छुड़ाए गए लोगों कि कृतज्ञता - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
आज्ञापालन के लिए भरोसा
30 नवम्बर 2023
परमेश्वर की सन्तुष्ट सन्तान
4 दिसम्बर 2023
आज्ञापालन के लिए भरोसा
30 नवम्बर 2023
परमेश्वर की सन्तुष्ट सन्तान
4 दिसम्बर 2023

छुड़ाए गए लोगों कि कृतज्ञता

भजन 107 इस बात का आनन्द मनाता है कि परमेश्वर के छुड़ाए हुए लोगों के रूप में हमारे पास कृतज्ञ होने के लिए कितनी अधिक बाते हैं। हम एक ऐसी प्रजा हैं जो कि हमारे विश्वासयोग्य परमेश्वर के द्वारा भयानक विनाश से छुड़ाए गए हैं। इस भजन में विनाश की गहराईयों का वर्णन इस प्राक्कर किया गया है कि हम यहाँ केवल संक्षिप्त रूपरेखा ही दे सकते है। परन्तु यह भजन हमें चार स्पष्ट चित्रण देता है, जो दृष्टान्त के जैसे कार्य करते हैं, जो उन गहराईयों का वर्णन करते हैं जिनमें परमेश्वर के लोगों ने स्वयं को फँसा लिया है।

पहला चित्रण भटकते हुए लोगों का है जो कि खोए हुए और आवासहीन हैं (vv. 4-9)। खो जाना कभी भी अच्छा नहीं है, परन्तु यहाँ पर ऐसे लोगों का चित्रण है जो इतने खोए हुए हैं कि यदि वे जानते भी कि वे कहाँ हैं, तो उनके पास जाने के लिए कोई स्थान नहीं होता। वे वर्तमान स्थान में रहते हुए जीवित नहीं रह सकते हैं (v. 5) परन्तु न ही कोई ऐसा स्थान है जो उनका स्थान हो।

विनाश का दुसरा चित्रण है ऐसे लोगों का है जो कि कठिन परिश्रम करने के लिए बन्दीगृह में हैं और मृत्यु-दण्ड की प्रतीक्षा कर रहे हैं (10-16 पद)। यह किसी झूठे आरोप का परिणाम नहीं है; वे सब दोषी है। अब उनके सामने केवल दण्ड और मृत्यु ही है।

तीसरा चित्रण ऐसे लोगों का है जिन्होंने स्वयं को अस्वस्थ बना लिया है (17-22 पद)। यह उस प्रकार का रोग नहीं है जो हम सब को होता जो हमारे किसी दोष के कारण नहीं है। यह रोग इस प्रकार का है जिसे मादक पदार्थों का सेवन करने वाला व्यक्ति अनुभव करता है जिसने मादक पदार्थो के दुरुपयोग से अपने स्वास्थ्य को हानि पहुँचाई है या उस पियक्कड़ ने जिसने अत्यधिक मद्य पीने के कारण अपने यकृत नाश कर लिया है। यहाँ पर चित्रित रोग घातक है और निश्चय ही मृत्यु की ओर ले जाती है।

अन्तिम चित्रण उन लोगों का है जो एक आँधी या तूफान में समुद्र में खो गए हैं (23-32 पद)। वे पुर्णतः प्रचण्ड हवा और लहरों के नियन्त्रण में हैं। परिस्थिति उनके नाव चलाने की कुशलता के परे है; उनके साधन और साहस पुर्णतः समाप्त हो गए हैं (26-27 पद)।

ये सब स्पष्ट चित्रण उन लोगों को दर्शातें हैं जो पूर्णतः खोए हुए और उस विनाश से स्वयं को बचाने के लिए असमर्थ हैं जिसमें उन्होंने स्वयं को फँसा लिया है। परन्तु इन सब खोए हुए लोगों के विषय में एक बात दोहराई जाती है: “तब उन्होने संकट में यहोवा की दुहाई दी” (28 पद)। वे जो स्वयं में निराश और निर्बल हैं इस बात को समझ जातें हैं कि उनके वाचा का परमेश्वर उनके छुटकारे की एकमात्र आशा है। वे सब अपना भरोसा उसमें रखते है और उसके नाम को पुकारते है और वही अद्भुत परिणाम को पाते हैं: “और उसने उन्हें विपत्ति में से छुड़ाया” (v. 28)।

मै नहीं जानता कि एक मसीही के रूप में अभी आप किस प्रकार के संकटो का अनुभव कर रहें हैं। परन्तु मैं यह जानता हूँ कि हम अपने पापों से अपने लिए संकट उत्पन्न करते हैं। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि हमारे पास वाचा का प्रभु, यीशु ख्रीष्ट है, जिसको हम अपने स्व-निर्मित संकट की गहराई से पुकार सकतें हैं, यह जानते हुए कि वह हमें बाहर निकालेगा और हमें बचाएगा। कोई संकट इतना गहरा नहीं, कोई परिस्थिति इतनी आशाहीन नहीं कि यदि आप उसे पुकारें तो परमेश्वर आपकी न सुने और आकर आपको न छुड़ाए । वह खोए हुओं, दोषियों, रोगियों, और डूबते हुओं को बचा सकता है। हम उस पर निर्भर हो सकते हैं क्योंकि वह भला है और उसकी करूणा सदा बनी रहती है। आइए हम धन्यवाद दें कि यह परमेश्वर हमारा परमेश्वर है (1 पद) और उसके अद्भुत प्रेम पर सदा मनन करें (43 पद)।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

विलियम सी. गॉडफ्री
विलियम सी. गॉडफ्री
रेव्ह. विलियम सी. गॉडफ्री सैंटी, कैलिफ़ोर्निया में क्राइस्ट यूनाइटेड रिफॉर्म्ड चर्च के पास्टर हैं।