ट्यूलिप और धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान : प्रस्तावना - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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ट्यूलिप और धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान : प्रस्तावना

इससे कुछ वर्ष पूर्व कि प्रथम यात्री न्यू इंग्लैंड के तट पर मेयफ्लॉवर  नामक जहाज़ से पहुँचे, नीदरलैंड्स में एक विवाद फूट पड़ा जो यूरोप में और फिर बाद में सम्पूर्ण विश्व में फैल गया। यह एक डच संस्थान के ईश्वरविज्ञान के विभाग के भीतर आरम्भ हुआ जो कैल्विन की शिक्षा के प्रति समर्पित था। वहाँ के कुछ प्रोफेसरों को चुनाव और पूर्वनिर्धारण के सिद्धान्तों से सम्बन्धित विषयों में सन्देह होने लगा। जैसे ही यह ईश्वरविज्ञानीय विवाद देश भर में फैला, इसने उस समय की कलीसिया और ईश्वरविज्ञानियों को उथल-पुथल कर दिया। अन्ततः, एक धर्मसभा बुलाई गई। विषयों का समाधान कर दिया गया और कुछ लोगों के विचारों को अस्वीकार कर दिया गया था, जिसमें जेकोबस आर्मिनियस नामक व्यक्ति के विचार भी सम्मिलित थे।

शास्त्रसम्मत धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान के विरुद्ध आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले समूह को प्रतिवादी (Remonstrants) कहा गया। उन्हें प्रतिवादी इसलिए कहा गया क्योंकि वे अपने स्वयं के ईश्वरविज्ञानीय विरासत के भीतर कुछ सिद्धान्तों के विरुद्ध प्रतिवाद या विरोध कर रहे थे। इस विवाद के केन्द्र में मुख्य रूप से पाँच सिद्धान्त थे। इस वाद-विवाद के परिणामस्वरूप, ये पाँच मुख्य ईश्वरविज्ञानीय विषय बाद की पीढ़ियों में “कैल्विनवाद के पाँच बिन्दु” के रूप में जाने गए। अब वे अंग्रेज़ी में बहुत ही प्रचलित अक्षरबद्ध शब्द ट्यूलिप (TULIP) के माध्यम से जाने जाते हैं, जो कि विवाद में पड़े पाँच लेखों को सारांशित करने का एक अच्छा तरीका है। पाँच बिन्दु, जिन्हें अक्षरबद्ध शब्द ट्यूलिप को बनाने के लिए इस क्रम में कहे जाते हैं: सम्पूर्ण भ्रष्टता (Total Depravity), अप्रतिबन्धित चुनाव (Unconditional Election), सीमित प्रायश्चित्त (Limited Atonement), अप्रतिरोध्य अनुग्रह (Irresistable Grace) और सन्तों का अन्त तक बने रहना (Perseverance of the Saints)

मैं इस ऐतिहासिक घटना का उल्लेख इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान के सार को केवल इन पाँच सिद्धान्तों के प्रकाश में समझना एक गम्भीर त्रुटि होगी—धर्मसुधारवादी विश्वास में ईश्वरविज्ञानीय और कलीसियाई अंगीकार के कई अन्य तत्व भी सम्मिलित हैं। फिर भी, ये धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान के पाँच विवादास्पद बिन्दु हैं, और इनको सामान्य रीति से इस अंगीकार के विशेष सिद्धान्तों के रूप में देखा जाता है। अगले पाँच लेखों में, हम कैल्विनवाद के इन पाँच बिन्दुओं को देखने के लिए कुछ समय व्यतीत करने जा रहे हैं जैसे कि ये इन अक्षरबद्ध शब्द ट्यूलिप में लिखे गए हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर.सी. स्प्रोल
आर.सी. स्प्रोल
डॉ. आर.सी. स्प्रोल लिग्नेएर मिनिस्ट्रीज़ के संस्थापक, सैनफर्ड फ्लॉरिडा में सेंट ऐन्ड्रूज़ चैपल के पहले प्रचार और शिक्षण के सेवक, तथा रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज के पहले कुलाधिपति थे। वह सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिसमें द होलीनेस ऑफ गॉड भी सम्मिलित है।