ट्यूलिप और धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान: सम्पूर्ण भ्रष्टता - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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ट्यूलिप और धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान: सम्पूर्ण भ्रष्टता

सम्पूर्ण भ्रष्टता का सिद्धान्त दर्शाता है मूल पाप के विषय में धर्म सुधारवादी दृष्टिकोण को। ये शब्द—मूल पाप—प्रायः गलत समझा जाता है साधारण प्रयोग में। कुछ लोग मानते हैं कि मूल पाप  शब्द को प्रथम पाप की ओर इंगित करना चाहिए—वह मूल अपराध जिसे हम सभी ने दोहराया कई अलग-अलग रीति से अपने स्वयं के जीवन में, अर्थात आदम और हव्वा का प्रथम पाप। परन्तु इस बात की ओर मूल पाप  ने संकेत नहीं किया है कलीसिया में ऐतिहासिक रीति से। किन्तु, मूल पाप का सिद्धान्त परिभाषित करता है मानव जाति पर उन परिणामों को उस पहले पाप के कारण हुए।

वास्तव में प्रत्येक कलीसिया ने इतिहास में, जिसका एक विश्वास वचन या अंगिकार-वचन है, सहमत हुई कि कोई बहुत गम्भीर बात हुई है मानव जाति के साथ पहले पाप के परिणामस्वरूप—उस प्रथम पाप का परिणाम मूल पाप है। अर्थात, आदम और हव्वा के पाप के परिणामस्वरूप, पूरी मानव जाति का पतन हो गया, और पतन के बाद से मनुष्य के रूप में प्रभावित हुआ है हमारा स्वभाव बुराई की सामर्थ्य से। जैसा कि दाऊद ने पुराने नियम में घोषित किया था, “हे परमेश्वर , मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा” ( भजन 51:5 )। वह यह नहीं कह रहा था कि उसकी माँ के लिए सन्तान को जन्म देना पाप था; न ही वह यह कह रहा था कि उसने कुछ बुरा किया है जन्म लेकर। परन्तु, वह स्वीकार कर रहा था मनुष्य की पतित स्थिति को—वह स्थिति जो उसके माता-पिता के अनुभव का भाग थी, एक ऐसी स्थिति जिसे वह स्वयं इस संसार में लाया था। इसलिए, मूल पाप का सम्बन्ध मानव जाति के पतित स्वभाव के साथ है। विचार यह है कि हम पापी इसलिए नहीं हैं क्योंकि हम पाप करते हैं, वरन् हम पाप इसलिए करते हैं क्योंकि हम पापी हैं।

धर्म सुधारवादी परम्परा में, सम्पूर्ण भ्रष्टता का अर्थ चरम भ्रष्टता  नहीं है। हम प्रायः सम्पूर्ण  शब्द का प्रयोग चरम  या पूर्णतया  के पर्यावाची शब्द के रूप में करते हैं, जिस कारण से सम्पूर्ण भ्रष्टता का विचार उत्पन्न करता है इस चित्र को कि प्रत्येक मनुष्य उतना बुरा है जितना वह हो सकता है। आप हो सकता है कि विचार करें इतिहास के दुष्ट अडॉल्फ हिटलर जैसे व्यक्ति पर और कहें कि इस व्यक्ति में कुछ भी भलाई नहीं थी, परन्तु मेरा मानना है उसको अपनी माता के प्रति स्नेह रहा होगा। जितना दुष्ट हिटलर था, हम फिर भी कुछ तरीकों को सोच सकते हैं जिसमें वह अपनी वास्तविक दुष्टता से कहीं अधिक दुष्ट हो सकता था। अतः सम्पूर्ण भ्रष्टता में सम्पूर्ण  के विचार का अर्थ यह नहीं है कि सभी मनुष्य उतने दुष्ट हैं जितने वे सम्भवतः हो सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि पतन इतना गम्भीर था कि यह पूरे मनुष्य को प्रभावित करता है। यह पतन जो हमारे मानवीय स्वभाव को पकड़े और जकड़े हुए है, हमारे शरीरों को प्रभावित करता है; इसीलिए हम बीमार पड़ते एवं मरते हैं। यह प्रभावित करता है हमारे मस्तिष्क और हमारी सोच को; हमारे पास अभी भी सोचने की क्षमता है, परन्तु बाइबल कहती है कि मस्तिष्क अन्धकारमय और निर्बल हो गया है। मनुष्य की इच्छा अब नैतिक शक्ति की पूर्व अवस्था में नहीं है। इच्छा, नए नियम के अनुसार, अब बन्धन में है। हम दास हैं अपने हृदयों की बुरी लालसाओं एवं  इच्छाओं के। शरीर, मन, इच्छा, आत्मा—वास्तव में, पूरा व्यक्ति—पाप की शक्ति से संक्रमित हो गया है।

मुझे अपने पसंदीदा पदनाम से सम्पूर्ण भ्रष्टता  के शब्द को बदलना अच्छा लगता है , जो है मौलिक प्रदूषण  । विडंबना यह है, कि अंग्रेज़ी का रैडिकल  शब्द (मौलिक ) का मूल शब्द लैतीनी भाषा का वह शब्द है जिसका अर्थ है “जड़”, जो रैडिक्स  है, और इसका अनुवाद भी जड़  या अन्तर्भाग  हो सकता है । मौलिक  शब्द ऐसी बात से सम्बन्धित है जो किसी वस्तु के अन्तर्भाग तक फैला हुआ है। यह ऐसी बात नहीं है जो केवल सतहिक या ऊपरी, छूकर निकल जाता हो या जो सतह पर हो। धर्म सुधारवादी दृष्टिकोण है कि पतन के प्रभाव हमारे अस्तित्व के अन्तर्भाग तक है। यहाँ तक ​​कि अंग्रेज़ी शब्द अन्तर्भाग (कोर ) वास्तव में लतीनी शब्द कौर  से आता है, जिसका अर्थ है  “हृदय”। अर्थात, हमारा पाप कुछ ऐसा है जो हमारे हृदय से आता है। बाइबल के सन्दर्भ में, इसका अर्थ है कि यह हमारे अस्तित्व के अन्तर्भाग या मुख्य केन्द्र से है।

इसलिए जिस चीज़ की आवश्यकता है मसीह के स्वरूप के स्वरूप में बदलने के लिए केवल वह कुछ छोटे समायोजन या व्यवहार सम्बन्धी बदलाव नहीं है, वरन् भीतर से नवीकरण की। हमें आवश्यकता है पुनर्जीवित होने, फिर से बनाए जाने, तथा सजीव किए जाने की आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा। एक तरीका जिससे एक व्यक्ति इस मौलिक स्थिति से बच सकता वह है केवल पवित्र आत्मा के द्वारा उसके अन्तर्भाग, अर्थात उसके हृदय के परिवर्तित करने के कार्य से । हालांकि, यह परिवर्तन भी तुरन्त पाप को हराता नहीं है। पाप का पूर्ण समापन स्वर्ग में हमारे महिमान्वित होने की प्रतीक्षा में है।

अगले लेख में हम ट्यूलिप के ‘U’ पर विचार करेंगे, अप्रतिबन्धित चुनाव।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर.सी. स्प्रोल
आर.सी. स्प्रोल
डॉ. आर.सी. स्प्रोल लिग्नेएर मिनिस्ट्रीज़ के संस्थापक, सैनफर्ड फ्लॉरिडा में सेंट ऐन्ड्रूज़ चैपल के पहले प्रचार और शिक्षण के सेवक, तथा रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज के पहले कुलाधिपति थे। वह सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिसमें द होलीनेस ऑफ गॉड भी सम्मिलित है।