बढ़ सकते, दोनों एक दूसरे पर निर्भर होकर!

काश ऐसी सच्ची और, निष्कपट विनम्रता होती!

सेवकाई के कार्य के लिए और भी अधिक लालसा होती। काश ख्रीष्ट मुझे विश्वासयोग्य मानता, कि सुसमाचार प्रचार का दायित्व मुझे सौंपा जा सकता!

मक्शेन ने अपनी सेमिनरी की पढ़ाई समाप्त करने के तुरंत बाद सुसमाचार प्रचार का कार्य आरम्भ किया।

अनुग्रह द्वारा सेवकाई
1835 की शरद ऋतु में रॉबर्ट मर्रे मक्शेन ने जॉन बोनर के सहायक के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। बोनर लार्बर्ट और डुनिपेस के संयुक्त परगना के सेवक थे। बोनर के अधीन मक्शेन के इस संक्षिप्त समय ने उन्हें प्रचार करने के कई अवसर प्रदान किए और उनके भविष्य की सेवकाई की पद्धति की एक विशेषता को स्थापित किया: यह पास्टरीय देखभाल था। बोनर एक दृढ़ उत्साही चरवाहे थे, जो प्रत्येक दिन बहुत सारे प्राणों और लोगों के घरों को मिलने जाया करते थे। रॉबर्ट ने अपने माता-पिता से कहा कि उन्हे सेवकाई के किसी भी अन्य आयाम से अधिक लोगों के घरों में जाकर उनसे मिलने में आनन्द मिलता है।

1836 के बसंत में, डण्डी नगर का सेन्ट पीटर चर्च अपने पहले पास्टर की खोज कर रहा था। रॉबर्ट कैण्डलिश ने सोचा कि मक्शेन सबसे अच्छे दावेदार हैं और उन्होंने मक्शेन की डण्डी यात्रा के लिए एक आदर्श तिथि सुनिश्चित करने का प्रयास किया। और ऐसा ही हुआ भी, अगस्त 1836 में, रॉबर्ट ने श्रेष्ठगीत 2:8–17 से एक पास्तरीय दावेदार के रूप में प्रचार किया। मण्डली ने शीघ्र ही मक्शेन के वरदान और अनुग्रह को पहचान लिया, और कलीसिया ने सर्वसम्मति से मक्शेन को अपना पास्टर होने के लिए नियुक्त किया।

अगले तीन वर्षों तक रॉबर्ट मक्शेन ने डण्डी में अद्वितीय रूप से सफल सेवकाई का आनंद लिया, प्रत्येक प्रभु के दिन में दो बार 1,100 लोगों की उपस्थित वाले कक्ष में प्रचार किया करते थे। उन्होंने इस समयकाल में दस एल्डरों की नियुक्ति की। उन्होंने गुरुवार -रात्रि की प्रार्थना सभा का आरम्भ कराया; जिसमें आठ सौ लोग सम्मिलित होते थे। गर्मियों के महीनों के समय में, उन्होंने साप्ताहिक रूप से “गायन के लिए सभा” आयोजित किया, जिसका उद्देश्य गायन में मण्डली की क्षमता में सुधार करना था। अन्य प्रगातिशील अभ्यासों में प्रभु भोज के सत्रों की संख्याओं को बढ़ाना भी सम्मिलित था—ऐसा उत्सव जो प्रभु भोज में आनन्द मनाने के साथ अन्त होता था—प्रति वर्ष दो से चार बार। 1837 में, मक्शेन ने छोटे बच्चों तक पहुँचने के लिए एक सब्त स्कूल आरम्भ किया। उन्होंने बड़े बच्चों के लिए मंगलवार की रात का बाइबल अध्ययन भी स्थापित किया, जिसमें 250 से अधिक युवा सम्मिलित होते थे।

स्पष्ट फलदायी होने से मक्शेन के हृदय में अशान्ति दूर नहीं हुई, वह अशान्ति जो देश में पुनजागृति के लिए थी। 1836 से, मक्शेन ने देश में पुनजागृति के लिए प्रचार और प्रार्थना किया करते थे। प्रभु ने 1839 में रॉबर्ट की प्रार्थना का उत्तर दिया। ऐसा हुआ था कि पुनजागृति तब आरम्भ हुई जब मैकेचेन नगर से बाहर गये हुए थे।

उस वर्ष के आरम्भ में, मक्शेन को पवित्र भूमि के यात्रा के लिए शीघ्र ही प्रसिद्ध होने वाले “मिशन ऑफ इंक्वायरी” के सदस्य नियुक्त किये गये थे। स्कॉटलैण्ड की कलीसिया ने पवित्र भूमि की यात्रा करने और वापस आने के लिए एक समिति नियुक्त की थी, जिसे पवित्र भूमि की यात्रा कर यहूदी मिशनरी कार्य के संभावित स्थलों का सर्वेक्षण करना था। रॉबर्ट ने सेंट पीटर के उपदेशमंच पर में विलियम चाल्मर्स बर्न्स को अपने स्थान पर नियुक्त किया। यद्यपि वह एक युवा था, बर्न्स ने उल्लेखनीय रूप से सुसमाचार का प्रचार किया। मक्शेन ने पहले से ही सोचा था कि संभवतः जब वह अनुपस्थित होंगे तब ही पुनजागृति आऐगी। “मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि मेरी अनुपस्थिति में मेरे लोगों पर एक महान आशीष आऐगी। इस पर मक्शेन की यह टिप्पणी थी, “प्रायः परमेश्वर हमें आशीष नहीं देते हैं जब हम अपने कार्यों के मध्य में होते हैं, जिससे की हम यह न कहें, ‘यह सब मेरे हाथों के कार्यों और मेरी वाक्पटुता ने किया है’।”

डण्डी की पुनजागृति अगस्त 1839 में बर्न्स की सेवकाई के माध्यम से आरम्भ हुआ। महीनों तक, कलीसिया की सभाऐं रातों में अयोजित की जाती थीं। जब मक्शेन वापस लौटे, तो ऐसा लगा जैसे सम्पूर्ण नगर जाग गया हो —उद्धार और पवित्रीकरण में पवित्र आत्मा का सम्प्रभुत्व का कार्य ऐसा था।

मक्शेन के अन्तिम वर्षों में वे सुसमाचार प्रचार करने में विश्वासयोग्य रहे। उन्होंने पुनजागृति के आनन्द को और बढ़ाने के लिए कार्य किया और अपने सम्प्रदाय की राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे विभिन्न सुसमाचार प्रचार यात्राओं पर भी गए, सुसमाचार प्रचार में उन्हें इतना आनन्द मिला कि उन्होंने एक भ्रमणकारी सेवक बनने की योजना बनाई।
प्रभु की योजनाऐं कुछ और थी।
मार्च 1843 के आरम्भ में, मक्शेन को “टाइफ़स ज्वर” हुआ। 25 मार्च को, जब वे बीमार थे, रॉबर्ट ने अपने हाथ ऊपर उठाए जैसे कि वे आशीष वचन दे रहें हों और फिर इसके पश्चात उन्होंने अन्तिम श्वास ली। उस समय वे मात्र उनतीस वर्ष के ही थे।
अनुग्रह द्वारा जीना
सेंट पीटर चर्च में एक आगंतुक का पत्र रॉबर्ट मक्शेन की मेज़ पर की मेज पर बिना खोले पड़ा रहा, जबकि वह प्रचारक इस संसार से अनंत की ओर प्रस्थान कर चुका था।। किसी ने उनकी मृत्यु के एक सप्ताह पश्चात इस पत्र को खोला।

मुझे आशा है कि आप एक परदेशी को कुछ पंक्तियाँ लिखने के लिए क्षमा कर देंगे। मैंने आपको पिछले सब्त की सन्ध्या चार करते हुए सुना,और परमेश्वर ने उस उपदेश को मेरे प्राण को आशीष देने के लिए उपयोग किया। यह उतना आपके कहे शब्द नहीं थे, जितना आपके कहने के ढंग ने मुझे प्रभावित किया। मैंने आप में पवित्रता में एक ऐसी सुन्दरता देखी जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।

जीवन में ऐसी आभा और सेवकाई में ऐसा सामर्थ्य सब कुछ अनुग्रह के विषय में ही था। मक्शेन जानते थे कि ख्रीष्ट के अनुग्रह के बिना ख्रीष्ट के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने ने कहा था, “ख्रीष्ट में आपके लिए अनुग्रह का एक अथाह महासागर हैं। आप गोते लगाओ और पुनः गोते लगाओ, किन्तु आप कभी भी इसकी गहराईयों के तल तक नहीं पहुँच पाऐंगे।” मक्शेन ने पवित्रशास्त्र से भोज करने, लगातार प्रार्थना करने, सब्त को पवित्र करने और ख्रीष्ट के लिए सम्पूर्णता से खर्च हो जाने वाले प्रेम के माध्यम से विशेष उत्साह के साथ उन गहराइयों को छुआ। उनका प्रचार परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार की साक्षी देने से थोड़ा अधिक था। मक्शेन स्वाभाविक रूप से प्रतिभाशाली और अलौकिक रूप से अनुग्रहित थे। उनका ध्येय वाक्य था “ख्रीष्ट का प्रेम”। इस प्रकार से उनका जीवन ख्रीष्ट के अनुग्रह के लिए एक जीवंत पत्र था।

 यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

जॉर्डन स्टोन
जॉर्डन स्टोन
डॉ. जॉर्डन स्टोन मैकिन्नी, टेक्सास में रिडीमर प्रेस्बिटेरियन चर्च में वरिष्ठ पादरी हैं और डलास में रिफॉर्म्ड थियोलॉजिकल सेमिनरी में पादरी धर्मशास्त्र के सहायक प्रोफेसर हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें ए होली मिनिस्टर: द लाइफ एंड स्पिरिचुअल लिगेसी ऑफ रॉबर्ट मरे मैक'चेन शामिल हैं।